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प्रार्थना

प्रार्थना करनी चाहिए, पूरा विश्व एक है कोई दुखी है तो हम सुखी नहीं है हम एक दूसरे से जुड़े हुए है चाहे वो तार नज़र नहीं आये लेकिन गहराई से जुड़े हुए है, यह एक सच्चाई है हम जिसके लिये कुछ नहीं कर सकते लेकिन एक काम कर सकते है क्या है वो काम वो है प्रार्थना।

करे प्रार्थना उस अनजान शक्ति से जिससे हम सब जुड़े हुए है वो मौक़ा है मौक़ा देती है वो शक्ति है।

कोई आप से कहेगा प्रार्थना कमजोरी है कामचोरी है नहीं हो नहीं है बस आप अपना काम करते हो पूरी शिद्दत से लेकिन आप के सिस्टम आपकी निजता को पता है, एक विशाल शक्ति जो सब को चला रही है बड़े बड़े काम हो रहे है, तो किसी की विशालता का सम्मान करना एक अच्छा और नेक कार्य है, लेकिन वो नज़र नहीं आती मानिए आप एक अंधेरे कमरे में  बैठे है, बीच में दिया जल रहा आप बता पायेंगे वो किस ओर देख रहा है।
बताइए  बताइए ? 

पढ़ते जाये इसका उत्तर में कही भी दे दूँगा
तो आप दुनिया में सुख दुख देख रहे है वो है लेकिन हमेशा के लिए नहीं है या तो समय उनको नष्ट कर देता या समय में दिखते हुए वो नष्ट होती है या परिवर्तित होती है।
इस पूरे ब्रह्मांड में आप एक बिलकुल पिद्दी छोटी सी इकाई है जहां पृथ्वी नहीं कुछ भी तो हमारी क्या बिसात है।

हमारी प्रार्थना कृतज्ञता का भाव है मन को स्वच्छ रखने का शांत रखने  का अच्छी भावनाओं को विकसित करने का कार्य है ज़रूर ज़रूर करे और यह बात महसूस करके देखें।
प्रार्थना का मतलब यह नहीं कि मैं यह अर्पण करूँगा मेरा यह काम बन जाये यह सौदे बंज़ी है जो ग़लत है कुछ नहीं होता इस सौदेबाजी से।

हमारी प्रार्थना मतलब स्वयं का भला सोचना तथा दूसरे के कैसे भला हो सकता है, इस बात को जीना न कर पाने की स्थिति में अनजान शक्ति से  बिना किसी लागलपेट के मन खोल के वार्तालाप करना और समाधान माँगना।

जो मैंने प्रश्न का उत्तर नहीं दिया था वो है “चहु ओर “ प्रकाश समानता से चहु और देख रहा होता है, आप देख रहे होते तो लगता है आप को देख रहा है यह ख़ासियत है प्रकाश की।

तो कहने का मतलब है प्रार्थना कीजिए खूब कीजिए बस सौदेबाजी न करे वो सही रास्ता नहीं है।
तो मेरा कहना है प्रार्थना नित्य कीजिए उस परम शक्ति का रोज़ धन्यवाद कीजिए यही एक सुखद जीवन की ओर चलिए।

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विचार क्या है

विचार क्या है, कहाँ से आते है ? क्यों ये इतना बड़ा रूप ले लेते है ? तथा यह किस प्रकार से कार्य करते है ? विचारो का विचारो से जुड़ना ही सोच का रूप लेता है, क्या आपने कभी विचारो को देखा है ? कितने सूक्ष्म विचारो को आप अब तक देख पाए है ? सबसे महिन ध्वनि आजतक कौनसी सुनी है वह किस प्रकार की ध्वनि है क्या कोई बता सकता है ? कैसे यह विचार बढ़ते ओर घटते है ? क्या इन विचारों को नियंत्रण लिया जा सकता है, या फिर अनियंत्रित विचारों के साथ ही बह रहे है।

हम अपने साथ कितने ही ऐसे विचारो को बांध लेते है जिनका कोई महत्व नही होता बस वो हमारे मन मस्तिष्क में अपना घर सा बना लेते है जैसे कोई एक राज्य से उठ कर किसी दूसरे राज्य में चला जाता है और वही बस जाता है उस पर कोई निगरानी नही रखता और वह अपना काम और आदि कार्य करता रहता है और वही अपना घर बसा लेता है उसी प्रकार यह विचार भी कही से आ जाते है और इस मस्तिष्क में अपने घर बना लेते है।

