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61 प्रश्न जो पूछे गए विनीता गिरी से

Hi all these are few questions I’m asking to you please answer to these all question that’s kind of a conversation between you and me

नाम- विनीता गिरि

२-स्कूल / महाविद्यालय / विश्वविद्यालय

-दिल्ली विश्वविद्यालय

३-आपकी उम्र
२६ वर्ष

४-अस्तित्व के लिए आप क्या करते हैं?
माता पिता पर निर्भर हू।

५-क्या आप घूमना पसंद करते है ?

  • बेहद

६-आपको अपने जीवन में सबसे ज्यादा क्या प्रेरणा देता है ??
-हर वह व्यक्ति तथा काम जो आपको एक उद्देश्य देता है मुझे प्रेरित करता है।

७-आप अपने जीवन में क्या बनना चाहते हैं ??
-एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी।

८- क्या मैं वह बनना चाहता हूं जो मैं बनना चाहता हूं?

  • हां,बेशक

९-आपको किस बात का इतना भय है ?
किसी विशेष बात का नहीं।

१०-अगर आपके पास रहने के लिए छह महीने हैं तो आप क्या कर रहे होंगे?
-अपने परिवार तथा मित्रों के साथ कहीं घूम रही होंगी।

११-आप किससे घृणा करते हैं ?
-नकारात्मकता से

१२-क्या आप अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं?
-शायद १००% नहीं

१३-अगर आप इसी तरह से जीते रहेंगे तो क्या होगा?
-मैं वह प्राप्त करने में ज्यादा समय लगेगा जो मैं करना चाहती हूं।

१४-आखिरी बार आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर कब गए हैं?
-याद नहीं

१५-क्या आपका स्वास्थ्य आपके जीवन में आपके उद्देश्य की सहायता या हानि कर रहा है?
-स्वास्थ्य बिल्कुल सामान्य है

१६-क्या आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं
-हां,बिल्कुल

१८-आप मस्ती के लिए क्या करते हो ?
-कविताएं पढ़ती हू, games khelti hu

१८-आप इस बारे में कितना चिंतित हैं कि दूसरे क्या सोचते हैं?
-२०%

१९-आपकी सबसे बड़ी गलतियाँ क्या रही हैं?
-अपने आपको सबके लिए उपलब्ध रखना और खुद की प्रतिभा को ना पहचानना

२०-आपकी पसंदीदा जगह कौनसी है ?
-हर वो जगह जहां पहाड़ और नदियां हों,मुझे पसंद है।

२१-आपका पसंदीदा खाना क्या है
-घर पर बने खाने के अलावा काफी कुछ पसंद है।

२२-जीवन में आपकी उपलब्धियाँ ?
-गलतियां करना और उनसे सीखना

२३-Where you wanna see yourself after 10 year ?

  • devoted at people’s service as being an administrator.

२४-आप जिंदगी के बारे में क्या सोचते है ?

  • यही की “जीवन एक अखंड पर्व है,साधारण त्योहार नहीं है।

२५-क्या आप धर्म में विश्वास रखते है ?

  • हां,बिल्कुल

२६-आपका रोल मॉडल कौन है ??
-हर वह व्यक्ति जो अपने कर्मो के प्रति समर्पित है।

२७-आप जीवन में क्या बदलाव देखना चाहते हैं ??
-कोई भी बदलाव हो,बस सकारात्मक दिशा की ओर हो,मुझे स्वीकार है।

२८-क्या आप जिंदगी के साथ खुश है ?
-हां,बेशक

२९-खुद को खुश रखने के लिए आप क्या करते है ??
-नाचते हैं गाते है,अपने पसंदीदा लोगों से बात करते हैं,कविताएं पढ़ते है लिखते हैं,घूमते हैं।

३०-आप क्या achieve करना चाहते है जिंदगी में ??
-एक अच्छा व्यक्तित्व,जो खुश रहने और रखने में विश्वास करे।

३१-आपकी कमजोरी क्या है ???
-भावुक स्वभाव और आलस्य।

३२-आपकी ताकत क्या है ?
-भावुक स्वभाव जिसके कारण लोगों को समझने में आसानी होती है तथा स्पष्टवादिता।

३३-आप किस चीज या बात से डरते है
-नकारात्मकता और ठुकराए जाने से

३४-जीवन में आपका दर्शन क्या है?
-विश्वास,यदि विश्वास हो तो सब संभव और सरल है।

३५-वह कौन सी चीज है जिसे आप अपने बारे में बदलना चाहेंगे
-लोगों पर आसानी से विश्वास करने की आदत।

३६-क्या आप धार्मिक या आध्यात्मिक हैं ??
-हां।

३७-क्या आप खुद को अंतर्मुखी या बहिर्मुखी मानते हैं ??

  • समय और स्तिथि के अनुसार दोनों हूं।

३८-आपके जीवन में सबसे अच्छा चरण क्या था?
-हर वो दिन जो खुशी से जिया अच्छा था।

३९-आपके जीवन का सबसे बुरा दौर क्या था?
-अपने आप को अवसाद से घिरा पाना और उससे बाहर निकलने की जद्दोजहद एक कम अच्छा अनुभव था।

४०-आपकी सभी समय की पसंदीदा पुस्तक / फिल्म क्या है और इसने आपसे इतनी बात क्यों की?
-‘मधुशाला’, श्री हरिवंराय बच्चन जी द्वारा लिखी गई।
-क्योंकि यह मुझे जीवन के हर पक्ष के विषय से सरोकार करती हुई प्रतीत होती है।

४१-क्या आप लुक या ब्रेन में अधिक हैं?
-यह आप बताइए ,हम आपको ये दायित्व देते हैं

४२-आप अपने साथी के साथ अपना पासवर्ड साझा करने के बारे में कैसा महसूस करते हैं?
-मुझे कोई विशेष आपत्ती नहीं,यदि यह प्राइवेसी का विषय ना हो तो।

४३-आपको कब लगता है कि कोई व्यक्ति शादी के लिए तैयार है
-जब वह शादी के विषय में खुश रहकर जिम्मेदारी से अवगत होकर उसको स्वीकार करने के लिए खुद को सहज महसूस करे।

४४-आपको लगता है कि आप किस तरह के माता-पिता होंगे?
-उम्मीद है आप यह सवाल आप भविष्य में मेरे बच्चो से करें,मुझे ज्यादा खुशी होगी।

४५-क्या आपने कभी अपने किसी करीबी को खोया है?
-हां

४६-आपके लिए एक आदर्श सप्ताहांत क्या है?
-अपने परिवार और मित्रों के साथ शानदार समय बिताना।

