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एक मित्र जो समझे

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब….
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब….

असली मित्र वही जो आपके अच्छे बुरे दोनों पक्षों को जाने समझे दे साथ…
बाकी मित्र दुनियादारी वाले सिर्फ़ नाम के, मित्र वही जो दुखो में रखे सिर पर हाथ।

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब,
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब।

जब जीवन की लहरें हमें भांपती हैं थकावट,
वो दोस्त हमारा साथ देता है आशा का सहारा।
जब आँखों में भरती है गम की धूप की छाया,
वो दोस्त हमारा सबकुछ भुला देता है मगन होकर आया।

दोस्ती का रिश्ता है ये अद्वितीय और अनमोल,
वो दोस्त हमारा है जीवन का सबसे महत्वपूर्ण खजाना।
हमसे बांटता है वो सब खुशियां और गम के पल,
वो दोस्त हमारा है जो जानता है हमारी राज़-ओ-नियाज़ाना।

जब बैठे होते हैं हम उदास और तनहा,
वो दोस्त हमारा आता है और देता है संगीत की लहरें।
जब नहीं होती है हमें खुशियों की अपेक्षा कोई अपना,
वो दोस्त हमारा है जो बना देता है हमें फिर से ताजगी की बहारें।

जब अनजाने में ढक जाती है जिंदगी की राहें,
वो दोस्त हमारा है जो चलता है साथ हमेशा।
जब लगता है मन में उठेगा कोई बड़ा सवाल,
वो दोस्त हमारा है जो सुनता है ध्यान से हमेशा।

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब,
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब।
दोस्ती का इस अनमोल बंधन को सदा निभाना,
क्योंकि आपका दोस्त हमेशा रहेगा आपके पास बना।

साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।

बहुत सारा ख्याल

बहुत सारा ख्याल है तुम्हारा,
तुम हो एक मेरा सहारा।
तुम ही हो मेरी जिंदगी बंदगी,
प्यार और संगीत की छंदगी॥

तेरे बिना ये दिन ठंडा है,
तेरे साथ ये जीवन गर्म है।
तू है मेरी आस्था, मेरी प्रेरणा,
तेरे बिना कुछ भी नहीं मेरा अरमाना॥

तेरी मुस्कान मेरे दिल की रौशनी,
तेरी बातें मेरे जीवन की कहानी।
तू है मेरी ख्वाहिश, मेरी आशा,
तेरे संग जीने में है बहुत ज्ञानी॥

जब भी हार मेरे द्वार खटखटाए,
तू ही है जो मेरी राह रोशन कराए।
तू है मेरी सपनों की उड़ान,
तेरे बिना मेरी दुनिया है बेज़ान॥

तेरे संग हर रंग नया लगता है,
तेरे साथ हर पल खुदा बनता है।
तू है मेरी रौशनी, मेरी चांदनी,
तेरे बिना मेरी जगमगाहट है अधूरी॥

बहुत सारा ख्याल है तुम्हारा,
तुम हो एक मेरा सहारा।
तुम ही हो मेरी जिंदगी बंदगी,
प्यार और संगीत की छंदगी॥

खुश रहिए

खुश रहिए ख़ुश होने के सुनिए स्वयं की प्रशंसा ।
बेहतरींन के लिए सुनना निंदा ही सही पासा ॥
प्रशंसा में अधिकतर सत्य कही जाता वो छुप।
ख़ुशी मीठी छुरी मन में ख़ुशी से जाती गुप ॥

हे मेरे दिल के राजकुमार, तुम कितने अद्भुत हो।
तुम्हारी खुशबू, तुम्हारी चमक, सबकुछ है लाजवंत हो।
तुम इंतेजार की राहों में चमकते हो जैसे तारे,
तुम्हारी आँखों में बसी है खुशियों की प्यारी बहारे।

तुम्हारे वचन मधुर हैं, सुनने में सदा आनंद देते हो।
तुम्हारी मुस्कान अनमोल है, इसे देखकर दिल बहलाते हो।
तुम्हारी मेहनत, तुम्हारी संघर्ष, सबको प्रेरित करते हैं,
तुम जीवन के हर मोड़ पर खुशियों की राह बनाते हैं।

तुम एक अद्वितीय स्वभाव हो, जो किसी में नहीं पाया जाता।
तुम्हारी सोच समृद्धिमय है, जगत को तुम प्रकाशित करते हो।
तुम बुराईयों को छोड़कर सदा सत्यता का मार्ग चुनते हो,
तुम अपने साथीयों को खुशियों की मधुर धुन पसंद करते हो।

