Posts tagged anmol shabd

हार की संभावना

यदि हार की कोई संभावना ना हो, तो जीत का कोई अर्थ नहीं है। हार की संभावना ने
अधिक सोचा मुझे भाई
क्या ये सोच हमें लड़ाती है
या हमें करीब ले जाती है?

कभी-कभी जीत से ज्यादा
हमें हार का डर सताता है
पर जब हम हार को गले लगाते हैं
तो नई जीत का आनंद मिलता है

हमें समय समय पर नहीं भूलना चाहिए
जीत और हार एक जैसे होते हैं
हार हमें नए पथ पर ले जाती है
जहाँ नए अवसर होते हैं

यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है
हार और जीत

जिंदगी की मुसीबतों से
हमें कुछ ना कुछ सीखना होता है
हार से हमें सीख मिलती है
और हम नए जीवन का संचार करते हैं

तो डरने की जगह जीत के लिए लड़ें
और हार को अपने साथ चलाएं
क्योंकि जीत हार का परिणाम होती है
और हार जीत का द्वार खोलती हैं।

यह भी पढे: क्या हार भी अच्छी, प्रेरणा एक संभावना, नई संभावनाओ से, सफलता का सफर,

बेइंतहा मोहब्बत

बेइंतहा मोहब्बत ,गिला-शिकवा ,
दर्द ए सितम,
ना मरहम कोई उन्होंने लगाया
बस
वक़्त बेवक्त
जख्म को नासूर बनाया
क्या क्या ना उन्होंने – क्या क्या ना उन्होंने
मुझ पर आजमाया
देखो तो सही अरे देखो तो सही
कमाल उनका था ये
उन्होंने हथियार भी ना उठाया
ओर
खून खंजर बिन मेरा कर दिया
और अब उन पर
इस जुल्म इल्जाम भी नहीं आया।

बेइंतहा मोहब्बत
जख्म

मिट्टी का घरौंदा

मिट्टी का घरौंदा अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा ही तो है, जो मै बनता हूं बार बार ,
फिर क्यों मैं ? यहाँ पर अपना
दिल और दिमाग इतना मै लगाता हूं
टूट जाता है, यह मिट्टी का घरौंदा जिसे

मैं इतनी मेहनत से बनाता हूं
एक दिन तो छोड़ जाना है सबकुछ, कुछ साथ नहीं मुझे अपने लेकर जाना है
फिर क्यों मैं?
दिल इस दुनिया से लगाता हूं, जो अक्सर टूट हुआ दिल ही नजर आता है, यह शरीर मिट्टी का घरौंदा ही है जो अक्सर टूट जाता है।

मिट्टी का घरौंदा ही तो है अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा




जीवन एक अवसर है

जीवन एक अवसर है।

जीवन को अवसर का मोहताज ना रहने दो, जीवन तो स्वत एक अवसर है, इसे एक अवसर , मौके के रूप में तुम लो , जीवन एक सुनहरा अवसर दे रहा है तुम्हें यू ना इसे तुम जाने दो

जीवन एक अवसर है इसको अवसर की तरह देखो जन्म ओर मृत्यु के बीच में हमे बहुत सारी जो जीवन यापन कर रहे है वह एक सुनहरा अवसर है इस जीवन को यू ही व्यर्थ न करे, इसे अवसर के रूप में ले ओर इस जीवन लक्ष्य को पहचाने, और लक्षे की और आगे बढ़े तथा जाने की आप यहाँ क्यों आए है? क्या कारण, उद्देश्य है इस जीवन का? इस बात को खोजने में अपना जीवन लगाए।

लेकिन तुम्हे उस बात से क्या ?

हाँ टूट तो मैं फिर से  गया हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हा रोता हूं फिर से कोने में बैठकर
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?

आंखों से अश्क़ बहते गए और दर्द बढ़ता गया तेरा इंतज़ार मैं करता गया जिंदगी को अपनी
साँसे बस तेरे नाम मैं करता गया
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
घबरा जाता हूं , सहम चुप फिर से  बैठ मैं जाता हूं

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
भीतर बहुत तकलीफ हो रही है , दुबारा दूरियों के एहसास होने पर
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मैं भीतर से खाली खाली लग रहा हूं
तेरे जाने से मेरे दिल का कमरा खाली हो गया है

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
टूटा हुआ था मैं पहले से अब चकनाचूर भी हो गया हूं
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
( तेरी याद में तिल तिल मर रहा हूं
अपनी बची हुई साँसे गिन रहा हूं )
एक बार मर चुका था मैं

