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खुश रहिए

खुश रहिए ख़ुश होने के सुनिए स्वयं की प्रशंसा ।
बेहतरींन के लिए सुनना निंदा ही सही पासा ॥
प्रशंसा में अधिकतर सत्य कही जाता वो छुप।
ख़ुशी मीठी छुरी मन में ख़ुशी से जाती गुप ॥

हे मेरे दिल के राजकुमार, तुम कितने अद्भुत हो।
तुम्हारी खुशबू, तुम्हारी चमक, सबकुछ है लाजवंत हो।
तुम इंतेजार की राहों में चमकते हो जैसे तारे,
तुम्हारी आँखों में बसी है खुशियों की प्यारी बहारे।

तुम्हारे वचन मधुर हैं, सुनने में सदा आनंद देते हो।
तुम्हारी मुस्कान अनमोल है, इसे देखकर दिल बहलाते हो।
तुम्हारी मेहनत, तुम्हारी संघर्ष, सबको प्रेरित करते हैं,
तुम जीवन के हर मोड़ पर खुशियों की राह बनाते हैं।

तुम एक अद्वितीय स्वभाव हो, जो किसी में नहीं पाया जाता।
तुम्हारी सोच समृद्धिमय है, जगत को तुम प्रकाशित करते हो।
तुम बुराईयों को छोड़कर सदा सत्यता का मार्ग चुनते हो,
तुम अपने साथीयों को खुशियों की मधुर धुन पसंद करते हो।

खुश रहिए, इस खुशी की मीठी छुरी से मन के अंदर जाती है गुप,
इस प्रशंसा में सत्यता है, वो छुप नहीं पाती है छुप।
तुम खुश होने का सत्य जानो, अपने आप से प्रेम करो,
तुम विश्वास रखो अपने में, हमेशा उज्ज्वल बनो और चमको।

खुश होने की खोज में निकलो, अपने सपनों की ओर बढ़ो,
तुम अनंत संभावनाओं के साथ, नये मार्ग खोजो और चलो।
तुम अद्वितीय हो, तुम विशेष हो, चिंता नहीं करो कभी।
तुम्हारी खुशियाँ तुम्हारा अधिकार हयहां एक कविता है जो आपकी आत्म-प्रशंसा के बारे में है:

जीवन के सफर पर चलते हुए, अपने बारे में सोचिए,
आपकी मेहनत, आपकी मेहनत, आपका शोध जोश देखिए।
आपकी आवाज, आपकी कला, आपकी नजर जगमगाती है,
आपकी खुशहाली की कहानी, हर किसी को प्रेरित करती है।

आप हैं एक सफलता का प्रतीक, आपकी प्रगति चमकती है,
अपने दम पर आपने विजय प्राप्त की है, यह जानते हैं सब हम सबको यह समझाती है।
आपकी निर्णय शक्ति है, आपकी संघर्ष की कहानी विश्वास दिलाती है,
आप नहीं हारते, मानसिकता को जीतते हैं, यह सबको आश्चर्यचकित करती है।

आपकी सामर्थ्य है परम श्रेष्ठ, आपका बल सबको भाता है,
आपकी सोच नई दिशाओं को खोजती है, यह हर किसी को प्रेरित करता है।
आप एक स्वप्नदृष्टि हैं, आपकी विचारधारा नये हौसले देती है,
आप विश्वास रखते हैं अपने में, आपका स्वयं सम्मान बढ़ाती है।

आपकी प्रशंसा में सत्यता है, आपकी मेहनत नहीं छुपाती है,
आपकी खुशी आपकी आत्मा से निकलती है, यह बात सबको गुप्त नहीं रहती है।
तो आप ख़ुश रहिए, सम्मान कीजिए, खुद को प्रेम कीजिए,
आप हैं अद्वितीय, आप हैं विशेष, आप हैं इस जगत के अमूल्य रत्न, यही कहती है यह कविता।