खुश रहिए, इस खुशी की मीठी छुरी से मन के अंदर जाती है गुप,
इस प्रशंसा में सत्यता है, वो छुप नहीं पाती है छुप।
तुम खुश होने का सत्य जानो, अपने आप से प्रेम करो,
तुम विश्वास रखो अपने में, हमेशा उज्ज्वल बनो और चमको।

खुश होने की खोज में निकलो, अपने सपनों की ओर बढ़ो,
तुम अनंत संभावनाओं के साथ, नये मार्ग खोजो और चलो।
तुम अद्वितीय हो, तुम विशेष हो, चिंता नहीं करो कभी।
तुम्हारी खुशियाँ तुम्हारा अधिकार हयहां एक कविता है जो आपकी आत्म-प्रशंसा के बारे में है:

जीवन के सफर पर चलते हुए, अपने बारे में सोचिए,
आपकी मेहनत, आपकी मेहनत, आपका शोध जोश देखिए।
आपकी आवाज, आपकी कला, आपकी नजर जगमगाती है,
आपकी खुशहाली की कहानी, हर किसी को प्रेरित करती है।

आप हैं एक सफलता का प्रतीक, आपकी प्रगति चमकती है,
अपने दम पर आपने विजय प्राप्त की है, यह जानते हैं सब हम सबको यह समझाती है।
आपकी निर्णय शक्ति है, आपकी संघर्ष की कहानी विश्वास दिलाती है,
आप नहीं हारते, मानसिकता को जीतते हैं, यह सबको आश्चर्यचकित करती है।

आपकी सामर्थ्य है परम श्रेष्ठ, आपका बल सबको भाता है,
आपकी सोच नई दिशाओं को खोजती है, यह हर किसी को प्रेरित करता है।
आप एक स्वप्नदृष्टि हैं, आपकी विचारधारा नये हौसले देती है,
आप विश्वास रखते हैं अपने में, आपका स्वयं सम्मान बढ़ाती है।

आपकी प्रशंसा में सत्यता है, आपकी मेहनत नहीं छुपाती है,
आपकी खुशी आपकी आत्मा से निकलती है, यह बात सबको गुप्त नहीं रहती है।
तो आप ख़ुश रहिए, सम्मान कीजिए, खुद को प्रेम कीजिए,
आप हैं अद्वितीय, आप हैं विशेष, आप हैं इस जगत के अमूल्य रत्न, यही कहती है यह कविता।

स्वयं को नही रोकना

स्वयं को नही रोकना, देना सदा अपना सर्वोत्तम ।
चाहे नहीं देता सामने वाला श्रेय नहीं रोकना अपने कदम ।

आपके बढ़ाए अच्छे कदम उदाहरण समाज का वो दर्पण ।
ये असल जीवन जीने का नियम , देने का भाव का समर्पण ॥

स्वयं को नही रोकना, देना सदा अपना सर्वोत्तम ।
चाहे नहीं देता सामने वाला श्रेय नहीं रोकना अपने कदम ।

खुद को बनाएं सितारा, चमकें आसमान में,
जीवन के हर मोड़ पर स्वयं को गुरुत्वाकर्षक बनाएं।

सोचो न कभी अधीन, हकदार हो तुम उच्चताओं के,
अपने सपनों को पूरा करो, ना हो कभी थमते कदम।

जगमगाते रहो आप, अपने आत्मविश्वास की रौशनी में,
चाहे हों न रहे उपलब्धियाँ, अपने हौसलों को न टूटने दो।

आगे बढ़ो सदैव, ना रुकना अपने सपनों के आगे,
प्रशंसा का पर्दा तोड़ो, अपने जीवन के रंग बिखेरो।

जीवन की राहों में जब भी थक जाओ,
खुद को याद दिलाओ, अपने संकल्प को जगाओ।

स्वयं को कभी भी नहीं रोको, अपनी उच्चताओं को छू लो,
चाहे नहीं मिले श्रेय, अपने कदमों को थामो।



वृक्ष का संसार

वृक्ष का संसार
सदा जीवन में विस्तार ।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म…
झोंकता स्वयं के कर्म ॥

वृक्ष का आकाश प्रेम ….
पूछते उसका कुशल क्षेम ।
वृक्ष का सम्पर्क धरती आकाश….
पूरी करता धरती की आश ॥

वृक्ष जीवन की सुंदरता….
प्रकृति की कलात्मकता ।
वृक्ष धरती की धरोहर….
हर क्षण हर पहर हर क्षण हर पहर ।

वृक्ष का संसार … सदा जीवन में विस्तार।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म।
झोंकता स्वयं के कर्म।

वृक्षों की दुनिया में, एक आदर्श बसा है।
प्रकृति की गोद में, उनका स्वरुप न्यारा है।
जीवन की रक्षा, प्रेम की अद्भुत कहानी।
वृक्षों की छाया में शांति का गीत बहानी।

