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असंभव को संभव

असंभव को संभव करना ही बहुत अच्छा लगता है ओर यह बात बिल्कुल खरी है की जब प्रयत्न किया जाए तो हर असंभव चीज संभव परिणामों से के साथ या जाती है इसलिए लगातार प्रयतन करना चाहिए ,

जिंदगी इसी को कहते है हमेशा लगता हे असम्भव,
जब तक कार्य हो नही जाता सम्पन्न ….
असम्भव बदल जाता हो जाता सम्भव,
जब कार्य को लेते जेसे बीता बचपन ॥

क़ार्य को माने बच्चा ,
ओर उसके साथ खेले ।
खेल खेल में कार्य को
सही दिशा में धकेले ॥

हम जब तक किसी भी कार्य की शुरुआत नहीं करते हमे उसके बारे में पता ही नहीं लगता, और वो कार्य कठिन भी बहुत है लगता है, इसलिए किसी भी को कठिन ना समझे बस शुरुआत करके के देखे जब तक शुरुआत नहीं होगी कोई परिणाम नहीं निकलेगा ओर वह कार्य भी असम्भव ही लगेगा , यदि कार्य को करने से पहले ही हार मान लोगे, तो सफलता कैसे मिलेगी इसलिए कोई भी कार्य असम्भव नहीं है बस उसकी शुरुआत जरूरी है। तभी असंभव को संभव किया जा सकता है।

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जो होता है वो अच्छा

जो होता है वो सबसे अच्छा…..
क्यूँकि कुदरत प्रकृति की इच्छा ।
इस विचार के दूरगामी परिणाम सुखद …
समर्पण इस विचार को जी के इसकी हद ॥

जो होता है सबसे अच्छा होता है
anmol shabd

जो होता हे वो ही सच्चाई….
न ढूँढे उसमें कुछ बुराई ।
जो हो रहा हे सही …..
जमा लो जीवन की दही ॥

शब्दों की गठरी जो

शब्दों की गठरी जो अनचाही है उसे ही लेकर घूम रहे हो, उन अनचाहे शब्दो को हटाकर जिन शब्दो को चाहते हो, उनको बांध लो और उनके ही साथ चलो फिर देखो सफर कैसा मस्त हो जायेगा, मंजिल आसान लगेगी मुसीबतें चाहकर भी करीब ना होगी दुख भी सुख में झट से बदल जाए।

व्यक्ति का व्यवहार

व्यक्ति का व्यवहार कैसा हो, व्यक्ति की मृत्यु से
उसका साथ छूटता….,
अब याद करते उनकी
अच्छाई हृदय व्यथित दुखता ।

अच्छे स्वभाव व्यवहार
की रहती सुखद याद ….,
प्रश्न व्यक्ति न जाने कहाँ
चला जाता जीवन का
बिगाड़ के स्वाद ॥

व्यक्ति की मृत्यु से उसका साथ छूटता,
आँखों में आंसू और दिल में दर्द भरता।
जीवन के नगमे और गीत बंद हो जाते हैं,
जब याद करते हैं हम उनकी मीठी मुस्कान को सदा।

उनकी यादों के साथ हम चलते हैं आगे,
हमेशा उनके साथ रहते हैं दिल के पास।
उनकी बातों को सुनते हैं विचारों की तरह,
उनकी सीखों को अपनाते हैं जीवन के हर पल में बस।

व्यक्ति की मृत्यु से उसका जीवन विचलित हो जाता है,
पर यादें उसकी अमर होती हैं, जीवनदायी साथी।
उनकी कही हुई बातों को सदा याद रखते हैं,
उनकी मुस्कान और हंसी को दिल में सदैव बसाते हैं।

यादें उनकी जीवन की दीप्ति बनकर जलती हैं,
हमेशा हमें उनकी दिशा दिखलाती हैं।
उनकी मौजूदगी हमारे जीवन को समृद्ध करती है,
व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी, हमेशा हमारे पास बसती हैं।