विचारो का आपस में टकराना एक विचार से दूसरे विचार पर जाना और उन विचारो का श्रृंखला में परिवर्तित हो जाना हमारे विचारो में हमारी ही विभिन्न प्रकार की किर्या और प्रतिक्रिया का होना , हम अलग अलग तरीको से सोचते है उन पर अपनी प्रतिकिर्या देते है यह बात मोटेे स्तर पर समझी जा सकती है और बहुत महीन स्तर जहाँ शब्दो की बात है तो मोटा स्तर और जब एक सूक्ष्म सा विचार हो तो बहुत गहराई में छिपा कर इन बातो का अर्थ जो शब्दो में नही समझाया जा सकता है।

जब बहुत सारे विचार एक जैसे हो तो वह विचार शसक्त हो जाता है, जब वह विचार सिर्फ एक हो और उसका कोई सहारा नही दे रहा हो तो विचार अकेला पड़ा रहता है, जब तक उसे उठाने के लिए दूसरा विचार ना आये इसलिए हमारे जो विचार और शब्द हमेसा आपस में टकराते है, और संबंध बनाने की परस्पर कोशिश करते है जो हमारे जीवन को आगे बढ़ाते है, इस हर एक विचार का अपना योगदान है जो हमारे मस्तिष्क में हमेसा कार्यरत रहता है।

इस बात को इस तरह से समझ लीजिए हमारा जीवनकाल  निश्चित है हम इस शरीर को धारण कर यहाँ पर निम्न प्रकार के कार्य कर रहे है कभी कभी हम तेज़ी से कार्य करते है और कभी कभी हम धीमा हो जाते है इस प्रकार हमारा एक विचार भी कभी धीमा कभी तेज़ हो जाता है जब हम बहुत लोगो से मिलते है तो हमे अच्छा लगता है उसी प्रकार से एक विचार अपने ही तरह के विचारो से मिलता है तो अच्छा लगता है वो गतिशील होता है और गति से कार्य करता है और वह विचार एक जैसे अनेकों विचारो को स्वयं के साथ जोड़ लेता है।

इसलिए हमे उन सभी विचारो के समूह को हमेशा तैयार करते रहना चाहिए जिसका हम अपने जीवन में अधिक मात्रा में परिणाम देखना चाहते है, जिस वस्तु, विषय आदि इत्यादि की हमे अपने जीवन में आवश्यकता है उसी को हमेशा अपने विचारो के माध्यम से जोड़ते रहना चाहिए
और उन विचारो को हटाते रहना चाहिए जो बेकार में हमारे मस्तिष्क में जगह बनाकर बैठ चुके है, उन विचारों से लगातार दूरी बनाकर रहना चाहिए, जिनका हमारे जीवन से कोई मतलब नही है जिससे कोई रस नही पैदा होता, जो हमारे जीवन में हानी पहुंचा रहे है।

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ध्यान

क्या ध्यान से विचार बलवान और फलित होता है ?
जी हाँ , ध्यान से आपके विचार बहुत बलवान होने लग जाते है, शब्द आकाश का विकार होते है, जब हम ध्यान करते है तो मन ओर बुद्धि शुद्ध विचारों से भर जाती है, ओर इस प्रकृति का मूल ही शुद्ध होना है, जब हमारे विचार शुद्ध होते है ओर प्रकृति का संपर्क ओर गहरा हो जाता है जिससे हमारे विचारों बलवान होते है, तथा यह फलित भी होते है, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का आधार ही शब्द है, आपके शब्द ही फलित होते है, जैसे ही विचारों के माध्यम से आप किसी भी चीज का संकल्प करते है, वो फलित होना शुरू जाते है, ब्रह्मांड में जैसे ही आप कोई भी शब्द छोड़ते हो उस पर कार्य होना शुरू हो जाता है, यह आपकी भावनाए, आप कितने सकारात्मक है , इन पर भी निर्भर करता है , जैसे जैसे आप ध्यान की गहराई में भीतर उतरेंगे आप अपने विचारों के प्रति सजग होना शुरू कर देते है ओर उसी तरह से आपका जीवन हो जाता है , यदि आप की इच्छा दृढ़ है ओर विश्वास आपके भीतर बहुत भरा हुआ है, तो आप जो चाहते है वह अवश्य पा लेंगे।

law of attraction

secret

सहायता के तौर पर इन दोनों किताबों को पढ़ जा सकता है।

Happy Guru purab

happy guru purab

In Putran Ke Sees Par Vaar Diye Sut Chaar, Chaar Muye To Kya Hua Jeevat Kayi Hazaar
(I have sacrificed my four sons. So what if my four sons are dead, when thousands are alive)

My Sincere Tribute to Life of Shri Guru Gobind Singh Ji

Happy Guru purab to all

विचार क्या है?