४७-क्या आप इसे कवर द्वारा एक पुस्तक का न्याय करते हैं ??
-बिल्कुल नहीं।

४८-क्या आप दूसरे मौके पर विश्वास करते हैं?
-हां

49
What are you most thankful for ?
आप किसके लिए सबसे आभारी हैं?

-माता पिता के,हमें इस ख़ूबसूरत दुनिया का हिस्सा बनाने के लिए

50
What’s the one thing that people always misunderstand you ?
एक बात क्या है जो लोग हमेशा आपको गलत समझते हैं?
-यह लोग बेहतर बताएंगे

51
What did you past relationship teach you ?
पिछले रिश्ते ने आपको क्या सिखाया?
-खूब खुश रहना और खुशी बांटना

५२-अगर किसी जिन्न ने आपको अभी 3 इच्छाएं दी हैं, तो आप क्या चाहते हैं?
-खुश रहना और खुश रखना और खुश रखना

५३-जीवन में आपका सबसे बड़ा पछतावा क्या है?
-ऐसा कोई विशेष पछतावा नहीं है

५४-आपको क्या लगता है कि आप अभी भी सिंगल हैं?
-हां बिल्कुल

५५-किसी व्यक्ति के बारे में आप किन तीन चीजों को महत्व देते हैं?
-स्वभाव,स्वभाव और स्वभाव

५६-आपके द्वारा सबसे बड़ा संघर्ष क्या है?
अपना लक्ष्य प्राप्त करने के बाद उसको इंप्लीमेंट करना

५७- आपका पसंदीदा शिक्षक कौन था और क्यों?
-स्कूल में चंद्रप्रभा ma’am..kyoki vo apne kartvya ke prati samarpit thin

५८-आपके बारे में अजीब बातें क्या है?
-मूड swings are very frequent

५९-आप किस भोजन के बिना नहीं रह सकते थे?
दाल चावल

६०-आपका सबसे अच्छा जन्मदिन क्या ??
-every birthday was best

61
When was the last time you told yourself that “I LOVE MYSELF”
जब आखिरी बार आपने खुद से कहा था कि “I LOVE
MYSELF”

  • Abhi-abhi..”I LOVE MYSELF”

In last say few words for Rohit shabd
I love your positivity as i feel positive everytime i talk to you..thank you for being there in my life..

Thanks
Rohit Shabd

भारतीय शिक्षा प्रणाली

भारतीय शिक्षा प्रणाली : भारत में शिक्षा सरकारी व निजी दोनों तरीके से दी जाती है। भारतीय संविधान के अनुसार 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को शिक्षा शिक्षा प्राप्त करना उनके मूल अधिकारों में शामिल किया गया है। यह नीति 1 अप्रैल 2010 से लागू की गई थी।    
 
           इसके बाद भारत की प्राथमिक शिक्षा में काफी बढ़ोतरी हुई, 7 से 10 साल तक की बच्चों में लगभग तीन चौथाई जनसंख्या आज शिक्षित है। इसके अलावा भारत में अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली में भी कई सुधार किए हैं जो कि आर्थिक सुधारों के अंतर्गत आते हैं। उच्च शिक्षा में अधिकतम सुधार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में की गई हैं। 2013 में उच्च शिक्षा में जनसंख्या का 24% शामिल था।        
  प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर भारत में निजी शिक्षा क्षेत्र भी 6 से 14 वर्ष की आयु के 29% छात्रों को शिक्षित करने में लगा है। वार्षिक शिक्षा सर्वे 2012 के अनुसार 96% ग्रामीण क्षेत्रों के 6 से 14 आयु के बच्चे भी शिक्षा प्राप्ति की ओर अग्रसर है। एक और सर्वे जो कि 2013 में शुरू किया गया था उसके अनुसार 229 मिलियन छात्र भारत के ग्रामीण और शहरी इलाकों से कक्षा शिक्षा क्षेत्र में संलग्न है।  
                     
  जनवरी 2019  तक भारत में 900 विश्वविद्यालय और 40000 कॉलेजों की स्थापना हो चुकी थी। भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में काफी संख्या अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अथवा कुछ पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए भी आरक्षित की गई है।     
            

भारतीय शिक्षा प्रणाली
भारतीय शिक्षा प्रणाली

भारतीय शिक्षा का इतिहास:         
भारत में शिक्षा प्रणाली का इतिहास बहुत पुराना है।भारत के इतिहास में हमें तक्षशिला विश्वविद्यालय के बारे में पता लगता है जो कि आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। इसके अलावा हमें नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में भी इतिहास में जानकारी मिलती है जो कि पूर्वी भारत में स्थित था। इसके साथ ही यह दुनिया की प्राचीनतम शिक्षा व्यवस्था का विश्वविद्यालय था ऐसी जानकारी मिलती है। यहां सभी विषय पाली भाषा में पढ़ाए जाते थे। वह पूरी दुनिया में विख्यात आचार्य चाणक्य भी यही के एक अध्यापक थे जिनका की मौर्य साम्राज्य के बसने में एक महत्वपूर्ण योगदान था। 
  
   आधुनिक शिक्षा प्रणाली: 
भारत में अधिकतर शिक्षा बोर्ड 10 + 2 प्रणाली पर शिक्षा देते हैं। इस प्रणाली में 12 साल तक विद्यार्थी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के बाद 3 साल वह विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करता है।  
             
आज जो हम भारत की शिक्षा प्रणाली को देखते हैं । वह कई चरणों से होकर गुजरी है। प्राचीन काल में भारत में गुरुकुल में शिक्षा दी जाती थी, जहां की एक विद्यार्थी अपने गुरु के सानिध्य में एक निश्चित अवधि तक घर से दूर रह कर के शिक्षा प्राप्त करता था।       परंतु सन 1835 में राजा राममोहन राय की सहायता से लॉर्ड विलियम बेंटिक ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू किया वे उस का माध्यम अंग्रेजी रखा। इसी शिक्षा प्रणाली को लॉर्ड मैकाले शिक्षा पद्धति भी कहा जाता है, क्योंकि विलियम बेंटिक है यह कार्य लॉर्ड मेकाले की सहायता से किया था।

कोरोना काल

कोरोना में जनता कर्फ्यू  का आवाहन

21 दिनों के कोरोना lockdown से पहले जब नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने जनता कर्फ्यू का आवाहन किया जिसमें सभी देशवासी अपने अपने घरों में रहे जिसके साथ ही सोशल डिस्टेंस का पालन किया जाए सभी लोग एक दूसरे से कम से कम 2 फीट कि दूरी बनाकर रहे।

