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प्रेरणादायक किताब

Who Moved My Cheese? – “Who Moved My Cheese?” एक छोटी लेकिन प्रेरणादायक किताब है, जो बदलाव (change) को अपनाने और उसे सफलतापूर्वक संभालने की सीख देती है। यह कहानी एक काल्पनिक भूलभुलैया (maze) में रहने वाले चार किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो “Cheese” (सफलता, खुशी, अवसर) की तलाश में हैं। इस किताब की सहायता से आपको जीवन के प्रति प्रेरणा मिलती है, जिससे आप अपने जीवन की दिशा को बदलने का प्रयास करते है।

इसलिए आपको हू मूव्ड़ माय चीस जैसी प्रेरणादायक किताब पढ़ते रहना चाहिए

लेखक: डॉ. स्पेंसर जॉनसन
शैली: सेल्फ-हेल्प, मोटिवेशन
प्रकाशन वर्ष: 1998


कहानी का सारांश

📍 चार मुख्य किरदार:

  1. स्निफ़ (Sniff) – जो पहले ही बदलाव को सूंघ लेता है।
  2. स्करी (Scurry) – जो तुरंत एक्शन लेता है।
  3. हेम (Hem) – जो बदलाव से डरता है और उसे स्वीकार नहीं करता।
  4. हॉ (Haw) – जो बदलाव से डरता है, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपनाना सीखता है।

ये सभी एक भूलभुलैया में रहते हैं और “Cheese” की तलाश करते हैं, जो सफलता, नौकरी, रिलेशनशिप, पैसा, खुशी या जीवन के लक्ष्य को दर्शाता है।

📌 कहानी की शुरुआत:

चारों किरदार हर दिन भूलभुलैया में जाकर Cheese Station C से चीज़ (सफलता) प्राप्त करते थे। लेकिन एक दिन वहां का सारा Cheese खत्म हो जाता है

  • Sniff और Scurry तुरंत नई चीज़ की तलाश में निकल जाते हैं और अंततः Cheese Station N में ढेर सारा नया Cheese ढूंढ लेते हैं।
  • Hem और Haw बदलाव से डरते हैं और सोचते हैं कि कोई उनके लिए Cheese वापस लाएगा। वे यहीं रुके रहते हैं और शिकायत करते हैं।

📌 संघर्ष और बदलाव:

  • धीरे-धीरे Haw को समझ आता है कि अगर वह कुछ नहीं करेगा, तो वह भूखा रह जाएगा।
  • वह हिम्मत जुटाकर भूलभुलैया में नई चीज़ की तलाश करता है।
  • रास्ते में उसे कई मुश्किलें आती हैं, लेकिन वह सीखता जाता है कि “बदलाव से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपनाना चाहिए”।
  • अंततः Haw भी Cheese Station N तक पहुँच जाता है और Sniff और Scurry के साथ खुशी से रहने लगता है।

Hem क्या करता है? – कहानी में यह नहीं बताया गया कि वह बदलाव अपनाता है या नहीं। यह इस बात को दर्शाता है कि कुछ लोग कभी बदलाव को स्वीकार नहीं करते।

who moved my cheese एक प्रेरणादायक किताब
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मुख्य सीख (Life Lessons from the Book)

✅ 1. बदलाव हमेशा होता रहेगा:

  • जीवन में बदलाव अपरिहार्य है, इसलिए हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए।

✅ 2. बदलाव को जल्दी स्वीकार करें:

  • जितनी जल्दी हम बदलाव को अपनाते हैं, उतना ही जल्दी हमें नई संभावनाएं मिलती हैं।

✅ 3. डर को छोड़ो और नई चीजें एक्सप्लोर करो:

  • हमें अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आकर नई संभावनाओं की तलाश करनी चाहिए।

✅ 4. बीते हुए पर पछताने से अच्छा है आगे बढ़ना:

  • पुरानी असफलताओं या नुकसान के बारे में सोचते रहने से बेहतर है नए मौके तलाशना

✅ 5. खुद बदलाव का हिस्सा बनो:

  • बदलाव को रोकने की बजाय, खुद उसे लाने की कोशिश करें।

निष्कर्ष:

“Who Moved My Cheese?” हमें सिखाती है कि परिस्थितियां हमेशा बदलती रहेंगी और हमें बदलाव के साथ खुद को ढालना सीखना होगा। अगर हम डर छोड़कर आगे बढ़ने का साहस दिखाते हैं, तो हमें सफलता जरूर मिलेगी😊🚀


क्या आपको यह किताब पढ़नी चाहिए?

