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कुछ बात ऐसी

कुछ बात ऐसी
कुछ बात वैसी
बस ना जाने कैसी कैसी कहानी ,हर मोड़ पर थी कहानी
कुछ अभी की तो कुछ बात पुरानी
ना जाने कौनसी कहानी

कुछ इस तरह
कुछ उस तरह
चलती रही हमारी कहानी
कुछ उलझी कहानी तो सुलझी कहानी
कुछ भूली बिसरी जवानी
कुछ बीत गई जवानी

संग ना जाने कितने किस्से और हुई कहानी
कुछ सफर जाने पहचाने तो कुछ अनजाने

अब यार छोड़ो
ये बाते सब पुरानी
देखलो
ढल गयी मेरी जवानी,
करली नादानी जो करनी थी नादानी
हो गयी नादानी,
अब नही करनी और कोई नादानी
अब नही कोई हरकत बचकानी
बस चल रही है ये जिंदगानी
जो ढलनी थी मेरी जवानी
वो भी ढल गई है

अब नही कोई परेशानी,
बस मस्त जीने दो मुझे अपनी जिंदगानी
कुछ बात ऐसी,
कुछ बात वैसी
बस ना जाने कैसी कैसी

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उन्ही से सीखा है

प्यार से बात करना और मुस्कुराना तो उन्ही से सीखा है वरना हमे कहाँ कभी प्यार और मुस्कुराना यह आया

प्यार की बातें, मुस्कान की हंसी,
वो जीवन के रंग जो हैं सदैव स्वास्थ्य।
कोई अनजान, बन गया हमारा यार,
उन्ही से सीखा है प्यार का सच्चा आदर।

जब रूठ जाती थी ज़िंदगी के रंग,
वो ही आते थे हमारे दिल के संग।
हंसते रहते थे हम उनके साथ,
प्यार की बातों में खो जाते थे रात।

सपनों की दुनिया में सफर कराते थे,
वो ही थे जो हमारी दिल की आरती उठाते थे।
जिस्म को छूने से पहले दिल को छू जाते थे,
वो ही थे जो हमारे दिल को बहुत समझाते थे।

प्यार की बातें, मुस्कान की हंसी,
वो जीवन के रंग जो हैं सदैव स्वास्थ्य।
उनके बिना यह ज़िंदगी कैसी होती,
प्यार और मुस्कान से जीने की ख़्वाहिश रोती।

वो हमेशा रहेंगे हमारे दिलों में,
प्यार और मुस्कान से भरे हमारे सपनों में।
जब भी याद आएंगे हम उनकी मुस्कान,
दिल में उठेगा प्यार का यही गान।

उन्ही से सीखा है
उनही से सीखा है

खवाइसे

खवाइसे तो बहुत बड़ी है जिंदगी मे उनको पूरा करू कैसे? बस इतनी सी जिंदगी है खवाइसो को पूरा करने के चक्कर मे फसु कैसे मैं बिन खवाइसो के रहु भी तो कैसे

जिंदगी के ख्वाबों को पूरा करने की खातिर,
संवेदनशीलता और व्यापारिकता दोनों हैं जरूरी।
ख्वाहिशों के पीछे दौड़ो निरंतर,
बिना खवाइसों के भी जीने का सबको आदेश।

जीवन के पथ पर कठिनाइयाँ होंगी,
पर तू ना डर, ना हार मानेगी।
अपने सपनों को पीछे ना छोड़ो,
खुद को नये उचाईयों पर ले जोड़ो।

जिंदगी की महक उड़ान भरेगी तब,
जब तू नई मंजिलों के दरवाजे खोलेगी।
बाधाओं से संघर्ष कर, आगे बढ़,
खवाइसों को तू जीवन में समाधान बना।

ज़िंदगी छोटी सी है, ये सच है ध्यान रख,
पर जीने का मजा है ख्वाहिशों को सच करके।
खुद को पहचान और अपना रवैया बना,
बस फिर देख, खवाइसे खुद ही पूरी हो जाएंगी जब तू जीवन में अच्छाई ला जाएगी साथ।

ज़िंदगी की राह में

ज़िंदगी की राह में यू ही चलते चलते

ज़िंदगी की राह में चलते चलते,
बहुत से रास्ते आते हैं।
कभी खुशियों की मुस्कान साथ लाते,
कभी दुःखों की बूंदें गिराते।

