Posts tagged anmol shabd

तुम्हारी यादों का ढेर

अक्सर तुम्हारी यादों का ढेर लग जाता है
जब भी तुम्हारा एक छोटा सा ख्याल आता है।
दिन कट नही पाता रात लंबी हो जाती है
तुम्हारी यादों का सफर खत्म होता हुआ
नजर ही नही आता है

और

इस कदर मेरा हाल बुरा हो जाता
मानो हरा भरा पेड़ तेज़ आंधी में
अपनी खुशहाल जिंदगी को सलामत रखने की गुहार लगाता है

तुम्हारी यादों का ढेर
तुम्हारी यादों का ढेर

लेकिन उस पेड़ की गुहार कोई सुन नही पाता है कुछ क्षण
बाद ही हरे भरे पत्तो से भरा पेड़ सुने जंगल में तब्दील
नजर आता है वो रोता, चिल्लाता , बिलखता है
लेकिन कोई उसकी पुकार कोई नही सुनता
वो पेड़ अब हरा भरा नही सुना सुना नजर आता है।

यह भी पढे: यादों का सिलसिला, बात अच्छी, तुम हमे याद कब, जाते जाते तमन्ना है,

समय अब पूरा

समय अब पूरा होने लगा ,समय का कुछ हिस्सा बाकी था।
अब वो भी खत्म होने लगा
कुछ काम हो गया कुछ और रह गया
यहाँ होने की समय सीमा पूरी होने लगी है

कुछ और वक़्त पूरा होने को है।
कुछ देखने के लिए रुके हुए यहाँ
वक़्त और नजदीक आने लगा है

किसी का इंतज़ार है बस अब
उनके आने पर हम भी चल चलेंगे
उन्होंने कहा था, वही आकर मेरा हाथ पकड़ेंगे
और हमे अपने साथ वो ले चलेंगे

बस वही उत्सुकता बढ़ रही है
आज मुझमे भी कुछ हलचल हो रही है
खुद को रोके रोक नहीं पा रहा हूँ
बस अब इंतज़ार के पल  मैं भी बीता रहा हूँ

सब्र का बाँध टूटने लगा है
अब समय पूरा होने लगा है
कुछ हिस्सा बाकी था
अब वो भी खत्म होने लगा है।

भीतर तकलीफ गहरी

बात कुछ भी नहीं थी लेकिन
मेरे भीतर तकलीफ गहरी थी
चार दिवारी में भी लगती दोपहरी थी।
दिन भी नही कटते थे
रात की तो बात क्या करु?
अश्क़ रुकते नही थे गाल सूखते नही थे

उन्हें बार बार रुमाल से पूछ  साफ क्या करु ?
ना जाने ये कैसी बीमारी थी ?
लेकिन किसको बताये किसे समझाए
ये तकलीफ तो हमारी थी
वो साथ ना थे हमारे इस बात की भीतर तकलीफ गहरी थी

इसलिए सिर्फ दिन ही नहीं
रात भी अब मुझ पर भारी थी।
किसी ने खूब समझाया लेकिन
मुझ पागल को कुछ समझ ही नहीं आया
उसने बार बार समझाया

कई बार प्यार से बताया तो कई बार गुस्से में बताया
लेकिन मै बेवकूफ इतनी सी बात नहीं समझ पाया

दिन रात बस तेरा ही जिक्र
 मेरे ख्यालों में,
 जिसको मै अब तक भुला नहीं पाया ,
 आंखो से औझल भी नहीं कर पाया

बड़ी कुटिल

बड़ी कुटिल
बड़ी छली
सी सोच लगती है,
जब मै राजनीति की बाते करने लगता हूं
जिंदगी ही जिंदगी पर एक बोझ लगती है
अभी शुरुआत है या अंत पता नहीं चलता
एक धर्म , एक जाती , एक देश , एक वर्ण
किसी दूसरे का अधिकार बस छलते हुए ही है दिखता
अपनी सत्ता , अपना लालच ,दम, अहंकार और साहस पर क्यों ए इंसान तू चलता है ?
कौन हिन्दू है ? और कौन मुस्लिम है ?
इसका फैसला क्यों ?
ये तुच्छ सा इंसान करता है
धर्म परिवर्तन तो कभी धर्म के नाम पर ही लड़ता है
तकलीफ किसको किससे है ?
भाषा से है या वर्ण से है
ये कोई क्यों नहीं समझता है ?
एक देश है उसके टुकड़े तुम करना चाहो
क्या ऐसा दुस्साहस भी कोई करता है? बड़ी कुटिल बड़ी चली सी सोच लगती है