अगर आप बदलाव से डरते हैं, नई चीजें अपनाने में झिझकते हैं या किसी असफलता से बाहर निकलना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए एक बेहतरीन प्रेरणादायक किताब हो सकती है। 📖✨

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Ham Sochte Hai

ham sochte hai kya hai aur kya ho jata hai, is baat ka hame bhi nahi pta chalta, sab kuch hamare chahne se bhi nahi milta aur bahut kuch bin chahe hi mil jata hai……….

hamare sochne aur karne mei bahut fark hota hai isliye bahut saare kaam adhure reh jaate hai, hamesha dimaag do taraf sochta hai aur alag chizo mei dimaag lgaata hai jiski wajah se bhi ham jo haasil karna chahte hai vo haasil nahi kar paate, kai baar hamara dimaag negative hota hai toh kai baar positive jab ham negative hote hai toh usme hamare emotion hamare control mei nahi hote un emotion ki wajah se bhi hamari bahut saari chize poori nahi ho paati

kabhi kabhi hame kuch , sirf thoda saa hi paane ke liye bahut mehnat karni padti hai aur kabhi kabhi chize bahut aasani se mil jaati hai, jo chize aasani se mil jaati hai unki kadr bhi nahi karte ham aur jo bahut mehnat ke baad milti hai uska ek alag hi maza hota hai, usko sambhal kar rakhne ka mann karta hai, usko khona nahi chahte ham, use ham zindagi bhar sambhal kar rakhne ki koshish karte hai, isiko fark kehte hai jo mehnat se milta hai aur jo bina mehnat kiye hi mil jaata hai.

bahut baar yahi hota hai hamare jivan mei ki ham karna toh bahut kuch chahte hai lekin kar nahi paate, kuch hamare vichar aur karya mei sahi taalmel nahi hota, jiski wajah se bhi ham apne karyo mei safal nahi ho paate,

Aesa kyu hota hai lekin: jab bhi ham kisi chiz ke baare mei sochte hai par vo chiz hame nahi milti aesaa kyo? kya us vastu par hamne sahi se dhyan kendrit nahi kiya? ya hamari iccha hi kamjor hai jiske kaaran ham jo chahte hai vo poora nahi ho paata

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होली कब है

होली कब है, कब है होली , कब – कब-कब, इस बार होली का त्योहार 2025, 14 मार्च को आ रहा है, हर साल की तरह इस साल भी होली का त्योहार बहुत रंगारंग होगा, यह गीले शिकवे भुलाने का दिन है, आपस में भाईचारा बढ़ाने का दिन है।

संग बैठ खुशिया मनाने का दिन है, पुरानी उन बातों को धो देने का दिन है जिनसे दिलों में दूरिया बढ़ गई थी, होली हम सभी के लिए नजदीकिया बढ़ाने का दिन है।

2025 में होली का त्योहार शुक्रवार के दिन आ रहा है, इससे पहले भी कई बार होली शुक्रवार के दिन आई होगी, लेकिन पहले कभी इतनी बहस नहीं हुई थी, यह मुस्लिम समाज के लिए जुम्मे का दिन है, जुम्मे के दिन मुस्लिम समाज ज्यादा संख्या में बाहर निकलता है नवाज अदा करने के लिए जिसकी वजह से सड़कों पर काफी भीड़ होती है, मुस्लिम समाज रंगों से परहेज करता है वह होली का त्योहार नहीं मनाते जिसकी वजह उन्हे कुछ आपत्ति होती है।

लेकिन हिन्दू धर्म में होली का त्योहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है, और रंगों से खेलने की प्रथा तो देवी देवतायो से चलती आ रही है।

यह कोई मुद्दा नहीं था जिसे मुद्दा बनाया जा रहा है, क्युकी पहले भी जुम्मे वाले दिन होली आई होगी लेकिन किसी को कोई आपत्ति नहीं आई फिर इस बार क्यू, क्या ये मीडिया कुछ शब्दों का ट्रेंड में, या सोशल मीडिया मेडिया पर ऐसे शब्दों को जबरदस्ती ट्रेंड में लाना ही है।