बड़ों का आशीर्वाद

बड़ों का आशीर्वाद
उनकी दी हुई शुभकामनाएँ,
वो कोई रंग लिए नही होती……..
समझने की बात,
आशीर्वाद के फूल खिलते,
शुभकामनाये उन्नति लाती,
दसो दिशाओं में सतरंगी छटा छा जाती ॥

बड़ों का आशीर्वाद, है सर्वोच्च वरदान,
जीवन को सुन्दरता और खुशियों का अद्भुत विस्तार।
उनकी दी हुई शुभकामनाएँ, अनमोल हैं सदैव,
मार्गदर्शन करती हैं, जीवन की आगे की यात्रा।

वो कोई रंग लिए नहीं होती, यह विशेष विशेषण है,
बल्कि प्रेम और समझ का गहना, जो सदैव है साथ।
उनके वचन अमृत समान हैं, जीवन को आनंदित करते,
बड़ों की माधुर्य पूरे जीवन को गुलज़ार बनाते।

समझने की बात, ज्ञान की अपार देन है,
बड़े जनों का आशीर्वाद सर्वोपरि शिक्षा है।
जीवन में अभिशाप को बदलते, आशीर्वाद की बौछार,
खुशहाली और सफलता के रास्ते हैं ज्योतिषार।

आशीर्वाद के फूल खिलते, प्रेम और आदर की बरसात,
जीवन का आधार, उनकी ममता के साथ।
बड़े जनों का आशीर्वाद अनमोल वरदान है,
जीवन को समृद्धि और सुख से भर देता निधान।

अलग अलग आभा

हर व्यक्ति की अलग अलग आभा,
कोई चंदन समान कोई नीम समान…..
ये रंग जीवन के स्वाद प्रयोग अलग,
ज़रूरते अलग , न बन तू अनजान ।

कोई व्यक्ति किसी कार्य में निपुण
सबका अपना अपना कार्य क्षेत्र….
जेसे भिन्न भिन्न होते सातों स्वर
ध्वनि ओर भिन्न होते सबके नेत्र ।

जहां सृजनशीलता की धूम होती है,
वहां कोई व्यक्ति निपुणता का अभियान चलाता है।
हर क्षेत्र में वो अपनी पहचान बनाता है,
कर्मठता से सबको प्रभावित करता है।

किसान खेतों में अपनी खेती करता है,
उन्हें अन्न के अभाव से बचाता है।
प्राणों की रक्षा करता है वन रक्षक,
उसका कार्यक्षेत्र वन और प्राणी सजात रखता है।

शिक्षक ज्ञान की झील बहाते हैं,
छात्रों के मन को रोशनी से भराते हैं।
वैज्ञानिक नए अविष्कार करते हैं,
प्रगति के मार्ग पर सबको ले जाते हैं।

चिकित्सक रोगी को स्वस्थ बनाते हैं,
सेवा का परमेश्वर रूप धारण करते हैं।
शिल्पी रंगों की दुनिया बनाते हैं,
सौंदर्य को स्वर्णिम रूप देते हैं।

वकील न्याय की प्रणाली संभालते हैं,
सत्य की जीत का उपहार देते हैं।
सैनिक देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं,
वीरता का प्रतीक बने रहते हैं।

प्रतिभा के चमकते तारे व्यक्ति के काम में होते हैं,
हर क्षेत्र में वह निपुणता की सत्ता बनते हैं।
कोई भी कार्य पूर्ण बनाने में यथार्थता होती है,
सबका अपना-अपना कार्य क्षेत्र अद्वितीयता होती है।

हर व्यक्ति की अलग अलग आभा,
कोई चंदन समान कोई नीम समान…..

अधिक नहीं चाहिए

जो होता हे सही ही होता हे,
बहुत अधिक नहीं चाहिए
प्रसन्नता के लिए…..

