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जीवन के नियम

जीवन के नियम ….
सत्य सदा परम ….
मैत्री की सरगम ….
शांति और संयम….
जीवन एक सपना
जो पूर्ण छदम ….
विकास चरम….
हँसना खिलखिलाना
सब भूल के नई शुरुआत
ही शुद्ध धर्म ।

जीवन के नियम, अनमोल विचार,
एक सत्य की दृष्टि, जीवन का आदार।

सत्य सदा परम, ज्ञान का प्रकाश,
हृदय में शुद्धता, छाती में निर्मल आस्था।

मैत्री की सरगम, विश्वास की पंख,
दूसरों का सम्मान, अपार गुणवंश।

शांति और संयम, मन को शुद्ध रखें,
चंचल बालवती मन, वश में हम सब रखें।

जीवन एक सपना, स्वप्नों की उड़ान,
सपनों को पूरा करें, जीवन का मकसद जान।

इस जीवन के नियमों को स्वीकारें,
आचरण करें, अपने आपको संयम दें।

प्रेम और सम्मान से बनाएं यह सृष्टि,
हर लम्हे को सुंदर, जीवन को सुरम्य बनाएं विस्तृत।

अच्छे दिन

प्रत्येक अच्छे दिन की गतिविधि का ले आनंद…
यही जीवन का प्रबंध , कस्तूरी और उसकी सुगंध ।
करे प्रयोग बुरे दिन को बनाए अच्छा….
जीवन एक प्रयोगशाला जीवान्त कक्षा ।

बुरे को बुरा अच्छे को अच्छा सब कहते हे….
बुराई में ढूँढ लो अच्छाई अर्थ बदलते हे ।
हर दिन का एक अलग ही रूप रंग…..
अलग ही ऊर्जा अलग ही उसकी तरंग ।

अपनो का साथ सब को लेके चले संग….
जीवन में अलग सुगंध अलग ही तरंग ।
मिलजुल के रहने में भरपूर आनंद…..
शर्त एक चालाकी से तोड़ना पड़ेगा संबंध।

प्रत्येक अच्छे दिन की गतिविधि का ले आनंद…
यही जीवन का प्रबंध, कस्तूरी और उसकी सुगंध।
करे प्रयोग बुरे दिन को बनाए अच्छा…

जीवन के रंग और खुशियों का संगम,
बुरे दिन को भी बना सकते हैं हम।
प्रत्येक सुबह उठकर देखो आँखों में चमक,
खुशियों का गुलशन सजाएं जीवन के रास्ते में।

सूरज की किरणों से रंगी हर सुबह,
चीरते अंधकार को मिटाएं दिल की दहली।
करे योग ध्यान में, स्वास्थ्य का रखे ध्यान,
हर दिन बनाए अच्छा, बढ़ाएं जीवन की गाथा।

अच्छे कर्म करें, दूसरों की मदद करें,
खुशियों का बांटें, दुःखों को हरें।
संयम और समर्पण से जीवन जियें,
बुरे दिनों को भी अच्छा बनाएं आप खुद ही।

हंसते रहें, मुस्कान बांटें सबके साथ,
सदैव आपका जीवन हो खुशियों से भरपूर।
बुरे दिन आएं तो अच्छे दिन को ढूंढें,
खुशियों के जीने का तरीका हमेशा याद रखें।

जीवन के रंग और खुशियों का संगम,
बुरे दिन को भी बना सकते हैं हम।
करे प्रयोग बुरे दिन को बनाए अच्छा,
हर दिन अपने जीवन को उज्जवल बनाएं आप खुद ही।

इश्क भर की बातों में

तुम ये जो- इश्क भर की- बातों में

तुम ये जो

मिश्री के जैसे घुल जाओ

कही तुम गुम न हो जाओ

कही तुम न खो जाओ

बस जो तुम हो

वही होने को हो जाओ

खुद को संभालो

बस संभालो

खुद को

खुद को

कही तुम खुद से दूर ना जाओ 

कही तुम गुम ना जाओ

कही तुम ना खो जाओ

इस जिंदगी को संभालो

कही जिंदगी को भी ना खो डालो

खुद से इतना इश्क तुम कर डालो

हर एक गम जिंदगी का तुम भुलादों

तुम ये जो इश्क भर की बातों में

इश्क भर जिंदगी हो जाओ

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उलझन

उलझन तुम्हारी थी
मेरा क्या था?

जिद्द तुम्हारी थी
मेरा क्या था?

वहम तुम्हारा था
मेरा क्या था?