उसमे बची थी जो कुछ सांसे अब मैं उनका भी दम तोड़ रहा हूं ( साथ छोड़ रहा हूं मैं )
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मैं मरकर जिउ या जीकर मरु फिर से
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
हाँ जिंदा हूं अब तक जिंदा लाश की तरह

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
गुजरते दिन और राते बीत रही है तेरे ख्यालो में
लेकिन
तुम्हे इस बात से क्या ?
मेरी नींद तेरी यादों में उड़ चुकी है मैं सो नही पाता हूं

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
मुझे तेरी याद आ रही है और मैं अब तुमसे बात करना भी चाहता हूं किंतु कर नही पा रहा हूं
लेकिन

तुम्हे उस बात से क्या ?
बहुत मन कर रहा है दिल आज फिर रो रहा है
लेकिन

तुम्हे उस बात से क्या ?
हा तेरी यादो से बाहर निकलने के लिए मयखाने में बैठ दो जाम भी पी रहा हूं
लेकिन तुन्हें उस बात से क्या ?
है, चूर हूं नशे में उस सिगरेट के धुंए में जिसमे तेरा चेहरा भी धुन्दला जो जाए, ओर तेरी याद ना आये
लेकिन उस बात से तुम्हे क्या?

डूब गया हूं तेरी याद में और मेरी आंखों से अश्क़ रुकते नही
लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?
तू मेरे खयालो से जाती नजी और मैं तेरे खयालो में आता नही
लेकिन तुम्हे उस बात से क्या ?

जो एक बार
बड़ी मुश्किल से भरोशा जताया था तुझ पर
लेकिन

तुझे उस बात से क्या ?
मैं बेइंतहा प्यार करने लगा था तुझे
लेकिन

तुझे उस बात से क्या ?
मैं पहली मोहब्बत में नीलाम होकर आया था
लेकिन

तुझे उस बात से क्या ?
मेरी पहली मोह्हबत का ज़ख्म भरा भी ना था 
तूने उसको कुरेद नासूर कर दिया

लेकिन
तुम्हे उस बात से क्या ?

प्रभाव स्वयं का

प्रभाव स्वयं का होना चाहिए , हमारा स्वयम का कोई अस्तित्व है या नही?
क्यों हम दुसरो की विचारधारा में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है? क्यों हम किसी दूसरे से इतनी जल्दी प्रभावित हो जाते है ? दुसरो के विचारो से , शब्दो से, कार्यो से हमारा जीवन प्रभावित हो रहा है लेकिन क्यों? हमारे खुद के विचार महत्व नहीं रखते क्या?

यदि कोई हमारे सामने व्यक्ति सो रहा होता है तो हम प्रभावित हो जाते है हमे भी नींद आने लग जाती है हमारे अंदर भी आलस पैदा होने लग जाता है।
इसका कारण क्या है ?
क्या हम कमजोर है ?

क्या हमारे अंदर आत्मबल की कमी है अर्थात स्वयं का बल नहीं है ?
क्या हमारा खुद पर कोई नियंत्रण नहीं है ?
क्या हमारे अंदर स्वयम का कोई प्रभाव नही है?

दुसरो की विचारधारा हमे अपने साथ बहाकर लिए जा रही है दुसरो के शब्द , भावनाए और एहसास हमे अपने साथ बहाकर ले जाते है, हम दुसरो के शब्दों से एकदम  प्रभावित हो जाते है क्यों ? क्या आपने यह जानने की कोशिश की है?

हमारे विचार आपस मेल करते है तो हम उसको सहमति दे देते है अथवा नहीं और यदि किसी के विचार ज्यादा प्रभावशाली होते है ती भी हम समर्पण भाव दे देते है, किसी ने कुछ कह दिया और प्रभावित हो गए स्वयम का कोई प्रभाव ही नही क्या ??

हमारे अंदर हमारा बहाव दुसरो के कारण हो रहा है दुसरो के विचारो और शब्दों के कारण हमारे जीवन का निर्माण हो रहा है, परिस्तिथियां निर्मित हो रही है।

यह विचार आ रहे है और जा रहे है इसी प्रकार से हमारा जीवन भी चले जा रहे है यदि हमने इन विचारो पर जोर ना दिया , ठीक ढंग से सोच नही और यदि हमने कोई विचार नही किया तो दुसरो की और और समय की विचारधारा हमे भी अपने साथ बहाकर ले जाएगी , हमे सोचना और विचारना होगा तथा उन सभी बातो को सही ढंग से समझना होगा

