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उम्र

दिन आता है, दिन चला जाता है इस दिन की उम्र 24 घंटे ही है लेकिन ये सम्पूर्ण संसार को कार्यरत होने के लिए बढ़ी कर देते है कुछ ना कुछ करने के लिए।

उम्र से नहीं कार्य से आँको , उम्र कितनी भी हो परंतु कार्य बड़ा होना चाहिए
उम्र या कार्य

क्या आपके जीवन में भी स्वयं को बाध्य करने के लिए कोई नियम है? उम्र कितनी भी हो परंतु कार्य का बड़ा होना चाहिए।

सपने क्या होते है?

सपने क्या होते है ? ओर ये सपने क्यों जरूरी है ?
जिंदगी में यदि सपने ना हो तो जिंदगी अधूरी लगती है सपनों के साथ जीने पर ही तो जिंदगी पूरी लगती है बिना सपनों के जीना भी क्या जीना इससे बेहतर है मर जाना।

सपने क्या होते है
सपने क्या होते है

सपने क्या होते है ? सपनो वो है जो कुछ लोग सोते हुए देखते है और कुछ लोग जागते हुए खुली आंखो से जो लोग नींद मै सपने देखते है वो सिर्फ उन्हें शुभ ओर अशुभ के पैमाने पर नापते है उनके लिए सपनो के अकोई महत्व नहीं होता बस नींद खुली सपना ख़तम , उस सपने का कोई अर्थ नहीं लगाते बस यदि सपना बुरा है तो बुरे सपने की तरह भूल जाते है ओर यदि अच्छा गई तो उन्हें अच्छी नींद मानकर ही खत्म समझ लेते है।

लेकिन कुछ खुली आंखो से सपनो देखते है उन्हें को असल जिंदगी में पूरा करने की चाहत रखते है उनके लिए सुबह – शाम मेहनत करते है सोचते है भागते – दौड़ते है सारा दिमाग ओर शारीरिक बल लगा देते है उनके लिए वहीं जीवन का लक्ष्य होता है वहीं सब कुछ होता है।

हर किसी के लिए सपने अलग अलग होते है किसी डॉक्टर, इंजिनियर , लॉयर, तो किसी को कुछ सपने अपनी अपनी इच्छाओं के अनुसार सोचते है और वहीं उनमें अलग अलग रंग भर लेते है जिन्हे वो सपनो का नाम देते है।

जिंदगी बहुत बड़ी है इसमें जितनी इच्छाएं डालो उतनी ही पूरी होगी और सपनो का आकार भी बढ़ता जाता है।

जिंदगी में देखे गए सभी सपने साकार नहीं होते उनके लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता है लाखो यतन करने पर भी वो सपने पूरे हो ये ज़रूरी नहीं है लेकिन फिर उन सपनों के पीछे हम भागते रहते है जिंदगी भर सिर्फ आंखो में हसीन सपने लेकर ही जीते है हम की यह पूरा होगा , यह पूरा होगा।

मेरी जिंदगी के बहुत सारे सपने है जिन्हें मै पूरा करना करना चाहता हूं लेकिन असमर्थ सा लगता हूं फिर भी लगातार कोशिश कर रहा हूं वो सपने पूरे होंगे या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन उन्ह सपनो में
मै रंग भरता हूं
उनके लिए लाइन खींचता हूं , बार बार सोचता हूं,
उस लाइन को ओर गाढ़ा करता हूं ताकि दिमाग से वो सपना दूर ना हो जाए।

जिंदगी के मुसाफिर

कभी मकान बदल रहे है तो कभी दुकान बस यू ही जिंदगी के मुसाफिर हो गए है, कुछ को लगता है की यह ठीक किया ओर कुछ को गलत बस जो हो रहा है उस पर किसी का जोर नहीं होता यह सब होता ही चला जाता है

यह जिंदगी है साहब यहाँ हर किसी का वक्त बदल जाता है, समय की चाल के साथ जीवन भी नए नए रंग दिखाता है कभी सपना सजाता है तो कभी सपनों को तोड़ता चला जाता है

यह वक्त हर मोड पर करवटे बदल नजर आता है , कभी नई उम्मीद की किरण दिखाता है तो कभी अंधेरे में छोड़ उजाले का इंतजार कराता है, जिंदगी के मुसाफिर है कभी यहाँ तो कभी कही ओर चले जाते है।

दिखावा करना

दुनिया में दिखावा करना ….
कोई नहीं हमसाया ।
कही न कही यह स्वय का दोष …
जो चाहता तो हे स्वय के लिए मिले
ऐसा व्यक्तित्व लेकिन नहीं किसी के लिए मैं इस शिद्दत से जी पाया ।
बाहर तो हम कह सकते है आसान हे यह सही नहीं वो कितना ग़लत…..
प्रश्न स्वय से किया कभी मैंने किसके लिये क्या किया ? क्यूँ में माँग रहा कितनी मेरी हे समझ ।

स्वय को कम आंकना नहीं मेरा मक़सद….
बस उम्मीदों के कारवाँ से बचना ही सही मायने की स्वय की सही अर्थों में मदद।

Happy Guru purab

happy guru purab

In Putran Ke Sees Par Vaar Diye Sut Chaar, Chaar Muye To Kya Hua Jeevat Kayi Hazaar
(I have sacrificed my four sons. So what if my four sons are dead, when thousands are alive)