मोदी जी की इस बात को तो पूरे देश ने उनका उत्साह ओर उल्लास के साथ मोदी जी का समर्थन किया और साथ सभी भारत देश वासियों ने थालिया , ढोलक , शंख , बर्तन आदि को बजाकर उन सभी सैनिकों का मनोबल बढ़ाया जो इस युद्ध में अपनी जान पर खेलकर दूसरो की सेवा कर रहे है।
ध्वनि की गूंज से समस्त विश्व गूंज उठा हर जगह सिर्फ ध्वनियां गूंज रही थी और भयमुक्त घोषणा का प्रारम्भ किया गया कि अब युद्ध शुरू किया जाए हम सभी इस आपके साथ है और आपकी आज्ञा का पालन होगा।

उसके तुरंत बाद ही मोदी जी ने जाता को संबोधित करके 21 दिन का लॉकडॉउन लगा दिया था जब जनता कर्फ्यू  ख़तम हुआ

मुख्य पात्र एवम् घटनाएं
मुझे एक बात ध्यान अाई जब हम बहुत तेज दौड़ रहे होते है तब हमें हमारे आसपास से गुजर गई चीजे ध्यान से नहीं दिखती परन्तु जब हम धीरे धीरे चलते है तो उन सभी दृश्यों का पूरा आनन्द का लेते है जिनके आसपास से हम गुजर रहे होते है या वो हमारे पास से गुजर रहे होते है।
समय बहुत धीमी गति में इसलिए ध्यानपूर्वक देखे बहुत सुंदर सुंदर घटनाएं ओर दृश्य दिखेंगे

“जैसी जाकी भावना वैसा मन होए”

समय बहुत तेज़ दौड़ रहा था या इंसान आपधापी में लगा हुआ था लगातार इंसान भाग रहा था उसकी जरुरते तो कम थी लेकिन वो बस ना जाने क्यों भाग रहा था यह उस इंसान को भी नहीं मालूम था शायद जिसका एहसास दिलाने प्रकृति ने इंसान कि चाल में कुछ फर्क कर डाला है
कुछ ठहराव अब इंसान में शायद नजर आया है लगता है इंसान की सोच में भी कुछ फर्क अब नजर आने लगा है

जिस गति से समय चल रहा था अब उस गति में नहीं है
समय की चाल भी समझ नहीं आ रही थी आडी टेडी तिरछी सी कुछ हो रही थी अब ऐसा लगता है चाल सीधी हो रही है पृथ्वी की स्तिथि ओर परिस्थिति पर तभी फर्क पड़ता है जब ग्रह , नक्षत्र आदि अपनी जगह से परिवर्तित हो लेकिन क्या अब उनकी दिशा में परिवर्तन है या वो भी रुक गए है ?
ग्रह, नक्षत्र भी अब सीधी चाल में आ गए है ??
समय एक रुकी हुई घटना मे है या अब भी चल रहा है या फिर समय की गति धीमी हो गई है ?
क्या अब से पहले ऐसा हुआ है ?
चारो काल में ऐसा कभी नहीं हुआ जैसा 2020 में हुआ है कि मंदिर बंद हुए हो लेकिन अब हुआ
क्या सभी देवी , देवता अपने अपने स्थान पर चले गए है?  ओर इस संवाद को सुन रहे है जो पृथ्वी पर हो रहा है
इस समय सभी मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारे , गिरजाघर बंद है
लगातार प्रकृति संदेश दे रही है
पूरी अर्थव्यवस्था मतलब लक्ष्मी रुकी गई कहते है लक्ष्मी जी हमेशा चले तो शुभ माना जाता है यदि रुके तो अशुभ होता है यहां किसी एक देश की नहीं पूरे विश्व में सबकुछ रुक गया है।

“वासुदेव कुटुंबकम्”

यह प्रमाणित होता है कि सिर्फ भारत ही नहीं पूरा संसार एक कुटुंब कि भांति है जिसे इस मानव ने विभाजित किया है।
यदि अब भी 26 देश चलायमान स्तिथि में है तो इससे अभिप्राय यही है कि कुछ संवाद वहीं पर हो रहा है यह एक संकेत मात्र हो सकता है
उन देशों की क्या स्तिथि है?  यह जानना आवश्यक है क्युकी वह देश अभी तक Corona
की चपेट में नहीं आए है और यदि आएंगे तब क्या ?
क्या वो भी संक्रमित हो रहे है ?

190 देश अभी तक प्रभावित हो चुके है इस वैश्विक महामारी से
कुल 216 देश है इससे अभिप्राय यह कि अभी भी 26 देश बाकी है क्या वो जैविक अणु से प्रभावित होंगे या नहीं ? यह भी एक सवाल ही है।
परन्तु यह समय काल भी मूक है जो सिर्फ काल की भांति अग्रसर है
श्री मद भागवत गीता में श्री कृष्ण कहते है मै काल हूं बढ़ा हुआ मै सबका विनाश करने के लिए बढ़ रहा हूं
क्या यह समय युग परिवर्तन का तो नहीं है ?

समय रुका हुआ है पूर्णतया रुका नहीं है परन्तु एक शांत लहर है जिसमें सबकुछ हो रहा है लेकिन सब हमारे भीतर ही ही रहा है  जो भी परिवर्तन हो रहे है वो हमारे भीतर ही ही ही रहे है बाहरी कुछ नहीं हो रहा है
हम सभी पत्थर की भांति है हमें कुछ नहीं पता क्या हो रहा है? सभी मूर्छित है यही मानो मुर्छित का भाव यह है कि हमारा जीवन पुनः शुरू होगा लेकिन क्या हमारी मानसिक स्थिति में बदलाव आएगा या नहीं ?

हां जब कोई अवतरित हुआ है या श्री मद्भागवत गीता का उपदेश हुआ है।
क्या वहीं संवाद पुनः शुरू हुआ है? क्या इस समय पृथ्वी पर अर्जुन और कृष्ण संवाद चल रहा है?
या वो संवाद हमारे भीतर चल रहा है?
इस समय हो क्या रहा है ?

