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ध्यान कैसे करे

ध्यान कैसे करे ? ध्यान क्यों करना चाहिए ? ध्यान करने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है इस आपाधापी की जिंदगी में अपने मन के विचारों को हम शांत नहीं रख पाते है इसलिए हमे ध्यान करना चाहिए  

ध्यान कैसे करे : मन को शांत रखने के लिए हमे ध्यान करना चाहिए , मन ना जाने किधर किधर भागता है उस मन को स्थिर करने के लिए ध्यान करना जरूरी है।

मन के भटकाव को रोकने के लिए ध्यान करना जरूरी है, हमे जीवन में सफल होने के लिए स्वयं के विचारों को नियंत्रित रखना होता है उसके लिए हमे ध्यान करने की आवश्यकता है, 

ध्यान तो स्वं घटित होता है , किसी पर चीज पर लगातार ध्यान रहे उसी को ध्यान कहते है ध्यान करने के लिए आपको कही नहीं जाना जहा आप है जो आप कर रहे है बस वही ध्यान हो सकता है, असल में ध्यान वही है,

यदि आप ध्यान करते समय स्थिर नहीं बैठ पाते है तो इसके लिए हमने अलग से एक ब्लॉग लिखा है इसको आप इधर पढ़ सकते है

अपने भीतर की हो रही क्रियायों को सजगता से देखना ही ध्यान है ध्यान जो स्वयं घटित होता है

जब आप भोजन करते है उस समय आप भोजन पर ध्यान दे , कोई भी कार्य कर रहे हो बस उसी पर ध्यान दीजिए उसके अलावा कही नहीं होना आपका ध्यान धीरे धीरे उसी दिशा में केंद्रित होने लगेगा  

जब आप पैदल चल रहे हो तो अपने कदमों पर ध्यान दे ये छोटी छोटी किरया आपको ध्यान की गहराई में धीरे धीरे उतार देगी ओर आप अपने भीतर मन की आवाज को ध्यान से सुन पाओगे जिससे आपका मन शांत होने लगेगा ओर ध्यान इधर उधर की व्यर्थ की चीजों में नहीं जाएगा

आपका मन स्थिर हो जाएगा

नए साल की तैयारी

नए साल की तैयारी शुरू हो गई है पिछला साल यानि 2022 खतम हो रहा है और 2023 की शुरुआत होने को है अब इस नए साल की तैयारी और कुछ नई शुरुआत की जाए।

पुराना पत्ता यानि पीला पत्ता जब टूट जाता है अतब हरा नया पत्ता आता है , पुराना जाएगा तभी तो नया आएगा , जो बीत गया सो बीत गया इसलिए नए का स्वागत करो जो छूट रहा है उसे छूट जाने दो उसका सफर यही तक था अब नए के साथ शुरुआत करो यही जीवन की परिभाषा है।

व्यर्थ की चिंता में आज को बर्बाद मत करो, चिंता चित का विषाद होती है, ओर चितन चित का आनंद इसलिए हर पल को बेहतर ओर आनंदित बनाओ ओर जिओ खुलकर ओर आनंद से

हम सभी सोचते है, की नया साल अच्छा जाए लेकिन अच्छा कैसे जाएगा ? यदि आप आज को बेहतर करेंगे तभी आपका कल बेहतर होगा यदि आज आप खराब कर देंगे तो कल कैसे अच्छा होगा इसलिए शुरुआत अभी कीजिए अपने दिन और रात को बेहतर बनाए अपने विचारो से और है रोज उन  विचारो पर कार्य करे।

नए साल पर हम अपने लिए कुछ नई आदतें जोड़ने की कोशिश करते है, कुछ नए लक्ष्य तैयार करते है , नया टारगेट रखते है नए साल के लिए यह साल पिछले साल से कुछ और बेहतर हो।

कुछ न कुछ आदत जोड़ी जाए इस साल चाहे वो छोटी हो या बड़ी लेकिन जोड़ी जाए।

जैसे हम अपने लिए अपने कैरियर को कैसे अच्छा कर सकते है , अपने रोज की आदत को कैसे बदल सकते है?
शरीर को कैसे स्वस्थ रखे?

सुबह उठने की आदत , स्मोकिंग और ड्रिंक आदत से छुटकारा , इस साल ज्यादा किताबे पढ़ना या कुछ और भी जो आप शामिल करना चाहते है 2023 में अपनी आदतों में जो कुछ आप शामिल करना चाहते है जिससे आप लगातार आगे की और बढ़े और ज्यादा सफल हो जिंदगी को ओर बेहतर तरीके से जी सके उन सभी कार्यों के लिए आप लगातार प्रयास करते रहे।

क्या बड़ा करना चाहते है इस साल , इस साल को आप कितना बेहतर बनाना चाहते है ये आपके ऊपर निर्भर करता है रेजोल्यूशन सिर्फ पेपर पर लिखने के लिए नहीं या सिर्फ सोचने के लिए नहीं है आज सोचा और कल भूल गए नशे में लिए गए संकल्प नशे में ही खत्म हो जाते है इसलिए अपने दिमाग को शांत रख अच्छी तरह अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आज ही तैयारी करे।

गपशप  को कम करे अथवा बंद ही करदे,
बेफिजूल की बातो में वक्त को बर्बाद ना करो ज्यादा समय सिर्फ उन बातो में लगाए जो जरूरत की हो।

नए साल की तैयारी:

1) महीने में एक किताब जरूर पढ़े और ज्यादा भी सके तो बिलकुल पढ़े

2) उन जगहों पर जाइए जिन जगहों पर आप कभी ना गए हो।

3) अपने बेकार समान को खतम कीजिए

4) एक रात अपना फोन बंद करके रखे एक हफ्ते में एक बार

5) वजन घटाए खुद के लिए अच्छा महसूस करने के लिए दुसरो को दिखाने के लिए नहीं

6) हर रोज 15 से 30 मिनट कम से कम जरूर व्यायाम करे

7) किसी संस्था के लिए या फिर कही पर कुछ समय निस्वार्थ सेवा करे

8) बहुत कम खर्चे में सफर करने की कोशिश करे क्युकी आरामदायक सफर सफर नहीं कहलाता

9) हर रात एक बात जरूर लिखिए की आप इस जीवन के प्रति शुक्रगुजार है

10) कुछ हिस्सा अपनी सैलरी या कमाई का बचत करे या इन्वेस्ट करे

11) पानी ज्यादा से ज्यादा पीने की आदत को डाले

12) चाय कम पिए , चाय पीने की आदत को कम करे

13) एक समय पर एक ही काम को करे

14) जिस वस्तु की आवयसक्ता  हो सिर्फ उन्ही को अपने उपयोग के लिए खरीदे अथवा उन चीजों की संग्रह न करे जो आपके जरूरत की न हो 