सौदा फिर कोई कर

सौदा फिर कोई कर रहा है
मेरे ख्यालों का
तुम याद रखना इस बात को सौदा फिर कोई कर रहा है
फिर मेरे ख्यालों का
जुबान ,दिल ,दिमाग , सब अस्त व्यस्त हो रहे है
क्युकी
अब सवाल उठ रहा है जहन में उनसे दूर हो जाने का , उनसे रूठ जाने का ,
उनको भूल जाने का ,
उनको सच्चा ओर खुद झूठा बनाने का ,
उनका चित्र सजाने का खुद को चरित्रहीन बताने का , उनको मासूम बताने का और खुद शैतान बनाने का सौदा फिर कोई रहा है इस दिल का

सौदा फिर कोई कर रहा है इस दिल का
सौदा फिर कोई कर रहा इस दिल का

तालियों में शोर है

तालियों में शोर है मुझे तालियों की गड़गड़ाहट का शोर नही चाहिए
इसमे भी मुझे हिंसा दिखती है,

दो हाथो के बीच जो आवाज होती है उसे शब्दो की
की गूंज को दबाना कहते है

तालिया बजाकर मेरी तौहीन ना करो
ये दो हाथो के बीच का शोर बस इसे थोड़ा कम ही करो

ये जो तुम्हारी तालियो की गड़गड़ाहट है न मुझे अच्छी नही लगती
आजकल तो ये तालिया हर गली चौराहे पर 10-10rs में बिकती है

तुम्हारे जो इन हाथो के बीच का शोर है ना
किसी ने इसे भी हिंसा कहाँ है

कुमति निवार सुमति के संगी

“कुमति निवार सुमति के संगी”

जब आप एकांत , ध्यान में होते है प्रकृति की छत्र छाया में होते है तब आपके भीतर बहुत सारे अच्छे विचारो का संचालन होने लगता है और तब बुरे विचारो से मुक्त होने लगने है और आप अपनी सारी दुरबुद्धी को बाहर निकाल देते है और सुमति का आचरण करते है


ऐसा ही हर जगह देखने को मिल रहा है बेशक हम सभी कुछ घबराए हुए है लेकिन घबराहट तो उस अर्जुन को भी हुई थी अर्जुन तो क्षत्रिय था तब भी वो घबराहट से भरा हुआ था
जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यज्ञ निहित कर्म करने को कहा था


आज हम सभी को भी प्रकृति प्रेरित कर रही है और हम भी शायद प्रेरित हो रहे है तभी हम सभी लोग सकारात्मक सोच की और बढ़ रहे है


इस मुश्किल घड़ी में , फेसबुक , वॉट्सएप, ट्विटर, आदि कहीं भी सोशल मीडिया पर इस समय कोई राजनीतिक , सामाजिक , बुरी ख़बर नहीं है ना ही कोई लड़ाई झगड़ा आदि इत्यादि है जैसा कि हम सुबह से शाम तक इतना स्क्रॉल करते है तब हमे ना जाने कितनी ही नकरात्मक खबरे पढ़ने को मिल जाती है कभी किसी को ट्रोल करते है तो कभी किसी गालियां देते है परन्तु आज हम सभी एक दूसरे सिर्फ यही कह रहे है “घर में रहिए कुछ ना करिए”


अब हमारी
सिर्फ एक यही कोशिश है Corona को हराने की जिस पर हम जीत जरूर हासिल करेंगे हमारे विचार आचरण सभी शुद्ध हो रहे है इससे तात्पर्य यह की प्रकृति अपने ऊपर से एक परत,एक आवरण हटा रही है


जो तामसिक परत है उसे हटाकर सात्विकता की और बढ़ रही है मांस खाने से लोग घबरा रहे है , जीवो के बारे में लोग सोच रहे है यही सुमति है , यही सुविचार है, कुमति से मुक्ति है , बुरे विचारों से दूर होना है और अच्छे विचारो का समावेश करना है।


प्रकृति के संदेश को कभी भी नजरअंदाज ना करे प्रकृति के साथ सदैव जुड़े रहे।

Rohitshabd

गलतफहमी

यू तुम्हारी सारी गलतफहमी भी मिटा दूंगा , बस तुम मेरे सामने एक बैठ जाना, दिल को भीतर से खोलकर दिखा दूंगा , बस तुम एक बार मुझे मिल जाना….

गलतफहमी का शिकार वो इश्क हमारा हुआ ही नहीं कभी #rohitshabd
galatfehmi

वो इश्क़ हमारा हुआ ही नहीं कभी
जिसे हम गलतफहमी ना जानकर मानते रहे।

वो सहम गए

वो सहम गए , वो सहम रहे है
जो वहा रह रहे है ,
जो अब भी है वहां ,ना चैन से सो रहे
और ना चैन से जाग रहे है

वो डर गए , वो सहम गए , वो कांप गए
जिनके घर वाले मारे गए
कौन कसूरवार था ? कौन बेकसूर था ?
क्यों वो इतनी हैवानियत से मारे गए
क्युकी उस भीड़ का कोई नाम नहीं
भीड़ का कोई नाम नहीं था।