याद करते हैं हम उनकी प्रेम और स्नेह को,
जो हमें सदैव आत्मविश्वास देते हैं।
व्यक्ति की मृत्यु से उसका साथ छूटता है,
पर उसकी यादें हमेशा हमारे दिल में बसती हैं, क्युकी व्यक्ति का व्यवहार कभी भुलाया नहीं जा सकता।

सुस्ती भरा दिन

एक सुस्ती भरा दिन यूं ही बीत चला गया जिसका पता भी नही चला, आज पूरे दिन रजाई में लेटा और बैठा रहा फिर क्या था बस मैं अपने ही ख्यालों में कही गुम रहा कुछ विचार आए और कुछ नही

सुस्ती शारीरिक थी लेकिन दिमागी कतई भी नही कभी उठ बैठ जाता और अपनी स्पाइरल वाली नोटबुक में लिख देता बस आज यही किया क्युकी आज कही जाना तो नही था सप्ताह के आखिरी दो दिन दिल्ली बंद है

कुछ विचारो पर कार्य किया और कुछ नही
कुछ विचार बहुत जरूरी थे और कुछ का कोई मतलब नहीं था , कुछ ऐसे विचार थे जिनसे 2022 को प्लान करना था और कुछ ऐसे जिनको दिमाग से हटाना था

लगातार विचारो से खेलना मेरी आदत बन गई है हां मुझे व्यायाम करना कोई खास पसंद नही है लेकिन अपने विचारो को देखने में नही संकुचता तनिक भी

यह आज सुस्ती भरा दिन आज ऐसे ही खतम होने लगा था तो सोचा कुछ लिख देता हूँ वैसे कुछ खास नहीं था बस यही की विचारो को देखना , पढ़ना , समझना , जानना अत्यंत है जरूरी क्युकी इन्ही से बनती जिंदगी पूरी

अपने विचारो को यूं ही मत बिगाड़े इन्हे बस सवारे

यही था आज का विचार चलता हूं सुस्ताता हूं फिर आता रहूंगा बार बार मिलूंगा आपसे यही हर बार

दशमेश गुरु जी

आज का विषय बहुत ही सुंदर
दशमेश गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिवस के विषय में

उनका आकाशीय कथन से शुरुआत करेंगे
जो हे
चिड़ियों को में बाज से लड़ाऊ , गीदड़ों को में शेर बनाऊ !
सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊ !!
दशमेश गुरु जी जिन्होंने खालसा की नीव रखी सिक्खों को सिखी को जोड़ा ओर एक जीवन की अमिट निष्कलंक विधि दी अमृत पान करवा के पाँच प्यारे दिए ओर पाँच कक्के दिए जो थे कंघा ,केश, कढ़ा ,कच्छेरा ओर कृपाण
आप जी का जन्म पटना साहिब में हुआ था आपने मुग़लों से 14 बार युद्ध हुआ ओर ओर आपकी सदा जीत हुई ।

आपजी हृदय से कवि ओर मस्तिष्क से एक अपराजित योद्धा थे ओर परम ज्ञानी कई भाषाओं के जानकार जिसने संस्कृत ,गुरमुखी अरबी , फ़ारसी ओर न जाने ओर कौन कौन सी भाषाओं में वो पारंगत थे ओर 9 वर्ष से भी एक महीना क़रीब कम में वो दसवे गुरु की पदवी मिली।

हम नमन करते हे उनके किए बलिदान के लिए , पूरा परिवार पिता जी श्री तेग़ बहादुर जीं ने शीश को काटा गया गुरुद्वारा श्री शीश गंज उसका बलिदान की गवाह हे उनको खुद 42 वे वर्ष में धोखे से मुग़लों ने सीने में घाव देकर हुई उससे पहले उनके दो पुत्र चमकौर के युद्ध में शहीद हो गए ओर दो पुत्रों को मुग़लों ने ज़िन्दा दिवार में चुनवा दिया।