हर राही अपनी मंजिल को ढूंढता है,
पर ज़िंदगी का मतलब खुद को पाना है।
सपनों को पंख देकर उड़ान भरनी है,
हर इम्तिहान में नयी पहचान बनानी है।

ज़िंदगी की लहरों में संघर्ष होता है,
पर उससे डर के मन्दिर नहीं चिढ़ाना है।
आगे बढ़ने की इच्छा ज़िंदा रखनी है,
नई उचाईयों को छूने का सपना देखनी है।

जीवन एक अनंत सफ़र है, यह याद रखो,
हर कदम पर नया अद्वितीय अनुभव है।
कभी गिरना है तो उठना भी सीखो,
हर हार को विजय का आगाज है।

ज़िंदगी की राह में चलते चलते,
आपसे यही आरज़ू है मेरी।
खुशियों की बारिश हो आपके ऊपर,
हमेशा ख़ुश रहें, यही दुआ है मेरी।

आज का दिन

आज का दिन नयी उम्मीदों का आगाज है,
आज का दिन नयी सफलताओं का पहला कदम है।
आज का दिन नया सपनों का पर्व है,
आज का दिन नयी ख़ुशियों का संगम है।

इस दिन को आप अपनी ज़रूरतों का आदान-प्रदान करें,
इस दिन को आप सपनों को पंख देकर उड़ान भरें।
आज को आप अद्वितीय बनाएं,
दिन को आप आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन बनाएं।अनंत उड़ान

उड़ान भरो नयी ऊचाइयों की,
ख्वाबों को पंख देकर उड़ जाओ।
सपनों को आज़ादी का रास्ता दिखाओ,
अपार समुद्रों को पार कर जाओ।

अंधकार को दूर कर दो रोशनी से,
खुद को अनंतता और स्वतंत्र बनाओ।
अपने आप को सीमित न करो,
चारों ओर अपनी परिधि छोड़ जाओ।

ज़मीन के नीचे छिपे ख़ज़ाने का,
आप खुद ही ख़ुदाई कर जाओ।
अपने सपनों की धरती को छेड़ो,
उसकी मिट्टी को आप रंग बनाओ।

आज़ादी की हवा में उड़ जाओ,
मुझसे ऊंचा आपका आंचल हो।
सब सीमाएँ तोड़ दो आप अपनी,
अपनी आवाज़ को पूरे आसमान में गूँजाओ।

अनंत उड़ान भरो नयी ऊचाइयों की,
आपका सफ़र हो अद्वितीय और अविरल।
आप ज़िंदगी के रंगों में ख़ुद को खो जाओ,
और देखो कैसे आप अपने आप से मिल जाओ।

जिंदगी क्या है?

क्या है जिंदगी? मुस्कराहट का ही तो एक नाम है जिंदगी

जरा इसे मुस्कुराने ही दो,

ना गम के साये में खो जाने दो

यह है जिंदगी

बस ये जानने की एक कोशिश है

समझने की एक इच्छा है,

उस इच्छा को पूरा करना और जीवंत होकर

जीना ही तो है  जिंदगी

सबको बताना जरूरी नही है कि क्या है जिंदगी

बस खुद जान लेना बेहद जरूरी है जिंदगी

क्योंकि

जिसे मिली उसे कदर नहीं है

जिसे न मिली उससे पूछो जरा

क्या है जिंदगी ?

न तड़पाओ न रोने दो बड़ी प्यारी है जिंदगी

इसे खिलने दो जरा, यह खिलना चाहती है

क्योंकि खिलखिलाती सी है यह जिंदगी

गुदगुदाती – फुसफुसाती सी है जिंदगी

कभी बहुत हसाती है तो

रुलाती भी बहुत है जिंदगी

मिलकर जीने का नाम है जिंदगी

बिछड़ना भी है जिंदगी

फिर मिल जाने का नाम भी है जिंदगी

प्यारी सी मुस्कान है यह जिंदगी

खुद में जीने का नाम है जिंदगी

रूठे हुए को मनाना है तो

किसी अपने से रूठ जाना भी है जिंदगी

इंतज़ार भी है जिंदगी

अधूरी प्यास है जिंदगी

सहलाती हुई माथे पर हाथ रखती माँ है

माँ का आँचल है और

पिता की डांट का नाम है जिंदगी

खुदसे प्यार करने का नाम है जिंदगी

मैं से मैं में मिल जाना है जिंदगी

“तुम” और “मैं” को खत्म कर देना है जिंदगी

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जिंदगी की मसकक्त

मैं आज भी उस दौड़ का हिस्सा हूँ ,एक कहानी हूँ, एक किस्सा हूँ कभी भागता हूँ, कभी रुकता हूँ ,जिंदगी की मसकक्त से इंसान हूँ

