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पंगा फिल्म

इस वक्त इस बात को कहने में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि वर्तमान समय में कंगना बहुत ही बेहतरीन अदाकारा हैं , पंगा फिल्म केवल एक फिल्म भर नहीं बल्कि सपनों को पूरा करने में केवल जया निगम ही नहीं बल्कि भारत और दुनिया के अन्य देशों की “जया” भी पीछे हट जाती हैं ।

विवाह के बाद नौकरी छूटना या छोड़ना आम बात है तो खेलों की तरफ देखना तो और भी मुश्किल होता है । पति और बच्चों का साथ न देना या देने भर का नाटक भी देखा जाता है ।

अपने सपनों को छोड़ पति और बच्चों के सपनों और जरूरतों को पूरा करने में जुड़ जाना आज भी औरतें अपना परम सौभाग्य मानती हैं ।

पंगा फिल्म कंगना की अदाकारी के साथ साथ अश्विनी तिवारी की दाद देनी होगी जिन्होंने इतनी बारीकी से खेल,परिवार ,शादी और उसके बाद के जीवन को पर्दे पर उकेरा # देखना तो बनता है
साथ साथ नीना गुप्ता की एक्टिंग भी बहुत अच्छी है जिस तरह से उन्होंने एक मां का किरदार निभाया है  इस फिल्म को बहुत ही बारीकी से पिरोया गया सारे सपने पूरे नहीं होते लेकिन जिद्द हो तो उन्हें पूरा करने की तो कोई सपना अधूरा भी नहीं रह सकता।

पंगा फिल्म
panga movie

इसमें औरत अपनी बात को किस तरह से मनवाती है वो भी बहुत खूबसूरती के साथ दिखाया गया है फिल्म के  कुछ दृश्य तो आपका मन पूरी तरह से मोह लेते है मै पहले से ही कंगना का फैन हू इस फिल्म को देखने के बाद और भी ज्यादा बड़ा फं हो गया क्युकी एक औरत को सेंटरिक करके फिल्म को बड़े स्तर तक ले जाना कोई आसान बात नहीं होती।

लेकिन जिस तरह से इस फिल्म बनाया गया है उसमे परिवार , अपने सपने और नौकरी आदि की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया गया है इसलिए फिल्म को जरूर देखने जाइए और अपने सपनों को पूरा करने इच्छा को कभी मरने मत दीजिए

कोशिश कामयाब होती है

पिछले काफी से सालो से मै कोशिश कर रहा हू लेकिन मेरी सभी कोशिश नाकाम हो रही थी क्या इस बार भी मेरी कोशिश नाकाम होगी या साकाम ?

मेरी जिंदगी में काफी उथल पुथल हो रही थी जो मुझे खुद ही नहीं समझ आ रही थी कि ये सब मुझे किस और के जाएगी ? क्या यह सारी घटनाएं मुझे मेरी मंजिल की ओर इशारा कर रही थी ? या फिर कोई और रास्ता दिखा रही थी?

इस साल यह जिंदगी का सबसे अहम साल होने वाला है जिसमे बताना कुछ ना चाहूं बस सबकुछ कर देना मै चाहता हू जो अभी तक सोचा था मैने जिस जिंदगी की दौड़ का हिस्सा होना चाहता हू बस अब वहीं रुख और तेज़ी से करना चाहता हू मै खुद को विपरित दिशा में ले जा रहा था लेकिन अब मै फिर से उसी और मुख कर रहा हू,
बाहर से विमुख होकर भीतर की और अब मै बढ़ रहा हू।

बहुत रुकावटें आई बहुत लोगो ने रोकना चाहा कुछ ना कुछ होता ही गया और बहुत सारी चीजों में मै उलझ भी गया खुद पर काबू ना कर पाया और बेकाबू हो गया,
जिसकी वजह से मेरा सालो का सपना कहीं गुम हो गया और मै अपनी जिंदगी में बहुत पीछे छूट गयाना चाहकर पर भी अपनी मंजिल से भटक गया।

अब उस मंजिल की ओर फिर से निकलने का वक़्त आ गया है। अब उन रुकावटों पर वो परेशानियां क्या फिर से आएगी,
और यदि आएगी भी तो क्या मै उन परेशानियों की वजह से फिर रुक जाऊंगा ?

