मेरी जिंदगी में
बस थोड़ी बेखबरी थी
कुछ सहमी
कुछ अकड़ी थी
एक आहट थी
दबे पाँव की सरसराहट थी
तभी मेरी एक बाह ने
दूसरी बाह पकड़ी थी जो
इस कदर जकड़ी थी मानो
लिपटी आग से एक लकड़ी थी
जिसमे मेरी जिंदगी अटकी थी
कोई एक राह सी भटकी थी
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जरूरी नहीं
जरूरी नहीं हर सवाल का जवाब मिले , उस नही का अब कोई जवाब नही
यह जिंदगी है मेरी कोई ख्वाब नही ,सिर्फ तू ही एक ख्वाब था मेरा
लेकिन
अब तो तू मेरा एक ख्याल भी नही
उस नही का कोई जवाब नही
जिंदगी है मेरीं
एक रात में उतर जाए वो शराब नही है
मोहब्बत की है मेने कोई शबाब नही ।
मैं दौड़ आता था एक नजर भर तुझे देखने के लिए
अब तुझे नजर भर देखना भी जरूरी नही
इसलिए
अब जरा दूर रह तू मुझसे
तू ही मुक्कममल हो ख्वाब मेरा
अब वो ख्वाब भी तू नही …
उस नही का अब कोई जवाब नही
वो मुलाकाते जो अधूरी थी तेरे साथ
वो मुलाकाते भी पूरी हो अब जरूरी नही
तू शुरआत थी मेरी जरूर
लेकिन…
लेकिन उस शुरुआत का छोर
अंत तक मिले वो भी तो जरूरी नही
( अब उस शुरुआत की मुझे जरूरत नही )
मेरी मंजिल है कही और
लेकिन उस मंजिल का रास्ता भी अब तू नही
तू इस बात को
सुन , समझ , और फिर दिमाग में
बिठा ले
जवानी मेरी भी है
सिर्फ तू ही हसीन, दिलरुबानी नही
दिल लगा था तुझसे
लेकिन
तू छोड़ गयी मुझको जो एक बार
और फिर लौटकर आये
यह बात
भी अब कोई जरूरी नहीं
मांगू तुझे उस रब से और
इस बात का मैं दम भरु
अब ये बात भी जरूरी नहीं
मैं जब तुझे पलको पर बिठाना चाहता था
लेकिन
तू आना नही चाहती तो यह बेवजह की
जिद्द करना भी मेरी जुर्रत नही
उस नही का अब कोई जवाब नही
जरूरत तेरी भी हो
बस यह बात है सही
सिर्फ जरूरत मेरी हो इस
बात में कोई दम नही
माना तू ख्वाब था मेरा खूबसूरत और हसीन
लेकिन
हर ख्वाब मुक्कममल हो यह भी तो जरूरी नहीं
नही हुआ मुक्कममल ख्वाब तो भी सही
मुझे तेरे दूर होने का अब कोई गम नही ।
भूल चुका हूं मैं
रत्ती भर भी मुझे अब तू याद नही
इसलिए
तेरा वापस आना मेरी जिंदगी में
अब वो भी मेरी जरूरत नही।
अब उस नही का कोई जवाब नही।
यह भी पढे: पछतावा, मालूम नहीं, समय दीजिए, मैं मनमर्जी हूँ,
हाल ए दिल बताऊं भी क्या ?
आंखे नम है ना जाने क्यो?
ना कोई गम है
ना मर्म है
फिर भी मेरी आँखें नम है
क्या समझू
इस बात को तूने जो ढाया सितम है
सितम समझू या कुछ और समझू?
क्योंकि अब तो
मुझे खुद की खबर नही
खुद ना जाने कही गुम हूं मैं
शायद थोड़ा चुप भी हूं ,
जिंदगी से बाते भी थोड़ी काम करता हूं
खुद से मिलने की कोशिश भी बहुत करता हूं
मगर
फिर वापस आ नही पाऊंगा इस बात से डरता हूं ,
कोशिश खुद को भुलाने की भी करता हूं
लेकिन भूल नही पाता हर वक़्त
अपनी बेबसी तमासा देख
मैं खुद ही नजर आता ,
धड़कने जोर जोर से धकडती है
धड़कने जोर जोर से धड़कती है
तू मेरे साथ है नही
इस बात से
मेरी धड़कने भी सुबकती है ,
क्या कहूँ??
