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भारतीय शिक्षा प्रणाली

भारतीय शिक्षा प्रणाली : भारत में शिक्षा सरकारी व निजी दोनों तरीके से दी जाती है। भारतीय संविधान के अनुसार 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को शिक्षा शिक्षा प्राप्त करना उनके मूल अधिकारों में शामिल किया गया है। यह नीति 1 अप्रैल 2010 से लागू की गई थी।    
 
           इसके बाद भारत की प्राथमिक शिक्षा में काफी बढ़ोतरी हुई, 7 से 10 साल तक की बच्चों में लगभग तीन चौथाई जनसंख्या आज शिक्षित है। इसके अलावा भारत में अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली में भी कई सुधार किए हैं जो कि आर्थिक सुधारों के अंतर्गत आते हैं। उच्च शिक्षा में अधिकतम सुधार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में की गई हैं। 2013 में उच्च शिक्षा में जनसंख्या का 24% शामिल था।        
  प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर भारत में निजी शिक्षा क्षेत्र भी 6 से 14 वर्ष की आयु के 29% छात्रों को शिक्षित करने में लगा है। वार्षिक शिक्षा सर्वे 2012 के अनुसार 96% ग्रामीण क्षेत्रों के 6 से 14 आयु के बच्चे भी शिक्षा प्राप्ति की ओर अग्रसर है। एक और सर्वे जो कि 2013 में शुरू किया गया था उसके अनुसार 229 मिलियन छात्र भारत के ग्रामीण और शहरी इलाकों से कक्षा शिक्षा क्षेत्र में संलग्न है।  
                     
  जनवरी 2019  तक भारत में 900 विश्वविद्यालय और 40000 कॉलेजों की स्थापना हो चुकी थी। भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में काफी संख्या अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अथवा कुछ पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए भी आरक्षित की गई है।     
            

भारतीय शिक्षा प्रणाली
भारतीय शिक्षा प्रणाली

भारतीय शिक्षा का इतिहास:         
भारत में शिक्षा प्रणाली का इतिहास बहुत पुराना है।भारत के इतिहास में हमें तक्षशिला विश्वविद्यालय के बारे में पता लगता है जो कि आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। इसके अलावा हमें नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में भी इतिहास में जानकारी मिलती है जो कि पूर्वी भारत में स्थित था। इसके साथ ही यह दुनिया की प्राचीनतम शिक्षा व्यवस्था का विश्वविद्यालय था ऐसी जानकारी मिलती है। यहां सभी विषय पाली भाषा में पढ़ाए जाते थे। वह पूरी दुनिया में विख्यात आचार्य चाणक्य भी यही के एक अध्यापक थे जिनका की मौर्य साम्राज्य के बसने में एक महत्वपूर्ण योगदान था। 
  
   आधुनिक शिक्षा प्रणाली: 
भारत में अधिकतर शिक्षा बोर्ड 10 + 2 प्रणाली पर शिक्षा देते हैं। इस प्रणाली में 12 साल तक विद्यार्थी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के बाद 3 साल वह विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करता है।  
             
आज जो हम भारत की शिक्षा प्रणाली को देखते हैं । वह कई चरणों से होकर गुजरी है। प्राचीन काल में भारत में गुरुकुल में शिक्षा दी जाती थी, जहां की एक विद्यार्थी अपने गुरु के सानिध्य में एक निश्चित अवधि तक घर से दूर रह कर के शिक्षा प्राप्त करता था।       परंतु सन 1835 में राजा राममोहन राय की सहायता से लॉर्ड विलियम बेंटिक ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू किया वे उस का माध्यम अंग्रेजी रखा। इसी शिक्षा प्रणाली को लॉर्ड मैकाले शिक्षा पद्धति भी कहा जाता है, क्योंकि विलियम बेंटिक है यह कार्य लॉर्ड मेकाले की सहायता से किया था।

परिवर्तन काल जीवन

परिवर्तन काल जीवन
एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है , यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है, और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है, वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल
भूतकाल जिसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है, लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है, एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे, परिवर्तन काल जीवन का चक्र चलता रहेगा।

भविष्य काल
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे हम वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है, भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका है, या नहीं यह भी हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है, सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है, जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है, हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है, जिसमें कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है, परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है, परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है, आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है।

जो कि एक पल का भी 100000 वा हिस्सा हो सकता है, और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है, जिसमे किसी का प्रवेश संभव है।

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है, उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है, आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है, उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है, जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है, जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है, और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है, हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है, लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
 क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है।

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time.
{ future }—-{present }—{past } these are parrler to each other when ever they come in connection we call it yug parivartan.