खुद को मजबूत करना है खुद से वादा था मेरा जो मुझे पूरा करना है। क्या वो वादा झूठा हो जाएगा या मै अपनी मंजिल की ओर निकल चलूंगा ? क्या अपना सपना पूरा कर सकूंगा ?

सवाल बहुत सारे है इस मस्तिष्क में कहीं मै फिर से कमजोर तो नहीं पड़ जाऊंगा ? फिर कहीं मै अपनी मंजिल को भूल तो नहीं जाऊंगा ? फिर कहीं रास्ता तो नहीं भटक जाऊंगा ?

मुझे मजबूत करने के लिए जीवन में कई ऐसे लोग आए जिन्होंने मेरे जीवन की सोच को सम्पूर्ण तरह से बदल दिया उनका मै हमेशा से शुक्रगुजार हूं मेरी आगे की यात्रा अब उन्हीं की वजह से तय होगी जिन्होंने मुझे झंझोड दिया है पूरी तरह से

मेरा दिमाग और दिल अब अपनी मंजिल की ओर सिर्फ पिछले बीते समय के कारण ही होगा उसी जीवन के कारण मेरे आगे के जीवन को दिशा मिल रही है।




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तानहा जी

पिछले हफ्ते दो बड़ी फिल्में रिलीज हुई तानहा जी और छपाक
जिसमे ऐसा हुआ कि तानहा जी तन्हा तन्हा कहते हुए ऊपर निकल गई और छपाक़ धपाक से नीचे गिर गई
छपाक और तान्हा जी दोनों ही फिल्में सिर्फ एक बार देखने लायक है जितना इन दोनों फिल्मों का हंगामा मचाया जा रहा था दोनों इतनी गजब की नहीं है जितना लोगो ने फिल्म को देखने और ना देखने पर शोर मचा रखा था लेकिन दोनों फिल्म देखने के बाद यह निष्कर्ष निकला की यह दोनों फिल्में साल की सुपरहिट फिल्मों में से कोई एक नहीं है।

जहां Tanha Ji को 3.5 की रेटिंग देनी चाहिए थी वहां लोगो ने बहुत ज्यादा ही कर रखी है और छपाक को 2.5 रेटिंग मिलनी चाहिए थी वहां उसे भी लोगो ने जबरदस्ती में ऊपर उठा रखा है।
वैसे लोगो के मन की बात भी के दू मै लोग दोनों ही फिल्म देखना चाहते थे लेकिन इतना सबकुछ उल्टा सबकुछ सोशल मीडिया पर फैला कर सब रायता कर दिया जिसकी वजह से Tanha Ji को फायदा हो ओर छपाक धपक से नीचे गिर गई।

तानहा जी फिल्म में दो बड़े सुपरस्टार थे जिनकी एक्टिंग की वजह से यह फिल्म हिट हो गई वरना फिल्म में कोई खास दम नहीं था काजोल का फिल्म नाम ही था लेकिन एक्टिंग के नाम पर कुछ नहीं दिखाया गया वहीं दूसरी और दीपिका पादुकोण की एक्टिंग बहुत बेहतरीन है फिल्म में कहीं कही पर वो निराश कर देती है कुछ सीन में वो इमोशन नहीं झलकते लेकिन उनको इग्नोर किया जा सकता है ऐसा ही Tanha Ji में भी हुआ की इमोशन पर काम नहीं किया गया।
अगर आप सभी दीपिका पादुकोण के JNU जाने की नाराज़गी से उभर गए तो फिल्म देखकर आ सकते हो और TANHA JI भी देखिए पैसे वसूल है दोनों ही फिल्में
इन झगड़ों दंगे फसाद से कुछ नहीं मिलने वाला गुस्से में घर अपना ही जलता है दूसरे तो आकर हाथ सेकते है हुजूर इसलिए लोगो को हाथ सेकने का मौका ना दे
और मैं दोनों पक्षों को देखता हू , दोनों की बुराई और अच्छाई को सरहना करता हू मेरे लिए सभी समान है
ना मै किसी से नफ़रत करता हू ना ही प्रेम

तानहा जी
तानहा जी

पहाड़ गंज

पहाड़ गंज एरिया की कृष्णा गली घी मंडी चौक की तारे बहुत सारे लोगो के लिए एक ऐसा स्पॉट बना हुआ