15) स्वयं से दलयुता से बात करे

16) सोशल मीडिया पर दयालु भाव से रहे किसी भी प्रकार की बुरे शब्दों ओर कठोर शब्दों का प्रयोग न करे

17) किसी भी एक नई आदत की शुरुआत करे

18) कम से कम प्लास्टिक का पर्योग करे अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ बच कर प्राकृतिक धरोहर को बचाकर कर रखे इस प्राकृतिक संपदा को यू ही नष्ट नना  करे

19) उन कपड़ों को दान में देदे जो आपने कभी न पहने हो

20) हर महीने अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान आवश्य करे
ओर यदि कुछ जो बहुत महंगा लग रहा है उसको खरीदने में असमर्थ हो तो बिल्कुल भी न खरीदे अभी

21) उन लोगों से दूरी बनाए जो बहुत शिकायाते करते है

22) इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की आप कितने स्कारात्मक है , नकारात्मक विचार बढ़ते ही है और ये आपको प्रभावित करते है सामान्य उन सभी बातो पर

23) कुछ ऐसा करते रहे को आपको साहसी बनाए

24) सुबह उठने के बाद अपने बिस्तर को समेट दे दिन की शुरुआत में ही आपको सकारात्मक ऊर्जा का एहसास हो और आप एक सफल कार्य को करके उठे।

25) आपका को भी लक्ष्य हो उसको पेपर पर लिख लीजिए जो लोग अपने लक्ष्य को लिखते है उन्में 42% लोग सफल होते है जो भी आप चाहते है 2023 में उसे आप पेपर पर लिख लीजिए।

26) अच्छी चीज़े तभी घटित होती है जब सीखने की कोशिश करते ओर उन्हे ध्यान पूर्वक सुनते हो ओर उन्ही पर ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करते हो।

यह भी पढे: कल की तैयारी, तैयारी करो, मंजिल की तरफ, हर रोज बेहतर होना है,

शब्दों की गठरी जो

शब्दों की गठरी जो अनचाही है उसे ही लेकर घूम रहे हो, उन अनचाहे शब्दो को हटाकर जिन शब्दो को चाहते हो, उनको बांध लो और उनके ही साथ चलो फिर देखो सफर कैसा मस्त हो जायेगा, मंजिल आसान लगेगी मुसीबतें चाहकर भी करीब ना होगी दुख भी सुख में झट से बदल जाए।

भीतर की परत

भीतर की परत दर परत हट रही है अनेकों परतों से गुजर चुका हूं अनेकों परते और लग रही है हर परत के साथ लगता है मंजिल करीब है लेकिन मंजिल अब भी बहुत दूर सी लग रही है।
परत = लेयर ( Layer )

ना जाने कब होगा इस सफर का अंत लेकिन मंजिल तो बहुत करीब लग रही है, रास्ते मंजिल से अच्छे ही होते है उनका अपना ही एक मजा होता है।

खाली दिमाग

कहते है खाली दिमाग शैतान का घर होता है इसलिए इस दिमाग सही जगह व्यस्त रखना जरूरी होता है।

खाली दिमाग को समझने और जानने को कोशिश की दिमाग जब खाली होता है तो क्या क्या कार्य करने लग जाता है और दिमाग व्यस्त रहने के कौन कौनसे उपाय ढूढता है।

खाली दिमाग क्या है?
क्यों होता है खाली दिमाग ? जब कोई काम न करने को हमारे पास तो दिमाग को लगता है कि वह खाली है , दिमाग व्यस्त रहना चाहता है किसी न किसी कार्य में और शरीर को भी व्यस्त रखना चाहता है।

मस्तिष्क क्यों खाली है ? क्या कुछ करने को नही है?
आप क्या करना चाहते है या आप खाली नहीं बैठना चाहते जैसे ही आप खाली होते है आप बोर होना महसूस करते है आप को घर , ऑफिस काटने को दौड़ता है की कही चला जाऊ या कुछ करु , कुछ तो करु बस खाली न बैठू मैं

आपका दिमाग आपको शांत नही बैठने दे रहा ?
खाली खाली , सूना सूना लग रहा है ?

आप टीवी चलाकर गाने सुनने लगते है नही तो रिमोट का कान आपके हाथ में बस चैनल को इधर उधर बस  पलटने भर का आप काम करते हैं, नही कुछ मिला टीवी में देखने को तो मोबाइल उठाकर सोशल मीडिया पर ही कुछ करने लग जाते है , और कुछ नही तो अपने मोबाइल में फोन कॉन्टैक्ट कितने है कौन कौन है , जरूरी है या नही है ये कौन है कौन है बस यही सोचने लग जाते है आपका खाली बैठा दिमाग है इस समय बस फिर क्या आप कुछ भी करने लग जाते है।

यह दिमाग बिना काम के कार्यों में लग लग जाता है इसको लगता है की मैं बोर हो रहा हूं तो कही ना कही जुट जाता है और कुछ ना कुछ करने लग जाता है यदि इसका तार हम जोड़े तो वही खाली समय अब हमारी आदत में बदलने लग जाता है जो आदत कैसी भी हो सकती है।

यह दिमाग उत्पात बहुत मचाता है , कभी चैन से बैठता नही हर बैचेन नजर आता है बस कुछ ना कुछ करता हुआ ही नजर आता है , किसी उधेड़ बुन में खुद को यह दिमाग पता है।