चमकौर का युद्ध क्या कमाल का था एक तरफ़ 40-43 सिख थे ओर दूसरी तरफ़ 10 लाख की विशाल मुग़ल सेना ओर क़ाबिले तारीफ़ बात ये थी गुरु गोविंद सिंह जी ने जो मेने शुरुआत में उनके वचन को लिखा था कि चिड़ियों से में बाज़ लड़ाऊ , गीदड़ को मैं शेर बनाऊ ! सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊ !! को सिद्ध कर दिखाया ये थे महान महान श्री श्री गोविंद सिंह जी ।

मेने अपनी जीवा से उनका नाम लिया हे मेरी लेखनी मेरी जीवा भी शुद्ध हो गई ऐसा प्यारा प्यारा नाम श्री गुरु गोविंद सिंह ।
वाणी नहीं कर सकती उनका बखान ये वाणी की कमी जो कभी पूरी नहीं की जा सकती आज के दिन ऐसी पुण्यात्मा महान विभूति संत श्री गोविंद सिंह जी को क्षत क्षत नमन वंदन ।
जो बोले सो निहाल ससरियाकाल।

पछतावा

पछतावा कब होता है ? गलती जों हर कोई करता है वो गलती है घर छोड़ने की एक युवा अवस्था में बहुत सारे लोगों के मन यह ख्याल आता है कि हमें घर छोड़ कहीं वन , आश्रम , या पहाड़ों पर कहीं चले जाना चाहिए।
लेकिन क्या यह उचित है ? क्या सहज ही यह संभव है ?

हम एक बार को मां लेते है की यह संभव है परन्तु उस घर को छोड़ने का कारण ओर परिणाम कभी सोचा है ??

यह गलती 100 प्रतिशत लोग करते है जिनको अपनी भूल का पछतावा होता है ओर फिर वही साधु आपकोंथ सलाह भी देते है की संत क्यों बनना ? गृहस्थ जीवन बिताए वहीं सबसे बड़ा आश्रम है परन्तु गृहस्थ ? जरूरी नहीं कि शादी भी करो जो लोग जीवन को बांधना नहीं चाहते उन लोगो को शादी भी नहीं करनी चाहिए इस जीवन को मुक्त रखना सभी बंधनों से विचारो से , कार्यों से इसलिए में तो गृहस्थ जीवन की भी सलाह नहीं देता।

यदि आप घर में भी रहे तो को पहले से संबंध बन चुके है उन्हीं के साथ निर्वाह कीजिए मरा पिता , भाई बहन , बंधु बांधव रिश्तेदारों के साथ यही संबंध धीरे धीरे स्वत ही छूट जाएंगे ओर बंधन मुक्त हो जाएंगे इन्हे जबरदस्ती मत छोड़िए जबरदस्ती कुछ भी संभव नहीं है इसलिए जीवन को स्वत ही होने दीजिए।

यदि कोई आपको अब भी गृहस्थ जीवन की सलाह देता है इसका सिर्फ एक ही कारण है वह बहिर्मुखी होते है उनका अंतर्मुखी ना होना ही इस बात का पछतावा है कि उन्होंने घर क्यों छोड़ा
यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति विशेष की व्यथा नहीं है यह उन लाखो , करोड़ों लोगों की व्यथा है जो साधु , संत बन जाते है परन्तु उनका उद्देश्य का है यह समझ नहीं पाते
बस इतना ही कारण है इसके विपरित कुछ भी नहीं

मेरे मन में भी लगातार याहिंद्वांध चलता रहता है, कि घर में रहू या घर छोड़ कर भाग जाऊ
लेकिन घर छोड़कर जाना क्यों ?