जैसा कि कुछ भविष्यवक्ताओं ने लिखा था
कि कलयुग के अंत में  कल्कि अवतार होगा एसी कोई घटना हो रही है ?
जब जब धर्म की हानि होगी तब तब मै आऊंगा
क्या एसा कुछ हो रहा है ? क्या इस श्लोक के माध्यम से हम यह समझ सकते है कि अधर्म इतना बढ़ चुका है अब योगेश्वर श्री कृष्ण अवतरित हो चुके है ?
कल्कि में से क अक्षर की उत्पत्ति हुई है
अब बुद्धि कुमति से सुमति की और बढ़ रही है अर्थात  माता सुमति है
और पिता विष्णु यश भी है
जैसा संकेत है विश्व में अणु रूप से व्याप्त विष्णु

“कलयुग केवल नाम अधारा जपत जपत हो उजियारा”

पूरे चराचर जगत में प्रभु गुणगान भी है इस समय लोग लगातार जप, तो ,पूजा ध्यान आदि में प्रवृत्त हो रहे है।
साथ ही नवरात्रे आए है माता के नौ दिन माता ने भी आकर अपना संदेश दिया है यह समय आत्म मंथन का है
क्या इस पृथ्वी पर कोई अर्जुन है जिसे श्री कृष्ण गुह्य ज्ञान दे रहे है साथ ही जो इस समय वेद वाक्य पर चर्चा कर रहे है ?
प्रकृति अपना आवरण क्यों बदल रही है क्या अति हो चुकी है ? तामसिक प्रवृति पूरी तरह से रुकी हुई है सिर्फ सात्विकता है। तामसिक आवरण हटाना या तमसिक्ता की परत को हल्का करना ही इस समय की मांग है
इस समय पूरी दुनिया शाकाहारी भोजन ही प्रधानता है कुछ पढ़े लिखे गवार जो हमेशा यही कहते है को फूड चैन
लेकिन क्या अब नहीं सब कुछ सही चल रहा है या अगले 21 दिन तक नहीं चलेगा ?
भगवत गीता में आहार पर भी कहां गया है
तामसिक
राजसी
सात्विक
इस समय आप कौनसा भोजन कर रहे है ?
पूरा विश्व सात्विक भोजन ही कर रहा है
प्रकृति भी तामसी आवरण को हटाकर सात्विक आवरण की और बढ़ रही है, स्वास ले रही है प्रकृति और मानव मौन हो गया है वह कुटिया में बैठ गया है

विचारो में जो शुद्धि आ रही है वह भी सात्विक हो रही है
कर्मो के द्वारा भी किसी की कोई हानि नहीं ही रही है इसका भी यही निर्देश मिल रहा है कि कर्म भी सात्विक ही हो रहे है।
हम किसी के लिए बुरा नहीं सोच रहे बल्कि हर किसी की मदद करने की सोच रहे है , वाणी से भी किसी का अहित नहीं कर रहे यदि हम दूर भी है तो भी किसी भी सोशल मीडिया साइट के द्वारा किसी को बुरा नहीं बोल रहे तथा यह बोल कर रोका जा रहा है कि मैं आपसे बहस नहीं करना चाहता यदि मै आपको पसंद नहीं तो आप दूर हाट सकते है लगातार संदेश और एक ही और इशारा हो रहा है कि स्वयं के साथ जीवन

कोरोना काल में Self Isolation कर्ण कवच जिससे हमारा तात्पर्य यह की घर के भीतर ही रहना और साथ ही घर की चौखट को नहीं लांघना यहां पर आपको आपकी सीमा मै ही रोका जाता है
जिसे लक्ष्मण रेखा कहते है यहां हमारे बहुत सारी नीतियां चलाई जिसके तहत हमें सफलता हासिल हो सके।
जब तक यह कवच है तब तक हमारा कोई अहित नहीं कर सकता इसलिए इस कवच का पालन कीजिए आपके ऊपर शायद कुछ परेशानियां आ सकती है परन्तु आप इस कवच को मत तोडिएगा तभी आप सलामत रहेंगे साथ ही लक्ष्मण रेखा को पार मत करिएगा

हम यूं कहे कि स्वयं के साथ रहे , लोगो से भावनात्मक दूरी रखे , शारीरिक दूरी रखे तथा स्वाध्याय में जुट जाए स्वयं का अध्यन करे यही भागवत ज्ञान सप्ताह है सात दिन , चौदह दिन और जो इक्कीस दिन चलता है आपको 21 दिन मिले है आप कितने तेयार हो सकते है अब यह आप पर निर्भर करता है।

राजा परीक्षित को 7 दिन मिले थे उन्होंने अपना जीवन पूर्णतया बदल लिया था हमें इस समय का लाभ उठाना चाहिए जीवन बहुत अमूल्य वस्तु है इस शरीर को यूं ही व्यर्थ ना कीजिए इससे जो अनुभव मिलते है वो बहुत आनंदित होते है विश्वास कीजिए मै आपसे अपने अनुभव से कह रहा हूं। 
कुछ लोग कहते है अभी यह भागवत पढ़ने की उम्र नहीं हुई , या बहुत कुछ है डर लगता है पढ़ने से ऐसा बिल्कुल नहीं है मै 14 साल की उम्र से भागवत का पाठ कर रहा हूं और अब भी कर रहा हूं और बहुत बार पढ़ चुका और सुन चुका और अब भी लगातार पढ़ता हूं और सुनता हूं मेरे जीवन की सभी समस्यायों के हल , जीवन से जुड़े जितने प्रश्न थे उन सभी का समाधान मुझे श्री मद भागवत गीता में मिला और अनेकानेक  रहस्य है जिनको मैने जाना और यह सभी रहस्य  बहुत स्पष्ट शब्दों में दिए हुए है।

इस समय की स्तिथि और परिस्थिति भी मैने आपको भागवत के शब्दों से ही बताई है।
लगातार प्रकृति हमे संदेश दे रही है जो हम सभी प्राणी मात्र को समझने चाहिए और प्रकृति के आदेश व निर्देशों का पालन करना चाहिए।
क्युकी सीधा संबंध प्रकृति के साथ है हमें प्रकृति ही संदेश देती है और हम उसी के अनुरूप कार्य करते है।

कोरोना काल में प्रकृति का संदेश समझिए

पूरे विश्व में भय कि एक स्थिति है पूरा विश्व त्राहि त्राहि कर रहा है  इसके विपरित कुछ और है क्या ???
जब श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश शुरू करते है तब अर्जुन की यही दशा होती है वो भय से भरा  होता है उससे श्री कृष्ण के वचन सुने नहीं जाते उसका रोम रोम कांप उठता है और उसे एसा लगता है कि वह कुल घाति , कुल द्रोही कहलाएगा यदि वो अपनी रूढ़िवादी परंपराओं से छुटकारा पा जाएगा तो जो उसने अपने ऊपर थोप ली है

“भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है यह किसी को नहीं पता”

हमें नहीं पता कि भविष्य के गर्भ में क्या है?
जिस प्रकार से महाभारत में कई योद्धा , दोनों तरफ से आ रहे थे उसी प्रकार यहां भी संकट आ रहे है लगातार परिस्थिति बदल रही है

एक नया संकट तब्लीग़ी जमात जो 1927 में शुरू हुआ था  यह इस्लाम धर्म का प्रचार और प्रसार करने के लिए विदेशी यात्रा करते है और अपने इस्लाम धर्म का प्रचार करते है

परन्तु इस समय यह एक प्रकार का चलता फिरता बम जिससे पूरी दुनिया बचना चाह रही है यह लोग किसी भी चीज पर अपनाथुक लगा रहे है , यदि वो कहीं जा रहे है तो थूक रहे है , सब्जी,फल, अन्य खाने पीने के समान पर भी यह लोग थूक रहे है , बल्की इन लोगो ने पुलिस कर्मियों पर भी थूका जिससे की यह बीमारियां फैला रहे है इनका उद्देश्य तो ऐसा लग रहा था है कि यह बीमारी और फैले
अब लोगो की मानसिकता क्या है ?