जिसे देख कर बहुत सारे लोग स्तब्ध हो जाते है, कभी सिर झुक कर चलते है तो कभी ऐसे देखते है, जैसे उन्होंने पहले कभी तारे देखि ही नहीं।

इन बिजली, केबल , वाईफाई, टेलीफोन की तारों देखने के बाद लोगो के पास शब्द नही होते और उन तारो को देखकर फ़ोटो खिंचने लग जाते है।

जब विदेशी पर्यटक इस गली से गुजरते है तो वह इन तारो की फोटोज लेते है, और इनकी ड्राइंग भी बनाते है, आज से थोड़े टाइम पहले मेरी मुलाकात साशा बेजुरोव से हुई थी जो बहुत ही मशहूर फोटोग्राफर है उन्होंने भी इन तारो की बहुत सारी फोटोज ली एवं चित्र भी बनाया था।

कहने का तात्पर्य यह है, कि यह तारे सभी को अचंभित करती है क्युकी यह बहुत नीचे है, तथा आने जाने वालो को परेशानी भी होती है यह पूरी तरह से एक झुंड बनाए हुए है।

इनको यह नीचे लटकी हुई तारे बड़ी अदभुत सी लगती है, मानो उन्होंने ऐसे तारो को नीचे की और कभी देखा ना हो, यह नजारा कभी देखा ही ना हो इसलिए यह तारे उन्हें आकर्षित करती है, परंतु यह तारे खतरनाक तारे है, यदि किसी दिन कोई हादसा हो गया तो कौन कैसे बच पायेगा एक तो पहाड़ गंज की गालियां इतनी संकरी और उसके बाद यह नीचे लटकी हुए तारे जिनका कोई समाधान नही मिल रहा है।

क्या इनका कोई समाधान है ? क्या सरकार इन लटकी हुई तारो के बारे में कुछ सोच रही है , यह तारे सिर्फ पहाड़ गंज में ही नही है। दिल्ली की काफी जगह ऐसी जहाँ इस प्रकार से तारे लटकी हुई है , नई सड़क, चावड़ी बाजार , चांदनी चौक आदि जगहों पर भी इसी तरह से तारे नीचे की और लटकी हुई है, तथा इससे भी बदतर हालात में है, और इनका कोई समाधान होता हुआ नही दिख रहा है।

दिल्ली की काफी जगह ऐसी जहाँ इस प्रकार से तारे लटकी हुई है , नई सड़क, चावड़ी बाजार , चांदनी चौक, आदि जगहों पर भी इसी तरह से तारे नीचे की और लटकी हुई है, तथा इससे भी बदतर हालात में है, और इनका कोई समाधान होता हुआ नही दिख रहा है।

महिला हाट

अब महिला हाट में संडे बुक बाजार लगने लगा है जिसका कोई भी समर्थन नहीं कर रहा था लेकिन कुछ लोगों की साजिश ओर कुछ लोगों की मजबूरई जो यह सब करना पड़ रहा है, किताब का छोटा शहर वीरान करने की एक साजिश चल रही है जो पूरी तरह से कामयाब होती दिख रही है। लगता है MCD अपने गलत बयान और पुलिस की सहायता से दरियागंज संडे बुक बाजार के लोगो को वहाँ से हटा देगी। पिछले 3 दिन से लगातार में अखबारों मैं पढ़ रहा हूं कि “संडे बुक बाजार के लोगो को मिला नया ठिकाना” अब मेरा प्रश्न यह है कि कितने लोग राज़ी हुए जरा हमे ये तो बताना
क्या आप जबरदस्ती अपना कुशासन चलाना चाहते हो ?
ये हमे बताना

हम तो वहाँ नही बैठना चाहते फिर काहे तुम चाहते हो जबरदस्ती हमे वहाँ बैठाना ? जरा हमको यह आप समझाना15rs लगते थे अब उसके 200rs आप ले लोगे हमसे
2 घंटे किताबों को लगाने में लगेंगे और 2 घंटे किताबों हटाने में लगेंगे।
एक समय पर 276 लोग जब हर हफ्ते वहाँ जाएंगे तो चक्का जाम हो जाएगा घण्टो का समय तो हमारा यू ही बर्बाद हो जाएगा। क्या तब ट्रैफिक जाम नजर नही आएगा ?क्या रिक्सा , ठेला पूरा महिला हाट में घूम पायेगा ?