यदि आप होली के दिन किसी एरिया में देखेंगे तो मीट की बिक्री अधिक होती है ओर यह कारोबार ज्यादातर मुस्लिम लोग ही करते है, अब क्या वो होली वाले दिन मीट की दुकान बंद करंगे या अपने काम को करंगे, और एस बिल्कुल नहीं है की उनके ऊपर होली का रंग नहीं गिरता, यदि जुम्मे वाले दिन होली नहीं होती तब भी उनके ऊपर रंग ओर पानी दोनों ही गिरते जब वो लोग ऐतराज नहीं करते तो यह भड़काऊ लोग कौन है जो सोशल मीडिया में आकार हाल मचा रहे है।

कौन है ये लोग जो टीवी पर आकार गलत बयान दे रहे है, सभी को तकलीफ नहीं होती बस कुछ ही लोग है जिनको जिनको तकलीफ होती है और उनही लोगों की वजह से दरार पड़ जाती है, और दो धर्मों के बीच मतभेद पैदा होता है।

हम सभी साथ रहना चाहते है लेकिन कुछ असामाजिक तत्व ही है जो आपसी मतभेद पैदा कर रहे है।

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छोले भटूरे

छोले भटूरे दिल्ली वालों की सबसे पसंदीदा चीज है, जिस वो सुबह नासते में खाना पसंद करते है, और दिन में खाते है, यह सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग ही खाते है ऐसा भी नहीं है, लेकिन हाँ शाकाहारी लोगों की यह पहली पसंद है।

मैंने दिल्ली में बहुत सारी जगह भटूरे खाए है जैसे राधे श्याम, सीता राम, ॐ भटूरे , गोपाल और भी बहुत सारे बीकानेर , हल्दीराम इनके साथ साथ रेहड़ी ओर पटरी पर भी अलग अलग जगह छोले भटूरे का स्वाद लिया है।

लेकिन आज तक मैंने उस जगह कभी भटूरे नहीं खाए जहां नॉन वेज भी मिलता हो, हालांकि मैंने कभी देखा भी नहीं था की जहां शाम को चिकन बनता हो ओर सुबह छोले भटूरे बनते हो, ऐसी जगह पर मैं तो खाना बिल्कुल पसंद नहीं करता जहां पर चिकन भी ओर वही छोले भटूरे मिले।

ऐसे ही हमारे इधर पिशोरी चिकन वाला है जो सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक भटूरे बेचता है ओर सके बाद वही चिकन बेचने लग जाता है, यह देखकर भी बहुत अजीब लगता है, जो लोग शुद्ध शाकाहारी होंगे, ओर जिनको नहीं पता की यह आदमी शाम को चिकन बेचता है ओर दिन में छोले भटूरे तो उन लोगों के साथ तो यह व्यक्ति एक तरह से धोखा ही कर रहा है, क्युकी ज्यादातर लोग वही उसके पास खा रहे है जो उस रास्ते से निकल रहे है।

क्या यह सही है इसका मैं एक और उदाहरण देता हूँ जब आप किसी नॉर्मल परचून की दुकान से दूध ओर दही लेने जाते है तो क्या वो व्यक्ति अंडे भी बेचता है?

क्या आपके घर में कान्हा जी सेवा होती है और आप दूध दही का भोग लगाते है, क्या आपका दूध और दही सही जगह से आ रहा है?

कृष्ण जन्माष्टमी, शिवरात्री, नवरात्र और भी कई त्योहार जिनमे दूध और दही का अधिक महाताव होता है, हम सभी उन परचून वालो से सामान लेते है या अनलाइन मंगाया लेते है जहां पर इन चीजों को अलग नहीं रखते और वही हम भोग व अपने खाने पीने के सामान में शामिल कर लेते है।

क्या यह उचित है? क्या हमे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, हम क्या खा रहे है और हमारा सामान कहाँ से आ रहा है इस बात का हमे बहुत ध्यान रखना चाहिए।