अब तो अगले दो दिन है नही करने को तो समझो अपने अपने दिमाग को की क्या चाहता है आपका दिमाग।

दिमाग को खाली रहते देखना चाहते हो या फिर दिमाग को अपने विचारो से भर देना यह आप पर ही निर्भर करता है। आपको दिमाग है की आपका दिमाग खाली बैठा हुआ है या भरा।

आप अपने खाली समय में खाली दिमाग से क्या करवा रहा हो या वो आप से करवा रहा है
कभी फोन लिस्ट खोलकर नंबर चेक करोगे , तो कभी फालतू के व्हाट्सएप मैसेज नही तो वीडियो गेम ही खेलने लग जाते हो
और फिर करोगे भी तो क्या?
यह तो आपका दिमाग है इसको उत्पात मचाने की आदत है इसको सही जगह लगाओ वरना यह दिमाग खुद ही ना जाने कही लग जायेगा जो आपकी आदत में बन जायेगी और उन आदतों को बदलना मुश्किल होता है यह आप अच्छी तरह से जानते है।

समय को लाभ और बुद्धि का उपयोग हो ऐसा कुछ करना।

नमस्कार दोस्तो फिर मिलेंगे और कुछ नई बातो के साथ

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अखंडा फिल्म

यह बॉलीवुड वाले गहराई नाप रहे है और साउथ वालो ने अखंडा बना दी अगर हिंदी में आ गई होती तो शायद पुष्पा की कमाई को भी पीछे छोड़ देती यह फिल्म फिलहाल मेने इंग्लिश सबटाइटल के साथ आज ही देख ली है।

तेलुगु में रिलीज हुई है hot star पर जिसको आप इंग्लिश subtitle के साथ

अखंडा फिल्म इसमें नंदमुरी बालकृष्ण जी ने इतना शानदार अभिनय किया है जिसकी प्रशंसा करते हुए मन नही भरता।

कुछ सीन तो ऐसे है जिसमे हॉलीवुड की फिल्मों को भी देखने का मन नही करेगा साथ ही फिल्म आपको आपके जीवन के कर्तव्यों और धर्म की शिक्षा भी देती है।

आप भी देखिए बहुत शानदार फिल्म है नंदमुरी बालकृष्ण वाह बहुत शानदार किरदार करते है हर बार इस बार तो कमाल और धमाल मचा दिया।

तारीफ करते नही रुकोगे वैसे तो पुष्पा कोई खास नहीं थी मेरे हिसाब से फिल्म इसलिए चल जाती है क्युकी फिल्म में  अल्लू अर्जुन सबके पसंदीदा अभिनेता है इसलिए चल गई और थोड़ी एक्टिंग अच्छी थी बस लेकिन स्टोरी में माफिया और गुंडाराज को ऊपर दिखाया ऐसी शिक्षा देना कोई अच्छी बात नहीं इस नई पीढ़ी को जैसे बॉलीवुड वाले नंगे दृश्य को दिखाकर अपनी फिल्म चलाने की कोशिश में लगातार लगे रहते है उसी प्रकार की कोशिश पुष्पा में की गई जिसमे माफिया राज , सड़क छाप गुंडा अपने आपको हीरो मान रहा है जैसे की उसने बहुत बड़ा काम कर दिया हो।


ऐसी फिल्में देश को नीचे की और धकेलने में लगातार लगे हुए है तो मैं ऐसी फिल्मों का समर्थन नहीं करता देखता सभी फिल्म हूं। 

शब्द किसे कहते है

शब्द क्या है ? शब्द किसे कहते है ? जीवन को जीवंत होकर देखना शुरू करें
“जगत मिथ्या ब्रह्म सत्य” यह सिर्फ एक विचार नहीं है यह अनुभव से भरा हुआ सत्य है जिसे प्रमाणित करते योग पुरुष है। 

“मै शब्द हो सकता हूं लेकिन परिभाषा नहीं”
“शब्द से निशब्द की यात्रा करना ही मेरा परम लक्ष्य है”

 यह संसार शब्दो का संसार है  जिसमें अनेकानेक शब्द गुंज रहे है। 

“परम अक्षर शब्द ओमकार ही परमेश्वर है”
मानव जीवन शब्दो की क्रिया और प्रतिक्रिया पर ही भी निर्भर करता है। 
“मानव शरीर शब्दो से ही ओत प्रोत है”
“मानव जीवन शब्द निर्मित है”
“शब्द आकाश के विकार है”
“संग्रह सिर्फ अच्छे शब्दो का हो बाकी का संग्रह व्यर्थ है”
एक समय था जब मेरे अनेकों प्रश्न थे और आज मै उन सभी प्रश्नों का हल हूं। 
जीवन को एक नया दायरा चाहिए और वह दायरा आपकी सोच का होता है उसे बढ़ने दीजिए। 
यदि आप कुछ बनना चाहते है तो शब्द बनिए इसके विपरित कुछ भी अर्थपूर्ण नहीं है। 
यदि आप कुछ खोज रहे है तो कैसे और किससे ?? वह सबकुछ तो शब्दो के द्वारा ही खोजा जा सकता है। 

“Your look is your mind not body””

1) शब्दो के द्वारा ही जीवन उलझता ओर सुलझता है” शब्दो को जुबान चाहिए और वो सिर्फ तुम ही हो। 

2) यह कलियुग शब्द संवाद का समय है जहाँ सिर्फ शब्दो की मैं मैं है यहाँ कोई निशब्द अर्थात मौन नही होना चाहता हर समय कुछ ना कुछ वार्तालाप चाहता है, हर कोई बाहर जाना चाहता है एकांत वासेन कोई नहीं होना चाहता शरीर झटपटाता है किसी से मिलने के लिए , किसी से स्पर्श के लिए।

3) शब्द की यात्रा शब्द से शुरू होती है और निशब्द होने पर रुक जाती है।  

4) पूरा ब्रह्मांड शब्दमय है शब्द के अलावा कुछ भी नही यदि शब्द ना हो तो यह संसार कैसा होगा? 