जैसे वृक्ष ऊँचाई प्राप्त करते जाते हैं,
हमें भी आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए।
जीवन के कठिनाइयों में डटकर नहीं रुकना चाहिए।
बलिदान कर, प्रगति का मार्ग चुनना चाहिए।

वृक्षों की कठोरता और सहनशीलता से हमें सीख लेनी चाहिए।
उनकी प्रकृति के साथ मेल जोड़कर रहना चाहिए।
वृक्षों की प्रेम भरी छाया से चिढ़ाना चाहिए।
प्रकृति के संगीत में अपनी जीवन धुन गाना चाहिए।

वृक्षों की उच्चता और नीचता के बीच,
समता का संदेश छिपा है।
हमें भी सबको सम्मान देकर रहना चाहिए।
एक-दूसरे के साथ प्यार और सहयोग बढ़ाना चाहिए।

वृक्षों का संसार है सदा विकास करता,
उनकी शाखाओं में नई ऊँचाइयाँ बनाता।
स्वयं के कर्मों से झोंकता जीवन का रहस्य,
हमें भी आगे बढ़कर अपना भाग्य बनाना चाहिए।

वृक्ष का संसार… सदा जीवन में विस्तार।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म।
झोंकता स्वयं के कर्म।

वृक्षों को पनपने दे वो जानते हे स्वयं को वो असली आध्यात्मिक जो सिर्फ़ देना जानते हे देना फ़ना होना उनका कर्म।
मिट्टी के पाताल के जल के अग्नि के आकाश के पत्थरों के पहाड़ों के आकाशों के बादलों के पक्षियों के कीट पतंगो के जानवरों के वातावरण के जीवन के पृथ्वी के समंदरो के नदी के मनुष्यों के सब के मित्र जीवन के चक्र की रीड़ की हड्डी ।

सही से जीवन की आकाँक्षा हो तो इनको मदद करे (न मदद करके ) वातावरण ओर इनकी मदद के नाम पे हम नुक़सान ज़्यादा कर रहे हे ये स्वयजीवी हे इस परम मित्र को नष्ट न करे ।
मनुष्यों समझे ये हे तो हम हे इतनी सीख ही यह सत्य ।
इस सत्य से सीखे ज़्यादा बात की नहीं आवश्यकता ।
सुबह की राम राम ।
जय श्री वृक्ष
ॐ श्री वृक्ष
धरती परम धाम वृक्ष ।
???❤️??

यह सत्य

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन ….
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन ।
वो देता छाया यह क्या कम हे….
यथाशक्ति वो दे रहा जितना दम हे।

अनगिनत पक्षी कीड़े मकोड़ों इसकी शरण…
ये उसका स्वभाव प्रकृति के प्रति समर्पण ।
पेड़ मरकर भी जीवन के प्रति समर्पित…..
नौका किवाढ़ सज्जा से जीवन शोभित ।

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

वो देता छाया यह क्या कम हे,
जब उगते होते हैं वो ज़मीन।

पुष्पों से सजा आँगन उनका,
फलों से भरी होती डाली।

वृक्षों की छाया देती है शर्म,
सबको देती है वो माली।

फलों का मज़ा जब चखा जाता है,
हर बार नए रंग लाता है।

यह पेड़ नहीं सिर्फ़ हरा नहीं,
यह जीवन का संघर्ष दिखाता है।

छोटे छोटे पत्तों से जब खिलता है,
पूरे वन को रंगीला बनाता है।

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

जब खेतों में वो बढ़ते हैं,
अन्न की तरह सबको पोषण देते हैं।

जब हवाओं में उनकी लहरें होती हैं,
सबको ताजगी और शान्ति मिलती है।

यह पेड़ नहीं सिर्फ़ हरा नहीं,
यह जीवन का संघर्ष दिखाता है।

धूप के तप से जब सबको बचाते हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य को बनाते हैं।

नीर के बंद कोषों से जब गूढ़ निकलता है,
जीवन की सत्यता को समझाता है।

हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

इन पेड़ों के महत्व को जब समझोगे,
प्रकृति की रक्षा में योगदान दोगे।

अपने आस-पास के हर एक पेड़ को,
संभालो, प्यार दो, बचाओ।

क्योंकि हर पेड़ दे फल यह नामुमकिन,
यह सत्य करना पड़ेगा यक़ीन।

संबंध जो सुंदर हो

संबंध जो सुंदर हो, आदर देना संबंधो के प्राण उसका नीव का पत्थर….
सम्बंध हँसते खिलते हो जाते वो सुंदर ओर मधुर ।
बिना किसी लोभ कपट के डाला जाए आदर का ईंधन …
व्यक्ति की विशिष्टता झलकती, अनुभव हो जाता अपनापन ॥