कुछ किताबे लगाने से क्या वो अच्छा काम कर पायेगा ?जितने का माल बिकेगा उतना तो मेरा खर्चा हो जाएगा फिर घर पर क्या ठेंगा लाएगा।संडे बुक बाजार का नाम महिला हाट के नाम के नीचे दब जाएगा।मेरा तो अस्तित्व ही खो जाएगाहमारी मदद के लिए क्या कोई आगे आएगा ?
क्या आप हमारा साथ दोगे ?इस संडे को हमारे साथ आकर

आप सभी से एक बिनती है की इस “संडे बुक बाजार” दिल्ली गेट मेट्रो गेट नंबर 3 पर आप सभी हमारे मिलकर जुड़े और हमारा साथ दे संडे बुक बाजार को बचाने के लिए, क्युकी हम महिला हाट का बहिष्कार करते है।

मेरे भीतर ही कही

मेरे भीतर ही कही छिपे हो तुम , मैं तुम्हे टटोलता हूं दिल के हर एक कोने में लेकिन तुम दिखती नही हो , मेरी भूली हुई यादों में तुम छिपी हुई हो कही मेरे ख्वाबों की डोर पकड़ बाहर आती हो तुम, सिर्फ तुम

जब भी कोशिश करता हूं तुमसे दूर जाने की तुम बहुत करीब नजर आती हो लेकिन कहाँ हो ये नही पता चलता , तुम मेरी नजरो के सामने नही हो।

बस हर एक मुक्कमल कोशिश है तुम्हे पाने की ओर दूसरी ओर भूल जाने की जो हो सकेगा वो कर बैठूंगा।

मेरे भीतर ही कही छिपे हो तुम

मंजिल की तलाश

ना मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का बस चल रहा हूँ, कुछ खास नही बस हर लम्हे में इस तरह से जीने की आदत हो गयी है जैसे अब समय कही नही है। बस चलते ही जा रहे है ना कोई बंधन है ना कोई रोक टोक , ना कोई सीमा है बस निकला हूँ मंजिल की तलाश में

मंजिल की तलाश
मंजिल की तलाश

जीवन तो स्वत् चल रहा है आप चलो या फिर ना चलो यह गतिमान की अवस्था में है आप किसी दौड़ का हिस्सा नही होना चाहते फिर भी जीवन आपको बहा कर ले जा रहा है अपने साथ, क्योंकि आपका खुद पर कोई नियंत्रण नही है
समय और परिस्थितिया आपको नियंत्रित कर रही है।

यदि आप भीतर से खुद के साथ प्रवाहित है खुद के लिए तो बस फिर जीवन आपको आपके अनुसार ही आपको लेकर जाएगा फिर आप उस दौड़ में नही होंगे जिसमे पूरी दुनिया भाग रही है और सिर्फ भागना चाहती है परंतु किसी से पूछे तो कोई नही बताता क्यों भाग रहा है भाई ?

उनको “ना अपनी मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का” की उनको जाना कहाँ है? और वे जानने की कोशिश भी नही करते की हम कहाँ जा रहे है क्यों जा रहे है ? बस समय और परिस्थितितयो के साथ बहते जाते है।

लेकिन बस वो पागलो की भागता ही रहा है, क्यों बाकी के लोग भी उसी तरह से भाग रहे है जीवन आपके अनुसार चले आप जीवन के अनुसार ना चले समय तो गतिमान है, उसे चलने दे जैसे वो चल रहा है आप अपनी चाल को नियंत्रित रखे और सजग रहे जितने सजग आप होंगे उतना ही नियंत्रित आपका जीवन भी होगा जिसकी डोर आपके हाथ में होगी।

जब आप हाइवे पर गाड़ी चला रहे होते हो तब आपको लगता है कि गाड़िया कितनी तेज़ चल रही है उसी वक़्त आपको भी लगता है की गाड़ी उतनी ही तेज़ी से चलाई जाए और आगे निकल जाए वरना कोई पीछे से टक्कर ना मार जाए और यदि आप साइड में चल रहे तो कोई आपको परेशान नही करता लेकिन एक आनन्दित सा लगता है बहुत धीमी रफ्तार लोग निकल रहे है आगे, फिर भी एक अलग मजा होता है उस एक तरफ चलाने का और लोगो को देखने का की बस लोग निकल रहे है। और हम अपनी मस्ती में बस चलते ही जा रहे है।