5) शब्दो का वर्णन करने की नाकाम सी कोशिश है कैसे दिखते है यह शब्द ? क्या किसी ने कभी देखे है ये शब्द ? शब्द का वर्णन कैसे मैं करू यह हर और से मुह, हाथ , पैर वाले है इनका आधार ऊपर से नीचे से भी है इनकी अनेको आंखे है , यह स्वयं प्रकाशित शब्द है ( यहाँ पर अर्थ यह है की जो मात्राएं , बिंदी ,  डंडा , आधा शब्द शब्द पूरा शब्द , उनके आधार पर इनका वर्णन किया जा रहा है इन शब्दो को इंसान ही समझो यह यहाँ समझाया जा रहा है।  ) इनके बिंदी लगी हो जैसे चंद्रमा सूर्य सा तेज़ है इनमें सूरज से प्रकाश भी है 

6) शब्दो का जीवन कैसा है ? और कैसा हो पायेगा ये किसको है पता या शब्द क्या , कौन इस बात का क्या पता कोई लगा पायेगा ? यह कौन समझ पाया है ?इन शब्दो ने खुद का विस्तार स्वयं से पाया है एक शब्द से अनेकानेक शब्दो तक और स्वयम शब्द खुद को परिभाषित कर दिखाया है 

7) शब्द क्या है ? यह शब्द है जिन्होंने पूरे ब्रह्मांड पर अपना राज कर दिखाया है इनकी ही सत्ता है इनको कोई अब तक ना हटा पाया है।  ना कोई हटा पायेगा इन शब्दों का ही राज चलता आया है और चलता जाएगा। 

8) यह पूरा जगत शब्दमय है शब्दो ने हमे हर ओर से ढका हुआ है कही भी शब्द ने रिक्त स्थान नही छोड़ा है हर और से शब्द ने शब्द से जोड़ा है, पूरे ब्रह्मांड का इन शब्दो ने तारतम्य जोड़ा है शब्द संचारित जगत सारा इनसे पार तो कोई विरला ही पा रहा।  

9) यह शब्द ही है जो निरंतर आपके मन मस्तिष्क को पकड़े रहते है ओर कभी खाली नही रहने देते आप किसी ना किसी बात पर इन शब्दो के माध्यम से ही विचार करते हो। 

10) यदि आपको अपना मन स्वस्थ रखना है तो आपको अच्छे शब्दो का संग्रह करना चाहिए क्योंकि शब्द ही है जो आपको हमेसा शांत,स्थिर चित वाला व्यक्ति बना सकते है। 

शब्द किसे कहते है:

11) यदि आपने यह समझ लिया की शब्द से आपका जीवन निर्मित हो रहा है तो आप बहुत सरलता से अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते है आप स्वयम को आत्मविश्वास से भर सकते है।

12) यदि आप लगातार नकरात्मक शब्दो का प्रयोग कर रहे है तो आपका जीवन भी नकरात्मक स्तिथि की और अग्रसर होता हुआ चला जाएगा जिसकी वजह से आप हमेसा नकारात्मक विचारों को पैदा करेंगे और जीवन की हर परिस्तिथि को नकारात्मक रूप से ही देखेंगे। 

13) शब्द वो है जो एक बार आपकी जुबान से निकल गए फिर वापस नही लिए जा सकते शब्द एक तरकस में तीर की तरह है जिसे एक बार छोड़ कर वापस नही लिया जा सकता। 

14) क्या हम शब्दो को सही रूप , आकर , तरीके से समझ रहे है ? क्या इनमें अब भी कोई भेद है या हम शब्दो से अनजान है  कौन बताए ? कौन समझाए ? ये शब्द क्या है कौन है ? यह शब्द वो शब्द नही जो हम समझ रहे है शब्द सिर्फ शब्द नही है यह कुछ और ही है जिनको हम समझ नही पा रहे है इनके मतलब अलग अलग हैये होते कुछ है ओर समझ में कुछ आते है इनका कोई सीधा सीधा मतलब समझ नही पाता है बस इन शब्दो में हर कोई गुम हो जाता है इनके आने का नही पता इनके जाने का नही पता हमे हमे बस यह शब्द है जो कभी खुद को ही कर लेते निशब्द है यह खुद को बयान भी करना जानते है ओर खुद मौन भी अच्छे से कर लेते है, 

15) यह शब्द है बुद्धि की पकड़ में भी नही आते है इधर उधर भागते हुए नजर आते है इन शब्दो पर लगाम किसी की लग नही पाती है यह शब्द किसी की कैद में रह नही पाते यह शब्द तो आज़ाद से है लगते जो कहना चाहते है वो कह चले जाते , ना जाने कौनसे मतलब , मायने यह जीवन को हमें सीखा जाते है यह शब्द है शब्द विज्ञान , शब्द ज्ञान , अति उत्तम , शब्द धन बखान कर शब्द चले जाते कभी तो यह शब्द प्यार जताते तो कभी कोहराम मचाते ना जाने ये शब्द किस और से आते और कहाँ चले जाते है। अनेकों अर्थ , भावनाए , एहसास यह शब्द अपने भीतर है समाते यह शब्द है 

16) शब्द ही है जो मन को भी इधर उधर चक्कर है लगवाते क्या मन शब्द को पकड़ पाता है या जैसा शब्द है चाहता वैसा मन हो जाता। शब्दो की प्रकृति को कोई नही जान पाता कभी यह शब्द त्रिगुणा तीत तो कभी त्रिगुन से पार हो जाता इन शब्दो का पार लेकिन कोई नहीं पा पाता 

17) मन से ऊपर  बुद्धि है लेकिन जब शब्द की बात हम करते है तो शब्द ही सबसे ऊपर है क्योंकि मन को चंचल , चल, अचल , स्थिर ,  विचलित भी करते शब्द है शब्द को ठहराव भाव में लाते भी शब्द है 

18) मैं आपको कुछ  शब्दो की बात बताता हूं इनकी बाते सुनो इनको जानो तुम जरा पहचानो इनको यह शब्द कौन है ? इनका जरा मेल मिलाप तो देखो यह मानव तन में आते है फिर यह क्या क्या करतब दिखाते है जरा देखो जानो- पहचानो 

