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उलझने

कुछ उलझने पैदा करती है ये जिंदगी, ना जाने कैसे इन उलझनों को सुलझा मैं पाऊँगा, या फिर उलझनों में फंस कर ही मैं मर जाऊंगा, अजीब सी उलझन का शिकार भी हूँ मैं इन उलझनों से कैसे निकल मैं पाऊँगा क्या यू ही घुट घुट कर मैं यू ही मार जाऊंगा, कोई तो सुलझाए ये किस्सा जिंदगी का, कैसे सुलझेगा ये कोई तो मुझे भी बताएगा।

मुझसे ही कैसे छुटकारा मिलेगा, या यू ही अपने ख्यालों, अपने सवालों के ढेर में राख हो जाऊ , अब मैं अपने ख्यालों से दूर भी तो कहां जाऊंगा, इन्ही सवालों में फंसा ही नजर आऊँगा, इन सवालों की उलझन बढ़ती ही रहती है कैसे इन सवालों से मैं बच पाऊँगा।

उलझने भी बहुत है इस जिंदगी में क्या मैं उन सभी उलझनों को कभी सुलझा पाऊंगा, या फिर बिना सुलझाए ही रह जाऊंगा।

हम सभी अपनी समस्याओ को सुलझाना चाहते है लेकिन सुलझा नहीं पाते बल्कि उसे ओर उलझा देते है, कुछ ना कुछ गड़बड़ कर देते है, उस गड़बड़ से बचने के लिए हमे हमेशा अपने दिमाग को शांत रखना चाहिए ओर जिंदगी की हर समस्या को ध्यान से देखना चाहिए जिससे की उन समस्याओ को समझने में हमे मदद मिले ओर हम उसे आसानी से सुलझा सके।


उलझने
उलझने

दुख का होना

कहते है दुख का होना भी जरूरी है, तभी सुख का अनुभव होता है, बिन दुख के सुख का कैसे पता चले, जब दुख होता है मन में तभी कुछ लिखने का मन करता है, बिना दुख के तो क्या लिखे सब अच्छा ही है, जब गलतिया होगी तभी तो सुधार होगा, बिन गलतियों के उन्मे सुधार कैसा फिर होगा,

इसलिए सिर्फ सुखी जीवन नहीं उसमे दुख का होना भी बहुत अच्छा होता है, उस दुख को समझो वो तुम्हें कुछ बताने, सिखाने आया है, नई चुनौतीयो से मिलाने आया है, नए जीवन को निर्मित कर फिर से नया बनाने आया है, उस नए बनने के सफर में दुख ही अपना साथी है।

दुख होगा तभी तो अच्छा अनुभव लिख सकोगे जब दुख नहीं तो फिर वो लिखना कैसे होगा, कुछ लिखने का मन नहीं करता, बस सुखी जीवन संग हम जीवन के साथ होते है।

जब किसी के प्रेम डूब हुआ होता है कोई इंसान ओर वो उसे नहीं मिलता तो उसकी तड़प ही उसे लिखने पर मजबूर कर देती है, वह अपना क्रोध पन्नों पर उतार देता है, उस प्रेमी का मन अशांत होता है ओर वो सिर्फ लिखना ही चाहता है, उस वक्त उसके अलावा वह प्रेमी कुछ ओर नहीं कर पाता लेकिन जब उसको उसकी प्रेमीका मिल जाए ओर वो आनंद में हो तो फिर वह लिखना नहीं चाहता उसके पास अभी कोई दुख नहीं है, बस वह प्रेम में डूबा हुआ है।

दुख हमे सुखी होने का एहसास दिलाता है, दुख ही है जो हमे जीवन की सच्ची राह दिखाता है, दुख से ही हमे अच्छे ओर बुरे की समझ आती है, जितना सुख जरूरी है उतना ही दुख भी जरूरी है।

बहुत सुकून

जब भी आता हूँ तुम्हारे पास बहुत सुकून मिलता है मुझे मानो भीतर गहरी शांति आ जाती है, जब भी मैं तुम्हारे पास बैठता हूँ, जब मेरा मन तुमसे मिलने को करता है, तो आता हूं, बैठ जाता हूँ ओर कुछ देर बाते कर खुद से ही खुद में ही मुसकुराता हूँ।

बहुत सुकून
बहुत सुकून

बहुत सुकून सा मिलता है जब भी मैं तुम्हारे पास आता हूँ ऐसा लगता है बहुत कुछ सीखा देते हो उन कुछ ही पलों में जो मैं तुम्हे साथ बिताता हूँ।

पिछले 16 साल से मैं अपनी मनपसंद जगह जा रहा हूँ, जहां मैं काफी समय बिताता था, अब कुछ कम हो गया है मेरा आना जाना इधर लेकिन फिर भी जब भी मेरा मन करता है तो मैं कॉफी पीने ओर इडली खाने के लिए कनाट प्लेस के कॉफी होम में चल जाता हूँ, जहां मुझे बहुत शांति मिलती है ओर जो पेड़ है यहाँ इसके नीचे बैठकर मुझे बहुत अच्छा लगता है ओर मैं बाते भी कर लेता हूँ कुछ पल इस पेड़ से यह पेड़ इस स्थान की शोभा बढ़ देता है, जिसकी वजह से यह जगह आढ़भूत हो जाती है।