बस न रुकता हूँ न थकता हूँ, जिंदगी की मसकक्त कभी खत्म नहीं होती,
जीते जाओ हर पल खुशी से और मुस्कुराते जाओ।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जीवन की मसकक्तों से नहीं घबराओ,
आगे बढ़ते जाओ और जीते जाओ सदा।
जीवन का सफर होता है थोड़ा मुश्किल,
पर चिंता मत करो और हर पल को मस्ती से जीते जाओ।

जीवन की मसकक्तों से नहीं घबराओ,
आगे बढ़ते जाओ और मुस्कुराते जाओ सदा।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

जीवन की मसकक्तों से होंगे हर पल झमेले,
पर चिंता मत करो और उमंग से जीते जाओ।
हर एक पल को खुशी से जीतो,
जीवन की राहों में आगे बढ़ते जाओ सदा।

जिंदगी की मसकक्त कभी खत्म नहीं होती,
जीते जाओ हर पल खुशी से और मुस्कुराते जाओ।
चलते जाओ अपनी राहों पर चाहे जैसी भी हों,
खुशियों से भरी राहें हमेशा खुली रखो।

बीते हुए दिन

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी, शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके

क्युकी
वो दब गई , दफन हो गई
उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों में

जिनमें मैने की थी मैंने बहुत सारी नादानी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?

ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में,
जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में ,
क्यों गुम हो जाऊ ?
क्या है ख़ास ?
है क्या ख़ास ?
नहीं पता , मुझे नहीं पता

लेकिन फिर भी ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है
लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है
कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है , बताओ आते है ना
वो दिन

वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे
उनमें तुम्हारा बचपन भी था , लड़कपन , जवानी , झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था
तुम्हारे चेहरे पर

लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में , पन्नों में , कलम की स्याही से
जिन्हे फिर से  ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
(उन्मे सिर्फ पुरानी याडे है दबे हुए कुछ अरमान है )
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट ,
दबे आंसू , झलकता जाम
ओर धुंधली यांदे है
जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है

लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन ,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है ,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,
उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरी पुरानी यादे ही तो बन रह गई।

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यह जिंदगी ना तेरी

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
जिंदगी रूठ ना जाये कही

चलता रहा साथ जिंदगी के
यह थम ना जाये कही

तू सांस लेले खुलकर
कही सांस रुक ना जाये यही

जी ले थोड़ा सा जिंदगी को यही
कौन जाने अगला पल है या नही

दम भर ले जितना तू चाहे
फिर दम भरने को तू होगा या नही

फिर कही ये दम छूट ना जाये
हुंकार मार , दहाड़ , चिल्ला

जीवन को जी खुलकर आज और यही
अगला पल किसको खबर है या नही

आज तू इसका यही बुगल बजा
नाच हंस खिलखिला बस तू यही

पता चलने दे हर लोक को गाथा तेरी ,
अगला पल किसको खबर है या नही

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
यह जिंदगी रूठ ना जाये कही

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शब्दों मे हरकत

आज शब्दों में कुछ हरकत होने को है।

लगता है जिंदगी बस अब उस पार होने को है।

यहाँ था मैं सिर्फ तुम में होने के लिए जब तू,तुम न रहा

तो जिंदगी ने जाना की अब मैं सिर्फ, मैं होने को है।

मुझमे सिर्फ मैं रह जाये बाकी सब खो जाये ,

कुछ अब शेष नही मेरा किसी से द्रेष नही

इसलिए बाहरी यात्रा का समापन हो रहा

अब तो भीतर ही रुकना है बहार नहीं आना

किसी को पाने की कोई इच्छा नहीं,

किसी को छोड़ना नहीं बस अंदर ही बैठ जाना है,

बाहर नहीं खड़े होना

भीतर विराम है,बाहर सावधान होना है

भीतर मौन होना है, बाहर शब्दों में खोना है।

भीतर व्यस्त होना है, बाहर अस्त व्यस्त होना है,

बस यही शब्दों की हरकत है जो हो रही है मेरे भीतर उन शब्दों को कैसे में विराम दु।

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