19) शब्दों का साइज तो देखो कभी मोटे है तो पतले लंबे छोटे नाटे गिट्टे भी है , गूंगे, बहरे , अंधे, काने, लूले, लंगड़े भी है  ये शब्दइनका कुछ पता नही बड़े शातिर है तो बड़े सीधे भी है ये शब्द कभी भोले बन जाए तो कभी गुस्से से लाल नजर ये शब्द 

20) कभी आये कभी जाए इस और से आये तो उस और जाए यही रह जाए तो पता ये भी नही कहाँ चला जाए कुछ भी समझ ना आये ये भाग दौड़ा चला जाए कभी हाथ आये तो कभी गायब हो जाए अजीब अजीब करतब दिखाए इन शब्दों को कोई समझ ना पाए ये बताते रोज एक नई कहानी खुद की जुबानी ये बुनते है कहानी किसीको नही पता ये कैसे गुंद लेते है ये नई नई कहानी।

शब्द किसे कहते है:

21) कौन है ये शब्द ? क्या ये कहलाते है ? भगवत गीता में शब्द को श्री कृष्ण बताते है शब्द आकाश का विकार है और स्पष्ट करते है की किस प्रकार से शब्द ही पूरे ब्रह्मांड का निर्माण करते है किस प्रकार से शब्द ही सबमे व्याप्त है। शब्द ही प्रमाक्षरशब्द ही ब्रह्म कहलाते है यही मानव रूप में इस पृथ्वी पर अवतरित होकर है एक शब्द यह जो हम हर समय प्रयोग करते है जिन्हें बोलते शब्द कहते है 

22) शब्द एक तो मतलब अनेक है शनदो के रूप अनेक है 

23) शब्दो जैसी अनोखी चीज़ इस पूरे ब्रह्मांड में नही है शब्दो से महत्वपूर्ण तो इस पूरे ब्रह्मांड में कोई दूसरा कुछ भी नही है। शब्द ही मंत्र है तो शब्द परम अक्षर है शब्द ही आत्मा तो शब्द ही परमात्मा है। शब्द ही हर ओर व्याप्त है शब्द ही निर्मित करते है तो शब्द ही विनाश भी

24) शब्द हस्ते है तो शब्द रोते भी है 
ये ठहाके मार मार हँसते है तो कभी बहुत वेदना के साथ रोते है 

25) इनकी भी अजीब है कहानीहर पल में हो जाती है  इनकी बाते बेईमानी  

26) अपने मुह मिया मिट्ठू भी बन जाते अपनी प्रशंसा सुन खुश हो जाते है यह शब्द 

27) शब्द बच्चे भी है तो जवान भी है ये बूढ़े भी है इनमें अब जान भी कुछ नही है 

28) यह  शब्द बड़े अनजाने है  कभी कभी बहुत जाने पहचाने भी हो जाते है शब्द है तो सबसे मतलब भी रखते है तो कभी बेमानी बाते ये करते है 

29) यह शब्द बड़े मतवाले भी बहुत है इनकी चाल निराली हर बात निराली है। 

30) यह शब्द बड़े निराले , अनोखे इनमें निरालापन भी बहुत है और इनका अनोखापन गजब है इन शब्दों का मुस्कुराना देखो।

शब्द किसे कहते है:

31)  इनका इतराना देखो शब्द निराश भी बैठे है हतास भी है 

32) उदास भी बैठे कभी कभी ये लाजवाब भी बैठे है। शब्द गुस्सा भी बहुत करते है और शांत भी हो जाते है 

33) शब्दों के चेहरे भी अलग अलग है इनकी बाते भी अलग है। शब्दों का मटकना देखो शब्दों का नाच भी देखो यह नाचते बहुत है 

34) इनके करतब अजीब है कभी कभी ये शब्द बहुत बत्तमीज है।  कभी कभी सीखा देते है  ये सलीका और तमीज़ है 

35) शब्द अपने ही शब्दों में करते कहानी बयान हैशब्द की अपनी कहानी और अपने निशान है 

36)  न इनकी कोई जुबान है और  ना इन पर कोई लगाम है। अपनी मर्जी के मालिक है  यह शब्द ही कहलाते भगवान है। 

37) अगर लगाना चाहो इन शब्दो पर लगाम तो ये क्रोधित  हो जाते है यह कभी किसी के काबू में भी नही आते ना जाने क्या क्या है कर जाते 

38) यह शब्द कभी कभी मौन भी हो जाते है तो कभी कभी ये रोते, चीखते और चिल्लाते है 

39) शब्द तो कभी चुप भी इनमे मौन रहने की क्षमता भी है। तो कभी इनमें कोई क्षमता नही नजर आती है।

शब्द किसे कहते है:

40) शब्द सर्वशक्तिमान भी और अपने आपमें असहाय भी है शब्द परिश्रम करता ही दूसरे शब्द के लिए है 

41) स्वयं शब्द तो खुद को भूल ही गया है शब्द ही शब्द का सहारा है वरना शब्द बेचारा बेसहारा है 

42) शब्दों की भीड़ बहुत है, शब्द अकेले भी रह जाते है। यह शब्द बेचारे अकेलेपन से है घबराते 

43) शब्द शोर बहुत मचाते है भीड़ तंत्र के राजा ये शब्द ही कहलाते है शब्द शांत भी हो जाते है। 

44) शब्द ही शब्द का सहारा है बिना एक शब्द के दूसरा शब्द बेसहारा है 

45) इनका होश तो देखो इनका जोश तो देखो कभी कभी ये कितनी बड़ी बड़ी बातें कर जाते मतलब जिन का सिर्फ यह सीखा पाते है 

46) शब्दों के अनेकानेक खेल इन्ह शब्दो ने रचना की पूरे ब्रह्मंड की इन ही शब्दों से हुआ जगत का खेल शुरू 