My Sincere Tribute to Life of Shri Guru Gobind Singh Ji

Happy Guru purab to all

कोशिश थी कुछ ओर

कोशिश थी कुछ ओर की कर तो मै कुछ ओर ही बैठा
अब जिक्र नहीं कर पा रहा हूं
लेकिन फिक्र मै करता ही जा रहा हूं
कुछ हासिल करने आया था

लेकिन ना जाने क्यों?
लेकिन ना जाने क्यों ?
चक्रव्यूह में फंसता ही जा रहा हूं
उम्मीद थी कि बन जाऊंगा कुछ

हो जाऊंगा कुछ
हासिल कर लूंगा
मुकाम पालुंगा कुछ
लेकिन कुछ हस्तियों के सामने
लेकिन कुछ हस्तियों के सामने

खुद की हस्ती ही मिटा बैठा
अब ना मै रहा
ना मेरा कारवा बस धूमिल हुआ
और लुट गया मेरा जहां, कोशिश थी कुछ ओर
करने को थे पूरे सपने बहुत

लेकिन शायद एक भी ना पूरा कर पाया
खुद को अलग कर
खुद को अलग कर
इस दुनिया से मै चल पड़ा
जहां ना कोई दौड़ है
ना कुछ पाने की हसरत
बस मै हूं मै हूं

कोशिश थी कुछ और कारणए की कर कुछ ओर बैठा
कोशिश थी

Best Part Of Life

best part of life is to love yourself just love yourself nothing else your life is very important for you and for others too

Life

मंजिल की तलाश

ना मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का बस चल रहा हूँ, कुछ खास नही बस हर लम्हे में इस तरह से जीने की आदत हो गयी है जैसे अब समय कही नही है। बस चलते ही जा रहे है ना कोई बंधन है ना कोई रोक टोक , ना कोई सीमा है बस निकला हूँ मंजिल की तलाश में

मंजिल की तलाश
मंजिल की तलाश

जीवन तो स्वत् चल रहा है आप चलो या फिर ना चलो यह गतिमान की अवस्था में है आप किसी दौड़ का हिस्सा नही होना चाहते फिर भी जीवन आपको बहा कर ले जा रहा है अपने साथ, क्योंकि आपका खुद पर कोई नियंत्रण नही है
समय और परिस्थितिया आपको नियंत्रित कर रही है।

यदि आप भीतर से खुद के साथ प्रवाहित है खुद के लिए तो बस फिर जीवन आपको आपके अनुसार ही आपको लेकर जाएगा फिर आप उस दौड़ में नही होंगे जिसमे पूरी दुनिया भाग रही है और सिर्फ भागना चाहती है परंतु किसी से पूछे तो कोई नही बताता क्यों भाग रहा है भाई ?

उनको “ना अपनी मंजिल का पता है ना उस ठिकाने का” की उनको जाना कहाँ है? और वे जानने की कोशिश भी नही करते की हम कहाँ जा रहे है क्यों जा रहे है ? बस समय और परिस्थितितयो के साथ बहते जाते है।

लेकिन बस वो पागलो की भागता ही रहा है, क्यों बाकी के लोग भी उसी तरह से भाग रहे है जीवन आपके अनुसार चले आप जीवन के अनुसार ना चले समय तो गतिमान है, उसे चलने दे जैसे वो चल रहा है आप अपनी चाल को नियंत्रित रखे और सजग रहे जितने सजग आप होंगे उतना ही नियंत्रित आपका जीवन भी होगा जिसकी डोर आपके हाथ में होगी।

जब आप हाइवे पर गाड़ी चला रहे होते हो तब आपको लगता है कि गाड़िया कितनी तेज़ चल रही है उसी वक़्त आपको भी लगता है की गाड़ी उतनी ही तेज़ी से चलाई जाए और आगे निकल जाए वरना कोई पीछे से टक्कर ना मार जाए और यदि आप साइड में चल रहे तो कोई आपको परेशान नही करता लेकिन एक आनन्दित सा लगता है बहुत धीमी रफ्तार लोग निकल रहे है आगे, फिर भी एक अलग मजा होता है उस एक तरफ चलाने का और लोगो को देखने का की बस लोग निकल रहे है। और हम अपनी मस्ती में बस चलते ही जा रहे है।

लोगो को निकालने दो वो उनका सफर है, आपका सफर है साइड में आराम से देखकर चलना मतलब सजग रहना जीवन के प्रति वही सम्पूर्ण आनंद है हर एक पल को आनन्दित होकर जीना यही लक्ष्य है हमारा , आन्नद सम्पूर्ण आनंद लेना जीवन को पूर्णतया से जीना।

बस जीवन एक लहर की तरह बह रहा है जिसका छोर खुद ब खुद अंत पा लेंगा , ना कुछ पाने की तम्मना है और ना ही कुछ खोने का डर बस जीवन हो चुका है एक मधुर सफर, मंजिल की तलाश पूरी होगी।

यह शब्द

इन शब्दों का अंदाज अलग है
क्योंकि
शब्दों में भेद की बहुत अलग अलग है
पता नहीं
यह शब्द कभी समझ नहीं आते
मनो
यह शब्द कही है भाग जाते
पकड़
कैसे पाउ मैं इन शब्दों को
न जाने
कैसे अदृश्य हो जाते है ये तो?

भूल जाता हूँ

भूल जाता हूँ भटक जाता हूँ , शायद बेहोशी के आलं में भी खो जाता हूँ,अपनी ही चुनी हुई राहों से फिर ठोकर खाकर होश में आता हूँ संभाल जाता हूँ चलना,दौड़ना,फिर से सिख जल्द वापस आ जाता हूँ फिर अपनी पसंदीदा राहों पर

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