In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है, यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी, जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजी से भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है।

उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है, उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी, अब शायद वे परिवर्तन काल जीवन के बंधन से छूटने की और हो।

यह भी पढे: सपने बड़े हो, क्या सपने होते है?, जीवन क्या है?,

प्रकृति का संदेश

प्रकृति का संदेश इस समय पूरी दुनिया शाकाहारी भोजन ही प्रधानता है कुछ पढ़े लिखे गवार जो हमेशा यही कहते है को फूड चैन, लेकिन क्या अब नहीं सब कुछ सही चल रहा है, या अगले 21 दिन तक नहीं चलेगा ?

भगवत गीता में आहार पर भी कहां गया है।
तामसिक
राजसी
सात्विक

इस समय आप कौनसा भोजन कर रहे है ? पूरा विश्व सात्विक भोजन ही कर रहा है, प्रकृति भी तामसी आवरण को हटाकर सात्विक आवरण की और बढ़ रही है। विचारो में को शुद्धि आ रही है वह भी सात्विक हो रही है।

कर्मो के द्वारा भी किसी कोई हानि नहीं ही रही है इसका भी यही निर्देश मिल रहा है कि कर्म भी सात्विक ही रहे है।

हम किसी के लिए बुरा नहीं सोच रहे बल्कि हर किसी की मदद करने की सोच रहे है , वाणी सेभी किसी का अहित नहीं कर रहे यदि हम दूर भी है, तो भी किसी भी सोशल मीडिया साइट के द्वारा किसी को बुरा नहीं बोल रहे।

यहां पर एक और संदेश मिल रहा है self Isolation ka , स्वयं को असंग रखने का
हम यूं कहे कि स्वयं के साथ रहे , लोगो से भावनात्मक दूरी रखे , शारीरिक दूरी रखे तथा स्वाध्याय में जुट जाए स्वयं का अध्यन करे यही भागवत ज्ञान सप्ताह सात दिन , चौदह दिन और इक्कीस दिन चलता है आपको 21 दिन मिले है, आप कितने तेयार हो सकते है अब यह आप पर निर्भर करता है।

राजा परीक्षित को 7 दिन मिले थे उन्होंने अपना जीवन पूर्णतया बदल लिया था हमें इस समय का लाभ उठाना चाहिए जीवन बहुत अमूल्य वस्तु है, इस शरीर को यूं ही व्यर्थ ना कीजिए इससे जो अनुभव मिलते है वो बहुत आनंदित होते है विश्वास कीजिए अपने अनुभव से कह रहा हूं। 

कुछ लोग कहते है अभी यह भागवत पढ़ने की उम्र नहीं हुई , या बहुत कुछ है डर लगता है, पढ़ने से ऐसा बिल्कुल नहीं है मै 14 साल की उम्र से अब तक पढ़ रहा हूं,और बहुत बार पढ़ चुका और सुन चुका और अब भी लगातार पढ़ता हूं, और सुनता हूं, जीवन की सभी समस्यायों के हल , जीवन से जुड़े जितने रहस्य है, सभी बहुत स्पष्ट शब्दों में दिए हुए है।

इस समय की स्तिथि और परिस्थिति भी मैने आपको भागवत के शब्दों से ही बताई है।
प्रकृति का संदेश समझिए।

जीवन की परिस्थितिया

हम सभी के जीवन की परिस्थितिया जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है, जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग परिस्थितियां आती- जाती है, और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है, सब अपने अपने तरीके से अपने जीवन की परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है, तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय आपके मस्तिष्क के विचारो पर

जीवन की परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए, हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है, सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।

वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है, उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।

यह कहना हमारे लिए आसान है, परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ? यह आप पर ही निर्भर करता है, कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है, परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।

बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

जीवन की परिस्थितिया कैसी भी हो लेकिन हमे डटे रहना है
जीवन की परिस्थितिया

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।

जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।

कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते , ना वो कुछ कर पाते है, समय बलवान है, ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है।

समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको भी साथ पकड़ लेते है, और इंसान कमजोर पड़ जाता है, हार मान लेता है , तथा डरने लग जाता है, जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है, इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

“आपकी सोच”

“सोच को बदलों जिंदगी जीने का नजरिया बदल जाए”  क्या आपकी सोच है? आपकी और वो सोच किस प्रकार से बढ़ती ही जा रही है, क्या उस सोच को बदलने की आवश्यकता है ?
एक बात तो यह भी है की खुद को बदलना जरूरी है ? नही बदलते जी हम तो ऐसे ही रहेंगे करलो जी जो करना है हो जाने दो जो होना हमे कोई फर्क नही पड़ता किसी भी बात से जो हो रहा है होने , छोड़ो इन बातो मत सुनाओ ये बदलने वगैरह की बाते हमे नही पसंद है यह सब

हमारे जीवन में बहुत ही पुरानी पुरानी सोच दबी हुई है, उस सोच को बदलों
जिन्हें हमे रूढ़िवादी विचार भी कह सकते है, जिन्हें बाहर कर खत्म कर देना चाहिए क्योंकि पुराने विचारों को छोड़कर आगे बढ़ना ही जीवन है, नए नए विचारों को अपने जीवन में स्थान देना

अब यहाँ एक प्रश्न बनता की है, की अगर आपकी सोच दबी है तो क्या फर्क पड़ता है, दबी रहने दो उनसे हमे क्या करना ? लेकिन सोच को बदलों तभी थ जीवन बदलेगा

जिसके कारण हमारा जीवन अस्त व्यस्त सा हो रहा है, और हम उस सोच को अब तक पकड़े हुए है और छोड़ ही नही पा रहे है क्या ये सोच आसानी से छूट सकती है, या ये सोच ही हमारी आदत बन चुकी है पुराने विचारो को छोड़ दो , इन पुरानी रूढ़ीवादी सोच को छोड़ दो, पुरानी सोच से पीछे हट जाओ , दुसरो के विचारो में अपना जीवन व्यर्थ ना करे किसी के द्वारा गए तर्कों के ऊपर ही अपना जीवन स्थापित ना करो नए विचारो को स्थान दो जन्म दो और उन्हें ही जीवन के लिए आगे बढ़ाओ उपयोग में लाओ ।

आपकी सोच आपके विचार भिन्न है, अपने जीवन को खुद ही समझो जानो , खोजो, अपने अनुभव में लाओ दूसरे के अनुभव आपकी यात्रा में सहायक हो सकते है, परंतु अंतिम छोर नही अपने शब्दो का अर्थ एहसास तो आप स्वयम ही पाओगे और जान जाओगे किसी और का एहसास आपका एहसास कैसे हो सकता है ??

आपको आपके अनुभव में लाना होगा हम बहुत जल्दी भावुक हो जाते है , क्रोधित हो जाते है
शब्दो को जोड़ना-तोड़ना मरोड़ना और उनको समझना होगा उन शब्दों को हमे जानना होगा हमारे शब्द का क्या अर्थ है? इस जीवन का अर्थ हमे यदि जानना है, पहले स्वयम को जानना होगा |

और स्वयम को जानने का मतलब हम सभी मानवीय किर्यायों को जानना चाह रहे है, क्योंकि मैं मैं नही हूं मुझमे मैं का अर्थ जो सबसे है, सिर्फ मैं से नही हम किसी ना किसी रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए है हमारे शब्द हमारी सोच , विचार हमारे एहसास हमारी भावनाएं एक दूसरे से किसी ना किसी प्रकार से जुड़ी हुई है, इसलिए स्वयम को मैं नही मानो “हम समझो” पूरी पृकृति की रचना संरचना पालन,पोषण, अंत सभी चीज़े एक साथ एक दूसरे से जुड़ी हुई है।