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असफलता को स्वीकार

असफलता को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, जब आप किसी चीज के लिए जी जान से मेहनत करते हो ओर उसको पाना चाहते है, लेकिन उसको हासिल करने में आप सफल नहीं हो पाते तब आप बहुत टूट जाते है, उसके बाद आपको कोई और रास्ता भी नहीं दिखता, अब उस रास्ते से वापस आना मुश्किल हो जाता है।

मेरे साथ भी कुछ इसी तरह से हो रहा है, मैं अपनी असफलता को पचा नहीं पा रहा हूँ, और अब मैं काफी पीछे हो चुका हूँ, मेरे सभी रास्ते लगभग बंद हो चुके है। अब वो रास्ते कैसे खुलेंगे यही सोचना है, लेकिन अब सोचने का नहीं करने का वक्त है, और वो भी बहुत कम समय में क्युकी अब खर्चे के लिए पैसे चाहिए जो मेरे पास बिल्कुल भी नहीं है।

कैसे सबकुछ होगा और कैसे मैं कर पाऊँगा मुझे इसी बात की चिंता हो रही है।

क्या अब मैं नौकरी की तरफ रुख करू या कुछ और करू मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा है, क्योंकि बिजनस करने के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं बचे, बात सिर्फ अब बिजनस की नहीं है मेरे पास अपने घर खर्च के लिए भी पैसे नहीं बचे, मैंने अपने सारे क्रेडिट कार्ड , सैविंग, ओर जो भी कुछ भी था वो सब खत्म हो गया है। इसलिए बिजनस भी कुछ नहीं कर सकता अब सिर्फ नौकरी ही एकमात्र रास्ता दिख रहा है, लेकिन नौकरी भी मुझे कौन देगा जब मेरे पास कोई अनुभव नहीं है।

मैंने पिछले साल मई में अपनी किताबों की दुकान को छोड़ा था, की अब मैं फूल टाइम ब्लॉगिंग करूंगा, और मैंने यह फैसला लिया था की अब मैं सिर्फ लिखूँगा इसके अलावा कुछ और नहीं करूंगा, मैंने शुरुआत भी अच्छी करी ओर मैं लगातार लिख रहा था, लेकिन परिणाम मेरे अनुसार नहीं आ रहे थे, धीरे धीरे समय बीत रहा था जिसकी वजह से मुझे अपने ऊपर ही शक होने लग गया था, की मैं कोई गलती तो नहीं कर रहा हूँ, इसलिए मैं स्वयं को जाचता रहता था।

लेकिन 8 महीने बीत गए कोई प्रोग्रेस नहीं दिखी, और अब घर में कुछ परेशानी भी आने लगी जैसे की भाई को मेडिकल प्रॉब्लेम की वजह से समय और ध्यान सारा उधर ही केंद्रित हो गया, जिसके चलते अब मैं अपने कार्य पर फोकस नहीं कर पा रहा था।

यही सब सोच कर मन में घबराहट हो रही है, ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी, लेकिन कुछ भी पहली बार ही होता है, जब इसमे मैं फंसा हूँ तो निकलूँगा भी बस यही एक सकारात्मक सोच मेरे मन में चलती है।

कुछ न कुछ तो कर ही लुँगा ऐसा मेरा विश्वास है, इसलिए अभी तक मैं इंतजार कर रहा था, लेकिन वो इंतजार अब खत्म हुआ कुछ किया जाए वो वक्त शुरू हो चुका है, क्या करू ओर क्या नहीं यह बात अभी तक नहीं समझ आ रही है मुझे इसलिए अब मैं बिल्कुल रुक चुका हूँ।

असफलता को स्वीकार मैं कर चुका हूँ लेकिन अब ऐसा लगता है काफी देर हो गई है, फिर से वापस मुझे उसी ओर लौटना होगा , जो मैं छोड़कर आया था ओर फिर कुछ करना होगा।

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आपके फैसले

जब आप गिरने लगते हो तभी वो समय होता है, जब लोग आपकी काबिलियत पर भी शक करने लगते है और आपके फैसले पर भी, और उन लोगों को लगता है की यह कुछ नहीं कर सकता अपनी जिंदगी में, बस खुद को ओर दूसरों को बेवकूफ बना रहा है। यह व्यक्ति दूसरों को सलाह तो देता है,