क्युकी इस अस्त्र का अभी तक कोई इलाज नहीं है इन लोगो में वो संक्रमण है Corona जिसका इलाज अभी तक नहीं मिला पूरी दुनिया Corona का इलाज ढूंढने का प्रयास कर रही है परन्तु मंजिल अभी दूर ही लगती है लगता है अगले कुछ महीनों में ही सफलता हासिल होगी परन्तु तब तक क्या होगा ? जन जीवन सामान्य हो पाएगा ?

भारत में चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह अभी तक नहीं दिखे आज पिछले 10 दिनों से वो कहा है ?
क्या कर रहे है ?
ऐसा कौनसा कार्य है जो इस समय उनके लिए बेहद जरूरी है लेकिन कॉरोना का संकट काल जरूरी नहीं लग रहा है क्या ??

पूरे विश्व में आसमान साफ हो चुका है जीव जंतुओं पर अत्याचार कम होने लगा है उनका सेवन बंद हुआ है परन्तु आज 10 दिन पूरा होने पर  दुबारा चीन से यह खबर अाई की उन्होंने दुबारा मांसाहार का सेवन शुरू कर दिया है इससे क्या समझा जाए ?

इटली में लोगो ने पैसे रोड पर फैक दिए है उन्हें यह समझ आने लगा है कि पैसा कोई महत्व नहीं रखता जीवन ज्यादा मूल्यवान है , जीवन की खुशियां ज्यादा महत्वपूर्ण है पैसा सिर्फ हमारी कुछ जरूरतों को पूरा करता है परन्तु हमारा जीवन नहीं लौटा सकता।

एक बहुत बड़ा सवाल यहां ये खड़ा होता है कि इस lockdown के बाद स्तिथि कैसी होगी ? लोगो का नजरिया कैसा होगा ?

सोचने ओर समझने कि प्रक्रिया में क्या बदलाव होंगे ?
शिक्षा में कुछ बदलाव होंगे ? या दुबारा से हम वैसे ही उसी तेज़ जिंदगी में उलझ जाएंगे ? भूल जाएंगे यह सब क्या हुआ?  इन इक्कीस दिनों में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा परिणाम क्या है ? क्या हम यह समझेंगे या फिर सब कुछ भूल कर फिर वही भगा दौड़ी वाली जिंदगी में लौट जाएंगे

कुछ नहीं बदला

वैश्विक मंदी मानव कृत या प्रकृति का दण्ड हर एक बात के एक से अधिक पहलू होते है उसी तरह यह समय भी बहुत सारे पहलुओं को दर्शा रहा है।
मानव करता तो है परन्तु उस अंदेशा नहीं होता कि उसके इन कृत्यों में क्या क्या छिपा होता है इंसान सिर्फ अपने मद अहंकार में भरा होता है उसे लगता है वहीं सर्वोपरि है और कोई नहीं है परन्तु इन कृत्यों का अंत प्रकृति ही करती है।

जिस प्रकार महाभारत के समय शकुनि और अन्य लोगो ने चोसा खेल षड़यंत्र रचा था उसी प्रकार चीन देश  ने भी सभी देशों के लिए कोई षड़यंत्र रचा है जिसमें ज्यादा हानि इटली , और अमेरिका की दिखाई दे रही है उसने यह जैविक हथियार बनाकर पूरे विश्व में फैला दिया और वैश्विक मंदी का शिकार बना दिया तथा सभी देशों पर अंकुश लगा दिया है कोई भी देश अपनी सीमा से बाहर नहीं आ सकता है और ना ही जा सकता है। जिस प्रकार से चक्रव्यूह की रचना की गई हो इसमें सभी देश , लोग जहां , जिस स्थिति में है वहीं ठहर गए है उनका आगे बढ़ना और पीछे हटना दोनों ही मुश्किल हो गया है।

अब भारत देश के प्रधान मंत्री जी ने दिन रविवार  5 अप्रैल को रात 9  बजे 9 मिनट के लिए सभी देशवासी अपने घरों में व घर के बाहर दिए , टॉर्च , मोमबत्ती जलाए जिससे अंधकार रूपी Corona दूर हो सके साथ ही उन सभी लोगों का मनोबल बढ़ाया जाए जो दिन रात कठिन परिश्रम कर जन समुदाय को बचाने की कोशिश में लगे हुए है

दिए जलाने के पीछे वैज्ञानिक दृष्टि , ज्योतिषी विज्ञान क्या है? क्या ये एक ब्रह्मास्त्र है ?
मै मानता हूं कुछ लोगो को तकलीफ होती होगी जब भी हमारे प्रधानमंत्री कुछ करने के लिए कहते है तो परन्तु हम सभी धर्म जाति वर्ग विशेष से ऊपर उठकर सोचना चाहिए क्युकी जब प्रधानमंत्री कुछ करने के लिए कहते है तो 135 करोड़ लोग किसी भी कार्य को एक साथ करते है तो उसका प्रभाव तीनों लोक पर पड़ता है
इस बात से तो मुझे लगता है सभी धर्म सहमत होंगे की जनसमुदाय में किया गया कार्य पूरी कायनात मंजूर करती है।
उसी प्रकार जिस प्रकार आपने ध्वनि का उच्चारण किया तो वह ध्वनि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में गूंज गई ,
यदि आप दीप ज्वलित करते है तो उसका प्रकाश भी पूरे ब्रह्माण्ड पर असर करता है।
यदि सूर्य का प्रकाश हमें मिल रहा है तो को हमारे दीपक , मोमबत्ती का प्रकाश भी सभी को मिलेगा
इसके अलावा हमारा एक भाव , एक एहसास , एक वचनबद्ध , एक कार्य व किर्या आकाश लोक तक नहीं जाएगी ?
यह मै आपसे पूछ रहा हूं क्युकी मै जानता हूं
निश्चित ही स्वीकृत होगा
जो लोग किसी भी धर्म को मानते है उस बात का कोई मायने नहीं है परन्तु आप प्रार्थना तो करते है वह कहीं से कैसे भी हो सकती है उसकी आवाज , उसकी ज्योति आकाश लोक तक अवश्य जाएगी।