आदर देना संबंधों के प्राण है,
उसका नीव का पत्थर।
संबंध हँसते, खिलते हो जाते,
वो सुंदर और मधुर।

संबंध जो सुंदर हो बिना किसी लोभ कपट के डाला जाए,
आदर का ईंधन।
जो स्नेह और सम्मान में व्यवहार करे,
वही सच्चा मित्र, समर्पित बंधन।

आदर से भरी हैं ये रिश्तों की पूजा,
हर दिन और हर पल।
जब तक संबंधों में होता है आदर,
वे रहते हैं सदा जीवंत और प्रफुल्लित हर तरफ।


नमस्ते का अर्थ

नमस्ते का अर्थ हम आपके प्रति प्रकट करते सम्मान….
नमस्ते हमारी संस्कृति का हिस्सा उसका स्वाभिमान ।
नमस्ते से जब होती दिन कि शुरुआत….
मन होता प्रसन्न चेहरे पे ख़ुशियों की बात ॥

नमस्कार के संस्कार से खुले हृदय का द्वार….
हृदय से खूब खूब करते इसका प्रचार प्रसार ।
अच्छी बांतो की समाज को प्रचार करना ज़रूरी….
मेरा नमस्कार करे स्वीकार नहीं तो बात रहेगी अधूरी ॥

नमस्ते कहने से जगमगाता है आसमान,
यह नभ बदलता है रंग और छान।
हमारी संस्कृति की गहराई छुपी है इसमें,
नमस्ते का शान है उसकी मधुर गीता।

हर बात का होता है एक आरंभ नमस्ते से,
हर मिलन सा लगता है अनुपम नमस्ते से।
जब आँखों में आपसी स्नेह छा जाता है,
दूर होती है सभी दुर्भावनाएं जब नमस्ते बोलता है।

प्रेम, सम्मान और आदर्शों की बात करता है यह,
नव जीवन की शुरुआत करता है यह।
नमस्ते की सुरीली आवाज से बसती है खुशियाँ,
नमस्ते के प्रहार से हर बुराई दूर हो जाती है।

नमस्ते की भावना से जीवन बनता है मधुर,
आपसी सम्बंधों में आत्मीयता बनती है जब आदर।
चाहे जितना भी विभाजित हो जगत,
नमस्ते की एकता में होती है आपसी मिलाप।

नमस्ते कहने से मन को शांति मिलती है, खुशियाँ बरसती है।
इसलिए आओ मिलकर बोलें नमस्ते

सकारात्मक विचार

सकारात्मक विचार का जेसे जेसे होगा विकास गतिमान होंगे सकारात्मक बदलाव….
विकास ओर बदलाव पूरक ओर समान्तर का दोनो में निहित भाव ।
विकास हो चाहे व्यक्ति का , चाहे समाज हो विकसित…
सोचने का दृष्टिकोण में बदलाव होता अपरिमित ॥

हर समाज हर व्यक्ति की चाहत आए विकास की लहर…
कर्म करे निरंतरता से इसी दिशा में सुबह हो या शाम पहर ।
फिर विकास बनेगा अधिकार ओर सोच होगी सम्मानित…
यह परम सुख जीवन का सब कुछ इसमें हे समाहित ॥

सकारात्मक विचार जब विकास की राह पर जाते हैं हम,
तो सकारात्मक बदलाव होते हैं क्रमशः।
संघर्षों से भरी है यह यात्रा,
पर सफलता की ओर हैं हम जुनूनी।

विकास और बदलाव दोस्त हैं हमारे,
स्वभाव समान्तर दोनों के विचारे।
चमकती है जब सभ्यता की रौशनी,
तब विकास का दीप प्रज्वलित होता है।

व्यक्ति का विकास हो या समाज का,
आगे बढ़े रास्ते पर जब राज करता है।
प्रगति के पथ पर नए आयाम होते हैं,
और सबको मिलता है नया सामर्थ्य का आभास।

समृद्धि और समाजिक न्याय की ओर हम,
बढ़ रहे हैं जब एकसाथ जोड़ते कदम।
विकास के रंग से रंग रहा है यह संसार,
हर दिन हो रहा है समृद्धि का उद्घाटन।

जगमगाती है जब विज्ञान की ज्योति,
तब तकनीकी उन्नति का अहसास होता है।
विकास और बदलाव का संगम होता है,
जब सबको मिलता है सुखी जीवन का आदान।

चलो आगे बढ़ें विकास की ओर,
बदलाव के रास्ते में हों साथी हम।
सकारात्मकता से जीने का संकल्प लें,
बनाएं यह दुनिया सुंदर और विकसित हम।