लोगो को निकालने दो वो उनका सफर है, आपका सफर है साइड में आराम से देखकर चलना मतलब सजग रहना जीवन के प्रति वही सम्पूर्ण आनंद है हर एक पल को आनन्दित होकर जीना यही लक्ष्य है हमारा , आन्नद सम्पूर्ण आनंद लेना जीवन को पूर्णतया से जीना।

बस जीवन एक लहर की तरह बह रहा है जिसका छोर खुद ब खुद अंत पा लेंगा , ना कुछ पाने की तम्मना है और ना ही कुछ खोने का डर बस जीवन हो चुका है एक मधुर सफर, मंजिल की तलाश पूरी होगी।

मंत्रों का प्रभाव

क्या मंत्रों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है?

हाँ मंत्रो का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है मंत्र बहुत ही प्रभावी होते है तथा हमारे जीवन को एक नई दिशा और दशा भी मन्त्र देते है मंत्रो में अद्भुत शक्ति होती है।

जब साधारण से शब्द हमारे जीवन को इतना प्रभावित करते है तो सोचिये की मंत्रो की शक्ति तो अतुल्य होगी लेकिन मैं आपसे अनुभव की बात कहता हूँ, की मंत्रों का हमारे जीवन बहुत प्रभाव पड़ता है , मन्त्र हमे शुद्ध करते है, मन्त्र हमे शक्ति प्रदान करते है,मन्त्रो से हमारे जीवन में शांति आती है, हमारे सोचने और समझने की क्षमता बढ़ जाती है,मन्त्र हमारे शरीर में नई ऊर्जा देते है ॐ मंत्र ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना का कारण है, दिव्य ॐ से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ है।

यह शब्द जिस प्रकार से आकाश का विकार होता है। जब आप शब्द का उच्चारण करते है तो उन्ह शब्दों का प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर पड़ता है आप पूछेंगे कैसे ?  शब्द तो बहुत मामूली सी बात है, यह तो हम रोज बोलते लेकिन कुछ नहीं होता इन्ह शब्दों से तो ,परंतु शब्द बहुत शक्तिशाली होते है आप इस तरह से इन्हें जाने।

शब्द = अर्थ
शब्द = निरर्थक
शब्द = एहसास और भावना
यही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का ज्ञान है, इसके विपरीत कुछ भी नहीं है, जैसे शब्दों को अर्थ मिलते है वह शब्द एक रूप ले लेने की प्रकिर्या शुरू कर देता है तथा जब उन्ही शब्दों में एहसास और भावना आने लगती है वह साकार रूप में परिवर्तित होना शुरू कर देती है।

यही वो प्रकिर्या है जब शब्द आगे बढ़ कर शब्दातीत होता है और शब्दातीत से मन्त्र होना शुरू करता है हमारे जो स्वच्छ शब्द है वही मन्त्र बनते है।

एक छोटा सा शब्द हमारे जीवन अस्त व्यस्त कर देता है और एक छोटा ही शब्द हमारे जीवन को नई दिशा भी दे देता है शब्द हमारे शरीर पर नकरात्मक और सकरात्मक प्रभाव डालते है परंतु मंत्र तो हमे सिर्फ सकरात्मक ऊर्जा ही प्रदान करते है तथा शुद्धता प्रदान करते है।

आओ हम एक प्रयोग करे इस 2023 को उत्सव में बदले और एक नया रूप दे हमारे जीवन में उन्नति हो हमारे आध्यत्मिक जीवन के लिए हम अपने जीवन के अर्थो को जान पाये इसलिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को ॐ मन्त्र के उच्चारण से गूंजा दे और ब्रह्माण्ड को एक नया प्रकाश दे इस शताब्दी का सबसे बड़ा पर्व माने।