आंखे भीग जाती है

आंखे भीग जाती है

जब मैं तेरे बारे सोचता हूँ,

दिन का चैन खो जाता है

और

रातो की नींद उड़ जाती है

सारे सपने भूल जाता हूं

ना सोता हूं ना जागता हु

पागलो की तरह बड़बड़ाता हुआ

लोगो को नजर आता हूं

जब मैं तेरे बारे में सोचता हूं , आंखे भीग जाती है

ना काम कर पाता हूं

ना खाली बैठ पाता हूं

तेरी याद में ना जाने कहाँ खो जाता हूं

तुझको भूल ही नही पाता हूं

फिर ये बात भी गलत लगती है

कि मैं तेरे बारे सोचता हूं

तू तो मेरे खयालो से नही जाती है

हर पल हर दम तू मेरी

सांसो की धड़कनों में धड़कती

हुई सुनी जाती है 

फिर कैसे कह रहा था मैं

की जब भी तू मेरी यादों में आती है

अब तो यह बात मेरी सांसो ने भी झुठलादी है

की जब तू मेरी यादों में आती है।

यह भी पढे: तेरे होने से, तेरी आंखे, तेरी यादे , पता नहीं मुझे, ढूँढता हूँ,

इतना मत चलाओ

मैं सारा दिन लोगो को चलाता हूं, तुम मुझे ही चला रहे हो , इतना मत चलाओ कुछ कम से ही तुम काम चला लो , यह हमे समझ आता है की तुम हमे ही बेवकूफ बना रहे हो , लेकिन इतना भी मत बनाओ
क्या भाई ?
ऐसा बोलते हुए सुना है क्या आपने भी ?
बहुत सारे लोग आते है ऐसे जो कहते है क्या भाई हमे ही चला रहे हो और कोई नही मिला क्या हम दुनिया को सीखा रहे है ये हमे सीखा रहा है।

यह लोग बताना चाहते है की हमसे ज्यादा धूर्त, चालाक , चतुर, ज्ञानी, बुद्धिमानी और कोई भी नही है सिर्फ हमे ही सारा ज्ञान है और हमने ही सारी दुनिया देखी है, बाकी इनके सामने लोग मूर्ख है
ज्यादातर ऐसा लोग तब कहते है जब वो पैसा बचाना चाहते है, आपसे किसी वस्तु के एवज में कुछ और भी प्राप्त करना चाहते है।

या फिर जो आपने मूल्य बताया है उसमे कमी या मोलभाव करना चाहते है, ताकि आप इन्हे वह वस्तु सस्ते दाम पर दे ओर इनका फायदा हो जाए, बस यह अपने फायदे के लिए बाते बनाते है।
ऐसे व्यक्ति वो होते है दूसरे के धंधे पर लात मारना चाहते है और बोलते है हम इससे बेहतर लेकर दे सकते है और सस्ता भी , यह वो व्यक्ति होते है जो हमेसा अपनी बढ़ाई सुन्ना पसन्द करते है
यह वो व्यक्ति हो सकते है जो खुद को ज्यादा होशियार समझते हो लेकिन इनको पता कुछ नही होता बस बाते बनाना जान गए है ।

यह वो व्यक्ति हो सकते है जो आपसे आपके धंधे की पूरी जानकारी ले लेते है। यह वो व्यक्ति हो सकते है जो बिना मतलब के बस दिमाग खोरी करते है , यह जो सुबह से शाम तक लोगो को मूर्ख बनाने के लिए घूमते है। इतना मत चलाओ।

यह उन लोगो में से हो सकते है जिनके पास कुछ काम नही होता बस कभी ताश खेलते हुए , या जुआ , या इधर उधर घूमते हुए ही नजर आते है और अपना समय व्यतीत करते है। इसलिए इतना मत चलाओ किसी को।

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प्रेम शब्द

चन्द लफ्जो में बयान क्या करू ?
इस प्रेम को
मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए
लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए
फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है

कुछ बताने की एक नया रिश्ता बनाने की
ये संबंध वो है
जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है
मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,
असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है

जब कभी सतरंगी होता है आसमान
तब यही आसमान एक छोर से
बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है
तब देखो क्या मधुर संबंध

धरती और आसमान का बन जाता है
यह प्रेम है जो धरती और आसमान को
एक करता हुआ नजर आता है
यह प्रेम है

जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है
यह प्रेम
वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है
ना मौन से
यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।

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