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समय का दान

आज एक शब्द से दोस्ती हुई सुनाई दिया वो अनायास ही था शब्द सुना तो था वक्त दान मै उसे समय का दान में परिवर्तित करके आपके समक्ष रख रहा हूँ आशा हे आपको अच्छा लगेगा इस प्रकार हे

आज 2023 में एक दान को बढ़ा
दीजिए वो हे परस्पर एक दूसरे
के लिए समय दान….
सब अकेले अकेले एक दूसरे के
लिए देना समयदान ही
जीवन का महाकल्याण ।

जो होता है वो अच्छा

जो होता है वो सबसे अच्छा…..
क्यूँकि कुदरत प्रकृति की इच्छा ।
इस विचार के दूरगामी परिणाम सुखद …
समर्पण इस विचार को जी के इसकी हद ॥

जो होता है सबसे अच्छा होता है
anmol shabd

जो होता हे वो ही सच्चाई….
न ढूँढे उसमें कुछ बुराई ।
जो हो रहा हे सही …..
जमा लो जीवन की दही ॥

शरीर ओर पानी

शरीर ओर पानी सम्बंध ओर शरीर सदा रहे बहते ओर उन्हें सदा रखे चलाते…..
क्यूँ क्यूँकि नियम पानी स्वास्थ्य सम्बंध जब
बहते पारदर्शी स्वच्छ वो दिख पाते ।

पानी चलता बहता अच्छा….
कर्म करना हे उसकी शिक्षा ।
शरीर चलता तो वो स्वस्थ…
कुछ करते रहे सही , रहना व्यस्त ।
रिश्ते में भी होता रहे आदान प्रदान….
रिश्तों को तभी मिलता उचित सम्मान ॥

जीवन सुख दुख मेला

जीवन सुख दुख मेला
न मालूम कब मृत्यु अपने पाश
में लेकर कहाँ उस हँसते रोते
जीवन को उसने धकेला ॥

मृत्यु एक अटल कड़वा सत्य…..
व्यक्ति के लिए हम क्या क्या
कर सकते , सबसे क़ीमती प्रार्थना कि
मृत्यु के बाद यात्रा का सही हो पथ्य ।

प्रार्थना मनुष्यों की संवेदना…..
प्रभु की हम सब अनुपम संरचना ।
इस धरती पर जो आते वो जाते हे …
लेकिन न मालूम कहाँ गुम हो जाते हे ।

दयालुपन जीवन

दयालुपन जीवन को दे हवा उसका क्षेत्र करे अधिक से अधिक विस्तृत….
तभी जीवन भी होगा सुगंधित सम्पूर्ण पूर्ण होगा जीवन वृत ।

दयालुता हृदय का वो व्यवहार व्यापार…..
ख़रीद लेते दिल जिसकी क़ीमत बेशुमार ।

दे सबको दयालुता की शिक्षा ओर समझ …..
सफल जीवन , सदा ऊँचा रहेगा ख़ुशी ध्वज ।

इस भाव की आज से ही शुरुआत कीजिए ….
जीवन एक उल्लास खूब खूब मज़े लीजिए ॥

व्यक्ति का व्यवहार

व्यक्ति का व्यवहार कैसा हो, व्यक्ति की मृत्यु से
उसका साथ छूटता….,
अब याद करते उनकी
अच्छाई हृदय व्यथित दुखता ।

अच्छे स्वभाव व्यवहार
की रहती सुखद याद ….,
प्रश्न व्यक्ति न जाने कहाँ
चला जाता जीवन का
बिगाड़ के स्वाद ॥

व्यक्ति की मृत्यु से उसका साथ छूटता,
आँखों में आंसू और दिल में दर्द भरता।
जीवन के नगमे और गीत बंद हो जाते हैं,
जब याद करते हैं हम उनकी मीठी मुस्कान को सदा।

उनकी यादों के साथ हम चलते हैं आगे,
हमेशा उनके साथ रहते हैं दिल के पास।
उनकी बातों को सुनते हैं विचारों की तरह,
उनकी सीखों को अपनाते हैं जीवन के हर पल में बस।

व्यक्ति की मृत्यु से उसका जीवन विचलित हो जाता है,
पर यादें उसकी अमर होती हैं, जीवनदायी साथी।
उनकी कही हुई बातों को सदा याद रखते हैं,
उनकी मुस्कान और हंसी को दिल में सदैव बसाते हैं।

यादें उनकी जीवन की दीप्ति बनकर जलती हैं,
हमेशा हमें उनकी दिशा दिखलाती हैं।
उनकी मौजूदगी हमारे जीवन को समृद्ध करती है,
व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी, हमेशा हमारे पास बसती हैं।

याद करते हैं हम उनकी प्रेम और स्नेह को,
जो हमें सदैव आत्मविश्वास देते हैं।
व्यक्ति की मृत्यु से उसका साथ छूटता है,
पर उसकी यादें हमेशा हमारे दिल में बसती हैं, क्युकी व्यक्ति का व्यवहार कभी भुलाया नहीं जा सकता।