यह नए नए शब्द आए है यह पुराने ही शब्द थे किन्तु अब इनको एक नया रूप , कार्य , दिशा , निर्देश दिया गया है जिनकी सहायता से हम अपने जीवन को एक नई दिशा अवश्य देंगे

Self quarantine , Self isolution
Home quarantine , social distancing ,

मरीज को 14 दिनों के लिए अकेले रखा जाता है ताकि वो संक्रमित रोग से बच सके उसकी इच्छा शक्ति , ओर लड़ने की शक्ति देखी जाती है कितनी है जिस प्रकार युद्ध में लड़ रहा सैनिक वीरगति को प्राप्त हो जाता है उसी तरह यहां भी हो रहा है

यह समय एक तरह से आकस्मिक मृत्यु काल का समय भी है जिसमें समय अवधि है

जब तक पेड़ से पीला पत्ता नहीं जाएगा  अर्थात पुराना पत्ता नहीं टूटेगा पेड़ से तब तक हरा पत्ता कैसे आएगा ?
यह तो प्रकृति का स्वाभाविक नियम है जिसे हम सभी परिवर्तन कहते है
इसलिए इस समय ज्यादा घात ज्यादा उम्र के लोगों को हो रहा है स्वत ही वह टूट रहा है एक प्रक्रिया चालू कर दी है काल ने ग्रास करने की उस प्रक्रिया से पुराना पत्ता टूट रहा है।

संग दोष बचना चाहिए अब यही समय जब हमें संग दोष भी नहीं हो रहा है आपको जिनका संग विधाता ने दिया आपके कर्मो के अनुसार आप उन्हीं के संग अभी है तथा वहीं संस्कार आपको मिल रहे है इसलिए जीवन को और ज्यादा अनुभव के साथ जिये
और इन्द्रियों का सुख तो मूढ़ तथा पापायू लोग करते है। इस समय इन्द्रियों को भोगने वाले सभी कार्य लगभग ना के बराबर ही है जैसे कि मदिरा पान , मांस भक्षण , आदि कार्यों का स्वत ही बंद होना ये संदेश देता है कि यह किसी भी प्रकार से हमारे जीवन के लिए नहीं है।

नियत कर्म क्या है ?
कर्म सिर्फ एक ही है उस परम पिता परमेश्वर की पूर्णतया भक्ति में लीन हो जाना इसके विपरित दूसरा कोई कर्म नहीं है।
प्रकृति एक संदेश दे रही है उस संदेश को समझने का प्रयास कीजिए
आप अपना आहार और व्यवहार नहीं बदलेंगे तो प्रकृति इससे भी कठोर दंड दे सकती है इसलिए वक़्त रहते ही समझ जाए।
प्रकृति यह संदेश दे रही है कि तामसिक प्रवृतियों को बंद कर दीजिए और सात्विकता की और रुख कीजिए।

“कुमति निवार सुमति के संगी”

जब आप एकांत , ध्यान में होते है प्रकृति की छत्र छाया में होते है तब आपके भीतर बहुत सारे अच्छे विचारो का संचालन होने लगता है और तब बुरे विचारो से मुक्त होने लगने है और  आप अपनी सारी दुरबुद्धी को बाहर निकाल देते है और सुमति का आचरण करते है

ऐसा ही हर जगह देखने को मिल रहा है बेशक हम सभी कुछ घबराए हुए है लेकिन घबराहट तो उस अर्जुन को भी हुई थी अर्जुन तो क्षत्रिय था तब भी वो घबराहट से भरा हुआ था
जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यज्ञ निहित कर्म करने को कहा था
आज हम सभी को भी प्रकृति प्रेरित कर रही है और हम भी शायद प्रेरित हो रहे है तभी हम  सभी लोग सकारात्मक सोच की और बढ़ रहे है
इस मुश्किल घड़ी में , फेसबुक , वॉट्सएप, ट्विटर, आदि कहीं भी सोशल मीडिया पर इस समय कोई राजनीतिक , सामाजिक , बुरी ख़बर नहीं है ना ही कोई लड़ाई झगड़ा आदि इत्यादि है जैसा कि हम सुबह से शाम तक इतना स्क्रॉल करते है तब हमे ना जाने कितनी ही नकरात्मक खबरे पढ़ने को मिल जाती है कभी किसी को ट्रोल करते है तो कभी किसी गालियां देते है परन्तु आज हम सभी एक दूसरे को सिर्फ यही कह रहे है।

‘Social Distancing’

कोरोना सभी देशों में एक ही शब्द गूंज रहा था social distancing एक दूसरे से दूर रहे अर्थात उचित दूरी बनाए रखे ताकि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित ना कर सके स्वयं को भी बचाए और दूसरो को भी बचाए

कोरोना काल में “घर में रहिए कुछ ना करिए”

स्वयं को सुरक्षित रखीए व अपने परिवार को सुरक्षित रखीए अब हमारी सिर्फ एक यही कोशिश है कोरोना को हराने की जिस पर हम जीत जरूर हासिल करेंगे।
हाथ मिलाना , गले लगना कोई जरूरी नहीं है हम नमस्कार करे तो ज्यादा बेहतर है नमस्कार का अर्थ यह है कि सामने वाले के ह्रदय में विराज रहे प्रभु को नमस्कार करना।
हर क्षण प्रभु का स्मरण रहे , हर समय हमें आदर सरकार की भावना को संजोए रखे यही हमारे जीवन का उद्देश्य है जो प्रकृति हमें संदेश दे रही है हाथ मिलाने से दूसरे के में में किस प्रकार के विचार है यह हमें नहीं पता होता इसलिए हमे उन विचारो को शांत करने के लिए नमस्कार की मुद्रा को अपनाना चाहिए और प्रभु स्मरण करे।

हमारे विचार आचरण सभी शुद्ध हो रहे है इससे तात्पर्य यह की प्रकृति अपने ऊपर से एक परत,एक आवरण  हटा रही है। जो तामसिक परत है उसे हटाकर सात्विकता की और बढ़ रही है मांस खाने से लोग घबरा रहे है , जीवो के बारे में लोग सोच रहे है यही सुमति है , यही सुविचार है,  कुमति से मुक्ति है , बुरे विचारों से दूर होना है कुमति को निकाल देना है,और अच्छे विचारो का समावेश करना है।

