अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।
न चाहते हुए शोर हो जाता…
बात की गरिमा पे मटिया मेट हो जाता ।
यह बात बहुत ही अच्छी….
मैं अपनाना चाहता हूँ सच्ची ।
किया है संकल्प न यह टूटे….
निरंतर ध्यान प्रयास न छूटे ।
मुद्दा शोर करने पे वो भटकाता….
रखे शब्दों पे ज़ोर व्यथा रख पाता ।
आवाज़ तेज तो नये नये मुद्दे जागते…
समस्या ज्यो की तयों रहती जानते ।
मैं कही पढ रहा था….
समस्याओं को समझ रहा था ।
बारिश बरसात से फ़ुल खिलते….
बिजलियों गड़गड़ाहट से नहीं वो पलते ।
अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।
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