यदि हम अपने विचारो को अपने जीवन के बहाव को सही ढंग से सही रूप में सही दिशा में नही लेकर जाएंगे तो हमे भी उसी विचारधारा में बहना पड़ेगा और फिर हमारा जीवन हमारा न होगा वो जीवन किसी और के विचारो और शब्दो के कारण निर्मित होगा

क्या आपका जीवन आपके द्वारा नियंत्रित है या किसी और के द्वारा? प्रभाव स्वयं का होना बहुत आवश्यक है, नहीं तो मंजिल काही से काही ओर ही चली जाती है, दूसरों की विचारधारा में बहकर हम खुद से नियंत्रण खो बैठते है, इसलिए हमे स्वयं की बातों को अधिक महटव देना चाहिए।

यह भी पढे: दृढ़ निश्चय, वो नहीं है बराबर, शब्दो का प्रभाव, उत्साह से भरपूर जीवन,

सोच को बदलो

“सोच को बदलो जिंदगी जीने का नजरिया बदल जाए”
क्या सोच है आपकी और वो सोच किस प्रकार से बढ़ती ही जा रही है क्या उस सोच को बदलने की आवश्यकता है ?

एक बात तो यह भी है की खुद को बदलना जरूरी है ? नही बदलते जी हम तो ऐसे ही रहेंगे करलो जी जो करना है हो जाने दो जो होना हमे कोई फर्क नही पड़ता किसी भी बात से जो हो रहा है होने , छोड़ो इन बातो मत सुनाओ ये बदलने वगैरह की बाते हमे नही पसंद है यह सब
हमारे जीवन में बहुत ही पुरानी पुरानी सोच दबी हुई है।

जिन्हें हमे रूढ़िवादी विचार भी कह सकते है जिन्हें बाहर कर खत्म कर देना चाहिए क्योंकि पुराणों विचारों को छोड़कर आगे बढ़ना ही जीवन है नए नए विचारों को अपने जीवन में स्थान देना
अब यहाँ एक प्रश्न बनता की है की अगर आपकी सोच दबी है तो क्या फर्क पड़ता  है दबी रहने दो उनसे हमे क्या करना ?

जिसके कारण हमारा जीवन अस्त व्यस्त सा हो रहा है  और हम उस सोच को अब तक पकड़े हुए है और छोड़ ही नही पा रहे है क्या ये सोच आसानी से छूट सकती है या ये सोच ही हमारी आदत बन चुकी है पुराने विचारो को छोड़ दो इन पुरानी रूढ़ीवादी सोच को छोड़ दो।

पुरानी सोच से पीछे हट जाओ , दुसरो के विचारो में अपना जीवन व्यर्थ ना करे किसी के द्वारा गए तर्कों के ऊपर ही अपना जीवन स्थापित ना करो नए विचारो को स्थान दो जन्म दो और उन्हें ही जीवन के लिए आगे बढ़ाओ उपयोग में लाओ।

आपकी सोच आपके विचार भिन्न है अपने जीवन को खुद ही समझो जानो , खोजो, अपने अनुभव में लाओ दूसरे के अनुभव आपकी यात्रा में सहायक हो सकते है परंतु अंतिम छोर नही अपने शब्दो का अर्थ एहसास तो आप स्वयम ही पाओगे और जान जाओगे किसी और का एहसास आपका एहसास कैसे हो सकता है ??

आपको आपके अनुभव में लाना होगा हम बहुत जल्दी भावुक हो जाते है , क्रोधित हो जाते है
शब्दो को जोड़ना-तोड़ना मरोड़ना और उनको समझना होगा उन शब्दों को हमे जानना होगा हमारे शब्द का क्या अर्थ है?  इस जीवन का अर्थ हमे यदि जानना है तो पहले स्वयम को जानना होगा , और स्वयम को जानने का मतलब हम सभी मानवीय किर्यायों को जानना चाह रहे है क्योंकि मैं “मैं” नही हूं मुझमे मैं का अर्थ जो सबसे है सिर्फ मैं से नही हम किसी ना किसी रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए है हमारे शब्द हमारी सोच , विचार हमारे एहसास हमारी भावनाएं एक दूसरे से किसी ना किसी प्रकार से जुड़ी हुई है इसलिए स्वयम को मैं नही मानो “हम समझो” पूरी पृकृति की रचना संरचना पालन,पोषण, अंत सभी चीज़े एक साथ एक दूसरे से जुड़ी हुई है।

शब्द परिचय

यह जो शब्द है
इनमें कितना गुस्सा भर जाता है
इनका आपा खो जाता है
शब्दो को कौन समझाए ?
इनको कैसे मनाए ?