हमे शब्द से निशब्द होने तक का सफ़र पूरा करना है इसलिए हमे यह जानना जरुरी है की हम शब्द क्यों है? कौनसे शब्द है ? इन्ह सभी प्रश्नो के उत्तर हमारे इन्ह मंत्रो में ही छिपे हुए है यही हमे जानना है

अक्षर परब्रह्म ॐ ही इस ब्रह्माण्ड का जनक बीज मंत्र है, प्रथम अक्षर है ॐ से ही पूरे ब्रह्माण्ड की संरचना हुई है, आओ हम सभी 2023 को उत्सव और आनंद विभोर करदे इस दिव्य प्रह्मब्रह्म अक्षर ॐ से, ॐ ही बीज मंत्र है हम सभी ॐ मंत्र का उच्चारण कही से भी कर सकते है , जहाँ आप हो उस समय वही पर इस दिव्य ॐ का उच्चारण शुरू करे चाहे, आप घर हो या बाहर सिर्फ ॐ मंत्र का जप शुरू करे, आपके जीवन में सुख,शांति,समृद्धि और नई चेतना का विकास होगा, आपका जीवन नए नए अनुभवो को प्राप्त होगा।

आप अपने जीवन के स्तर को ऊपर उठाना चाहते हो तो अपने भीतर अच्छे शब्दों का संकलन करे अपने जीवन को उच्च करे स्वच्छ शब्दों से ,अपने शब्दों को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाये तथा इस ब्रह्माण्ड को और प्रकाशमान होने में सहायक तत्व बने

तुम हमे याद कब

वो हमे याद ही नही करते शायद, वो हमसे नही खुद से बेमानी करते है। तुम हमे याद कब करोगे, ये सवाल दिल में उठता है,
क्योंकि अक्सर तुम्हारी यादों को हम दिल से जड़ देते हैं।

तुम्हारी यादों की वो खुशबू, जो फैली हुई है दिल में,
हर आहट के साथ हमारे साथ हमेशा रहती है जैसे रेत के सफ़ेद फ़न्दे।

तुम हमें याद कब करोगे, ये हमेशा के लिए नहीं होगा,
बस एक दिन के लिए हम आपकी यादों में खोये रहेंगे।

जब हम तन्हा होकर आपकी यादों को बुलाते हैं,
तो वो यादें हमें फिर से आपके पास ले जाती हैं।

तुम हमें याद कब करोगे, ये हमेशा एक रहस्य बना रहेगा,
पर तुम्हारी यादों के साथ हम हमेशा जीते रहेंगे।

तुम्हारी अभी भी आवाज़, तुम्हारी अभी भी मुस्कान,
ये सब हमें तुम्हारी याद दिलाती हैं, जो बस हमारी होगी हमेशा।

हमे तुम याद कब करोगे, ये सवाल दिल में उठता है,
पर तुम्हारी यादों को हम दिल से जड़ देते हैं, जो हमेशा रहेगी साथ।

वर्ल्ड कप 2019

वर्ल्ड कप फाइनल 2019 का आख़िरी मैच जिसको सभी देश रहे थे क्युकी इस बार इतिहास के पन्नो पर एक नया नाम आना था जो अब से पहले कभी नही हुआ पहले भी ऐसा हुआ है, कि जो एक ऐसी टीम जो वर्ल्ड कप कभी नही जीत पायी परंतु फाइनल तक पहुँची है, लेकिन इस बार बात और अलग हो गयी इस बार आमने सामने दोनो ही ऐसी टीम जो आज तक कभी भी फाइनल नही जीती जिनहोने कभी वर्ल्ड कप नही उठाया था।

इसलिए इस बार लोगो मे ज्यादा उत्साह था, और हुआ भी कुछ इस बार के वर्ल्ड कप फाइनल मैच में कुछ तरह से की लोग भूल नहीं पाएंगे।

क्रिकेट अनिश्चित घटनाओं का खेल है कब क्या होगा? यह किसी को नही पता इस खेल में

इस बार वर्ल्ड कप प्रतियोगिता राउंड रोबिन जिसमे सभी टीमें एक दूसरे के साथ खेलती है इस बार प्रतियोगिता में 10 टीम थी।

यह 2019 का 48वा मैच था ओर आखिरी मैच था।

वर्ल्ड कप फाइनल का मैच बिल्कुल ऐसा की आप नाखून चबाने लग जाए यह मैच बहुत कमजोर दिल वालो के लिए बिल्कुल नही था।

