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सब संभव

सब संभव हो जाता है , जब मिलता है सही व्यक्तियों का साथ , बहुत शुभ होता है , आपकी तरक्की में भी उनका होता है उनका हाथ , सही ओर अच्छी सोच जीवन के रंगमंच का सत्य जाने , समझे इस जीवन का प्रपंच क्या है? इसी पर आधारित एक कविता “सब संभव

सब संभव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

जीवन की सारी छवियाँ सजाएं,
रंगों से भरे इस नाटक को बनाएं।

प्रेम की पटियां बिछाएं सबके बीच,
खुशियों की कहानी लिखें, ना हो कोई त्रिश।

संयम और समर्पण से भरे ये अभिनय,
जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास।

संघर्षों के मैदान में नृत्य करते हुए,
हर स्थिति में सही राह चुनते हुए।

जीवन की संघर्षों को रंगीन बनाएं,
मन के रंगों से ये छवियाँ चमकाएं।

संगठित सोच और सही कर्म,
साथ चलते हुए विजय की ओर धाव।

सब सम्भव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

इस रंगमंच पर खुद को प्रकट करें,
अपनी पहचान को जगाएं और बढ़ाएं।

जीवन के सभी पात्र निभाएं सही तरह,
सामरिक आत्मा को जगाएं और जगाएं।

सब सम्भव है, जब आपके साथ हैं सही लोग,
आपकी तरक़्क़ी में होता है उनका योग।

यह भी पढे: असम्भव याद रखना, असम्भव बात, असंभव को संभव, हमारी उम्मीद, कामयाबी,

जीवन एक रंगमंच

जीवन एक रंगमंच जीवन एक एक मौका है

जीवन रंगमंच….
जीवन मौक़ा…
जीवन सकारण…
जीवन उधारण….
जीवन ऊर्जा …..
जीवन भिन्नता…..
जीवन ममता …
जीवन प्रेम …..
जीवन दया….
जीवन माया ….
जीवन छाया….
जीवन संयोग…
जीवन प्रयोग …
जीवन समता….,
जीवन रमता…..
जीवन क्षमता….
जीवन दक्षता….
जीवन संचय….
जीवन परिचय…..
जीवन दिव्य….
जीवन संगीत …
जीवन रीत…
जीवन नृत्य…
सब जीवन हो सुखमय…
सब जीवन पनपे निर्भय ।
सब जीवन हो सुरम्य….
जीवन की हो सही लय ।

अधिक से अधिक जीवन जब होंगे
जब सुखमय….
कारण सम्पूर्ण देश भी होगा ख़ुशमय ॥

आशा न बाँधिए

इस जीवन से आशा न बाँधिए, यह एक बहुत ही प्रेरणादायक पंक्ति है। इसका अर्थ है कि हमें आशाओं को बंधने से रोकना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि जीवन आसान होगा। हमें अपने आप को अपने गुरु के रूप में बनना चाहिए, जो हमें सही मार्ग दिखा सकते हैं। दुःख की दुकान जो हमें दुख देती है, उसे हमें स्वीकार करना चाहिए, और ऐसा करने से हमारी दुकान बहुत अच्छी तरह चलेगी और हमें कोई नुकसान नहीं होगा। यह पंक्ति हमें यह बताती है कि सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

रुक जाए आशायें न बांधे,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!आशायें जाल,
दुःख की चलाती वो दुकान!
जो हे जेस हे वो स्वीकार,
खूब चलेगी दुकान नही होगा नुक़सान !!

रुक जाए आशायें न बांधे,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!

हर दिन चंद्रमा चमके,
सूरज खिले उजियारों से।
आशाओं का विश्वास जगाए,
हर पल नयी उम्मीद भरे।

जीवन की राह में आगे बढ़े,
संकटों का सामना करें।
स्वीकार करें जीवन की चुनौतियों को,
खुद को अद्वितीय बनाएं।

दुःख की दुकान खोले न रहें,
खुशियों के सौगात लें।
सकारात्मकता के संग चलें,
आनंद से जीवन बिताएं।

ज़िन्दगी का नुकसान ना होगा,
जब आत्मविश्वास हो सदा।
बन जाओ आपने आप के गुरु,
जीवन के रंगों में खड़ा।

आशाओं के जाल छिन बांधो,
दुःख की दुकान बंद हो।
स्वीकारो जीवन के हर चुनौती को,
खुशियों से जीवन बना लो।

रुक जाए आशायें न बांधे,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!

आशा की किरण से जगमगाए,
प्रेरणा से मन भरे।
कविता की इस पंक्ति से,
आपकी हृदय को छू जाए।

चलो आगे बढ़े, जीवन की राह में,
खुशियों की धूम मचाएं।
स्वीकार करें दुःख और संघर्षों को,
हर दिन उम्मीद से जीना सिखाएं।

रुक जाए आशा न बाँधिए,
स्वीकारना करे शुरू !
जीवन होगा आसान,
बनो आपने आप के गुरु !!