आइए जानते है विचारों के बारे में :-विचार कहाँ से आते है? क्यों आते है? इन विचारो के आने का कारण क्या है ? क्या है विचार?
विचारो के पैदा होने का रहस्य क्या है? 
हमारे मस्तिस्क के अंदर विचारो की उत्पत्ति हो रही है हमारे आसपास के वातावरण से हमारी शारीरिक क्रिर्याओं के कारण, जो हम पहले कार्य कर चुके है। उन् सभी के कारण हमारे मन, मस्तिष्क में प्रतिक्षण विचार पैदा हो रहे है। जिनके कारण हमारी सोच पर प्रभाव पड़ता है।

छोटे ओर बड़े विचार
विचार कहने में और देखने में बहुत छोटा सा है यह आता भी बहुत छोटे छोटे कार्यो से है जैसे हमने आंखो के द्वारा  किसी को देखा और पल भर में ही विचार आ गया, सिर्फ एक ही विचार नहीं आता वह विचार अपनेसाथ असंख्य और विचारो को साथ लाता है।

महिन विचार जो एक दम से आपके मस्तिष्क में नहीं आता वो पहले आपकी नाभि में उत्पन्न होता है उसके उपरांत वो पूरे शरीर में कम्पन करता है इस क्रिया के पूरे होने पर ही वो मस्तिष्क तक पहुंचता है तथा वह सूक्ष्म विचार अब आपके मस्तिष्क में अटके या आप उसे सुदृढ कर वाणी के द्वारा बाहर निकाले यह आप पर निर्भर करता है। यह पूरा क्रम है आपके द्वारा उच्चारित शब्दो का
परंतु हमारा मस्तिस्क इस पर विचार, विमर्श करने लग जाता है।
हम विचारो को कैसे देख और समझ सकते है?

विचारों को देखा नहीं जा सकता
हम विचारो को आँखों के द्वारा नहीं देख सकते परंतु हमे यह समझ में आते है। इन विचारो को हम visualise करते है अपनी imagination से, मस्तिस्क में छोटे से छोटा विचार भी बहुत प्रभावशाली होता है। यह एक विचार नहीं है बल्कि बहुत सारे विचार है जो लगातार कार्यरत है यह विचार एक के साथ मिलकर नए नए विचारों को जन्म दे रहे है जिन्हे हमें वृतिया कहते है
जिसके कारण ही हमारे जीवन की असंख्य घटनाओ का निर्माण हो रहा है और हम एक नई स्तिथि ओर परिस्थिति को जन्म दे रहे है।

विचार एक घटना है
इन सभी घटनाओ को हम कैसे देख सकते है? कैसे ये सभी घटनाये घट रही है?
इन घटनाओ के पीछे कौनसा विचार किर्याशील था या है ? हम सभी ये सोचते है की मेने तो किसी के साथ कोई बुरा नहीं किया परंतु मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों मेरे साथ ऐसी घटनाये घट रही है जिसको मेने कभी सोचा भी नहीं था या मेने ऐसा कब किया था ?
ये क्यों हो गया ?

हमे उन घटनाओ का समबन्ध पता भी नहीं होता की क्यों और क्या कारण है?
इन होने वाली घटनाओं का फेर भी वे घटनाये हमारे जीवन में हमारे साथ होती है
आप खाना खाते है, आप खेलते है
आप पुरे दिन में बहुत सारी घटनाओ के साथ जुड़े होते हो जैसे घर,दुकान पूजा कार्य , आना- जाना आदि कार्यो से पूरा दिन व्यस्त रखते है, जिस कारण  से असंख्य विचार तथा कार्य हमारे साथ जुड़ जाते है और हमे पता भी नहीं चलता यह सारे कार्य और विचार हमारे लिए एक घटना स्तिथि ओर परिस्थिति का निर्माण कर रहे है।