उनका कोई धर्म – मजहब नहीं
रात को पहरा अब भी घर के बाहर
लगाकर लोग बैठे है सप्ताह हो गया
दिन भर बैठ कर दिन कट रहा है,
रात की नींद दहसत में उड़ गई है

लगता है घर के बाहर आग लगा गया कोई
क्या मेरा फिर से घर जला गया कोई ?
देहसत तुमने फैला दी

मेरे दिल में नफ़रत की आग लगा दी
तुम्हे अपना भाई कैसे कहूं ?
जो तुमने इतनी हैवानियत दिखा दी
मै डरता हूं , मै डरती हूं अब तुम्हारे पास आने से
मै घबरा गया हूं , मै घबरा गई हूं
तुम्हे अपना भाई बनाने से।

यह भी पढ़े: मन यू हलचल, थोड़ी बेखबरी थी, समय का अंधेरा तला,

धर्म के नाम पर

धर्म के नाम पर दंगे ना कर। तू हिन्दू है या मुसलमान जो भी हो पहले इंसान बन।

इस फोटो को कोई एक्सप्लेन करेगा ??
लगातार जब मै कोई पोस्ट डालता हूं तो लगातार मेरे साथ जिन्होंने बहुत अच्छा समय बिताया है वो मुझसे आकर बोलते है, कमेंट करते है धर्म , मजहब , हिन्दू , मुस्लिम यही सब बोलते है लेकिन मेरा धर्म इंसानियत है जैसा श्री मदभागवत गीता जी में उपदेश दिया गया है। और मै उसीको अपने आचरण में लगातार लाने के लिए प्रयासरत हूं मुझे तुम्हारी तरह नहीं बनना बिल्कुल भी नहीं बनना।
“धर्म को धारण करना धर्म कहलाता है” धारण अर्थात
और वो सनातन है आजकल असमाजिक तत्व अपनी तरह से तोड़ मरोड़ कर धर्म बना रहे है और बिगाड़ रहे है जिसे धर्म नहीं कहते और वो धर्म नहीं हो सकता जिसमे लड़ाई झगड़ा आदि सिखाया जाए।

धर्म के नाम पर
धर्म के नाम पर

मुझे तो नहीं लग रहा की ये दोनों भाई है जिस तरह से इन लोगो झगड़ा किया है क्या वो भाई भाई करते है ??
जवाब आपके पास है मेरे पास तो बिल्कुल नहीं है।

क्या यहां दो भाई लिखना उचित था ?? इस तरह के विचार रखने वाला व्यक्ति मेरा भाई कैसे हुआ ???
मेरे विचार , मेरे संस्कार तो इस तरह का उपद्रव करने के संस्कार नहीं देते
मेरे अंदर क्रोध , घृणा , अहंकार , लालच , हो सकता है लेकिन क्या इस हद तक है ??
बिल्कुल नहीं है और ना ही कभी होगा क्युकी यह इंसानियत नहीं है , आजकल लोग इंसान नहीं बनना चाहते वो हिन्दू – मुस्लिम बनना चाहते है यह आपको बनना है यह आपका रास्ता है मेरा नहीं और मै ऐसे आडंबर , ढोंगी,सत्ता के लालची लोगो की तरह बनने का बिल्कुल इच्छुक नहीं हूं।
यह दो भाई लड़ रहे है आपस नुक़सान किसका हुआ ??

आपकी जमीन ,आपका घर , और आपके आसपास के लोगों का भी आपने घर , मकान , गाडियां यह सब जला दिया लेकिन किसलिए यह तो बता दो ??
हॉस्पिटल बंद रहेगा उस एरिया में सिर्फ तुम दो भाई लोगो की वजह से
रोड पर खड़ी रिक्शा और गाडियां सब जलाई तुम दो भाईयो ने , अब स्कूल कैसे जाएंगे बच्चे , हॉस्पिटल में दवाई तो तुम ही लोग लेने जाते हो अबकही ओर जाओगे पैसे भी तुम्हारे खर्च होंगे या कोई और आएगा ??

रोड तोड़ दी अब सरकार बनवाए तुम्हारे लिए ??
हॉस्पिटल बनवाए तुम्हारे लिए ताकि तुम फिर तोड़ दो
मस्जिद, मंदिर तोड़ दिए अब कहां जाओगे वैसे तुम दोनों भाई इस लायक नहीं हो की मंदिर ओर मस्जिद जाओ तुम्हे इतनी अक्ल ही नहीं है कि लड़ाई नहीं करते लड़ाई भी ऐसी मेरे पास लफ्ज़ भी नहीं है तुम दी भाईयो के लिए।
बहुत गुस्सा आ रहा है तुम दोनों भाइयों के लिए कितना लिखूं उतना कम है बेशर्मी की सारी हदे पार तुमने कर दी।

यह भी पढे: संतोष ही परम धर्म है, मनुष्य होना मेरा भाग्य, वो सहम वो डर गए,