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ए मुसाफिर

ए मुसाफिर
वजह बेवजह तू मुस्कुराता चल
वजह बेवजह तू मुसकुराता चल
बेखबर राहो पर तू आगे निकल

तुझे मिलेगी चुनौतियां
उन चुनौतियों पर कदम बढ़ाता चल
तू चल , तू चल , तू चल

ना थकना
ना रुकना
ना घबराना
ना हार मान जाना तू
बन अपना साथी तू
खुद से खुद में जाकर तू मिल

भूत , भविष्य की फिकर छोड़ दे
वर्तमान के साथ जी तू हर पल
ए मुसाफिर तू कदम बढ़त चल

हर डगर, हर मंजिल पर न तू रुक
बस अपनी मंजिल पर नजर रख कर
बढ़ता तू आगे चल , बढ़त तू आगे चल

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