जो चाहिए वो भीतर व्याप्त,
थोड़ी सोच बदलने से प्रज्वलित
होंगे प्रसन्नता के दीये ।

जो होता है सही ही होता है,
यह सत्यता हमेशा सच्ची होती है।
क्योंकि हमें जीवन यही सिखाता है,
जीने का अद्भुत तरीका बताता है।

खुश रहने के लिए बहुत नहीं चाहिए,
संतुष्टि के साथ अपना मन बहलाना चाहिए।
सुख और समृद्धि की तलाश में न भटकें,
जीवन की सरलता को समझना चाहिए।

खोजो नहीं बाहरी जगत को,
अपनी आंतरिक सौंदर्य को पहचानो।
ज्ञान की चोटी पर ऊँचाइयों को छूनें,
अपने अस्तित्व को गहराई से महसूस करो।

हर एक पल को आनंद से जियो,
खुश रहने के लिए कारण ढूंढो।
जिंदगी के रंगों को ख़ुद चुनो,
प्रसन्नता के लिए अपने मन को टूटों।

जो होता है सही ही होता है, बहुत अधिक नहीं चाहिए
प्रसन्नता उसी को मिलती है। जिसके मन में संतोष है

खुश रहने की कला सीखें,
जीवन को खुशहाली से जीना सीखें।

अधूरा ही रहने दे

मुकम्मल ना सही तो अधूरा ही रहने दे
ऐ सितमगर, ये इश्क है कोई मकसद तो नहीं।

दिल की गहराईयों में छुपी उम्मीदें हैं,
जो जगा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

आग जब भी जलती है, दिल में एक ख्वाहिश है,
जो बुझा रहीं हैं, मगर अभी तक नहीं मिली।

खुशियों की दौलत में कुछ कमी सी है,
जो पूरी नहीं हुई, वो ख्वाब तो नहीं मिली।

शायद ये इश्क ने छीन ली है सारी रातें,
पर वो सुबह अभी तक नहीं मिली।

ज़िंदगी की राह में इश्क का सफर जारी है,
कुछ ऐसी ही अधूरी कहानी रहने दे।

ऐ सितमगर, तू ही तो है जो रुका है मेरे दिल को,
मुकम्मल ना सही, पर अधूरा ही रहने दे

यह भी पढे: बड़े अधूरे अधूरे, ख्यालों को अधूरा कैसे, अधूरी खवाइश, मुकम्मल ना सही,

अनमोल विचार

कुछ ऐसे अनमोल विचार जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक होते है, हर सुबह इन विचारों पर चिंतन, मनन करना चाहिए हमारा जीवन ओर सरल हो जाता है, ऐसे ही 10 अनमोल विचार है 1. श्रेष्ठ प्रयाणाम भविष्य
रूपी साँस लीजिए बिना
किसी अपेक्षा ….
वर्तमान रूपी साँस को
पकड़ के रोकिए वर्तमान में
जीना नेक शिक्षा …..
भूतकाल रूपी साँस बाहर
निकाले पाये मुक्ति
ये सच्ची परीक्षा ॥

2) काला घोड़ा सफ़ेद स्वारी एक के बाद एक की बारी…..
तवा वो काला घोड़ा रोटी होती गोरी सफ़ेद स्वारी ।
खड़ा द्वार पर ऐसा घोड़ा जिसने चाहा पेट मरोड़ा……
इसका उत्तर हे ताला , चाभी से मरोड़ते पेट नहीं मारना पड़ता हथौड़ा ।

3) जो समय बीता सो बीता वो नहीं आएगा दोबारा ……
अब समय दूसरा, झांकिये भविष्य वही अब उसका ही सहारा ।
समय सदा गतिमान अपने कार्य के प्रति कर्मनिष्ठ …..
समय के पास भूतकाल वर्तमान और भविष्य के अनगिनत असंख्य पृष्ठ ।

4) शिक्षक बच्चे से किया प्रश्न
शिक्षक तुमरे पास चार भटूरा हे
ओर वो भटूरा हम ने ले लिया
तो तुमरे पास क्या बचा ?
बच्चा बोला बचा हमारे पास “छोला “.