क्या समझाऊ ??
लिखूं क्या अपनी दासता?
बताऊ क्या अपनी हस्ती ?
जिसको चाहा था इस कदर
उसने ही जलाई मेरी दिल की बस्ती
किसके आगे हम अपने आंसू बहाय
किसको दुखडा हम अपना सुनाये
है कोई ??
जो हमारी स्तिथि को समझ को समझ पाए।
मोहहब्बत कि थी कोई गुनाह नही
जिसकी सजा मिल रही है बिना सुनवाई
लगता है तुमसे बात करूं
चाहे एक बार करू
लेकिन बात तो करू
फिर ना जाने क्यों?
मन कहता है कि
बात अब क्या करूँ ?
बात अब क्या करूँ ?
जब तुम मेरा साथ छोड़ जाते थे
तो भरोसा टूट जाता था
लगता था कि तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?
क्या तुम उम्र भर मेरे साथ रह पाओगे ?
लाखो सवाल मन को कुचल देते थे
और में गुस्से में भर जाती था ,
मै बैठ वही रो दिया कर देता था ,
तुम आओगे वापस बस यही आस
तुम्हारे आने की वापस लगये बैठ जाता था
अब क्या?
जो तुमने साथ अब छोड़ दिया नाता जो था वो तोड़ जो दिया
फिर काहे ? मै तुमसे इकरार करू
ये तो दिल है मेरा जो सिर्फ मैं अब भी तुमसे ही प्यार करु क्या फिर दुबारा ?
और बार बार अपने प्रेम का इज़हार करू , रिश्ता नाता कुछ बचा नही
फिर काहे मै अश्क़ नैनन मैं भरु
ये तो दिल है मेरा जो
अब भी सिर्फ तुमसे ही मै प्रेम करू
बड़ी बेबसी है ये लोग हँसते है
मोह्हबत की हकीकत को जानकर
उन्हें पहचान कैसे कराऊ?
उन्हें एहसास कैसे दिलाऊ?
उन्हें इस मोह्हबत का दर्द कैसे बताऊ?
क्या आज खुद ही आईना मै बन जाऊ ?
कैसे उनको इस मोह्हबत का आईना दिखाऊ?
उन्हें रूबरू कैसे कराऊ?
दोनो छोर पर उन्होंने दरवाजा जो है बन्द कर दिया।
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
ना इस और आने को हम है
ना उस और को जाने को
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
जैसे पंछी बिन पंखों के पिंजरे से बाहर छोड़ दिया
इस मोह्हबत की हकीकत क्या है?
सिर्फ मै हूं जो जानता हूं
यू उनसे मोह्हबत थी बेपनाह पर
अब क्या ?
उन्होंने हमें कर दिया तबाह
कुछ तो मोह्हबत के आंसू तुम भी पी लेना
यदि मोह्हबत हो जाये खुद को तबाह कर मोह्हबत के साथ जी लेना
लगता है
कोई सुने कुछ पल मुझे भी बैठकर
फिर लगता है मैं सुनाऊ भी क्या?
हाल ए दिल बताऊ भी क्या?
हाल ए दिल क्या हुआ ये अब समझाऊ भी क्या ?
बस जो हुआ है उसको छिपाऊँ
लेकिन
छिपाऊँ भी कहाँ?
कुछ सवाल
कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ सवाल हम भी करने लगे है
जरा ख्याल रखना इन सवालो का
कुछ जवाब अब हम भी देने लगे है
कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ बात हम भी करने लगे है
कुछ मुलाकात हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल रखना इन मुलाकातों का
इन मुलाकातों की बात अब हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ याद हम भी करने लगे है
कुछ दीदार हम भी करने लगे है
जरा ख्याल रखना तुम अपना, अपनी यादों में दीदार कर तुम्हारा याद अब हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ अश्क़ बहने लगे है
कुछ आह भी हम भरने लगे है
जरा ख्याल रखना अश्क़ों का तुम्हारी याद आने से अश्क़ अब इन्ह आंखों से बहने लगे है।
कुछ ख्याल अब हम भी करने लगे है
के अब मुलाकाते जरूरी है
सब्र है हमे लेकिन इतना
बतादो के अब सब्र के इम्तिहान
से हम भी गुजरने लगे है
कुछ सवाल हम भी करने लगे है
यह भी पढे: सवालों के कतघरों में, सवाल उठ रहे है, सवालों में गुम, जीवन से सवाल पूछो,
लेकिन तुम्हे उस बात से क्या ?
