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अपने पे रखे नज़र

अपने पे रखे नज़र हम दिखते कैसे है…
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है….
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है ।

जो दिखता है वही बिकता है ….
वो व्यापारी की नज़र रखता है ।
असल में तो हम अपनी नज़र से कैसे है…
वही सच में आप है , अपनी नज़र दिखते कैसे है ।

अपने पे नज़र रखे हम दिखते कैसे है,
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है,
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है।

हम आहुति हैं साहस की, न रुकने वाले युद्धों की,
जो अथाह विश्वास रखते, कठिनाइयों को चुनौती देते।
हम वीरता के अम्बार में चमक, अद्वितीय स्वाभिमान की,
पर दिखने का तरीका, यह जग न समझे, हम जानते हैं बस खुदाई की।

सबके होंठों पर हंसी हो, लेकिन सच्चाई हमारी हो,
चाहे चुप रहें हम, जैसे ज्ञाता नहीं हमारी हो।
हम कवच हैं सत्य का, जो न टूटे कभी विपरीत में,
बदलने से तोड़ देंगे नहीं, इस जग के फ़रमान को हम पर मिले विपरीत में।

अपने कर्मों में छुपी है, हमारी असलियत गहराई में,
हम पर नज़र रखने वालों को है यह सच्चाई में।
हम अद्वितीय व्यक्तित्व के साकार हैं, अज्ञात जग में छिपे हुए,
बस खुद का साथी हैं हम, बाकी सब बने रुखे हुए।

जगत के राजों की जड़ में है विद्या की वृक्षारोहण,
हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते जाते हैं अग्रणी।
हार नहीं मानते हम, जीत के लिए बने हैं हम आदी,
जिसे देखते हैं सब राज, वही हमारी पहचान है प्रमुख हदी।

अपने पे रखे नज़र हम दिखते हैं जैसे कैसे,
यही मुद्दे की बात हम जानते हैं कैसे।
असली लेबबोलबाब हम दिखते हैं कैसे,
इसी बात सब राज हम दिखते हैं कैसे।

यह हैं हमारी प्रखरता, जो छिपी हैं हमारे अंदर,
जग में लहराते हैं हम, अपने वीरता के प्रमाण पर।
हमारे हृदय में धड़कन, जो लहराती हैं गर्व के साथ,
महसूस करो यह जग, हमारी उच्चता की अवाज़।

हम सृजनशीलता के प्रतीक, जो जगत में चमकते हैं,
अपने विचारों के आचरण, जो जग को प्रेरित करते हैं।
हम उज्ज्वल आध्यात्मिकता, जो जगत में छाती चौड़ी करते हैं,
मिटाओ अंधकार को, बन जाओ ज्ञान के बिरादरों के सरदार।

हम अस्थायी नहीं, दीर्घकालिक प्रतिष्ठित हैं,
जहां जाते हैं हम, उज्ज्वलता छोड़ जाते हैं।
हम सहायता के प्रतीक, जो जगत को बचाते हैं,
बढ़ते हैं हम सबके साथ, जीवन के रास्ते साथ चलाते हैं।

हम अपने कर्मों के धर्म में जीने का जन्म लेते हैं,
जन जन को जागृत करते हैं, सत्य के पथ पर चलते हैं।
जग को दिखाते हैं हम, अपनी सत्यता के बादशाही,
हम अपने पे रखे नज़र हैं, जग को दिखते हैं कैसे हमारी महिमा।

घेरने को बीमारी तैयार

घेरने को बीमारी तैयार ….
होके घोड़े पे सवार ।
बीमारी दबी भीतर…..
कमजोर पड़ते आ जाएगी ऊपर ।
घेरने को बीमारी तैयार….
सज के घोड़े पे सवार ।

बीमारी और स्वास्थ्य में लकीर लकीर का फ़र्क़….
जिसकी लकीर हो जाती बड़ी चलता उसका तर्क ।
घेरने को बीमारी तैयार ….
तर्क के घोड़े पे सवार।

घेरने को बीमारी तैयार,
होके घोड़े पे सवार।
बीमारी दबी भीतर,
कमजोर पड़ते आ जाएगी ऊपर।

बस्तियों की चौकीदारी,
आँखों में है चिंता सदैव।
जगह छोटी, जनसंख्या बढ़ी,
स्वास्थ्य की बातें हो गईं परेशानी आविर्भाव।

प्रदूषण ने घेरा दूरियाँ,
धूल के ढेरों ने छिन ली धड़कनें।
जहां स्वच्छता की बातें थी सुनी,
वहां कचरे की बढ़ गई बरसातें।

धुएं में उड़ रहा खुदरा जीवन,
दानों की जगह पाएंगे अनुशासन।
बीमारी की लहरें बढ़ रहीं गहराई,
स्वास्थ्य की चिंता बढ़ी तनाव की वजह।