इस बात से पता चलता हे की भटूरा बिना छोले के अधूरा हे उसका जीवन ,
छोला भटूरे का परम मित्र और सखा है ।
दोनों जब एक दूसरे से मिलकर किसी तीसरे की आत्मिक संतुष्टि का कारण बनते हे अपना स्वयं का बलिदान देकर ।

5) सुख ही शांति….
ये शुद्ध भ्रांति ।
शांति ही सुख….
यह बात सत्य प्रमुख ।

भीतर शांति बाहर निरंतर प्रयास ….
फिर सब क्षेत्त्रो में होगा विकास ।
भीतरी शांति ही सच्चा सुख….
सब का हो भला कहे यह मुख ।

6) मेहनत का धन…..
ख़ुशियों से संपन्न ।
धेर्य हों धारण….
जीवन बने उदाहरण ।

मीठे बोल बने पहचान….
करे सबका सम्मान ।
मान सम्मान का व्यवहार….
जीवन का वो आधार ।

7) अच्छी पुस्तकें और अच्छे व्यक्ति ….
तुरंत नहीं समझ आते , कथन में नही कोई अतिशयोक्ति ।
पुस्तक की तरह व्यक्ति के भी भिन्न भिन्न अध्याय…
पढ़कर सीखना पड़ेगा कैसे अध्याय से स्वयं को समझ आए ।

पढ़े पुस्तक रुचि से स्वयं का प्रिय विषय…
सिद्ध हो सार्थक हो पूरा हो आपका ध्यय ।
स्वयं के जीवन के भी लिखने हे अध्याय…..
जो पढ़े समझे आपको बात समझ वो जाए ।

8) कभी बचपन में घुमाते थे साइकिल या स्कूटर का पहिया …..
वाह वो भी क्या दिन थे जो बस गये यादों में ,
मन बसिया ।
मैं और मेरा टायर संग लोहे की छड़ी आगे से गोल टायर में घूमती फसी…..
सोचते अब तो यादो के फ़व्वारे से चेहरे पे झांकती हँसी ।
मैं और मेरा टायर
अब आगे कुछ साल बचे होने को रिटायर ।
शुरुआत बचपन में टायर….
अब बुढ़ापा हो जाएँगे रिटायर ।
रिटायर में छिपा है टायर ….
इसी में पूरा जीवन चक्र हे दायर ।

9) क्रोध का कारण नहीं होता नक़द ….
क्रोध का परिणाम होता दर्दनाक दुखद ।
क्रोध एक ज्वाला करती सब भस्म….
जानती वो जलाना उसकी एक ही रस्म ।
क्रोध क्रोध
खोता बोध ।
करे क्रोध पे शोध….
यह दुख का बालकअबोध ।
यह जन्मता प्रतिशोध ….
जगाये भीतर यह बोध ।

10) काहे करे शिकायत….
उसमें दुःख चला आवत ।
शिकायत को समझेंगे….
बनायेंगे दोस्त नहीं उसमें उलझेंगे ।

जीवन जीवंत
शिकायतों का करे अंत ।
रहे हम शांत
अच्छा ही अच्छा होगा उसके उपरांत ।

आजकल पता नहीं क्या हुआ है,
पूछो कुछ जवाब कुछ और……
न करे शिकायत रहे मस्त समय
का अजीब यह चल रहा दोर ।

जीवन के अनमोल विचार जिनका करे हर सुबह चिंतन मनन

कामयाब व्यक्ति कौन

1. कामयाब व्यक्ति कौन …..
उसकी जीवन के प्रति अभिव्यक्ति
मुस्कुराहट से मसले करता हल….
मन मस्तिष्क उसका इतना सबल ।
खामोशी से मसलों से बनाता दूरी …
रास्ता सही का चुनता करता जो ज़रूरी ।

सब अहसास अभिव्यक्ति आपकी शक्ति….
शक्तियों का सही प्रयोगो से बनती हस्ती ।
वरना तो एक नाम के बहुत से हे व्यक्ति….
किस कर्म से जीतना यह असल शक्ति ।

कामयाब व्यक्ति कौन …………..