बहुत सारा अनुभव लेकर खड़े है अपनी जगह पर यह वृक्ष देवता मेरा मन तो अथाह शांति को प्राप्त होता है जब भी इनकी छाव में बैठता हूँ।

मैंने अपनी पहली पुस्तक “कौन हूँ मैं” इन्ही वृक्ष देवता की छत्र छाया में पूरी की थी, ओर काफी मित्र भी इन की शरण में मुझे मिले है।

आप भी जरूर होकर आए इस स्थान पर याद अभी तक नहीं गए है तो, यह जगह आपको गहरी शांति का अनुभव का अनुभव कराती है साथ ही जो सवाल दबे हुए है भीतर पूछ डालो खुद से यही जाकर आपको आपके जवाब मिलेंगे, ओर साथ ही एक नई राह भी

इस जगह पर आप कितना भी समय व्यतीत कर सकते है सुबह 11 बजे खुल जाता है ओर रात 8 बजे बंद हो जाता है, ये जगह कनाट प्लेस में सबसे शांत जगह है, हनुमान मंदिर के ठीक सामने ही है।

लगातार करते रहे

किसी भी कार्य लगातार करते रहे क्युकी ज़िंदगी में कुछ करने के लिए बहुत सारा जुनून, पागलपन चाहिए होता है, ओर उसी पगलपने के साथ लगातार काम करते रहना भी बहुत जरूरी है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो सफलता हमारे हाथों से दूर निकाल जाती है, जब सफलता दूर होने लगती है तभी हम बहुत सारे बहाने बनाने लग जाते है, ओर उन्ही बहानों के साथ अपने जीवन को बिताने लग जाते है, यदि आप सफल होन चाहते है बहाने ना बनाए, उन बहानों के लिए जवाब ढूँढे ओर उन पर कार्य तभी सफलता हासिल होगी।

कार्य को अधूरा न छोड़े: हम जो भी कार्य शुरू करते है उसको बीच में ही अधूरा छोड़ देते है, जबकी हमे ऐसा नहीं करना चाहिए, हम बार किसी दूसरे कार्य की ओर भागने लगते है, हमे एसा लगता है उस कार्य से हम बोर हो गए या हमारी उस कार्य में रुचि घट जाती है, हमे मज़ा नहीं आ रहा होता है, इसलिए हम उस कार्य को बीच में छोड़ देते है, लेकिन ऐसा करने से हम बहुत पीछे चले जाते है। हमे उस कार्य नए ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।

स्वयं को रिवार्ड दो: जब भी कुछ करे, उसमे छोटी छोटी उन्नतती पर खुद को रिवार्ड दीजिए, हमे उस कार्य को ओर बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ओर उस कार्य को लगातार करते रहे ताकि हमारी रुचि बनी रहे, ओर हम उस कार्य को छोड़ बार बार इधर उधर भटके नहीं।

कार्यों में आनंद ले: उस कार्य में हमे मज़ा ओर वह कार्य हमे अच्छा लगना चाहिए हमे उस तरह से करना चाहिए वो कार्य, हमे कभी भी कार्यों से बोर नहीं होना चाहिए, उसमे आनंद ले।

आदत बनाए: समय पर कार्य करने की आदत बनाए, साथ ही अपने समय की बचत करे बेवजह के कार्यों को करने की आदत दूर रहे।

बहाना और जवाब

बहाना और जवाब बहुत सारे लोगों के पास के बहाने होते है ओर वो अपने जीवन को बहनों के साथ ही व्यतीत करते है, ओर कुछ लोगों के पास बहाने नहीं होते वो उनका जवाब देते है, अपने जीवन में उन बहनों का सहारा नहीं लेते, अपने कर्मों को करते हुए आगे बढ़ते जाते है, ओर जो सफलता हासिल करना चाहते है वह बहाने नहीं बनाते।

बहाना  :- मेरे पास धन नही….

जवाब :- इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था, उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचने पड़े…..

बहाना और जवाब
बहाना और जवाब

मन

मन क्या है ? क्या चाहता है ? मन शरीर का एक अंग नही है यह शरीर से अलग है जो हमारे शरीर को चलायमान रखता है स्वयं नित कार्यों में मग्न रहता है और शरीर को भी वहीं आदेश देना चाहता है।

मन की गति बहुत तेज़ है, शरीर की वह गति नहीं है, शरीर धीमा है, यदि शरीर में मन आवागमन की गति आए तो शरीर इस ब्रह्माण्ड में कहीं विचर सकता है परन्तु यह करने के लिए बहुत तपस्या करनी होगी।