उच्च रक्तचाप, मधुमेह और दिल की बीमारियाँ,
बढ़ती उम्र के साथ हो रहीं जमावटें।
घबराहट हर घर में घुस रही है,
स्वास्थ्य का मामला हुआ नाराजगी का वजह।

व्यस्तताओं ने छीन ली सुख की नींव,
प्राकृतिक आहार की बढ़ी है कमी।
जीवन में खुद को समझाने की जरूरत है,
स्वस्थ रहेगा तो होगी कामयाबी।

योग और ध्यान का अभ्यास करें,
रोज़ाना व्यायाम को महत्व दें।
प्रकृति से संबंध बनाए रखें,
स्वास्थ्य की रक्षा में आगे बढ़ें।

घेरने को बीमारी से बचें,
उत्साह और संयम से रहें सजग।
स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ें,
खुशहाली की राह पर आगे बढ़ें।

यह संदेश देता है संकेत,
स्वास्थ्य का रखें हमेशा ध्यान।
बीमारियों को दूर रखें दूर,
जीवन को बनाएँ स्वस्थ और पुरूर।

अच्छे आहार का सेवन करें,
फलों और सब्जियों से भरें थाली।
विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर,
स्वस्थ शरीर को पाएँ मजबूत और स्वस्थ बाली।

व्यायाम को न भूलें, नियमित बनाएँ,
शारीरिक कठिनाइयों को दूर भगाएँ।
स्वस्थ मनोवृत्ति का ध्यान रखें,
खुशहाल और सकारात्मक जीवन बिताएँ।

धूल, धुएं, प्रदूषण से बचें,
पर्यावरण की रक्षा करें सबके साथ।
स्वच्छता को महत्व दें हम सभी,
स्वस्थ भारत की ओर करें प्रगति का साथ।

इस प्रकार से स्वस्थ रहें हम सब,
बीमारियों से दूर रखें हम खुद को।
स्वस्थ देश का सपना साकार करें,
आपदाओं के खिलाफ मजबूत खड़े हों।

स्वस्थ्य जीवन का ध्यान रखें,
खुशहाली की ओर बढ़ते जाएँ।
घेरने को बीमारी ना तैयार करें,
आपदाओं के साथ निरंतर लड़ते जाएँ।

यह भी पढे: मुस्कुराहट छुआ छूत, जब कोई आपसे पूछे, हरकत में बरकत,

जिसने दुख दिया

जिसने दुख दिया उसे दे क्षमा का दान ….
अगली बार न कर सके रखे ध्यान ।
क्षमा दान नम्र व्यवहार का निर्माणदाता…
जो सब जीवनों का बनेगा सुखदाता ।

भूल चूक ग़लतियाँ कभी किसी से भी होती रहती…..
क्षमा ही चिकित्सा होवे इस सच्चाई की अनुभूति ।
जिसने दिया दुख उसे दे क्षमादान….
यह व्यवहार होवे हमारी पहचान।

जिसने दुख दिया उसे दे क्षमा का दान,
अगली बार न कर सके रखे ध्यान।

क्षमा दान नम्र व्यवहार का निर्माणदाता,
जो सब जीवनों का बनेगा सुखदाता।

दृढ़ संकल्प से करें इसकी प्रार्थना,
बढ़ाएं प्रेम का गहरा अभिमान।

अहंकार को त्यागें, दया का पाठ पढ़ें,
सबको समझें, सम्मान से व्यवहार करें।

स्वीकारें जीवन की अनिश्चितता को,
बढ़ाएं सबका अपार सम्मान।

बिना शर्तों के दें दया का वरदान,
हर कार्य में भरें प्रेम का अभियान।

बिना इच्छा के हों सेवा में लगे,
जीवन को सुखी और शांति से भरे।

हर अवसर पर रखें खुशहाली की दृष्टि,
हस्ती हुई अन्याय को उजागर करें।

क्षमा का दान अपनाएं व्यापार में,
विश्वासपूर्वक चलें सबसे साथ।

सभी को आदर और प्रेम से देखें,
जीवन को बनाएं आनंदमय और साथ।

जिसने दुख दिया उसे दे क्षमा का दान,
अगली बार न कर सके रखे ध्यान।

क्षमा दान नम्र व्यवहार का निर्माणदाता,
जो सब जीवनों का बनेगा सुखदाता।

तन्हाई का रास्ता

तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं, तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था,उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं।