47) कुछ शब्द गुम हो जाते है तो कुछ महान बन जाते है कुछ प्रसिद्ध हो  जाते है तो कुछ बेचारे गुमनामी के  अंधेरे में कही खो ये शब्द जाते है  ना कोई ठिकाना ना कुछ मुकाम   हासिल कर पाते बेचारे ये   शब्द खुद के बिछाए जाल   में फंस जाते है इनसे ये बाहर   निकल नही पाते है बार बार ये    कोशिश करते हुए नजर आते है    कभी नाकामी पाते है तो कभी    सफलता भी हासिल कर जाते है।  
कुछ नाकाम रह जाते है तोकुछ शब्द बन जाते है तो कुछ शब्द बिगड़ जाते है कुछ अलग राह पकड़ आगे निकल जाते है तो कुछ भेड़ चाल की तरह चलते हुए ही नजर आते है कुछ नया नही बस वही पुराना सभी शब्द करते नजर आते है इनमें करने की चाह बहुत है कुछ कर जाते है कुछ चाल जाते है तो कुछ ठहर जाते है 
49)
शब्द शब्द ही सुंदर, अतिसुन्दर है शब्द बदसूरत भी दिखते है।

50) शब्दो की चाल बड़ी निराली है इनकी दुनिया भी बड़ी निराली है। शब्द समझते खुदको बलवान है लेकिन भरी हुई इनमे बहुत थकान है जन्म जन्म से बह रहे है ये शब्द है जो अपनी गाथा कह रहे है  शब्द सिर्फ शब्दो के द्वारा बह रहे है  शब्दों का ना कुछ अता है ना पता  ये किधर से आ रहे है और जा रहे है  बस बन रही है इनकी अपनी गाथा है  यह शब्द अब तक अपनी विजयगाथा चला रहे।

शब्द किसे कहते है:

 51) शब्द शोर मचाते तो शब्द चिल्लाते भी बहुत है इनकी हंसी भी गजब है इनका रुदन भी देखो ये रोते है चिल्लाते झटपटाते हैै शब्द उछलते है, कूदते है, नाचते है, झूमते है, घूमते है 

52) शब्द अकड़ कर चलते है, कभी सुरा झुका मिलते धम्ब साहस स्वयम में यह शब्द भरते है 

53) शब्द खुद से भी बाते करते है शब्द अपनी जीत का जश्न भी मनाते है शब्दो मे हलचल है, शोरगुल है लड़कपन है शब्द शर्माते भी है और इतराते भी है 

54) शब्दों की शब्दों से क्या बात कहे ? शब्दों को मालुम नहीं वो खड़े कहाँ है शब्द तो भूल जाते है की हम कौन है? स्वयम को भूल जाने की इनकी प्रवृति है यह कभी दुसरो के संग मिल जाते है तो खुद को भूल जाते है 

55) शब्द खाली है तो भरे भी है शब्द चलते है भागते, दौड़ते है तो रुक भी जाते है थक हार भी जाते है कभीहिम्मत जुटाते है तो कभी दम तोड़ते हुए भी  ये शब्द नजर आते है हाथ पाँव हो या नही पूरे हो या नही फिर भी जिंदगी के  साथ जीते हुए नजर आते है  अपना समपर्ण देते  है किसी  दूसरे शब्द का सहारा बन जाते है  तो कभी सिर्फ अपना मतलब  सीधा करते हुए ही ये  शब्द नजर आते है तो कभी  जिसको जरूरत है उसका  सहारा बन ये शब्द जाते है   शब्द को शब्द मिल जाए तो   शब्द के मायने बदल जाते है   56शब्द अपना खुद प्रचार प्रसार करे शब्दों की कहानियां भी बहुत है 

57) शब्द अंगड़ाई भी तोड़े और सोते भी बहुत है इनको जगाने की कोशिश करो तो ये देर लगाते भी बहुत है 

58) शब्द अपनी मर्जी से आते है अपनी मर्जी से जाते है इनका कोई ठिकाना नही है बस जुबान से निकल ये जाते जैसा मतलब बनाओ ये शब्द खुद बना जाते है तोड़ मरोड़ शब्दों को बनाओ या जोड़ जोड़ कर देखो जैसा मर्जी इन्हें बनालो ये खूब काम आते है कुछ भी कैसा भी ये शब्द बन जाते है आड़े टेढ़े तिरछे शब्द भी देखें बहुत है जाते यह शब्द बहुत काम भी आते है इनको कही भी लगादो शब्दो के अपने मतलब और मायने बदल जाते है 

59) आज फिर यह शब्द कही भाग रहे है इनकी दौड़ समझ नही आ रही है ये जाना कहाँ चाहते इनका तो सफर ही खत्म नही होता हुआ दिखता बस यह चलते हुए जा रहे है, कहां रुकेंगे ? और कब तक चलेंगे ? क्या है इनका ठोर ठिकाना यह कैसे है पता लगाना ? 

शब्द किसे कहते है

60) शब्द कितना भी उचा उड़ जाए लेकिन आना उन्हें जमीन पर ही है जब तक वो निशब्द ना हो वो इस आकाश से बाहर ना हो पाए। 

61) इन शब्दो पर जोर नही है चलता यह कुछ भी और कभी भी जो मन चाहता वो है कह ये शब्द जाते अब इन शब्दो को कौन समझाए इनसे ऊपर कैसे जाए और कौन जाए ? यह तो हर दम अपनी मर्जी चलाये , मन , मस्तिष्क के भीतर यह शब्द घर कर जाए फिर देखो यह कैसे उत्पात मचाये 

62) मन पूरा क्रोध से भर देते है तन मन में आग लगा देते है यह शब्द रोम रोम राम से रावण हो जाते है ये शब्द फिर किसी की सुन नही पाते है। 

63) सारे गुण अवगुण इन शब्दो में समाए इनसे कौन भीड़, लड़  पाए ये शब्द सबको पीछे छोड़ आगे निकल जाए त्रिलोक विजय भी ये शब्द पाए परमेश्वर भी इनका सहारा ले धरती पर आये 

64) आज मैं भी शब्दों से बाते करता हूं जो आते है मेरे विचार में उनको पन्नो पर उतार देता हु फिर उनको पूरा करता हूं जो भी जैसा भी कोई एक विचार मेरे मन को छू जाता है वो लिख डालता हूं इन्ह पन्नो पर ताकि कभी न कभी तो उसका अर्थ मैं ढूंढ पाऊंगा और उन सभी शब्दों को पूरा कर मैं लिख पाऊंगा 