प्रकृति के संदेश को कभी भी नजरअंदाज ना करे प्रकृति के साथ सदैव जुड़े रहे हर एक घटना आपको एक संदेश देती है परन्तु आप उस संदेश को सजगता से नहीं देखते उस पर हम ध्यान नहीं देते

भारत पूरी दुनिया के लिए सदा ही अध्यात्म गुरु रहा है
भारत ही वो देश है जहां लोगो को एक ना एक बार अपने जीवन काल में आना अतिआवश्यक है क्युकी भारत ही आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र है जहां पर आध्यात्मिक शिक्षा पूर्ण होती है सभी के लिए चाहे वो इस संसार में कहीं भी रहता हो

भारत को ढोंग और अंधविश्वास का नाम तो पिछली कुछ शताब्दियों में दिया गया है क्युकी कुछ मूढ़ बुद्धि के प्राणी  हमें गुलाम बनाना चाहते थे  परन्तु उन्हें नहीं पता कि हम स्वाध्याय करते है हमारा जीवन ही स्वाध्याय में बीता है हम किताबो के मोहताज नहीं है हम स्वयं की खोज करके ज्ञान को प्राप्त होते है, और यह वही समय है जब भारत पूरी दुनिया को जीना सिखाएगा 
भारत ही विश्व गुरु कहलाएगा।

तनाव ,अकेलापन यह सब हमारे जीवन पर कभी भी हावी नहीं हो सकता क्युकी हम पहले से एकला चालों वाली राह पर है। असंग होना तो हमारे जीवन का पहला मुख्य लक्ष्य है
एकांत भाव में रहना , स्वयं के साथ होने से नए नए अनुभव को जन सामान्य लोगो के सामने लाना ताकि वो सभी उसी राह पर चल सके , मृत्यु ओर जीवन इन सबसे ऊपर उठना ही हमारा परम लक्ष्य रहा है।
आओ दुनिया को उसी राह पर ले चले वहीं सन्देश दोहराए 

वासुदेव कुटुंबकम्
शब्दों का परिवार
इस वचन को जन जन तक फैलाए
कृष्ण बंदे जगतगुरू सभी के लिए एक ही मूलमंत्र है
स्वयं का न्यास संन्यास स्वयं में रहना ही संन्यास है घर छोड़कर चले जाना संन्यास नहीं है।

#Rohitshabd

समय दीजिए

आपके कुछ मिनट किसी के लिए कुछ साल बढ़ सकते है इसलिए उन्हे समय दीजिए जिनको आपके समय की जरूरत है।
समय

ना जाने किसको आपके समय , आपकी जरूरत है अपने आसपास थोड़ा गौर कीजिए क्या पता आपके कुछ मिनट किसी को एक नई जिंदगी की ओर ले जा सके।

आज जो समय चल रहा है वह बेहद ही तनाव से भरा हुआ है इसलिए स्वयं पर और अपने साथ रहने वालो का ध्यान रखिए।

इस संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका निवारण नहीं हो सकता थोड़ा विलंब अवश्य हो सकता है, परन्तु निवारण जरूर होगा इसलिए सब्र रखना जरूरी है।

हम सभी को स्तब्ध कर दिया है, सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु ने यह एक गंभीर बात है, जो एक कलाकार हमारे लिए छोड़ गए जिन पर हमें ध्यान देना है हम नहीं जानते उन्होंने ऐसा क्यों किया ?

परंतु यह एक सवाल जो अपने पीछे छोड़ गए वो बेहद गंभीर है ऐसा क्यों ? उनके साथ ऐसा क्या हुआ जिस वजह से उन्होंने यह कदम उठाया

परिवर्तन काल जीवन

परिवर्तन काल जीवन
एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है , यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है, और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है, वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल
भूतकाल जिसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है, लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है, एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे, परिवर्तन काल जीवन का चक्र चलता रहेगा।

भविष्य काल
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे हम वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है, भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका है, या नहीं यह भी हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है, सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है, जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है, हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है, जिसमें कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है, परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है, परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है, आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है।

जो कि एक पल का भी 100000 वा हिस्सा हो सकता है, और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है, जिसमे किसी का प्रवेश संभव है।

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है, उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है, आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है, उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है, जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है, जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है, और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है, हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है, लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
 क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है।

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time.
{ future }—-{present }—{past } these are parrler to each other when ever they come in connection we call it yug parivartan.

In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है, यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी, जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजी से भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है।

उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है, उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी, अब शायद वे परिवर्तन काल जीवन के बंधन से छूटने की और हो।

यह भी पढे: सपने बड़े हो, क्या सपने होते है?, जीवन क्या है?,

सामाजिक दूरी

सोशल मीडिया व अन्य सभी जगह पर एक शब्द और है जो बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है ओर पिछले 2 महिने से यह शब्द बहुत प्रचलित हो चुका है जिसको हमे समझना चाहिए और इस शब्द का पालन भी करना चाहिए, सामाजिक दूरी को बनाकर रखना ही हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।

Social Distancing सामाजिक दूरी बनाकर रखिए कम से कम आपके ओर दूसरे व्यक्ति के मध्य 2 गज की दूरी हो
संग दोष से बचाव = किसी के साथ नहीं रहना बाहर वाला आपके संपर्क से दूर और आप भी सभी से उचित दूरी बनाए शारीरिक तथा यहां हम मानसिक विचारो से दूरी बनाए क्युकी स्वयं को मजबूत बनाना है इस समय नकरात्मक विचारो का प्रभाव हम ना पड़े

भीड़ वाले इलाके में ना जाए साथ ही भीड़ एकत्रित ना होने दे
“भीड़ और झुण्ड” यह दोनों शब्द अब बहिष्कृत हो जाएंगे
“भेड़ चाल” यह शब्द गायब होगा अगले कुछ समय में
एकला चलो
असंग
स्वयं के साथ ज्यादा समय व्यतीत करना ऐसे शब्दों का प्रचलन दुबारा से शुरू होने लगेगा।


Self Quarantine = स्वयं को एक कमरे में बंद कर लेना

किसी को छूना नहीं ,किसी का स्पर्श नहीं लेना घर के सदस्यों से भी उचित दूरी बनाए रखना

अब यह एक शब्द है स्वयं को एक कमरे के भीतर ही रखना और आत्ममंथन करना  यदि आप चिड़चिड़ा या भीड़ के साथ नहीं रहना तो खुद को एक अलग बंद कमरे में रह सकते हो और स्वयं के लिए बहुत कुछ सोच सकते , जिस आप आत्म उत्थान कह सकते है इसी एक चीज के लिए लोग घर छोड़ दिया करते थे परन्तु प्रकृति ने ये संदेश दिया है कि स्वयं के साथ रहे और स्वयं का निर्माण करे