परंतु वह भी एक घटना का निर्माण कर रही है कुछ विचार हमारे आस पास के वातावरण के जो आपके जीवन की घटनाओ से जुड़ जाते है।

जरा देखिये, समझिये यह विचार कैसे अनेको घटनाओ का निर्माण कर रही है। जिनको हमे समझना में असमर्थ है असहाय हो जाते है, अपने जीवन के प्रति क्योंकि हमे समझ ही नहीं आता है क्यों ये घटनाये हो रही है क्या कारण है इन घटनाओ का इस कारण कई लोग कहते है, आप निमित है, इन सभी घटनाओ के होने मात्र में जिसे होना था जो होनी है सिर्फ आपको जो कार्य दिया है। उसको आपको भोगना है, आप भोगने के लिए हो आपके हाथ में कुछ नहीं आप कुछ नहीं करते हो सबकुछ पहले से तय हो चूका है, मान लेते है।

हमे यह भी मालुम है कि जिस प्रकार की घटनाये हमारे जीवन में घट रही है वो हमारे द्वारा ही निर्धारित है। जो कुछ घट रहा है वो पहले से ही तय है और जो आगे होने वाला है वो भी हम तय कर चुके है लेकिन क्या ??

हम यही सोच कर बैठ जाये कि हम कुछ भी नहीं कर सकते तो हम अपने विचारो को नीचे की श्रेणी में ले जायेंगे, अर्थात अधोगति में और हमारे विचार तथा उसी प्रकार के कार्य होंगे हमे अपने विचारों को बेहतर ओर अच्छा बनाना है उन पर ध्यान देना है।

यदि हम ऐसा कर रहे है तो हमे अपने विचारो तथा अपने कार्यो को धयांपूर्वक देखना और समझना चाहिए यह किस दिशा में है तथा क्या आदेश और निर्देश की स्तिथि है तभी हम इन विचारो को  एक नयी दिशा दे सकते है।

जिससे हमारा जितना भी भविष्य हमारे पिछले विचारो तथा कार्यो से तय हुआ है उन्हें हम पार कर जाये उसके बाद निर्माण तो हमे करना है न या फेर हम ऐसा ही जीवन बिताना चाहते है। कैसे हम बीता रहे है।हमे अपने विचारो को उच्च बनाना है।

यह हम समझते है कि किस प्रकार हम अपने जीवन निर्माण में सहायक तत्व है। ऐसा हम कोशिश करते है। क्यों और किस प्रकार से यह घटना पैदा हो गयी है। जिसे हम उसी क्षण समझ जाये और उस घटना को होने से वही रोक सकते है तथापि होने ही न दे उस घटना को आगे बढ़ने दे
बहुत सारे उदहारण के साथ हम इन विचारो का विशलेषण करते है,  आप किसी कार्य को करते है,

तो उसमे कितने ही विचार आपकी सहायता करते है और उन विचारो का प्रभाव तथा वो विचार हमारे जीवन को किस प्रकार गति प्रदान कर रहे है, जिनके कारण घटनाओ का समावेश बनता ही जा रहा है, आपने देखा होगा की आप किसी जगह से गुजर रहे है,  उस जगह बाजार है अलग-अलग सामान, साज-सज्जा, कपडे, खाने-पीने,सुन्दर-सुन्दर लोग, अतिमनभावुक दृश्य है तो क्या होगा उससे ? क्या आप उस जगह तथा उन लोगों से प्रभावित होंगे या अप्रभावित ही निकल जायेंगे?
कोई विचार आएगा या नहीं ? आपके शरीर की हाव भाव की स्तिथी में परिवर्तन होगा या नहीं ?
आपके मन मस्तिस्क में कोई इच्छा जागृत होगी या नहीं? आप उस जगह के बारे में कुछ सोचेगे या नहीं?

यह कुछ और प्रश्न उत्पन्न हुए इस जगह यही विचार है यह सूक्ष्म ओर बड़ा विचार बनता है।

तो लगातार जुड़े रहे मेरे साथ मैं विचार क्या है ओर इन विचारों के क्या कार्य है, ओर यह विचार किस प्रकार से कार्य करते है। नीचे मैं कुछ लिंक ओर दे रहा है जिसमे आप विचार व शब्दों के बारे में और जानकारी प्राप्त कर सकते है।

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