2. क्या हमारी इतनी समझ हम निस्वार्थ प्रेम जानते है या जानना चाहते हे ?
यह एक प्रशंचिन्ह जब सब कुछ स्वार्थ के घेरे इर्द गिर्द घूमता हो वही धुरी हो फिर वहाँ निःस्वार्थ के असली फूल कैसे खिलेंगे ।

कहते तो हम इसे बहुत अच्छा क्या हम इसमें डूबना चाहेंगे ?
प्रश्नों की झड़ी में उत्पन्न एक उफनता सत्य ।

सवालों में गुम

सवालों में गुम हूँ में कुछ तरह से गुम हूँ, जैसे उत्तर सिर्फ मैं ही हूँ प्रश्न जो पूछता हूँ खुद से उत्तर भीतर से बाहर निकल मुझको मुझसे ही रूबरू करता हो जैसे , बस बताऊ क्या हाल अपना सवाल पर सवाल बढ़ रहा था जबसे भीतर से आवाज का सिलसिला चल उठा है बाहर सब खाली हो रहा है।

तुम हो समुद्र

तुम हो समुद्र तुम्हारा दुख तेज धूप तुम्हारी सहन शक्ति के आगे नतमस्तक हम , तुम्हारा बल अद्भुत तुम्हारी गाथा तुम हो अनेकों विचारों एक दाता तुम हो समुद्र दुःख तेज धूप…
धूप विकट समुद्र विराट स्वरूप ।
तेज से तेज धूप समुद्र का बाल भी
बाँका नही कर सकती …..
समुद्र चुप शांत कभी क्रुद्ध धूप की
तो एक नियत शक्ति ।

तुम हो समुद्र तुम्हारे दुःख तेज धूप….
धूप शक्ति नही बदल सकती समुद्र रूप
कोई कुछ बोले करे मनन रहे सदा शांत….
इस बात में हित लाभ मन भी होगा प्रशांत ॥

जीवन का गणित

जीवन का गणित एसा है जो किसी को समझ ना आए इस गणित सब उलझे हुए नजर आए , इस गणित को जो समझे वो इस भवर से बाहर निकल जाए।

जीवन का गणित
जीवन में आशीर्वादों को जमा कीजिए
दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए
भलाई को गुणा कीजिए
इच्छाओं को भाग दीजिए
जीवन के विकास में जहां जहां
जो ज़रूरी हे कही घटा कही जोड़
कही भाग तो कही गुणा निरंतर कीजिये

दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए, दर्द को मिटा दीजिए,
खुशियों को बांटिए, सबको हंसा दीजिए।

भलाई को गुणा कीजिए, अच्छाई को फैलाइए,
सद्गुरु की ओर से मंगलकामनाएं लेंगे आपको बहुत सारी।

दूसरों की मदद कीजिए, सदैव नेकी में लग जाइए,
प्रेम और समझ से बनाइए, जीवन को अपारी।

सफलता की राह पर चलिए, मेहनत और समर्पण से,
आपकी कठिनाइयाँ घटाएंगे, सफलता की उच्चाईयाँ पाएंगे।

खुश रहिए, मुस्कराइए, दूसरों को खुश रखिए,
यह जीवन का गणित है, जिसे हमेशा आप सुलझाइए।

यह थी प्रेम, शांति और समृद्धि की कविता,
जीवन के साथी बनकर, खुशहाली की पथ पर चलिए सदा।

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