क्यों के बादल जब

जब क्यों के बादल छटते …
केसे से आसानी से निपटते ।

क्यों एक प्रश्नचिन्ह …
उत्तर उसकी ज़मीन ।

जीवन उलझा उलझा….
उसको स्वीकारना ही विधा ।

या तो लगे रहो मुन्ना भाई…
एक से निपटो दूसरे की बारी आई ।

जीवन क्यों से केसे का सफ़र….
अच्छे से निबटेगा तो जाएगा सुधर ॥

प्रार्थना सब का जीवन हो खुशहाल….
छोटी छोटी ख़ुशियों को रखना सम्भाल ॥

क्यों के बादल छटते,
और आसमान धूमिल हो जाते,
उम्मीदों की किरणें ढलती,
मन में आशा की भावना जगती।

जीवन की धारा प्रवाहित हो जाती,
संघर्षों से राह हलकी पड़ जाती,
अनुभवों की पटरी पलट जाती,
खुशियों की बौछार बरसाती।

जब क्यों के बादल छटते,
मन की चिंताएं जटिल हो जातीं,
मन्दिरों में आंधी चलती,
प्रेम की दीप्ति बुझ जाती।

धूप की खिलकारी गायब हो जाती,
अंधकार की घटाएं छाया दे जाती,
क्यों के बादल आच्छादित होते,
विश्वास की बूंदें बरसाते।

प्रश्नों की घनी घटा तन लेती,
समय की गति धीमी हो जाती,
जीवन की नाई धारा बहाती,
सामर्थ्य के बाग खिलाती।

जब क्यों के बादल छटते,
मन की बिछुड़ाने चलते,
सौभाग्य की बूंदें निर्माते,
विपत्ति की लहरें टालते।

आओ छोड़ दें मन के पार्श्ववर्ती,
क्यों के बादल के आधार पर,
संकटों को हम मिटा देंगे,
प्रशांति के बारिश कर देंगे।

अपनी आंखों में नया आकार देंगे,
विद्या की बूंदें बरसा देंगे,
ज्ञान के बादल छा जाएंगे,
जगत को नई दिशा देंगे।

क्यों के बादल छटते ही हैं,
आशा के बगीचे खिल जाते हैं,
अंधकार से ज्ञान का आलोक फैलाते हैं,
जीवन की रोशनी को बढ़ाते हैं।

मनुष्य होना मेरा भाग्य

मनुष्य होना मेरा भाग्य..
आपसे जुड़ना मेरा सौभाग्य ।
आप से कुछ में सीखूँ…
स्वयं को सही से सींचूँ ।

वो जीत नही वो हे हार!!!!!
जिसमें नीचा दिखाने की दरकार ।
दिल किसी का जीतना बड़ी बात !!!!
जी लो जीवन के ये सच्चे जज़्बात ॥

भाग्य ने धर्म निभाया ,जन्म हुआ मनुष्य का।
मनुष्य धर्म धारण करे बल मिले आत्मा का ।
आत्मा विस्तारित तो सब काम परमात्मा का॥
ये विचार प्रमाण शुभ मानसिक सोच का ।

सूर्य सुबह जगता…
धरती का विघनहर्ता ।
सब ओर जीवन संवरता..,
सूर्य सुबह जब जग़ता ॥

जीवन शिक्षा

अनावृत जीवन शिक्षा न रुके सदा नया कुछ न कुछ रहे सीखते ….
जीवन निरंतर शिक्षा देता बिना शुल्क के ।
सदा सीखने जब होगी आदत में शुमार….
जीवन का हृदय से आपके प्रति आभार ॥

जीवन आपको सौंपने आया अपना सर्वोत्तम ..
भरपूर ख़ज़ाना उसका कभी नहीं होता कम ।
वादा करे सदा जीवित रहे सीखने का जनून..
ख़रीदी हम पे आधारित की थोक या परचून॥

