भीतर की परत दर परत हट रही है अनेकों परतों से गुजर चुका हूं अनेकों परते और लग रही है हर परत के साथ लगता है मंजिल करीब है लेकिन मंजिल अब भी बहुत दूर सी लग रही है।
परत = लेयर ( Layer )
ना जाने कब होगा इस सफर का अंत लेकिन मंजिल तो बहुत करीब लग रही है, रास्ते मंजिल से अच्छे ही होते है उनका अपना ही एक मजा होता है।