परंतु खुद के लिए कुछ नहीं कर पाया, जब तक आप कुछ नहीं बनते तब तक लोग इसी तरह से आप पर ताने कसते है, और आपको हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते है साथ यह साबित करने में लगे रहते है की आप किसी लायक नहीं है।

जब आप किसी भी दिशा में सफल नहीं हो रहे हो, तब आपको इसी प्रकार से बहुत सारी हिदायते मिलती है।

इसके साथ ही समय को खराब ही कर रहा है। इसी समय आपका विश्वास भी टूटने लगता है, और हो सकता है की आप अब कुछ गलत निर्णय ले लो लेकिन यही आपकी समझदारी का समय है।

लेकिन आपके लिए यही वो समय होता है जब आप दूसरों से मदद मांगे बिना ही कुछ बनकर, कुछ करके दिखाए, जिससे लोगों को आप गलत साबित कर पाए क्युकी यही वो समय है जब आप उनका दुगना भरोसा जीत सकते है, ओर यदि आप सफल नहीं होते जो लोग बचे है वो भी आपको धीरे धीरे छोड़ देंगे।

आपके फैसले आपको फर्श और अर्श पर रखते है, आपके जीवन के परिणाम आपके फैसले पर ही निर्भर करते है, जिस तरह के आप फैसले लेते है उसी तरह से आपका जीवन भी चलता है, आपके फैसले आपके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले की बार सोचे जल्दबाजी में लिए गए फैसले भविष्य में बहुत क्षति करते है। इसलिए जब तक आपको अपने फैसलों पर पूरा भरोसा न हो तब तक कोई फैसला ना ले।

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सामाजिक प्राणी

मन में कई प्रकल्प और संकल्प  उठते रहते है हम एक सामाजिक प्राणी है हम एक परिवार में रहते है हमारी या परिवार की जिम्मदारियाँ और लक्ष्य साधना पड़ता है कभी मन विचलित होता है, हमारा ख़ुद से किया वादा अपने जीवन का लक्ष्य और प्राप्ति को मन में हिसाब लग रहा होता है।

ये मन ही है जो किसी की लालच बेईमानी ईमानदारी समझदारी होने का कारण है, ये सब मन के खेल है और मन को पता है, लाखों में से एक को यह भीतर का ज्ञान जगा होता है कि सब मन के खेल है इनसे खेल के कैसे बाहर आना है , हम जितना विस्तार बाहर देख रहे है वो सब मनों में पहले घटा है फिर बाहर उसकी अभिव्यक्ति हुईं है।

मन जो भी हो क्रियाशील हो सिर्फ़ और सिर्फ़ विचार न हो उनकी अभिव्यक्ति हो उसकी बहुत सी बाँते इस दो शब्द के पिंजरे से बाहर नहीं आ पाती कहने को तो यह दो शब्द का है मन लेकिन बहुत ही गहरा सागर से भी गहरा धरती आकाश  इसमें सब समा जाते है यह कुछ भी कर सकता और न चले तो यह निष्क्रिय भी यही होता है ।

एक अच्छा स्वच्छ कार्यशील मन समाज परिवार और ख़ुद के लिए एक asset है उसकी पूँजी है किसी का धन लूट सकते है उसकी बाहर की पूँजी लूट सकते है लेकिन मन इतनी आसानी से नहीं लूट सकते जिसने बाहर ये सब विस्तारित क्या था ।

मैं यह मानता हूँ अधिकतर या कहे सब, जितने व्यक्ति उतने मन, बचपन से शिक्षा हमारे पाठ्यक्रम में अपनाना चाहिए कि पहले व्यक्ति पहचाने उसका मन क्या चाहता है क्या वो भावुक है विचारशील है चंचल है धीर गंभीर है  धोखेबाज़ है स्थिर है जो भी उसकी स्थिति हो अब वो उसको और स्वच्छ या स्वच्छ करने के उपाय जिससे एक ज़िम्मेवार समाज परिवार और देश निर्माण में सहायक होगा उसे अपनी कमियाँ और priorities मालूम हो तो खुद के लिए सब के लिये शुभ ही शुभ होगा बहुत शुभ होगा ।

मन एक बहुत ही सामान्य शब्द है जो हमारे दिमाग, विचार और भावनाओ को व्यक्त करता है, इसका अंग्रेजी में Mind कहते है मन एक ऐसा भौतिक तत्व नहीं है जो हम देख सकते है।