बुने सपने

आप किसी छोटे मस्तिष्क
के घेरे में न आए ….
जो आपके बुने सपने को
बहुत बड़ा वो बताए । आप दिल दिमाग़ से
अपने बुने सपने देखे…
केसे वो धरती पे उतरेंगे
इस बात में बल चले लेके ॥

शब्द बन बैठा हूँ

शब्द तो बन बैठा हूँ

लेकिन शब्दों को कह नहीं पाता हूँ

बस खुद में ही कही नजर आता हूँ

शब्द हूँ शब्दों से कतराता हूँ

कभी छुपक जाता हूँ ,

कभी दुबक जाता हूँ ,

बाहर नहीं आ पाता  हूँ ,

घबरा कर बैठ भीतर ही जाता हूँ ,

यू मुझमे छिपा दर्द बहुत लेकिन कह कुछ नहीं पाता हूँ

बिना मतलब के चिल्लाता हूँ

हर किसी को बताता हूँ

शब्द हूँ मैं

लेकिन कुछ बोल नहीं पाता हूँ

भीतर की गहरी बाते जुबा पर ला नहीं पाता हूँ

जब भी बारी आई मेरी बोलने की सहमा सहमा नजर आता हूँ

शब्द हूँ मैं

लेकिन ज़्यादार मौन ही नजर आता हूँ

शब्द हूँ मैं

ना जाने ये बात भी कैसे जान पाया हूँ

लेकिन किसी को बता नहीं पाया हूँ

बस शब्द बन बैठा हूँ

यह भी पढे: शब्द, शब्द हूँ मैं, शब्दों की माया, शब्दों का संसार,

जीवन में संतुलन

जीवन में संतुलन होना ही उसका बाल है, हिम्मत है इस जीवन के आवश्यक घटक भी यही संतुलन है इस संतुलन को नया बिगाड़िए खुद को संभालिए इस जीवन रूपी राह में अड़ग होकर खड़े हो जाइए

जीवन में संतुलन,
ही उसका बल ……
क्या जीवन के
आवश्यक ओर क्या
अनावश्यक का पटल ॥

संतुलन में स्थिरता ओर विकास….
सुखद जीवन जीने का प्रयास ।
चल रहा आवश्यक अनावश्यक खेल…..
चुनाव सही तो तभी चलेगी जीवन की रेल ।

प्रकृति का स्वरूप

विश्व बहुत सुंदर और अनुपम इस विश्व का रूप है, देखिए कितना मनमोहक इस प्रकृति का स्वरूप है, विश्व बहुत सुंदर,
अनुपम उसका रूप ।
देखिए कितना मोहक
इस प्रकृति का स्वरूप ॥

मनुष्य काहे बन बेठा प्रकृति का बैरी….
जिसे होना चाहिए था इसका प्रहरी ।
लोभ के बवंडरो ने मनुष्य को घेरा ….
विनाशकारी युद्धों ने डाला मनुष्यता पे डेरा ॥

अहंकार ओर लालच….
झूठ कपट का ओढ़े कवच ।
करता सब पाप दुष्कर्म…..
अब निकट आ रहा उसका चरम ॥

जीवन पथ

जीवन पथ में काँटे बिछे हे लाखों हज़ार….
आत्मविश्वास से आँखे खोल के रहना तैयार ।
इस जीवन पथ पर सभी चलते …..
व्यक्तित्व हो ऐसा नए पथ चले गढ़ते


आत्मविश्वास एक मशाल….
जो अंधेरे जीवन का काल ।
आत्मविश्वास संग सत्य का तड़का….
निर्माण पथो का , चाहे तगड़ा आए झटका ॥

आत्मविश्वास एक शक्ति एक ऊर्जा , इस ऊर्जा के उत्सर्जन के लिए एक लक्ष्य निर्धारित हो वो वहाँ नया निर्माण सम्भव कर देगी ओर दूसरो के लिए भी मील का पत्थर बनेगी , आत्मविश्वास संग सत्य को लेकर चलेंगे साथ
तो जीवन की कई अंधेरी गुफाओं से सुगमता से नए पथो का निर्माण कर पाएँगे ओर अपने जीवन को नई दिशा ओर गति में सहायक होंगे ।

कहने को बहुत कुछ लेकिन कम कहा जाए अधिक उसकी गूंज हो तों बहुत शुभ ।
सब की जय हो विजय हो इस बात में नही कोई संशय हो ।

कुछ बेहतर

कुछ बेहतर जो होता हे सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ वो एक खूबी वो सदा ही अच्छा….
न जाइए वहाँ जहां आपको किया जाता सहन स्वयं की दो ऐसी शिक्षा…
जाइए वहाँ जहाँ आपका जाना ही उत्सव….
मेला उत्साह उल्लास का हो जाए सब सम्भव।