मै अधूरा था और अधूरा ही रह गया
सपने जो पूरे करने थे
उनको भी भूलकर तुम्हारे साथ जीने में
मै मसगुल हो गया

इस बात से ये समझ आया
की तुम्हारा क्या गया?
मै जहां था अब तो मै वहां भी नहीं
मेरी मंजिल, मेरा सफर, मेरी दासता

मेरी हर डगर कहीं रुक गई क्युकी
मुझे तो ये भी नहीं पता
कि अब मेरा रास्ता है
किधर? यही कुछ उलझने थी मेरी ओर मेरे सफर की

यह भी पढे: उलझने, उलझन में है दिल, एक अजीब उलझन है, छोटी कविता, ख्वाबों को जोड़ता हूँ

गुणों में निरंतर विकास

अच्छे गुणों में निरंतर विकास
सतत सतत यही प्रयास यही प्रयास ।
रसरी आवत जावत सिल पर पड़े निशान….
अच्छा काम कर ले रे बंदे तू यहाँ मेहमान ।

अच्छा अच्छा करना एक आदत…..
हो जाता अच्छा स्वय सतत ।
अच्छे गुणों का निरंतर विकास….
हँसते खेलते रहेंगे नहीं होंगे उदास ।

अच्छे गुणों में निरंतर विकास
सतत सतत यही प्रयास, यही प्रयास।
रसरी आवत जावत सिल पर पड़े निशान…
अच्छा काम कर ले रे बंदे तू यहाँ मेहमान।

जीवन की रसरी में चलते-चलते,
अपने कर्तव्यों का पालन करते रहना।
बदलाव की सिल पर निशान छोड़ते जाना,
अच्छे कामों के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते जाना।

हर क्षण में विकास का संकल्प निभाना,
दृढ़ता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना।
अच्छे गुणों को संजोकर रखना,
कर्मों में सदैव निरंतर प्रगति करना।

जब भी आवे यहाँ, यह संसार में मेहमान,
सदैव सत्कर्मों का बना रहना ध्यान।
अपने बारे में ही नहीं, दूसरों के बारे में सोचना,
सहयोग और सेवा में सदैव निरंतर लगन लगाना।

अच्छे गुणों का विकास है असली प्रयास,
जो बनाता है हमें नेक और उच्च स्थान।
सतत यही प्रयास, सतत यही प्रयास,
अच्छे गुणों के साथ जीने का नया निशान।

यह भी पढे: लग्न की चमक, भविष्य निर्माण, अपनी शक्ति, समय ओर स्थिति, कर्म से भाग्य,

अपनेपन का एहसास

अपनेपन का एहसास
जीने की वजह ख़ास ।
सब अपने हे….
हम सब यही जन्मे हे ।
अपनापन मनुष्य का गुण….

व्यक्ति हो इससे सम्पन्न ।
अपनापन से रोग़ो की चिकित्सा….
अपनापन एक भाव एक तपस्या ।
अपनापन अच्छे विचारो की जननी….
शांति लक्ष्मी शक्ति उसकी संगिनी ।

अपनेपन के भाव में देना प्रमुख….
इसके आदान प्रदान से न हो विमुख ।
अपनेपन में विकास….
जीवन से उत्पन्न नव दिशा की आस ।

अपनेपन का एहसास …
जीने की वजह ख़ास।
सब अपने हैं…
हम सब यही जन्मे हैं।

अपनापन मनुष्य का गुण,
जो हमें मिलता है अलग-अलग रूपों में।
परिवार के संग दिया जाता है जन्म से ही,
प्यार और आदर से भरा जीने का स्वरूप है यही।

अपनेपन ही है वह बंधन,
जो मन को लगाता है जीवन के रंगों से जुड़ा हुआ।
परिवार की मधुरता, दोस्तों की मस्ती,
हर रिश्ते में मिलने वाली खुशियों की वादियाँ यहाँ बसी हुई।

जब हम अपनों के साथ होते हैं,
तब हर सुख-दुख को साझा करते हैं।
मुसीबतों में हमें संभालते हैं वो,
खुशियों में हमें और भी ख़ुश बनाते हैं वो।

जब हम अपनों से दूर रहते हैं,
तब तन्हाईयों के दरिया में बहते हैं।
लेकिन अपनेपन के धागे हमें जोड़ते हैं,
हर दूरी को मिटा देते हैं वो।

अपनेपन का आभास हमें हमेशा याद रखना चाहिए,
क्योंकि यह हमारी पहचान होती है।
हम सब अपने हैं,
यह सदैव समझना चाहिए।

यह भी पढे: तेरे होने से, बड़े अधूरे अधूरे, यह मन अधीर, तुम्हारी याद है ना, रूठना नहीं है,

समय का अभाव

क्या तुम कर सकते हो ओर कितना तुम कर सकते हो, ना तुम्हारे पास समय का अभाव है, न किसी ओर चीज का इसलिए जो भी तुम अब करना चाहते हो कर लो पूरा