मन हमारे अंतरमन की एक अभिव्यक्ति है जिसमे हमारे विचार भवनाए और अनुभव होते है, यह हमारी सोच और व्यवहार डालती है, मन की स्थिति आउट स्थिरता काफी महत्वपूर्ण है हमारी ज़िंदगी के लिए , एक स्थिर और शांत मन हमारी खुशी और सुख के लिए जरूरी है, जबकी एक व्यग्रह और और असंतुलित मन हमारे जीवन में तकलीफ और परेशानी का कारण बन सकता है, मनुष्य अपने मन की स्थिति को स्वस्थ और शांत रखने के लिए की तरह के साधन अपनाते है जैसे की ध्यान, योग, भक्ति, और मन की शुद्धि के लिए मेडिटेशन मन क्यू भटकता है,

मन के भटकने के कारण कई बातों पर निर्भर करता है, कभी काभी मन के भटकने के कारण हमारी भीतरी स्थितियो से जुड़ा होता है और कभी कभी हमारे बाहर के मौसम के कारण, माहौल, और लोगों से भी जुड़ा है होता है , क्युकी हम एक सामाजिक प्राणी है जिसकी वजह से हमारा मन समाज के कार्यों में लगा होता है और वही विचार हमारे में लगातार चलते रहते है, कुछ मुख्य कारणों में से कुछ इस प्रकार है।

स्ट्रेस: हमारे जीवन में स्ट्रेस के कारण हमारे मन असंतुलित हो सकता है, जिस तरह से हमारी शारीरिक क्रियाओ में स्ट्रेस के कारण प्रभाव होता है, वैसे ही हमारे मन पर भी स्ट्रेस होता है, आलस के कारण हम अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए अपने मन को किसी भी तरह से समझाने का प्रयास नहीं करते है।

भूख और नींद की कमी: जब हम भूखे या थके होते है, तो हमारा मन ही असंतुलित हो जाता है, हमारा मन अपने को थका थका और बेजूबान महसूस करने लगता है।

भावनाओ का असंतुलन: हमारे मन को कोई भी बाहरी वस्तु जैसे की एक गण एक तस्वीर या कोई बात हमारी भावनाओ और विचारों पर प्रभाव डाल सकता है, अगर हमारे मन में कोई भावनाओ का असंतुलन है तो हमारा मन भटकने का प्रयास करता है।

आवाज और शोर: आवाज ओर शोर हमारे मन पर भी प्रभाव डाल सकता है, जब हम बाहर से आवाज़े सुनते है, तो हमारे मन का ध्यान उस तरफ जाता है, इन सभी कारणों के साथ हमारे मन का भटकना एक परक्रिया है जिसमे हमारे मन के विचार और भावनाओ का असंतुलन है इसलिए, हमारे मन के विचार को शांत और स्थिर रखने के लिए हमे अपने जीवन में शांति और सुकून को ढूँढना चाहिए।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह जीवन के बारे में लगातार सोचता रहता है, अपने जीवन के भविष्य में कभी सोच घबराता है तो कभी बहुत खुश नजर आता है बस यही सोच है जिसकी वजह से उसके मन में संतुलन ओर असंतुलन की स्थिति बनी रहती है।

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भलाई

भलाई: कोई भी की हुई भलाई व्यर्थ नहीं जाती किसी न किसी रूप में आपको आपके जीवन को सुखद अहसास दे जाती है,  किसी के लिए यही सुखदायी होगा, कि ईश्वर, वाहेगुरु, अल्लाह या कहे कुदरत ने हमे इतना सक्षम बनाया की हम किसी के काम आ सके  बहुत सकारात्मक ऊर्जा होती है, ऐसे व्यक्तित्व  में और ऊपर से  उनमे बदले में कुछ प्राप्त करने की  चाह न हो तो सोने पे सुहागा है, ऐसा जीवन का व्यवहार और इसका फल ज़रूर ज़रूर मिलेगा इस बात में कोई दो राय नहीं, कहने का मतलब है, नेकी कर जितनी कर सकता है जितना सामर्थ्य है।