हाँ टूट तो मैं फिर से गया हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हा रोता हूं फिर से कोने में बैठकर
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
आंखों से अश्क़ बहते गए और दर्द बढ़ता गया तेरा इंतज़ार मैं करता गया जिंदगी को अपनी
साँसे बस तेरे नाम मैं करता गया
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
घबरा जाता हूं , सहम चुप फिर से बैठ मैं जाता हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
भीतर बहुत तकलीफ हो रही है , दुबारा दूरियों के एहसास होने पर
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मैं भीतर से खाली खाली लग रहा हूं
तेरे जाने से मेरे दिल का कमरा खाली हो गया है
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
टूटा हुआ था मैं पहले से अब चकनाचूर भी हो गया हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
( तेरी याद में तिल तिल मर रहा हूं
अपनी बची हुई साँसे गिन रहा हूं )
एक बार मर चुका था मैं
उसमे बची थी जो कुछ सांसे अब मैं उनका भी दम तोड़ रहा हूं ( साथ छोड़ रहा हूं मैं )
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मैं मरकर जिउ या जीकर मरु फिर से
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हाँ जिंदा हूं अब तक जिंदा लाश की तरह
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
गुजरते दिन और राते बीत रही है तेरे ख्यालो में
लेकिन
तुम्हे इस बात से क्या ?
मेरी नींद तेरी यादों में उड़ चुकी है मैं सो नही पाता हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मुझे तेरी याद आ रही है और मैं अब तुमसे बात करना भी चाहता हूं किंतु कर नही पा रहा हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
बहुत मन कर रहा है दिल आज फिर रो रहा है
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हा तेरी यादो से बाहर निकलने के लिए मयखाने में बैठ दो जाम भी पी रहा हूं
लेकिन तुन्हें उस बात से क्या ?
है, चूर हूं नशे में उस सिगरेट के धुंए में जिसमे तेरा चेहरा भी धुन्दला जो जाए, ओर तेरी याद ना आये
लेकिन उस बात से तुम्हे क्या?
डूब गया हूं तेरी याद में और मेरी आंखों से अश्क़ रुकते नही
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
तू मेरे खयालो से जाती नजी और मैं तेरे खयालो में आता नही
लेकिन तुम्हे उस बात से क्या ?
जो एक बार
बड़ी मुश्किल से भरोशा जताया था तुझ पर
लेकिन
तुझे उस बात से क्या ?
मैं बेइंतहा प्यार करने लगा था तुझे
लेकिन
तुझे उस बात से क्या ?
मैं पहली मोहब्बत में नीलाम होकर आया था
लेकिन
तुझे उस बात से क्या ?
मेरी पहली मोह्हबत का ज़ख्म भरा भी ना था
तूने उसको कुरेद नासूर कर दिया
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
कौन हो तुम ?
यु ही रूठ भी जाते हो ,
यु ही मान भी जाते हो
ना जाने कौन हो तुम मेरे ?
फिर भी साथ हमेशा तुम ही निभाते हो ,
मेरी आँखों में देखो जरा हर पल
तुम ही नजर आते हो
भाग जाता हूं सबकुछ छोड़कर
लेकिन मेरे जिंदगी के हर विचार तुम आकार में तुम खड़े हो जाते हो ,
क्रोध भी लाता हूं, अहंकार भी लाता हूं
लेकिन प्रेम इतना गहरा है कि पिघल जाता हूं
समस्त विचारो में संसार नहीं दिखता
क्योंकि तुम्हारी छवि के साथ ही ठहर मैं जाता हूं
ना जाने कौन हो तुम?
जिसके बिना रह नहीं पाता हूं
बस मौन मैं हो जाता हूं ,
खुद को समझने और समझाने की चेष्ठा मैं करता हूं
लेकिन तुम विचार बन मेरे मस्तिष्क में बैठ जाते हो
क्यों ? अपनी ही सोच में मुझे डूबा कर बार बार चले क्यों चले जाते हो ?