सीधा ओर सरल प्रश्न जो मैंने स्वयं से हजारों , लाखो बार किया है, ओर उसका उत्तर सीधा ओर सरल यही है बाहर जाकर भी कोई ना कोई कार्य इत्यादि तो करना ही पड़ेगा चाहे आप आश्रम में जाए या फिर कहीं ओर, इसके विपरीत आपको  भिक्षुक भी बनना हो सकता है, इस पर के निर्वाह के कारण ओर भी कई अन्य स्तिथि ओर परिस्थिति का सामना भी करना पड़ेगा।

फिर क्यों ना घर पर रहकर ही चिंतन मनन स्वयं का अध्यन किया जाए , क्यों छोड़ जाना घर को
हम इस समय जिस परिवार के साथ रहते है, वह सबकुछ हमारे ही द्वारा किया गया चुनाव है, फिर क्यों इस स्तिथि ओर परिस्थिति से विमुख होना।

हाल ए दिल बताऊं भी क्या ?

आंखे नम है ना जाने क्यो?
ना कोई गम है
ना मर्म है
फिर भी मेरी आँखें नम है
क्या समझू
इस बात को तूने जो ढाया सितम है
 
सितम समझू या कुछ और समझू?
 
क्योंकि अब तो
मुझे खुद की खबर नही
खुद ना जाने कही गुम हूं मैं
शायद थोड़ा चुप भी हूं ,
जिंदगी से बाते भी थोड़ी काम करता हूं
खुद से मिलने की कोशिश भी बहुत करता हूं
मगर
फिर वापस आ नही पाऊंगा इस बात से डरता हूं ,
कोशिश खुद को भुलाने की भी करता हूं
लेकिन भूल नही पाता हर वक़्त
अपनी बेबसी तमासा देख
मैं खुद ही नजर आता ,
धड़कने जोर जोर से धकडती है
धड़कने जोर जोर से धड़कती है
तू मेरे साथ है नही
इस बात से
मेरी धड़कने भी सुबकती है ,
क्या कहूँ??
क्या समझाऊ ??

लिखूं क्या अपनी दासता?
  बताऊ क्या अपनी हस्ती ?
जिसको चाहा था इस कदर
उसने ही जलाई मेरी दिल की बस्ती
किसके आगे हम अपने आंसू बहाय
किसको दुखडा हम अपना सुनाये
  है कोई ??
   जो हमारी स्तिथि को समझ को समझ पाए।
    मोहहब्बत कि थी कोई गुनाह नही
    जिसकी सजा मिल रही है बिना सुनवाई
  लगता है तुमसे बात करूं
  चाहे एक बार करू
   लेकिन बात तो करू
   फिर ना जाने क्यों?
    मन कहता है कि
   बात अब क्या करूँ ?
   बात अब क्या करूँ ?
जब तुम मेरा साथ छोड़ जाते थे
तो भरोसा टूट जाता था
लगता था कि तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?
क्या तुम उम्र भर मेरे साथ रह पाओगे ?
लाखो सवाल मन को कुचल देते थे
और में गुस्से में भर जाती था ,
मै बैठ वही रो दिया कर देता था  ,
तुम आओगे वापस बस यही आस
तुम्हारे आने की वापस लगये बैठ जाता था
अब क्या?
जो  तुमने साथ अब छोड़ दिया नाता जो था वो तोड़ जो दिया
  फिर काहे ? मै तुमसे इकरार करू
   ये तो दिल है मेरा जो सिर्फ मैं अब भी तुमसे ही प्यार करु क्या फिर दुबारा ?
   और बार बार अपने प्रेम का इज़हार करू , रिश्ता नाता कुछ बचा नही
   फिर काहे मै अश्क़ नैनन मैं भरु
    ये तो दिल है मेरा जो
    अब भी सिर्फ तुमसे ही मै प्रेम करू
बड़ी बेबसी है ये लोग हँसते है
मोह्हबत की हकीकत को जानकर


उन्हें पहचान कैसे कराऊ?
उन्हें एहसास कैसे दिलाऊ?
उन्हें इस मोह्हबत का दर्द कैसे बताऊ?
क्या आज खुद ही आईना मै बन जाऊ ?
कैसे उनको इस मोह्हबत का आईना दिखाऊ?
उन्हें रूबरू कैसे कराऊ?
दोनो छोर पर उन्होंने दरवाजा जो है बन्द कर दिया।
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
ना इस और आने को हम है
ना उस और को जाने को

इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया     

जैसे पंछी बिन पंखों के पिंजरे से बाहर छोड़ दिया

इस मोह्हबत की हकीकत क्या है?
सिर्फ मै हूं जो जानता हूं
यू उनसे मोह्हबत थी बेपनाह पर
अब क्या ?
उन्होंने हमें कर दिया तबाह

कुछ तो मोह्हबत के आंसू तुम भी पी लेना

यदि मोह्हबत हो जाये खुद को तबाह कर मोह्हबत के साथ जी लेना

लगता है
कोई सुने कुछ पल मुझे भी बैठकर
फिर लगता है मैं सुनाऊ भी क्या?
हाल ए दिल बताऊ भी क्या?
हाल ए दिल क्या हुआ ये अब समझाऊ भी क्या ?
बस जो हुआ है उसको छिपाऊँ
लेकिन
 छिपाऊँ भी कहाँ?

ब्रह्मांड का जुड़ा होना

ब्रह्मांड का जुड़ा होना
ब्रह्मांड का एक दूसरे के साथ जुड़े होना हम सभी साथ है कोई भी अलग नही है ना ही कोई आगे है ना पीछे है बस सब साथ साथ है सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक छोर से दूसरे तक बंधा हुआ है, एक हल्का स छेद भी नहीं है जो इस ब्रह्मांड से छूटा हुआ हो , एक एक कण भी ब्रह्मांड से जुड़ा हुआ है, हम यदि कहे की आकाश रिक्त है तो यह बात बिल्कुल विपरीत होगी क्युकी पूरा आकाश भी जुड़ा हुआ है इन ध्वनियों से
Ek dusre ke saath

Interconnected universe” ( ब्रह्मांड का जुड़ा होना एक छोर से दूसरे छोर तक )

हम सभी किसी ना किसी रूप में एक दूसरे के साथ जुड़े हुए है किस तरह से ये हमे जानना होगा, हमारा विचारो के साथ हमारे शब्दो के साथ हमारे कार्यो के साथ अब उस जुड़े होने से हम कैसे और बेहतर हो बड़े कैसे हो ?

कैसे हम एक बड़ा विचार बना सकते है जिसमे सभी का सहयोग हो हैम सभी जुड़े हुए है अपने विचारो के कारण अपनी इच्छाओ के कारण हमारी आवश्कताओं के कारण हमारी जरूरते एक दूसरे के साथ पूर्णतया जुड़ी है, जैसे ब्रह्मांड का जुड़ा होना है।

हमारा जीवन भी विचारो सोच शब्द एहसास के साथ जुड़े हुए है हमारी घटनाएं भी एक साथ जुड़ी हुई है हर एक घटना एक दूसरे से जुड़ी हुई है हिमारी घटना का आसपास होना किसी न किसी रूप में हमे भी प्रभावित करती है

किसी व्यक्ति के द्वारा उच्चारित शब्दों का हमारे ऊपर भी प्रभाव पड़ता है:
हम सभी एक दूसरे के शब्दो से भी प्रभावित होते है उसी प्रकार हमारा जीवन एक दूसरे के जीवन में होने वाली घटनाओ से प्रभावित होता है क्योंकि हमारा संबंध किसी न किसी प्रकार से जुड़ा हुआ है।

हमारी सोच विचार एहसास भावनाएं आपस में जुड़ी हुई है, जिस प्रकार एक व्यक्ति सिर्फ अपने आप से नही उसकी पहचान बहुत सारी बातो के साथ होती व्यक्ति और व्यक्ति का नाम परिवार , गली मोहल्ला , शहर, देश , आदि से उस व्यक्ति की पहचान होती है

विचार क्या है?