65) ऐसे शब्द जो इस ब्रह्मांड मैं कही ना कही विचर रहे है परंतु अभी तक हमसे उनका टकराव नही हो पाया है और जिन शब्दो का किसी से टकराव हो पाया है वो मोक्ष को प्राप्त हो गए है जिन्होंने शब्द रहस्य को जान लिया है वो पूरी तरह मोक्ष को प्राप्त हो चुके है आइए जानते है शब्दों के बारे में हमारे मुख से निकले शब्द इस बृह्मांड में चर और विचर  करते है यह शब्दों की प्रकर्ति पर निर्भर करता है , शब्द किस प्रकार का है ? शब्द की मूल पृकृति क्या है ? कैसे बना है और क्यों तथा किन कारणों से यह भी जानना अतिआवश्यक है क्योंकि यदि यही नही जान पाए तो उस शब्द का मूल कारण समझ नही पाए और वो शब्द इस ब्रह्मांड में चर विचार करता रहेगा जब तक उसे अपना अन्तोगत्वा स्थान ना प्राप्त हो जाए।

66) हम यहाँ कुछ शब्द के बारे में जानते है शब्द किसे कहते है यह विस्तार से बताया गया है, किसी भी रोग का उपचार शब्द से हो सकता है, शब्द अथवा जिन्हें मन्त्र कहा है, उनके द्वारा करना सम्भव है, तथा अनेकानेक रोगों को भी सिर्फ बोलने वाले मंत्र से उपचार किया जा सकता है, इसके लिए हमें इन पर रिसर्च करनी होगी जो हमने पिछले कई शातबदियो से नहीं की है हमारे वेद पुराणों में बहुत कुछ लिखा हुआ है परन्तु हमने उन्हें भी कभी समझने कि कोशिश नहीं की है  लेकिन कभी तो  हमे समझना होगा और बहुत सारी ऐसी किर्यायाओ से होकर गुजरना होगा जैसा की हमारे ग्रंथो में दिया है या फिर आज कल के युग में कई विधानों ने कह दिया है आपके शब्द ब्रह्माण्ड को प्रभावित करते है जैसा आप सोचते,  विचरते है उसी प्रकार की प्रकृति बन जाती है और प्रकृति पर आवरण भी उसी प्रकार से आवरण चड़ता है ,  मन के भावों से तथा आपके जीवन में आप जो कुछ भी कार्य कर रहे उनके द्वारा सारा जीवन बदल सकता है लेकिन हम शारीरिक रूप से जितने सक्षम है उतना ही कार्य कर सकते है और जो होना चाहते है वहीं हो सकते है  मशीनों का प्रयोग करके हम आने वाले कुछ सालों में बहुत सारी ऐसी रचनाएं करे जो हम आज के युग में सोच नही पा रहे हो परंतु यह सभी बाते संभव है क्योंकि संभावना आपके विचारो पर ही निर्भर करती है।

बाहरी दुनिया बहुत सारी ध्वनियां छोड़ रही है परंतु ये ध्वनियां किसी भी काम की नही लग रही सब की सब बेमतलब है जिनका औचित्य नही प्रतीत हो रहा है इस समय इन सभी ध्वनियों को कभी ना कभी अर्थ मिलेंगे परंतु वो किस और जाएंगे ये समय पर निर्भर करता जहाँ तक मेरा अंदेशा है ये विनाश की और अग्रसर हो रहा है इसलिए इन्ह ध्वनियों को सुनने का कोई फायदा नही है मुझे अपने भीतर की दुनिया को ही सचेत रखना है जो ध्वनियां मेरे भीतर बज गुंज रही है मुझे उन्हें ही मूल रूप से सुन्ना है और समझना है बाहरी दुनिया में बेबुनियादी विचारो की एक अलग दुनिया बन चुकी है जिनमे आप खुद को भी भूल जाते है और इस चक्रव्यूह में फंस जाते है जिससे निकलना मुश्किल सा प्रतीत होता है अनगिनत विचार आप के मस्तिष्क में चलते है जिनका कोई आधार नही है और वो आपको सिर्फ बाहरी दुनिया के चक्कर लगवाते है और कुछ भी नही इनका निष्कर्ष बिल्कुल अर्थहीन है जो आपकी इच्छाओ को बढ़ावा दे रहे है। दिन प्रतिदिन आपने विचारो में ही फंसते हा रहे है 

बाहरी वस्तुयों में शोर है, रगड़ना है जिसमे कोई मधुर आवाज मधुर संगीत नही है ये सभी ध्वनियां मिल तो ओम ॐ को रही है परंतु उनका जो उच्चारण स्थान है वो अलग है रगड़ना जिससे इन ध्वनियों को सही दिशा मिल रही है और इनके अर्थ अब अर्थहीन दुनिया की अग्रसर है, 
अगर हम ब्रह्मांड के साथ एक ही साउंड में खुद को मिलाने की कोशिश करे तो शायद हमारा जोड़ आकाश से हो जाए पूरी धरती पर जितने प्राणी है उन साभी को ये एक साथ करना होगा और 

कुछ शब्द आते है समूह बनाते है और वार्तालाप करते है कुछ शब्द एक प्रधान शब्द के पास आते है और बाते करते है किसी एक मत पर अपनी सहमति देने के लिए नजदीक आते है और देते है उनका प्रधान एक मत छोड़ता है और सभी शब्द उस पर अपना मत देते है सहमति हाँ में होती है निष्कर्ष परिणाम हा निकल गया है यहाँ पर है हम सहमत है सभी सहमत होते है एयर चले जाए है।

शब्द किसे कहते है ?