छोटी छोटी बातों पर ये शब्द तो रूठ जाए
इधर आए तो कभी उधर जाए
जब कोई इनका अपना खो जाता है
दुख बहुत आता है, रिक्त स्थान हो जाता है
वो स्थान फिर नहीं भार पाता है

लेकिन शब्द कुछ कर नही पाता है
जब करना चाहता है तो
 
शब्दो का ज्ञान उन्हें कुछ समझता है
क्रोध बहुत भीतर भरा हुआ है
मानो कोई प्यारा छूट गया है
वो अपने ना थे लेकिन
अपनो से कम ना थे

उनके जागने पर हम सोते थे
उनके होने पर ही हम होते है।
उनके ना होने पर कहाँ चैन से
सोते है हम।

शब्द खाली है

शब्दो का सूनापन भी देखो
शब्दो
शब्द खाली है तो भरे भी है
शब्द चलते है भागते, दौड़ते है
तो रुक भी जाते है
थक हार भी जाते है

कभी शब्द खाली है
हिम्मत जुटाते है तो
कभी दम तोड़ते हुए भी
ये शब्द नजर आते है

हाथ पाँव हो या नही पूरे हो
या नही फिर भी जिंदगी के
साथ जीते हुए नजर आते है

अपना समपर्ण देते है किसी
दूसरे शब्द का सहारा बन जाते है

तो कभी सिर्फ अपना मतलब
सीधा करते हुए ही ये
शब्द नजर आते है तो कभी
जिसको जरूरत है उसका
सहारा बन ये शब्द जाते है,

शब्द को शब्द मिल जाए तो
शब्द के मायने बदल जाते है

प्रकृति का संदेश

प्रकृति का संदेश इस समय पूरी दुनिया शाकाहारी भोजन ही प्रधानता है कुछ पढ़े लिखे गवार जो हमेशा यही कहते है को फूड चैन, लेकिन क्या अब नहीं सब कुछ सही चल रहा है, या अगले 21 दिन तक नहीं चलेगा ?

भगवत गीता में आहार पर भी कहां गया है।
तामसिक
राजसी
सात्विक

इस समय आप कौनसा भोजन कर रहे है ? पूरा विश्व सात्विक भोजन ही कर रहा है, प्रकृति भी तामसी आवरण को हटाकर सात्विक आवरण की और बढ़ रही है। विचारो में को शुद्धि आ रही है वह भी सात्विक हो रही है।

कर्मो के द्वारा भी किसी कोई हानि नहीं ही रही है इसका भी यही निर्देश मिल रहा है कि कर्म भी सात्विक ही रहे है।

हम किसी के लिए बुरा नहीं सोच रहे बल्कि हर किसी की मदद करने की सोच रहे है , वाणी सेभी किसी का अहित नहीं कर रहे यदि हम दूर भी है, तो भी किसी भी सोशल मीडिया साइट के द्वारा किसी को बुरा नहीं बोल रहे।

यहां पर एक और संदेश मिल रहा है self Isolation ka , स्वयं को असंग रखने का
हम यूं कहे कि स्वयं के साथ रहे , लोगो से भावनात्मक दूरी रखे , शारीरिक दूरी रखे तथा स्वाध्याय में जुट जाए स्वयं का अध्यन करे यही भागवत ज्ञान सप्ताह सात दिन , चौदह दिन और इक्कीस दिन चलता है आपको 21 दिन मिले है, आप कितने तेयार हो सकते है अब यह आप पर निर्भर करता है।

राजा परीक्षित को 7 दिन मिले थे उन्होंने अपना जीवन पूर्णतया बदल लिया था हमें इस समय का लाभ उठाना चाहिए जीवन बहुत अमूल्य वस्तु है, इस शरीर को यूं ही व्यर्थ ना कीजिए इससे जो अनुभव मिलते है वो बहुत आनंदित होते है विश्वास कीजिए अपने अनुभव से कह रहा हूं। 

कुछ लोग कहते है अभी यह भागवत पढ़ने की उम्र नहीं हुई , या बहुत कुछ है डर लगता है, पढ़ने से ऐसा बिल्कुल नहीं है मै 14 साल की उम्र से अब तक पढ़ रहा हूं,और बहुत बार पढ़ चुका और सुन चुका और अब भी लगातार पढ़ता हूं, और सुनता हूं, जीवन की सभी समस्यायों के हल , जीवन से जुड़े जितने रहस्य है, सभी बहुत स्पष्ट शब्दों में दिए हुए है।

इस समय की स्तिथि और परिस्थिति भी मैने आपको भागवत के शब्दों से ही बताई है।
प्रकृति का संदेश समझिए।