आइए जानते है विचारों के बारे में :-विचार कहाँ से आते है? क्यों आते है? इन विचारो के आने का कारण क्या है ? क्या है विचार?
विचारो के पैदा होने का रहस्य क्या है? 
हमारे मस्तिस्क के अंदर विचारो की उत्पत्ति हो रही है हमारे आसपास के वातावरण से हमारी शारीरिक क्रिर्याओं के कारण, जो हम पहले कार्य कर चुके है। उन् सभी के कारण हमारे मन, मस्तिष्क में प्रतिक्षण विचार पैदा हो रहे है। जिनके कारण हमारी सोच पर प्रभाव पड़ता है।

छोटे ओर बड़े विचार
विचार कहने में और देखने में बहुत छोटा सा है यह आता भी बहुत छोटे छोटे कार्यो से है जैसे हमने आंखो के द्वारा  किसी को देखा और पल भर में ही विचार आ गया, सिर्फ एक ही विचार नहीं आता वह विचार अपनेसाथ असंख्य और विचारो को साथ लाता है।

महिन विचार जो एक दम से आपके मस्तिष्क में नहीं आता वो पहले आपकी नाभि में उत्पन्न होता है उसके उपरांत वो पूरे शरीर में कम्पन करता है इस क्रिया के पूरे होने पर ही वो मस्तिष्क तक पहुंचता है तथा वह सूक्ष्म विचार अब आपके मस्तिष्क में अटके या आप उसे सुदृढ कर वाणी के द्वारा बाहर निकाले यह आप पर निर्भर करता है। यह पूरा क्रम है आपके द्वारा उच्चारित शब्दो का
परंतु हमारा मस्तिस्क इस पर विचार, विमर्श करने लग जाता है।
हम विचारो को कैसे देख और समझ सकते है?

विचारों को देखा नहीं जा सकता
हम विचारो को आँखों के द्वारा नहीं देख सकते परंतु हमे यह समझ में आते है। इन विचारो को हम visualise करते है अपनी imagination से, मस्तिस्क में छोटे से छोटा विचार भी बहुत प्रभावशाली होता है। यह एक विचार नहीं है बल्कि बहुत सारे विचार है जो लगातार कार्यरत है यह विचार एक के साथ मिलकर नए नए विचारों को जन्म दे रहे है जिन्हे हमें वृतिया कहते है
जिसके कारण ही हमारे जीवन की असंख्य घटनाओ का निर्माण हो रहा है और हम एक नई स्तिथि ओर परिस्थिति को जन्म दे रहे है।

विचार एक घटना है
इन सभी घटनाओ को हम कैसे देख सकते है? कैसे ये सभी घटनाये घट रही है?
इन घटनाओ के पीछे कौनसा विचार किर्याशील था या है ? हम सभी ये सोचते है की मेने तो किसी के साथ कोई बुरा नहीं किया परंतु मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? क्यों मेरे साथ ऐसी घटनाये घट रही है जिसको मेने कभी सोचा भी नहीं था या मेने ऐसा कब किया था ?
ये क्यों हो गया ?

हमे उन घटनाओ का समबन्ध पता भी नहीं होता की क्यों और क्या कारण है?
इन होने वाली घटनाओं का फेर भी वे घटनाये हमारे जीवन में हमारे साथ होती है
आप खाना खाते है, आप खेलते है
आप पुरे दिन में बहुत सारी घटनाओ के साथ जुड़े होते हो जैसे घर,दुकान पूजा कार्य , आना- जाना आदि कार्यो से पूरा दिन व्यस्त रखते है, जिस कारण  से असंख्य विचार तथा कार्य हमारे साथ जुड़ जाते है और हमे पता भी नहीं चलता यह सारे कार्य और विचार हमारे लिए एक घटना स्तिथि ओर परिस्थिति का निर्माण कर रहे है।

परंतु वह भी एक घटना का निर्माण कर रही है कुछ विचार हमारे आस पास के वातावरण के जो आपके जीवन की घटनाओ से जुड़ जाते है।