जीवन सदा देने के लिए बना हे ये मॉडल ऐसे तैयार हे इसका निर्माता हे जो कोई क्लेम नहीं करता लेकिन हे सब चीज़ें एक दूसरे को सपोर्ट करती हे सहायक हे जीवन को आगे सही से चलाने में वो एक अंग का काम करती हे अब ये व्यक्ति विशेष पे आधारित हे वो इस जीवन से क्या क्या ले सकता हे ओर क्या क्या लौटा सकता हे ।
मुझे लगता हे जीवन सही से चलाने के लिए इसको इस्तेमाल करके इसकी भरपाई भी करे ताकि ये प्रक्रिया चली आ रही हे उसमें अवरोध न उत्पन्न हो आप ने लिया ओर थोड़ा भी लौटाया ये जीवन उसे बढ़ा देता हे ये इसकी ख़ासियत हे ये सर्जनक़ारी व्यवस्था हे जो देने के लिए बना हे ।
ज़मीन खोदो ख़ज़ाने निकल रहे हे हीरे भाँति भाँति के खनिज पदार्थ सोना ओर चाँदी क़ीमती धातुएँ गैस अकूत सम्पदा से सम्पन्न हे ये धरा ।
वातावरण किसने इसकी रूपरेखा रखी होगी ये जंगल ,पहाड़, गुफाये ,नादिया , समुन्दर फल फूल वनस्पति पेड़ ये जानवर पक्षी नहीं बखान कर सकते एक करोड़ चीज़ें वो जान लेंगे तो एक करोड़ फिर अनजान रह जाएँगे ये सब हमें विरासत में मिला कोई गहरी विशाल अथाह अबूझ शक्ति हे जो यहाँ जीवन को पनपाना चाहती हे ओर हम उस शक्ति के बहुत ही निकट हे नहीं समझे तो दूर भी बहुत हे ओर मज़े की बात पहचाने तो वो बहुत निकट हे ओर नकारे तो कुछ भी नहीं हे क्या ग़ज़ब का ये खेल हे न ? ये मेरा प्र्श्न हे मुझे लगता हे ये एक खेल हे आपका क्या कहना हे ।
मुद्दा ये हे कि इस जीवन से सीख ले इसके डिज़ाइन इसकी संरचना से सीख ले तो काफ़ी सारे मेरे हिसाब से सब उठे प्रश्नो के उत्तर इसी में छुपे हे ।
अब का तो मुझे पता नहीं पहले अंग्रेज़ी के पेपर में एक दो प्रश्न इस प्रकार के होते थे जिसमें एक कहानी लिखी संवाद लिखे अब प्रश्न उसी घटनाक्रम पर आधारित 4-5 प्रश्न पूछ लिए जाते थे जिनका जवाब उसी संवाद कहानी मेन छुपा होता था कहने का मतलब ये हे की उसी प्रकार हमें भी जीवन रूपी paragraph मिला हे प्रश्नो के उत्तर इसी में निहित हे बस सही से इस मिले जीवन की कहानी को पढ़ना हे ।
सब उत्तम हुआ हे आगे भी उससे कम नहीं होगा अति उत्तम होगा .
सब का मंगल हो सभी का कल्याण हो ।
सर्वतः दा भला । जय हो सबकी विजय

यह भी पढे: शिक्षा का संस्कार, शिक्षा देके बीता था, शिक्षा ही जीवन,

दशमेश गुरु जी

आज का विषय बहुत ही सुंदर
दशमेश गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिवस के विषय में

उनका आकाशीय कथन से शुरुआत करेंगे
जो हे
चिड़ियों को में बाज से लड़ाऊ , गीदड़ों को में शेर बनाऊ !
सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊ !!
दशमेश गुरु जी जिन्होंने खालसा की नीव रखी सिक्खों को सिखी को जोड़ा ओर एक जीवन की अमिट निष्कलंक विधि दी अमृत पान करवा के पाँच प्यारे दिए ओर पाँच कक्के दिए जो थे कंघा ,केश, कढ़ा ,कच्छेरा ओर कृपाण
आप जी का जन्म पटना साहिब में हुआ था आपने मुग़लों से 14 बार युद्ध हुआ ओर ओर आपकी सदा जीत हुई ।

आपजी हृदय से कवि ओर मस्तिष्क से एक अपराजित योद्धा थे ओर परम ज्ञानी कई भाषाओं के जानकार जिसने संस्कृत ,गुरमुखी अरबी , फ़ारसी ओर न जाने ओर कौन कौन सी भाषाओं में वो पारंगत थे ओर 9 वर्ष से भी एक महीना क़रीब कम में वो दसवे गुरु की पदवी मिली।

हम नमन करते हे उनके किए बलिदान के लिए , पूरा परिवार पिता जी श्री तेग़ बहादुर जीं ने शीश को काटा गया गुरुद्वारा श्री शीश गंज उसका बलिदान की गवाह हे उनको खुद 42 वे वर्ष में धोखे से मुग़लों ने सीने में घाव देकर हुई उससे पहले उनके दो पुत्र चमकौर के युद्ध में शहीद हो गए ओर दो पुत्रों को मुग़लों ने ज़िन्दा दिवार में चुनवा दिया।

चमकौर का युद्ध क्या कमाल का था एक तरफ़ 40-43 सिख थे ओर दूसरी तरफ़ 10 लाख की विशाल मुग़ल सेना ओर क़ाबिले तारीफ़ बात ये थी गुरु गोविंद सिंह जी ने जो मेने शुरुआत में उनके वचन को लिखा था कि चिड़ियों से में बाज़ लड़ाऊ , गीदड़ को मैं शेर बनाऊ ! सवा लाख से एक लड़ाऊ तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊ !! को सिद्ध कर दिखाया ये थे महान महान श्री श्री गोविंद सिंह जी ।

मेने अपनी जीवा से उनका नाम लिया हे मेरी लेखनी मेरी जीवा भी शुद्ध हो गई ऐसा प्यारा प्यारा नाम श्री गुरु गोविंद सिंह ।
वाणी नहीं कर सकती उनका बखान ये वाणी की कमी जो कभी पूरी नहीं की जा सकती आज के दिन ऐसी पुण्यात्मा महान विभूति संत श्री गोविंद सिंह जी को क्षत क्षत नमन वंदन ।
जो बोले सो निहाल ससरियाकाल।