इस बार फाइनल में दो ऐसी टीम पहुँची जो कभी वर्ल्ड कप नही जीती थी अब दो में से एक ऐसी टीम को वर्ल्ड कप की ट्रॉफी मिलनी थी जो पहले कभी नही जीती थी एक नया विश्वविजेता इस दुनिया को मिलना था।

इंगलेंड और न्यूजीलैंड इन दोनो टीमो ने इस मैच को जितने के लिए सबकुछ कर डाला , किसी भी समय ऐसा प्रतीत नही हुआ की मैच एक तरफ का है, पूरी तरह से कांटे की टक्कर थी और लगातार खेल में रोमांच बना हुआ था।

मैच के आखिरी ओवर में एक ओर ऐसा ट्विस्ट हुआ जो इंग्लैंड के लिए जीत में बदल गया, मार्टिन गुप्टिल ने थ्रो कर विकेट की और मारा तो बेन्स्टॉक के बल्ले से लगा जो बाउंडरी के पर हो गया। जिस वजह से इंग्लैंड को 2 रन भागने पर ओर 4 रन ओवरर्थ्रो के मील टोटल 6 रन जो इंग्लैंड को जीत के ओर करीब ले गए, अगर क्रिकेट की रूल बुक में यह 5 रन होने चाहिए थे।

मैच आखिरी बॉल तक किसी के पाले मैं नही रहा और मैच टाई हुआ पहले खेलकर न्यूजीलैंड की टीम ने 241रन बनाये और इंग्लैंड ने भी 241 रन बनाये इस वजह से मैच टाई हुआ और अब सुपर ओवर होना था।

फिर दुबारा सुपर ओवर के द्वारा मैच का निर्णय होना था, जिसमे पहले इंग्लैंड खेली ओर 6 बॉल पर इंग्लैंड ने 15 रन बनाये और दूसरी 6 बॉल न्यूजीलैंड ने खेली ओर न्यूजीलैंड ने 6 बॉल पर 15 रन बनाये इस वजह से सुपर ओवर भी टाई हुआ।

अब मैच का फैसला उस आधार पर होना था, जिस टीम ने अपनी एक इनिंग में सबसे ज्यादा चौके मारे थे, और इसमें इंग्लैंड की टीम ने सबसे ज्यादा चौके मारे जो 24 थे और न्यूजीलैंड ने 16 चौके मारे तो इस लिहाज से न्यूजीलैंड की टीम हार गयी 8 चौके कम होने पर न्यूजीलैंड की हारी और इंग्लैंड की टीम विश्वविजेता बन गयी।

ऐसा पहली बार हुआ है की इंग्लैंड की टीम वर्ल्ड कप जीती।

इससे पहले ज्यादातर वर्ल्ड कप के फाइनल मैच एक तरफा मैच रहे, जैसे की पिछले वर्ल्ड कप में भी हमने देखा न्यूजीलैंड की टीम फाइनल में थी, परंतु ऑस्ट्रलिया ने आसानी से वो मैच जीत लिया था।

वर्ल्ड कप का फाइनल मैच सबसे यादगार मैच बना क्रिकेट के इतिहास में यह और भी यादगार हो सकता था, यदि वर्ल्ड कप की ट्रॉफी का विजेता इन दोनो टीमो को बना दिया जाता क्योंकि देखा जाए तो कोई भी टीम नही हारी। फैसला हुआ बाउंड्रीज के आधार पर जिसकी सबसे बाउंड्रीज वो टीम विजेता।

वो अंत में इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया, इस फैसले से बहुत सारे क्रिकेट के समर्थक नाराज हुए और बॉलीवुड सिनेमा के बड़े बड़े कलाकार ने भी इस फैसले का विरोध किया।

समर्थक व फिल्मी सितारे भी नाराज                  Amitabh bachchan T 3227 – आपके पास 2000 रूपये, मेरे पास भी 2000 रुपये,
आपके पास 2000 का एक नोट, मेरे पास 500 के 4 …
कौन ज्यादा अमीर??? ICC – जिसके पास 500 के 4 नोट वो ज्यादा रईस..
#Iccrules????
प्रणाम गुरुदेव
Ef~NS