और दिल से और कुँए में तालाब में नदी नाले या समुंदर में उसे फैंक और भूल जा , बाक़ी मुझे लगता हो करम आसमान में  उछाला जाता है, अब यहे कितनी शिद्दत से  घटा है यह देखने वाली बात है वो गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती पर लौट के आता है, इसमे कोई संशय नहीं है।

इस धरती को देखो और उसकी भलाई देखो सूर्य के गिर्द घूम रही है वो भी दो गतियों में धरती  वालो  से आपने घूमने दिन रात  की मौसमौं की धरती के वृक्षों  की उनसे उत्पन्न  आक्सीजन की पानी की पहाड़ों की हरियाली की फल सब्ज़ियों की अनगिनत भलाई है, धरतीवासी को मिले सुखो की करोड़ों सालों से निरंतर लगातार भलाई कर रही तभी जीवन पनप रहा है आगे विस्तारित हो रहा है तो क्या यह प्रकृति धरती की भलाई नहीं है मनुष्य और यहाँ के प्राणियों के प्रति।

हमारा शरीर भी हमारा नहीं है यह हमारी माँ की भलाई ही है, उन्होंने न जाने कितने कष्ट होने के बावजूद आपको अपने शरीर में नौ महीनों हमे सम्भाला और हमे अभय दान दिया और फिर जन्म दिया पाला पोसा यह भी प्रकृति का सिस्टम भी है भलाई, बस इच्छा, बिना चाह के करते जाओ जो तुमसे बन सके वो बनाते जाओ, किसी का वुर मत सोचो, बस भलाई हो किसी, कुछ भी कार्य करो उसमे सिर्फ अपना हित मत देखो, दूसरों का भी हित देखो, यही प्रकृति का नियम है।

क्या यह प्रेरणा नहीं है भलाई के लिए , मेरे सोचे तो यह बहुत प्रेरणादायक है यह बताता है, कि निस्वार्थ भाव से अच्छा करे और जिसकी ओट में हम है, धरती माँ वो जैसे बदले में  कुछ नहीं चाहती और फिर हमारे साथ तो जुड़ा है, फल मिलेगा अब समझिए हमे भलाई करनी चाहिए और दूसरो को भी करने की प्रेरणा उत्साह देना चाहिए।

जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम, चलो अच्छे से चलो किसी का कुछ भला कर सकते हो तो ज़रूर करो और मान भी लेना हो सकता है,  उधर से बुराई आये बस आपके कर्म में शुद्ध बुद्धि और हृदय का प्रयोग हो फिर आपका अंतःकरण स्वच्छ है, निर्मल है भला हो सबका मेरे लेख से यदि कोई प्रभावित हो तो उनका बहुत आभार सब का बहुत आभार।

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मौका

मौका
हर क्षण मौका है अपने विचारों में शुद्धता लाने की  प्रामाणिकता  का मौका है कौन कौन से विचार जीवन को सुधारते हो उनका सदा सिमरन करे ऐसे विचारो का विकास करे उनमे अपनी सोच का बल डाले , सुधार एक निरंतर क्रिया है इसके क्रियान्वयन में लगे रहे आप मौके का लाभ ले पायेंगे ।
जीवन मौक़ा ही मोका है।

यहाँ बुरे कर्म करने का भी मौका है और अच्छे सम कर्म करने या बेफ़ज़ूल के कर्म करने का मौक़ा है ये व्यक्ति विशेष पे आ जाती है, बात वो कौन सा कर्म जगाना बनाना चाह रहा उसकी दिशा गति और व्यक्ति ख़ुद निर्धारित करता है ।

इस धरती पर हम आये एक निश्चित अवधि के लिए और जब आये है, तो बोझ तो बनाना नहीं है मिला जब यहाँ से सबकुछ तो यहाँ वापस लौटाना भी एक ज़रूरी आवश्यक क्रिया है जो एक संदेश है, दूसरो के लिए तो मैं कहूँगा आप मौक़ा ढूँढे कैसे हम सक्षम हो अपना कमाया अपनी समझ दूसरो से बाँट सके।