जरा देखिये, समझिये यह विचार कैसे अनेको घटनाओ का निर्माण कर रही है। जिनको हमे समझना में असमर्थ है असहाय हो जाते है, अपने जीवन के प्रति क्योंकि हमे समझ ही नहीं आता है क्यों ये घटनाये हो रही है क्या कारण है इन घटनाओ का इस कारण कई लोग कहते है, आप निमित है, इन सभी घटनाओ के होने मात्र में जिसे होना था जो होनी है सिर्फ आपको जो कार्य दिया है। उसको आपको भोगना है, आप भोगने के लिए हो आपके हाथ में कुछ नहीं आप कुछ नहीं करते हो सबकुछ पहले से तय हो चूका है, मान लेते है।

हमे यह भी मालुम है कि जिस प्रकार की घटनाये हमारे जीवन में घट रही है वो हमारे द्वारा ही निर्धारित है। जो कुछ घट रहा है वो पहले से ही तय है और जो आगे होने वाला है वो भी हम तय कर चुके है लेकिन क्या ??

हम यही सोच कर बैठ जाये कि हम कुछ भी नहीं कर सकते तो हम अपने विचारो को नीचे की श्रेणी में ले जायेंगे, अर्थात अधोगति में और हमारे विचार तथा उसी प्रकार के कार्य होंगे हमे अपने विचारों को बेहतर ओर अच्छा बनाना है उन पर ध्यान देना है।

यदि हम ऐसा कर रहे है तो हमे अपने विचारो तथा अपने कार्यो को धयांपूर्वक देखना और समझना चाहिए यह किस दिशा में है तथा क्या आदेश और निर्देश की स्तिथि है तभी हम इन विचारो को  एक नयी दिशा दे सकते है।

जिससे हमारा जितना भी भविष्य हमारे पिछले विचारो तथा कार्यो से तय हुआ है उन्हें हम पार कर जाये उसके बाद निर्माण तो हमे करना है न या फेर हम ऐसा ही जीवन बिताना चाहते है। कैसे हम बीता रहे है।हमे अपने विचारो को उच्च बनाना है।

यह हम समझते है कि किस प्रकार हम अपने जीवन निर्माण में सहायक तत्व है। ऐसा हम कोशिश करते है। क्यों और किस प्रकार से यह घटना पैदा हो गयी है। जिसे हम उसी क्षण समझ जाये और उस घटना को होने से वही रोक सकते है तथापि होने ही न दे उस घटना को आगे बढ़ने दे
बहुत सारे उदहारण के साथ हम इन विचारो का विशलेषण करते है,  आप किसी कार्य को करते है,

तो उसमे कितने ही विचार आपकी सहायता करते है और उन विचारो का प्रभाव तथा वो विचार हमारे जीवन को किस प्रकार गति प्रदान कर रहे है, जिनके कारण घटनाओ का समावेश बनता ही जा रहा है, आपने देखा होगा की आप किसी जगह से गुजर रहे है,  उस जगह बाजार है अलग-अलग सामान, साज-सज्जा, कपडे, खाने-पीने,सुन्दर-सुन्दर लोग, अतिमनभावुक दृश्य है तो क्या होगा उससे ? क्या आप उस जगह तथा उन लोगों से प्रभावित होंगे या अप्रभावित ही निकल जायेंगे?
कोई विचार आएगा या नहीं ? आपके शरीर की हाव भाव की स्तिथी में परिवर्तन होगा या नहीं ?
आपके मन मस्तिस्क में कोई इच्छा जागृत होगी या नहीं? आप उस जगह के बारे में कुछ सोचेगे या नहीं?

यह कुछ और प्रश्न उत्पन्न हुए इस जगह यही विचार है यह सूक्ष्म ओर बड़ा विचार बनता है।

तो लगातार जुड़े रहे मेरे साथ मैं विचार क्या है ओर इन विचारों के क्या कार्य है, ओर यह विचार किस प्रकार से कार्य करते है। नीचे मैं कुछ लिंक ओर दे रहा है जिसमे आप विचार व शब्दों के बारे में और जानकारी प्राप्त कर सकते है।

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