सोच तू कितना सोच सकता है,

लिख तू

कितना लिख सकता है

सो तू

कितना सो सकता है

नाच तू, कितना नाच सकता

गा तू

कितना गा सकता है

समय का अभाव
समय का अभाव

खा तू , कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है

पढ़ तू

कितना पढ़ सकता है

टीवी देख तू कितना देख सकता है

गेम खेल ,

तू कितना खेल सकता है

बात कर , गप्पे मार

तू कितनी गप्पे ओर कितनी बात कर सकता है

तू क्या-क्या कर सकता है? ओर कितना कर सकता है अब करले जो जो तू कर सकता है। नहीं समय की कमी अब तेरे पास, बहुत समय है हर कार्य को पूरा कर ले, हर इच्छा जो अधूरी थी वो पूरी कर ले।

जिंदगी से कुछ बात

जिंदगी की जिंदगी से कुछ बात होना चाहती है, आज जुबान पर कुछ शब्द आना चाह रहे है
जैसे
शब्द अपनी आप बीती सुनाना चाह रहे है।

कही से आज फिर शुरुआत होना चाहती है
मानो
आज फिर जिंदगी से कुछ बात होना चाहती है।

यु ना तुम रूठ जाओ जिंदगी मनाना चाह रही है
बात अब
मान जाओ मौन होकर ना बैठो यह कुछ तुमसे 
कहना चाह रही है।

बात कुछ है तभी तो जिंदगी तुमसे आज बतियाना 
चाह रही है।

जरा पास बैठो जिंदगी यह तुमसे आज कुछ कहना चाह रही है

दुनिया एक किताब

दुनिया एक किताब ….
दिलचस्प उसका हिसाब ।
मुश्किल दुनिया का हिसाब….
जो भी समझ आये करते जाये जनाब ।

इस किताब के अनेक अध्याय….
समझ के कदम दर कदम चलते जाये ।
इसके अध्याय हमे बांचते शिक्षा…
होती तय समय पे निरंतर परीक्षा ।

परीक्षा में सदा बनाये रखे समता…..
ख़ुशियों का संवर्धन बढ़े क्षमता ।
दुनिया एक किताब…..
इसका रखिए सही हिसाब ।

दुनिया एक किताब है हकीकत का,
हर पन्ना छिपा है रहस्य से भरा।
जीवन की कहानियाँ इसमें बसी हैं,
हर अक्षर एक अनमोल उपहार से भरा।

मुश्किल दुनिया का हिसाब नहीं आसान,
हर कठिनाई देती है सबका सामर्थ्य परीक्षण।
पर जो भी समझ आये, वही आगे बढ़ता है,
जनहित का मार्ग धुंधला नहीं होता संघर्ष से भरा।

हर चरित्र, हर विचार इसमें लिपटे हैं,
सबका अपना अद्भुत प्रकट हिस्सा है।
समय की लहरों में यहाँ उभरते हैं कविताएं,
जो जीवन को स्पर्श करती हैं सुंदरता से भरा।

इस किताब के पन्नों पर जगत की छवि दिखती है,
जीवन की अद्भुत कहानियाँ इसे रंगी हैं।
हर प्रश्न का उत्तर यहाँ छिपा है,
समझने की इच्छा से जीवन में उड़ान भरा।

अपनी आंखों से इसे पढ़ो जनाब,
जीवन की सच्चाई यहाँ लिपटी है।
ज्ञान की अमर पुस्तक यही है,
जो सबको प्रेरित करती है, विचारों से भरा।

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खर्च किया धन

ज्ञान प्राप्ति में खर्च किया धन ….
मन में भरे सुखद अहसास करे प्रसन्न ।
धन से हमारी कैसी अभिलाषा….
स्वास्थ्य प्रसन्नता की आशा ।

धन एक शक्ति लेकिन अपूर्ण….
बहुत कुछ कर सकती पूर्ण ।
अच्छे विचारो संग धन संपन्नता….
सब फूल खिलते सब ओर प्रसन्नता ।

ज्ञान के लिए खर्च किया धन,
अधिकार से नहीं, सम्पत्ति से कम।
मन में भरे सुखद अहसास,
ज्ञान की अमृत धारा के द्वारा प्रसन्न।

धन से यदि हो अभिलाषा,
तो ज्ञान में विचरण करें सदा।
विद्या के मार्ग पर चलें,
ज्ञान का लाभ सबको मिले, निश्चय।

धन की प्राप्ति सिर्फ एक अंश है,
ज्ञान का आदान अनंत धाम है।
ज्ञान के रंग में रंग जाएं,
ज्ञान की आग में जल जाएं, निरन्तर।

धन से ज्ञान की प्राप्ति करें,
अभिलाषा ऐसी हो उच्च।
ज्ञान की अनंत खोज करें,
ज्ञान से अपनी आत्मा जोड़ें, निश्चय।

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