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प्रकृति का नियम

इस जीवन को दे झोंके अपनी क्षमता का सर्वोत्तम …….
गहरा ज्ञान ये जो देंगे वो होता कई गुणा ये प्रकृति का नियम ।

गुप्त ओर गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन……
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन …….

बीजों की गहराई में छिपा है आनंद विशाल,
जो फलों और पुष्पों को देते हैं उच्च विकास।

मिट्टी की गोद में आँखे भरी खुशबू पलती है,
सृष्टि की गोद में नई जीवन की लहर बहती है।

वृक्षों की छाया में प्राकृतिक सुंदरता छाई है,
पक्षियों की चहचहाहट में जीवन की गाथा बांई है।

हर पौधे की जड़ में ताकत बसी होती है,
हर वनस्पति की पत्ती में जीवन का रहस्य छिपी होती है।

जीवन की प्रकृति ने बनाए हैं सृजन के अद्भुत रंग,
जो देते हैं हमें खुशियों का नया संग।

हर बीज अपनी विशेषता लेकर उगता है,
हर फूल अपनी मिठास लेकर मुस्काता है।

जीवन की रचना में प्रकृति का साथ हमेशा रहा है,
हर मनुष्य को यह ज्ञान दिया जाता है।

चाहे जीवन की बारिश हो या तूफान,
प्रकृति हर समय हमें देती है सहारा बन।

समय बीतता रहता है, जीवन की यात्रा में,
पर प्रकृति की रचना हमें हमेशा संजोती रहती हैं।

गुप्त और गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन।
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन, यही प्रकृति का नियम

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खुशियां

खुशियां ना कोई गंतव्य

खुशियां न तो कोई गंतव्य ,अधिकार कमाई, न इसे पहने न ही ये भोजन…..
ये एक आध्यात्मिक अनुभव जीवन के हर क्षण में प्रेम कृपा का आभार में लिप्त मन ।

कृपा ओर आभार से लिप्त मन सब के लिए शुभ ओर हितकारी…..
व्यक्ति विकास से होगा समाज का विकास मनुष्यता के लिए श्रेष्ठ शुभकारी ।

खुशियां का न तो कोई गंतव्य, अधिकार कमाई,
न इसे पहने न ही ये भोजन, ये एक आध्यात्मिक अनुभव।
जीवन के हर क्षण में प्रेम, कृपा का आभार में लिप्त मन।

यह जगत भरी माया का खेल, चाहे धन की महिमा हो या ऐश्वर्य।
पर सब छूट जाता है इस अनुभव के सामरिक आयाम से।

जब मन केवल प्रेम में विलीन हो जाता है,
तब खुशियां और प्रकृति के सुंदर रंग दिखाई देते हैं।
आनंद की अनंतता में जीने का अद्भुत गुण,
यही है आध्यात्मिक अनुभव का महान फल।

इस आध्यात्मिक यात्रा में खो जाएं तुम,
अध्यात्मिक गुरु के पास करो शरण।
वह दिखाएगा राह जो अद्वितीय है,
वहाँ निर्मल चित्त और आनंद के आभास हैं।

प्रेम की अमरता से जीने का रहस्य है,
भावों की ऊर्जा से जगाने का रहस्य है।
अनुभवों के साथ जो साझा करें तुम,
वह सत्य का मार्ग है, आनंद का प्रकाश हैं।

इस आध्यात्मिक अनुभव को जीने का आदिकाल से ही तत्व समझा जाता है,
संसार की मोहमय वृत्तियों से जब मुक्त होता है मन।
प्रेम की अनंत झरना जब बहने लगता है,
तब आत्मा को परमात्मा में विलीन होने का अनुभव होता हैं।

खुशियाँ और आनंद की अनंतता का जो एहसास होता हैं,
वही आध्यात्मिक अनुभव का महत्वपूर्ण लक्षण होता हैं।
मन को शांति और सुख का आनंद प्रतथा आनंद प्रदान करने वाला हैं,
आध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से जीवन को सजाने वाला हैं।

इस आध्यात्मिक अनुभव में सच्ची खुशियाँ हैं,
जो भाग्यशाली जीवन का सच्चा आधार हैं।
मन को शुद्ध करके जब प्रेम का आनंद मिलता हैं,
तब जीवन निर्मलता और प्रकाश से भर जाता हैं।

इस खोज में रहकर जीने का सच्चा आनंद हैं,
जो वास्तविकता के साथ जीवन को परिपूर्ण करता हैं।
अध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से जब सम्पूर्णता का अनुभव होता हैं,
तब मन और आत्मा में प्रेम की अभिव्यक्ति होती हैं।

इसलिए, खुशियां के पीछे न तो कोई गंतव्य होता हैं,
न अधिकार की कमाई, न इसे पहने न ही ये भोजन।
यह एक आध्यात्मिक अनुभव हैं, जो मन को आनंदित करता हैं,
प्रेम और कृपा का आभार में लिप्त होता हैं।