रूठे हुए दीखते हो तुम मुझसे लेकिन सबसे ज्यादा प्यार भी मुझे करते नजर आते हो
यह कौनसा है सम्बन्ध जो तुम मुझसे निभाते हो ?
शब्द परिचय
यह जो शब्द है
इनमें कितना गुस्सा भर जाता है
इनका आपा खो जाता है
शब्दो को कौन समझाए ?
इनको कैसे मनाए ?
छोटी छोटी बातों पर ये शब्द तो रूठ जाए
इधर आए तो कभी उधर जाए
जब कोई इनका अपना खो जाता है
दुख बहुत आता है, रिक्त स्थान हो जाता है
वो स्थान फिर नहीं भार पाता है
लेकिन शब्द कुछ कर नही पाता है
जब करना चाहता है तो
शब्दो का ज्ञान उन्हें कुछ समझता है
क्रोध बहुत भीतर भरा हुआ है
मानो कोई प्यारा छूट गया है
वो अपने ना थे लेकिन
अपनो से कम ना थे
उनके जागने पर हम सोते थे
उनके होने पर ही हम होते है।
उनके ना होने पर कहाँ चैन से
सोते है हम।
शब्द खाली है
शब्दो का सूनापन भी देखो
शब्दो
शब्द खाली है तो भरे भी है
शब्द चलते है भागते, दौड़ते है
तो रुक भी जाते है
थक हार भी जाते है
कभी शब्द खाली है
हिम्मत जुटाते है तो
कभी दम तोड़ते हुए भी
ये शब्द नजर आते है
हाथ पाँव हो या नही पूरे हो
या नही फिर भी जिंदगी के
साथ जीते हुए नजर आते है
अपना समपर्ण देते है किसी
दूसरे शब्द का सहारा बन जाते है
तो कभी सिर्फ अपना मतलब
सीधा करते हुए ही ये
शब्द नजर आते है तो कभी
जिसको जरूरत है उसका
सहारा बन ये शब्द जाते है,
शब्द को शब्द मिल जाए तो
शब्द के मायने बदल जाते है
समय अब पूरा
समय अब पूरा होने लगा ,समय का कुछ हिस्सा बाकी था।
अब वो भी खत्म होने लगा
कुछ काम हो गया कुछ और रह गया
यहाँ होने की समय सीमा पूरी होने लगी है
कुछ और वक़्त पूरा होने को है।
कुछ देखने के लिए रुके हुए यहाँ
वक़्त और नजदीक आने लगा है
किसी का इंतज़ार है बस अब
उनके आने पर हम भी चल चलेंगे
उन्होंने कहा था, वही आकर मेरा हाथ पकड़ेंगे
और हमे अपने साथ वो ले चलेंगे
बस वही उत्सुकता बढ़ रही है
आज मुझमे भी कुछ हलचल हो रही है
खुद को रोके रोक नहीं पा रहा हूँ
बस अब इंतज़ार के पल मैं भी बीता रहा हूँ
सब्र का बाँध टूटने लगा है
अब समय पूरा होने लगा है
कुछ हिस्सा बाकी था
अब वो भी खत्म होने लगा है।
भीतर तकलीफ गहरी
बात कुछ भी नहीं थी लेकिन
मेरे भीतर तकलीफ गहरी थी
चार दिवारी में भी लगती दोपहरी थी।
दिन भी नही कटते थे
रात की तो बात क्या करु?
अश्क़ रुकते नही थे गाल सूखते नही थे
उन्हें बार बार रुमाल से पूछ साफ क्या करु ?
ना जाने ये कैसी बीमारी थी ?
लेकिन किसको बताये किसे समझाए
ये तकलीफ तो हमारी थी
वो साथ ना थे हमारे इस बात की भीतर तकलीफ गहरी थी
इसलिए सिर्फ दिन ही नहीं
रात भी अब मुझ पर भारी थी।
किसी ने खूब समझाया लेकिन
मुझ पागल को कुछ समझ ही नहीं आया
उसने बार बार समझाया
कई बार प्यार से बताया तो कई बार गुस्से में बताया
लेकिन मै बेवकूफ इतनी सी बात नहीं समझ पाया
दिन रात बस तेरा ही जिक्र
मेरे ख्यालों में,
जिसको मै अब तक भुला नहीं पाया ,
आंखो से औझल भी नहीं कर पाया