ज़िन्दगी की जगमगाहट में खो गया हूं,
किसी के साथ न जाने कितनी रातें बिताया हूं।

तेरे जाने के बाद ये दुनिया सुनी हो गई,
हर रोशनी भी चली गई, अँधेरे में डूब गई।

तन्हाई की इस राह पर आज भी चलता हूं,
यादों के साथ आँसू बहाता हूं।

मेरी आवाज़ को धड़कनें सुनती हैं,
मगर खुद को तन्हा ही पाता हूं।

ये तन्हाई भरी ज़िंदगी अजनबी सी हो गई,
खुद को खो बैठा हूं, खुद से अलग हो गई।

क्या ये तन्हाई ही ज़िंदगी का मतलब है?
या कोई और मुझे समझा ही नहीं है।

अकेले बैठ

अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…..
आत्ममंथन में समय को करे व्यय ।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे …..
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे ।

बेंठे अकेले और स्वय को दे समय….
व्यर्थ की बाँतो में हो रहा वो व्यय ।
रात्रि में करे दिन का लेखा जोखा….
व्यर्थ को छोड़े नहीं तो खा जाएँगे धोखा ।

अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।

जीवन की भागदौड़ में जब हम टूटे जाते हैं,
समय के चक्र में खो जाते हैं,
तब अकेले बैठ कर स्वयं को ध्यान देना होता है,
अपनी प्रतिभा को जगाना होता है।

जब जीवन की उचाईयों पर चढ़ना होता है,
समय के साथ कदम साथी रखना होता है।
आत्ममंथन करें और समय को व्यय करें,
इस रूप में अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।

हर दिन क्रियाएं करें सोने से पहले,
अपने सपनों को पूरा करने के लिए जगें।
आत्मा की ऊर्जा को जगाएं और बढ़ाएं,
नये दिन में खुशियों से भरी जिंदगी पाएं।

जन्मी समझ से नये दिन का स्वागत करें,
खुशियों के फूलों से आगाज करें।
अपनी कविता के रंग में रंग जाएं,
और जीवन की हर बाधा को संग जाएं।

अकेले बेंठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।

जीवन की रेखाएं हम खुद खींचते हैं,
खुद ही अपने भाग्य की रचना करते हैं।
समय को सदा महत्व देते रहें,
और सपनों को पूरा करते जाएं।



सुविधाये

सुविधाये बन जाती दुविधाएँ….
जब जब वो सर चढ़ जाए ।
सुविधा है नहीं है वो हक़…..
कभी भी सकती वो सरक ।

धन्यवाद कीजिए मिली है सुविधा….
निपट रहे कार्यक्रम दूर हो रही दुविधा ।
चार दिन की ज़िंदगानी है जनाब …..
मिलजुल के ले सुविधाओ का लाभ ।

सुविधाये बन जाती दुविधाएँ,
जब जब वो सर चढ़ जाए।
सुविधा है नहीं है वो हक़,
जग जमाने में यही अहम सवाल बन जाए।

आदत सी बन गई हैं हमारी,
सब कुछ चाहे बिना मेहनत के पाए।
पर यह भूल रहे हैं हम शायद,
जो ऐसे हक़ को हासिल करने का बन जाए।

हक़ वो नहीं होता सिर्फ सुविधा,
जो मिले बिना किसी प्रयास के।
समय, मेहनत, और संघर्ष से,
हक़ को हम प्राप्त कर सकते हैं अपने मायने में।

ज़रूरत से ज़्यादा दौलत और आराम,
वास्तविकता से दूरी बढ़ा देते हैं।
पर असली महत्व हक़ का होता है,
जो मनुष्य को सच्ची ख़ुशी देते हैं।

हक़ को पाने के लिए संघर्ष करो,
खुद को प्रशासित करो, संयम रखो।
सुविधाओं की जगह हक़ को दो,
और जीवन को सत्य और न्याय से सजो।

इसलिए, सुविधाये बन जाती दुविधाएँ,
जब जब वो सर चढ़ जाए।
पर याद रखो, हक़ का मोल नहीं है,
सुविधाओं की दौलत में, असली ख़ुशी छिपी होती जाए।

चिंता में रहोगे

चिंता में रहोगे …..
भीतर के ताप से जलोगे ।
और जो खुश रहोगे….
ख़ुद स्वस्थ दूसरो को खुश कर सकोगे ।

ईर्ष्या भय चिंता और शंका…..
दुःख मुसीबतों का बजेगा डंका ।
ख़ुशी खुशी रहना सुखद संक्रमण…..
शुभ और लाभ ख़ुशी का आचरण ।

चिंता में रहोगे, दुःखों में खो जाओगे,
भीतर के ताप से जलोगे, आत्मा को भस्म करोगे।

पर जो खुश रहोगे, संतुष्ट रहोगे,
जीवन की मधुरता को आसानी से छोड़ोगे।

चिंता और चिंतन से मुक्ति पाने का रहस्य हैं,
आत्म-विश्वास और प्रेम में विलीन हो जाना हैं।