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सुकून

लगता है अब सुकून है जिंदगी में, क्युकी अब तू नही है इस दिल में

लगता है अब सुकून है जिंदगी में,
क्योंकि अब तू नहीं है इस दिल में।

तेरी यादों की लहरें थीं सहारा,
जब तन्हाई ने घेरा था हमको प्यार से।

तेरे साथ बिताए हर पल की खुशियाँ,
अब लगती हैं एक दूसरे से दूरियाँ।

चाहत की राहों में तू था साथ हमारा,
पर अब तू नहीं है, ये दिल बेकरार है।

जीवन की ये कठिनाइयाँ बढ़ गईं हैं,
जबसे तू चला गया, सब खो गईं हैं।

पर फिर भी ज़िंदगी चली जाती है,
अपने रास्ते खुद ही बनाती है।

अब तू नहीं है इस दिल में,
लेकिन तेरी यादें हमेशा रहेंगी यहाँ।

सुकून तो नहीं है अभी तक जिंदगी में,
पर इस अजनबी दुनिया में भी जीनेका उम्मीद है हमें।

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उपलब्धियाँ

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक ।
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक ॥
जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान ।
जियें ओर जाने इस नियम का विज्ञान ॥

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक,
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक॥

जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान।
समय की चाहत में जब बदल जाए आधार,
थके अरमानों के ये आश्रय के मायने,
मिटें भरोसे के ये भीखारी दिल के।

जीवन की पथचारिनी में चलते चलते,
खो गए बहुत से सपने और कायरतें,
अस्थिरता की लहरों में भटकते भटकते,
ख्वाहिशों के रंगों से रंगते रंगते।

पर जब आया वह दिन जब शोध लिया हाथ,
शुद्धता की लालसा के गहरे सागर में,
बिखरे एहसासों को जोड़कर वहां,
पाया असली सुख का वह अद्वितीय रंग।

उपलब्धियाँ की तो सबने खोजी थी राह,
पर सम्बंधों का बलिदान था वह सच्चा कारण।
जीवन के अंतिम पड़ाव की यही ज्ञान,
बनाता है संगीत सुखी इस मन का वास्तविक आधार॥

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आशा ओर निराशा

जीवन कभी आशा ओर निराशा के तत्वों से निर्मित…..
आश ओर निराश दोनो ही अस्थाई उनका बल सीमित….

इससे उपजी शिक्षा से स्वयं के जीवन को सजना संवारना ….
मेरे दर्द से बड़े बड़े दूसरों के दर्द इस सत्य को सदा पहचाना ।

जीवन कभी आशा ओर निराश के तत्वों से निर्मित,
आशा ओर निराशा, दोनों ही अस्थाई, उनका बल सीमित।

जब आशा की किरणें बांधती हैं सपनों की डोर,
प्रेरणा के पंखों पर उड़ जाता है मन मोर।

सपनों की भूमि पर खिलती है खुशियों की बारिश,
आनंद के संगीत सुनती है मन में मधुर वादियां।

लेकिन जब निराशा की घटाएं छाती पर सँवार,
धैर्य के पंखों से उड़ जाता है अचल संघर्ष।

परिश्रम की धूप में तपते हैं सपनों के बीज,
उग्र विपत्तियों के मैदान में जीवन भर संघर्ष करते हैं।

आशा और निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
ये चक्रव्यूह बनाते हैं अनुभवों का मेल-जोल।

हर नये सवेरे को लेकर आती है आशा की बूंद,
जो जीने की आग होती है दिलों में नई उमंग।

पर जब तन को घायल करे विचारों की हिमाकारी,
निराशा की धूंस छाती को बांध लेती है बंधकारी।

हार नहीं माननी चाहिए जब आशा की खिलती है खेती,
दृढ़ संकल्प और प्रगति के संग बढ़ती है आगे हर रेती।

निराशा के बादलों को तोड़कर आकाश को छू लो,
नये सपनों की उड़ान भरो आशा की परिंदों के साथ।

आशा ओर निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
इनका संगम बनाता है हमें बेहतर इंसान।

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विचार प्रार्थना

विचार प्रार्थना इच्छा जब सब रहेगा सकारात्मक…..
जीवन होगा सुखमय ,अनूठा ओर कलात्मक…..