शब्द एक विवेकशील प्राणी है परंतु प्रकाश (लाइट) नही शब्द तरंगे उन्हें और समझ सकती है परंतु लाइट सिर्फ गतिमान है एक सीधी रेखा में अग्रसर है जिसका अपना कोई भी मत नही है तरंगे , ध्वनियां , शब्द , कम्पन ये आपस में विचारक तत्व है इनमें समझ है ये निर्णायक है स्वयम निर्णय भी ले सकती है क्या सही है ? क्या गलत है ? परन्तु लाइट में नही होती यह क्षमताये, लाइट सिर्फ चलती है जहां प्रकाश हा सकता है सिर्फ वहीं तक किरणे जाती है तो एक सीधी रेखा में जिसका अपना कोई अस्तित्व नही होता सिर्फ प्रकाश की गति में गतिमान है।

हमने यहाँ एक विस्तृत जानकारी दी है की शब्द किसे कहते है, शब्द क्या करते है, शब्दों का महत्व, शब्दों के कार्य आदि आदि प्रकार से आपको शब्दों के बारे में समझाया है, मैं उम्मीद करता हूँ आपको शब्दों के बारे काफी जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी यदि आपके मन में कुछ प्रश्न चल रहे हो तो हमे कमेन्ट कर पूछ सकते है। और इसके साथ साथ नीचे शब्द पर ही कुछ और भी ब्लॉग्स है जिनका लिंक नीचे दिया गया है आप उन्हे भी पढे।

यह भी पढे: शब्द, आपके शब्द, शब्दों का प्रभाव, शब्दों की माया, शब्दों का संसार, शब्दों की बाते,

जरूरी नहीं हर बात

जरूरी नहीं हर बात अच्छी लगे, हर बात अपनी ही मनमानी की हो, कुछ ऐसी बाते होती है जो हमारे वश में होती ही नहीं है।
जरूरी नहीं हर किताब अच्छी लगे, हर फिल्म अच्छी लगे, हर मौसम अच्छा लगे हर सफर और हमसफर भी अच्छा लगे कुछ साथ मुलाकात जज़्बात ऐसे होते है जो ना चाहकर भी जिंदगी के हिस्से होते हैं , कहानी और किस्से होते है , उनका होना भी घटना है, उस घटना में बहुत कुछ अपना है तो बहुत कुछ पराया है, बहुत सारी चीज़े जो हो रही है वो हमारी समझ से पड़े होती है।

कुछ जो हमे समय आने पर समझ आ जाती है, ओर कुछ समझ नहीं आती क्युकी हमारी समझ भी उस स्तर तक नहीं पहुच पाती इसलिए जो हो रहा है, जो घटना बन रही है, वो अच्छी ओर बेहतर हो रही है, बस यही सोचकर हमे आगे बढ़ना है जिंदगी की सारी समस्या स्वयं ही हल हो जाती है।

या तो वो दुर्घटना है या फिर महत्वपूर्ण घटना यह तय करना तुम्हारी जिम्मेदारी है, की कितनी दूर साथ चले कुछ दूर या पूरी जिंदगी साथ निभाते चले कुछ को बीच रास्ते में छोड़ा जा सकता है। कुछ को बिलकुल भी नहीं फिर उसका हमारी पसंद और न पसंद से कुछ लेना देना नही,

बस साथ निभाना उसमे बहुत कुछ छिपा है, जो आपको समझना है हो सकता है वो आपके लिए सही है, लेकिन आपको पसंद नही था या नही है लेकिन वो एक दम फिट है आपके लिए , आपके जीवन के लिए।

इसलिए जिंदगी का साथ निभाते चलो
मेरे दोस्त यह जिंदगी इस जिंदगी के साथ थोड़ा मुस्कुराते चलो ,
कभी दुख होगा तो कभी सुख होगा
लेकिन सफर जिंदगी का है
अतंत अच्छा ही होगा
यूं गम को अपने सीने में दबाकर कब तक चलोगे
मुस्कुरादो उस दबे हुए घाव के भी तो गम भरेंगे, क्युकी जरूरी नहीं हर बात अच्छी लगे

यह भी पढे: इसीका नाम जिंदगी, जिंदगी बस इसी तरह, एक जवाब दु, कुछ बाते करे,

टहलने निकल गया

ज्यादातर मैं यूट्यूब पर जाता हूं वहा पर बुक समरी और काफी कुछ नया सीखने के लिए वीडियो देखता हूं लेकिन आज मैं कुछ ऐसे ही टहलने निकल गया फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम पर जाने पर अच्छा अच्छा लग रहा था क्युकी गया काफी दिनों बाद था।

बस फिर क्या था मैं टहलता ही रहा शाम हो गई और पता चला की मैं अपना दिन यूं ही व्यर्थ कर बैठा बिन मतलब की कुछ बाते पढ़ी और कुछ वीडियो को देखता रहा जिनका ना कुछ ज्यादा सर पैर था। लेकिन इन सभी विडिओ में आज कुछ सीखने को नहीं मिला इसलिए कम अच्छा लगा

पूरा दिन व्यस्त भी खुद में दिखने लगा अंत में जब सोने के बारे में ख्याल आया तो एक विचार आया कि आज किया क्या ?

फिर पूरे दिन को टटोला और समझ आया कि मैं तू आज खाली झोला जिसमे सुबह से लेकर शाम होने तक कुछ भरकर ना लाया।

तो मुझे बताए आपने कुछ भरा अपने झोले में या यूं मेरी तरह खाली झोला करते हुए वापस चले आए।

फिर मिलेंगे शुभ रात्रि

नए नियम लागू

आज से नए नियम लागू हुए जानिए क्या है वो नियम जो आपको फॉलो करने होंगे, मेट्रो में सफर अब हुआ 50% और यात्रा को खड़े होकर तय करना अब दंडनीय अपराध होगा जिस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

ऑटो, टैक्सी में सफर सिर्फ अब फिर से दो लोग ही कर पाएंगे।

बस में भी एक सीट पर एक व्यक्ति बैठेगा, मुह पर मास्क लगाना अनिवार्य नहीं तो होगा जुर्माना

दिल्ली की सभी बड़ी मार्केट अब ओड और इवन के आधार पर ही खुलेगी।

शर्तों के साथ अब दिल्ली में होगा सफर, सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सरकार ने लिया फैसला इन्ही नए नियम लागू होने के साथ होगा सब चालू।