भीतर की आग को बुझाने के लिए,
आत्मा को प्रकाश की ओर ले जाना हैं।

चिंता में रहकर आत्मा तप्त हो जाती हैं,
दुःखों में खोकर जीवन अधूरा हो जाता हैं।

पर जो खुश रहें, जीवन को समझें,
आनंद के बीज बोने में लग जाता हैं।

चिंता से दूरी और मन की शांति पाने का रहस्य हैं,
आनंद का स्रोत और खुशियों का आधार हैं।

जब खुश रहोगे, तो अनुभवों को महसूस करोगे,
आत्मा की गहराई और प्रेम की ऊर्जा में लीन होगे।

तो चिंता में न रहोगे, खुश रहोगे हमेशा,
जीवन की गाथा में आनंद से रंग भरोगे।

यह भी पढे: ना करे चिंता, समस्याओ का निपटारा, दुख क्या है, इंसान, संकट एक मुश्किल,

व्यवहार कैसा हो

व्यवहार कैसा हो ? यह बात मैं भूल जाता हूँ, मेरे जीवन का नियम सही हो सभी बराबर है, सबको आदर ओर सम्मान की दृष्टि से ही देखू

भूल जाता हूँ मैं कि दूसरे के
साथ वही व्यवहार जो चाहते
स्वयं के साथ ….
यही नियम सही जीवन का
सब बराबर हे यही
सच्चा परमार्थ ।

कुछ ज़्यादा पाने के
लोभ रोग के रहते
लगी बीमारियाँ..
सम्यक् दृष्टि
के निरंतर प्रयोग
से दूर होंगी दुशवारियाँ ॥

व्यवहार कैसा हो ? भूलता हूँ मैं कभी-कभी,
दूसरे के साथ वही व्यवहार,
जो चाहता स्वयं के साथ।

सोचता हूँ अक्सर,
मेरे बारे में ही हो सब,
सबका वही नियम, सबका वही लब।

पर क्या सच है यही,
जीवन का सही नियम?
क्या सबके साथी हैं,
हमारे भावों के नियम?

जब तक न पहचानें,
दूसरों के मन की बातें,
हम रहेंगे अनजान,
और भूलेंगे अपने अपने प्राण।

व्यवहार में एकता,
सच्चे मित्रता का आदान,
यही है सच्ची जीवन की,
सबके बीच सम्बन्ध की पहचान।

तो जगाएं एकता की आग,
प्यार से बांधें धरती को राख,
दूसरे के साथ जीना सीखें,
स्वयं को खोजें, नया व्यवहार जीने।

सबके बीच सम्प्रेम का निवास,
यही है सच्ची खुशियों की उपास,
भूल जाएं अपने अहंकार को,
और जीने लगें सबके साथ नये अंदाज़ में।

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छोड़ दो ख्याल

के अब उन खयालो को पनाह मत दो
हमे तुमसे दूर हो जाने मत दो
के अब ये रुठ जाने का
ख्याल छोड़ दो

शायद
अब ये मुमकिन ना होगा तुम्हारा
मेरी बाहों से दूर जाना
इसलिए
दूरियां मिट जाने दो
पास अब

हमे आने दो
ना तड़पाओ, रुलाओ ,
सताओ अब
बस मुक्कमल हो जाने दो

ख्वाब जिस्म और जान को
एक हो जाने का
छोड़ दो ख्याल
दूर हो जाने का अब हमे पास आने दो.

इस मोहब्बत को बेइंतहा हो जाने दो , दो जिस्म एक जान हो जाने दो

यह भी पढे: रात के ख्याल, तेरा ख्याल, बहुत सारा ख्याल, मेरे ख्यालों में ही, तुम्हारा ख्याल,

बीते हुए दिन

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी, शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके

क्युकी
वो दब गई , दफन हो गई
उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों में

जिनमें मैने की थी मैंने बहुत सारी नादानी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?

ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में,
जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में ,
क्यों गुम हो जाऊ ?
क्या है ख़ास ?
है क्या ख़ास ?
नहीं पता , मुझे नहीं पता

लेकिन फिर भी ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है
लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है
कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है , बताओ आते है ना
वो दिन

वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे
उनमें तुम्हारा बचपन भी था , लड़कपन , जवानी , झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था
तुम्हारे चेहरे पर

लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में , पन्नों में , कलम की स्याही से
जिन्हे फिर से  ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
(उन्मे सिर्फ पुरानी याडे है दबे हुए कुछ अरमान है )
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट ,
दबे आंसू , झलकता जाम
ओर धुंधली यांदे है
जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है

लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन ,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है ,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,
उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरी पुरानी यादे ही तो बन रह गई।

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