अच्छे सच्चे विचारो को बाँटे होवे उनका विस्तार…..
दूसरा भी होवे प्रभावित , जीवन पकड़े सही रफ़्तार ।

जब सब रहेगा सकारात्मक, विचार प्रार्थना इच्छा,
जीवन होगा सुखमय, अनूठा और कलात्मक।

विचार शुद्ध और समर्पित, निरन्तर चलते रहें,
सकारात्मकता की आधारशिला पर जीवन बनाते रहें।

प्रार्थना की शक्ति से हर बाधा को दूर करें,
जीवन को खुशियों से आच्छादित, आनंद से भरें।

इच्छाशक्ति से उज्जवल भविष्य को निर्माण करें,
अपने सपनों की पंक्ति आगे बढ़ाते रहें।

जीवन रंगीन हो जाएगा, खुशियों से भर जाएगा,
सकारात्मकता की आग में सब कुछ जलकर रह जाएगा।

कलात्मकता की छांव में सृजनात्मकता खिलेगी,
हर क्षण को सुंदर बनाएगी, नवीनता से बहेगी।

सोचें आगे के मिशन को, सपनों को पकड़ें चोटी,
अपनी कल्पना के पंखों से आसमान छू जाएंगे हम एक सोती।

विचार प्रार्थना इच्छा जब सब रहेगा सकारात्मक,
जीवन होगा सुखमय, अनूठा और कलात्मक।

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कुछ ऐसे काम करो

कुछ ऐसे काम करो जिंदगी में की लोग तुम्हें भूल ना जाए ,काम करो ऐसे जीवन में,
जो लोग न भूलें तुम्हें;
आदर और सम्मान की माला,
तुम्हारी गर्व से सजाएं।

नई राहें चुनो, नये सपने,
करो काम जो रचें इतिहास;
प्रेरणा बनो आप सबके लिए,
तुम्हारी महिमा गुनगुनाएं।

संघर्षों का मुकाबला करो,
हर चुनौती को गले लगाओ;
अपनी मेहनत से चमकों,
तारीफों से गगन में उड़ाओ।

सेवा का पथ चुनो, उच्च स्थान,
करो दिल से जो बातें;
विश्वास रखो, संयम रखो,
जीवन को बना दो महान।

संगठन में जुटो, मिलकर काम,
सहयोग से पहुंचो आगे;
तुम्हारी योग्यता और संयम,
लोगों को हमेशा याद रखें।

कुछ ऐसे काम करो ऐसे मन से प्रेम से,
जो अनुभव करें सबको आदर;
तुम्हारी मेहनत और उपकार,
बनाएंगे तुम्हे यादगार।

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मन के विचार

मन के विचार, मन में चलते विचारो पर रहे बुद्धि की धार ।
वाणी भी क़ाबू रहेगी होगा मज़बूत आधार ॥
मन वचन कर्म से न किसी का दिल दुखे।
जीवन की कापी में स्वर्ण अक्षर से लिखे ॥

विचारों की धार मन में चलती,
बुद्धि की शक्ति सदा बनी रहती।
जब तक वाणी सच्ची हो और मधुर,
मजबूत आधार बने सबके लिए आदर।

मन, वचन, कर्म की त्रिविधि से,
किसी का दिल न हो कभी दुखे।
आदर के साथ रहे हमेशा,
सुखी बनाए अपने सभी रिश्ते।

प्रेम, शांति, आनंद की देन,
बनाए जीवन को सुंदर और धन्य।
चिंता, कष्ट, द्वेष को छोड़,
अपार खुशियों से भरे हमारे मन्य।

चलते रहें सत्य की मार्ग पर,
उठाएं ऊँचाईयों के पथ पर कदम।
सबका भला करने का हो निश्चय,
हो जाए सबका जीवन सुखदाम।

मन के विचार, मन में चलते विचारों का निर्माण,
बुद्धि की धार से हो संयम।
वचन और कर्म से बने संसार,
दुःख से मुक्ति पाएं सभी आदमी और औरत।

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नकारात्मक सोच

नकारात्मक सोच , अच्छी अच्छी घटनायें घटती जब नकारात्मक से होती दूरी……
नकारात्मकता मात्र एक पहलू एक पक्ष , उससे दूरी ही ज़रूरी…..

जितना हो सके पर किन्तु परंतु न पड़े इसकी ज़रूरत……
फिर हर समय शुभ ही शुभ हर मुहूर्त ही शुभ मुहूर्त ।

नकारात्मक सोच से परे,
जीवन में उजियारे;
एक दूसरे को समझते,
सहयोग से बदलते हाले।

आँधी चली, तूफान आये,
मगर हम अकेले न जाये;
संगठन में मजबूती है,
संयम से खुशियाँ बांटे।

नकारात्मकता को दूर भगाए,
सकारात्मक सोच से निभाए;
समृद्धि और खुशहाली की राह,
हम सब मिलकर चलें संग।

आपसी मेलजोल का खजाना,
मिटाए असाधारणता का भ्रम;
जीवन में बनाए अच्छी राह,
नकारात्मकता से दूर करें विचार।

सकारात्मकता की ज्योति जलाएं,
प्रकाश फैलाएं, खुशियाँ पाएं;
अच्छी अच्छी घटनाएं होंगी,
नकारात्मकता को हम भगाएं।

सबको आपस में जोड़े रखें,
खुशहाली की राह बनाएं;
नकारात्मकता से हो दूरी,
सबको खुशियों से भरे मौसम से डूबे।

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साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।