हर व्यक्ति के लिए मौके की व्याख्या अलग अलग किसी को किसी दुखी को सांत्वना या सुख देकर ख़ुशी मिलती है वो वही मौके खोजता है, और एक व्यक्ति को सताने में दुख देने में ख़ुशी मिलती वो उन मौको की तलाश करता है, किसी व्यक्ति को किसी कार्य में कुशलता चाहे सही चाहे ग़लत बढ़ाने के मौके से जीवन में प्रसन्नता मिलती किसी को धन कमाने के मौक़ो से ख़ुशी मिलती है, किसी को सोना चाँदी हीरे जवाहरात जमा करने में मौक़ों का प्रयोग करते है, तो हर व्यक्ति की मौके को लेकर उसका दर्शन है ।

इंसान होने के नाते हमारा नैतिक दायित्व है हम अपने विचारों को निरंतर सुधारे क्यूँ क्योंकि इसी में हितलाभ है, यह सिर्फ़ कहने की बात नहीं सच है और समाज देश को कुछ देने वाले बने खोजे मौके या फिर बनाये मौके।

हमे जीवन रूपी मौका मिला है चलो उसे पवित्र करे चूँके न। यही मेरी भाषा शैली। तो आख़िर में कर क्षण एक मौक़ा है, उसका सदुपयोग करे दूसरों को भी अच्छा करने का मौजा दे ।

हैप्पी मौका दिन

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प्रार्थना

प्रार्थना करनी चाहिए, पूरा विश्व एक है कोई दुखी है तो हम सुखी नहीं है हम एक दूसरे से जुड़े हुए है चाहे वो तार नज़र नहीं आये लेकिन गहराई से जुड़े हुए है, यह एक सच्चाई है हम जिसके लिये कुछ नहीं कर सकते लेकिन एक काम कर सकते है क्या है वो काम वो है प्रार्थना।

करे प्रार्थना उस अनजान शक्ति से जिससे हम सब जुड़े हुए है वो मौक़ा है मौक़ा देती है वो शक्ति है।

कोई आप से कहेगा प्रार्थना कमजोरी है कामचोरी है नहीं हो नहीं है बस आप अपना काम करते हो पूरी शिद्दत से लेकिन आप के सिस्टम आपकी निजता को पता है, एक विशाल शक्ति जो सब को चला रही है बड़े बड़े काम हो रहे है, तो किसी की विशालता का सम्मान करना एक अच्छा और नेक कार्य है, लेकिन वो नज़र नहीं आती मानिए आप एक अंधेरे कमरे में  बैठे है, बीच में दिया जल रहा आप बता पायेंगे वो किस ओर देख रहा है।
बताइए  बताइए ? 

पढ़ते जाये इसका उत्तर में कही भी दे दूँगा
तो आप दुनिया में सुख दुख देख रहे है वो है लेकिन हमेशा के लिए नहीं है या तो समय उनको नष्ट कर देता या समय में दिखते हुए वो नष्ट होती है या परिवर्तित होती है।
इस पूरे ब्रह्मांड में आप एक बिलकुल पिद्दी छोटी सी इकाई है जहां पृथ्वी नहीं कुछ भी तो हमारी क्या बिसात है।

हमारी प्रार्थना कृतज्ञता का भाव है मन को स्वच्छ रखने का शांत रखने  का अच्छी भावनाओं को विकसित करने का कार्य है ज़रूर ज़रूर करे और यह बात महसूस करके देखें।
प्रार्थना का मतलब यह नहीं कि मैं यह अर्पण करूँगा मेरा यह काम बन जाये यह सौदे बंज़ी है जो ग़लत है कुछ नहीं होता इस सौदेबाजी से।

हमारी प्रार्थना मतलब स्वयं का भला सोचना तथा दूसरे के कैसे भला हो सकता है, इस बात को जीना न कर पाने की स्थिति में अनजान शक्ति से  बिना किसी लागलपेट के मन खोल के वार्तालाप करना और समाधान माँगना।

जो मैंने प्रश्न का उत्तर नहीं दिया था वो है “चहु ओर “ प्रकाश समानता से चहु और देख रहा होता है, आप देख रहे होते तो लगता है आप को देख रहा है यह ख़ासियत है प्रकाश की।

तो कहने का मतलब है प्रार्थना कीजिए खूब कीजिए बस सौदेबाजी न करे वो सही रास्ता नहीं है।
तो मेरा कहना है प्रार्थना नित्य कीजिए उस परम शक्ति का रोज़ धन्यवाद कीजिए यही एक सुखद जीवन की ओर चलिए।

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