हमेसा हम नए नए कार्यो उलझता है मन सिर्फ नए कार्य ही करने चाहता है, यह स्वभाव है यह की पृकृति है की यह सिर्फ नए की खोज में लगातार लगा रहे यह पुराने को भूल जाता है छोड़ देता है हर दूसरे पल में कुछ ना कुछ नया करने की इच्छा इस मन में रहती है जिसकी वजह से हम कुछ ना कुछ अलग अथवा नए कार्यों की तलाश में रहते है और उन्हीं कार्यो को करना चाहते है खाली बैठ नही पाते जिसकी वजह से  मन तो कभी इस दिमाग को व्यस्त रखता है खाने, घूमने, खेलने, आदि कार्य करने या कुछ भी सोचने आदि के कार्यो में हमेसा उलझाए रखता है।

हम क्यों खाली खाली महसूस कर रहे है या करते है ? क्या हमारे पास कुछ नही है करने को ? या हम कुछ अलग कुछ नया हम करना चाहते है हम क्यों अपने आपको खाली खाली देखते हैै?
 
क्यों हमारा मस्तिष्क खाली खाली सा महसूस कर रहा है हमारा मन हमेसा नए कार्यो में नई चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है तथा शरीर पुराने की मांग करता है जो पिछले दिन किया था उसी कार्य को करना चाहता है यदि हम पिछले दिन दिन में 2-4 के बीच सोए थे आज फिर शरीर उसी की मांग करता है परन्तु मन के साथ एसा नहीं है बिल्कुल भी नहीं है, नए कार्यो में लगाना चाहता है ये सिर्फ कुछ स्थानों पर शांति चाहता है जैसे बीते हुए दिन में क्या हुआ था वही दुबारा चाहता है उसी को बार बार दोहराना चाहता है शरीर आलसी है।

मन नित नए कार्यो की अग्रसर होता है अर्थात नया चाहता है इसलिए हमेसा हम एक छोर को छोड़ते है तो दूसरे छोर की और भागते है एक कार्य पूरा नही होता बस दूसरेे कार्य में लग जाना चाहते है एक मिनट भी हमें यह हमारा मन हमे खाली बैठने नही देता बस किसी ना किसी कार्य में लगातार लगाए रखता है।

और इस मन को जिसने जीत लिया वहीं जीत जाता है और जो इससे हार गया वहीं हारा हुआ कहलाता है।

बर्ट्रांड रोसल

बर्ट्रांड रोसल मैंने हिंदुतत्व को पढ़ और जान लिया की यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है, हिंदुतत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिंदुतत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे एक दिन एस आएगा की हिन्दू ही दुनिया की वास्तविकता उतएजन होगा।

बर्ट्रांड रोसल
Burtrand rosal

बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।
जो मन के भीतर है दबा कहीं यह कोशिश है, उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की
कुछ कह पाना
कुछ समझा पाना
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना,

दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए ,

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतता ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा करेगा यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है।

क्रिकेट

क्रिकेट पूरी दुनिया में इतना लोकप्रिय क्यू है ? यह खेल सिर्फ खेल नहीं है, इस खेल को देखने में रुचि तो बढ़ती ही है साथ ही यह खेल आपको बहुत कुछ सिखाता है, आपके जीने के नजरिया को बदल देता है, आपके भीतर कुछ कर गुजरने की इच्छा को प्रबल करता है, आपको हिम्मत देता है।

कभी न हार मानने जैसी सोची बढ़ावा देता है।

जैसा की कहा जाता है क्रिकेट अनिश्चित घटनाओ का खेल है कब हो जिंदगी में ओर क्रिकेट ये किसी को नहीं पता इसलिए आखरी बाल तक मैच का रुख बादल सकता है, किसकी जीत किसकी हार ये कोई नहीं कह सकता बाजी कभी भी पलट सकती है। यही आपकी जिंदगी भी आपको सिखाती है।

इस खेल पूरी टीम एक तालमेल के साथ चलती है अकेला कोई नहीं जीत नहीं सकता उसने इतने रन बना दिए जिसकी वजह से हम जीत गए , परंतु बोलर ने गेंद भी डाली है तभी उतने रन बने है, फील्ड का योगदान, जो आपके साथ रन लेने के लिए दौड़ रहा है उसका योगदान हर किसी का योगदान होता है आपकी सफलता के पीछे आप अकेले भी बहुत अच्छे है लेकिन उन सभी के साथ आप बहुत अच्छे बन गए है तभी आप यहाँ तक पहुच पा रहे है, ओर इस बात को आप ना भूले

जो खेल में सफल नहीं हो पाते ओर आपकी टीम के साथ होते है आपको योगदान देते है लेकिन उनका साथ भी बहुत जरूरी होता है। सबका साथ ही आपकी सफलता है।

इस खेल में आप की हार के साथ ओर भी बहुत लोग हारते है सिर्फ आप नहीं हारते आप एक टीम होकर हारते है, आपको पूरा देश समर्थन करता है, बहुत सारे को तो हम लोग जानते भी नहीं है, ओर उन खेलों को हम लोग तवज्जो भी नहीं देते है जिस खेल को हम आदर सम्मान दे रहे है लोगों की भावना इस खेल के साथ जुड़ी हुई है,