सेल्फ ग्रूम = self Grooming

Home Quarantine = खुद को घर में कैद कर लेना और कहीं बाहर नहीं जाना यह भी एक अच्छा विचार है दुनिया की भीड़ से बिल्कुल अलग हो जाना और स्वयं के चित को शांत करना अपने परिवार के साथ खूब सारी बाते करना और बतियाना ना फोन की जरूरत ना किसी ओर चीज की आवश्यकता गृहस्थ जीवन ही अति सुखदाई अपने परिवार संग अपने समय का लाभ उठाओ और परिवार जन सहित अपने जीवन को सार्थक करो।

जब आवश्यक हो तभी घर से बाहर निकले बेवजह आप घर से बाहर ना आए घर से बाहर या भीड़ वाले एरिया में मास्क जरूर लगाएं।

यह भी पढे: कोरोना काल, कोविड 19,

बेइंतहा मोहब्बत

बेइंतहा मोहब्बत ,गिला-शिकवा ,
दर्द ए सितम,
ना मरहम कोई उन्होंने लगाया
बस
वक़्त बेवक्त
जख्म को नासूर बनाया
क्या क्या ना उन्होंने – क्या क्या ना उन्होंने
मुझ पर आजमाया
देखो तो सही अरे देखो तो सही
कमाल उनका था ये
उन्होंने हथियार भी ना उठाया
ओर
खून खंजर बिन मेरा कर दिया
और अब उन पर
इस जुल्म इल्जाम भी नहीं आया।

बेइंतहा मोहब्बत
जख्म

थोड़ी बेखबरी थी

मेरी जिंदगी में
बस थोड़ी बेखबरी थी
कुछ सहमी
कुछ अकड़ी थी
एक आहट थी
दबे पाँव की सरसराहट थी
तभी मेरी एक बाह ने
दूसरी बाह पकड़ी थी जो
इस कदर जकड़ी थी मानो
लिपटी आग से एक लकड़ी थी
जिसमे मेरी जिंदगी अटकी थी
कोई एक राह सी भटकी थी

थोड़ी बेखबरी थी
मेरी जिंदगी

जीवन एक अवसर है

जीवन एक अवसर है।

जीवन को अवसर का मोहताज ना रहने दो, जीवन तो स्वत एक अवसर है, इसे एक अवसर , मौके के रूप में तुम लो , जीवन एक सुनहरा अवसर दे रहा है तुम्हें यू ना इसे तुम जाने दो

जीवन एक अवसर है इसको अवसर की तरह देखो जन्म ओर मृत्यु के बीच में हमे बहुत सारी जो जीवन यापन कर रहे है वह एक सुनहरा अवसर है इस जीवन को यू ही व्यर्थ न करे, इसे अवसर के रूप में ले ओर इस जीवन लक्ष्य को पहचाने, और लक्षे की और आगे बढ़े तथा जाने की आप यहाँ क्यों आए है? क्या कारण, उद्देश्य है इस जीवन का? इस बात को खोजने में अपना जीवन लगाए।

नींद को तोड़ो

जागरूक होना और जागरूकता क्या है ?

नींद ओर आलस को छोड़ना है , किसी भी कार्य के लिए तथा हमें अपने जीवन के लिए हमेसा तत्पर होना चाहिए  साथ ही सीखने और जानने की इच्छा रखना हर उस किर्या प्रतिकिर्या तो देखना जो हमारे जीवन के साथ घटित हो रही है जिन सभी कारणों से हमारा जीवन बदल रहा है

बिल्कुल सजग अवस्था में उसे देखना , महसूस, करना ही जीवन को ऊर्जा देता है तथा स्वयम के प्रति जागरूक करता है।

अपने अंदर जागरूकता को पैदा करो अर्थात नींद को तोड़ो विचारो को भली भांति देखना शुरू कर करो हमारा  शरीर तो आलस्य से भरा हुआ है

यह तो सोना ही चाहता है परंतु बुद्धि किर्याशील है जब हम सोते है तब भी बुद्धि कार्यरत है और अपना कार्य करती है रहती है परन्तु शरीर अचेत है वह आलस्य , प्रमाद चाहता है
कभी कुछ कार्य करना ही नहीं चाहता

हम रोज 8 घंटे की नींद ले रहे है और कुछ लोग ज्यादा तथा कम , हम सभी को रोज जीने के लिए  86400 सेकंड मिलते है हम उन्हें बिना सोचे समझे खर्च कर देते है लेकिन 86400 का हिसाब नही लगाते की हमने उन सेकण्ड्स का खर्च कहाँ और कैसे किया ?

जो लोग उन पलो का हिसाब रखते है वो बहुत आगे  निकल जाते है अपने जीवन को एक उद्देश्य के साथ जीते है और उनका समय उनके जीवन को एक उच्च स्तर देता है जिन लोगो ने समय की कीमत को पहचान लिया है वह लोग बहुत ऊंचाई को छू जाते है और जो समय की बरबादी करते है वह नीचे ही धंस जाते है

इसलिए अपने भीतर जागरूकता पैदा करना जागरूक होना है, अतिआवश्यक है विचारो के आने पर जाने को देखना ही जागरूक होना है

“नींद को तोड़ो”

जागरूकता कब और कैसे आएगी ?
जब आप अपने मस्तिष्क के विचारों को देखोगे ओर अपने शरीर के प्रति संवेदनशील बनोगे जागरूक होकर देखोगे स्वयम को अपने शरीर के दवारा किया जाने वाला कार्य को ध्यानपूर्वक देखो अपने सभी  विचारो के प्रति सचेत रहें सोच के लिए, अपने कार्य के लिए, वातावरण के लिए, अपनी स्तिथि और परिस्तिथि के लिए,  भावनाओ के लिए स्वयम के शरीर की संवेदनशीलताओं के प्रति जागरूक हो विचारके लिए, सकारात्मक ऊर्जा के लिए आप क्या कर रहे? 
क्या करना चाहते हो?

इसके प्रति जागृत हो सचेत हो, सचेत अवस्था में रहो देखो इस जीवन को और देखो जीवन के साथ होने वाली घटनाओ को वो सभी घटनाये हमारे साथ हो रही है हम कर रहे है या नही फिर भी वो घटनाये हो रही है क्योंकि हमारा जीवन विकसित होना चाहता है और हम सभी एक विकासशील प्रकिर्या का हिस्सा है जिसमे हम सभी को विकसित होने है।