धैर्य व्यवहार का शुभ गहना….
समझ कर इसे धारण करना ।
योग्यता स्वस्थता का मुख्य सूत्र धेर्य…
जितना सधा धेर्य उतना ही प्रबल शौर्य ।
धेर्य का गहना निरंतरता की साधना…
समय सदुपयोग से इस को निखारना ।
धेर्य का गुण बने शिक्षा का अंग ….
व्यक्ति विकास होगा बिखरेगे रंग ।
सब का हो भला जीवन में उमंग ।
समाज परवर्तित होगा बदलेगा ढंग ।
महत्वपूर्ण बस धेर्य हो सकारात्मक…
सकारात्मकता ही मुख्य शुभ घटक।
धेर्य व्यवहार का शुभ गहना,
समझ कर इसे धारण करना।
जब जीवन की लहरें ऊँची उठाएं,
और परेशानियों की आंधियाँ छाएं।
तब धेर्य से जीने का आदेश होता है,
चंदन की तरह खुद को गंधित करना।
जब चिंताएँ मन को सताएं,
और निराशा की आंधियाँ छाएं।
तब धेर्य से जीने का आदेश होता है,
अग्नि की तरह अपनी रोशनी बढ़ाना।
जीवन के प्रत्येक पथ पर,
चुनौतियाँ बनी रहें बार-बार।
तो धेर्य तुम्हारा साथ देगा,
आगे बढ़ने की ताकत देगा।
संघर्षों के मैदान में उठते हैं तूफान,
और अस्थायी बन जाते हैं मनुष्यों के आदान-प्रदान।
तब धेर्य को निभाने का समय होता है,
जब तूफान की चपेट में हो जाना।
तो धेर्य की शक्ति तुझे आगे बढ़ाएगी,
हर लम्हे में खुद को बेहतर बनाएगी।
धैर्य व्यवहार का शुभ गहना,
समझ कर इसे धारण करना।
यह कविता राम ललवानी जी द्वारा लिखी गई है, आप उनकी अन्य और कविताए पढ़ सकते है, नीचे उनकी कुछ ओर कविताओ के लिंक दिए है। कमेन्ट कर हमारा प्रोत्साहन बढ़ाए, धन्यवाद
यह भी पढे: व्यवहार कैसा हो, सच्चा मित्र, लोग बदल जाते है, मित्र या शत्रु, शिक्षा का संस्कार,