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बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।
जो मन के भीतर है दबा कहीं यह कोशिश है, उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की
कुछ कह पाना
कुछ समझा पाना
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना,

आओ बाहर

आओ बाहर उन विचारो से बाहर निकल कर देखो जिनमें उलझे हो ना जाने कितने ही जन्मों से तुम अब तो आओ बाहर यह वक़्त है कुछ कर गुजरने का , कुछ हो जाने का , खुद को जानने का , समझने का , पहचानने का

देखो उस आसमान को, जो अपार है,
जहां सितारे चमकते हैं न्यारे-न्यारे।

जीवन का रंग देखो, चमक उठाओ बहार,
मुसीबतों के बावजूद खुद को बनाओ अद्वितीय यार।

सुंदरता को छूने का हौसला रखो,
आपातकाल में भी खुद को मजबूत बनाओ।

हर एक चुनौती को स्वीकारो,
खुद को परिवर्तित करो, समस्याओं को विकारो।

जीवन की गतिशीलता को समझो,
उच्चतम लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ो।

जो भी हुआ है, वह बीत चुका है,
आगे बढ़ो, नया चर्चा करो, नया रास्ता चुनो।

जन्म-जन्मांतर की कठिनाइयों से हार मत मानो,
अपनी प्रगति को बाधित नहीं होने दो।

आओ बाहर निकलो, विचारों के जंगल से,
नए दृष्टिकोण से देखो जीवन के खेलों को, ये विश्व संसार।

दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए ,

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतता ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा करेगा यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है।

जीवन में सफलता

दोस्त हंसते मुस्कुराते सदा रहे,
ख़ुशियों की सदा हवा बहे,
समस्याओं का सदा हल मिले,
जीवन में सफलता के फूल खिले ।

दोस्ती का रंग चढ़ाए रंग जीवन के,
हर गम को दूर कर दे आपकी हंसी-मुस्कान के।
मिलकर बनाएं खुशियों का गुलिस्तान,
जीवन के हर पल में बढ़ती रहे आपकी मित्रता की पहचान।

चाहे रुक जाए जीवन की धुप कभी,
दोस्त रहे साथ, बने रहें सबसे कभी।
अपनी आँखों में ख़ुशी छलकाएंगे हमेशा,
दिल से निकलेगा हंसी का गीत सदा।

हर कठिनाई को मिटा देगी ये दोस्ती,
सब परेशानियों को भुला देगी ये मित्रता।
सदा बनी रहे आपके होंठों पर मुस्कान,
जीवन की हर उड़ान पे बने जीवन में सफलता का निशान।

ये कविता याद रखेगी दोस्ती की मिठास,
सदा रहेगी हमारी यारी की आस्था।
चलो मिलकर बनाएं एक ख़ूबसूरत दुनिया,
जहां दोस्ती का रंग बने हर पल की पहचान।

सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।

प्रकृति का नियम

इस जीवन को दे झोंके अपनी क्षमता का सर्वोत्तम …….
गहरा ज्ञान ये जो देंगे वो होता कई गुणा ये प्रकृति का नियम ।

गुप्त ओर गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन……
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन …….

बीजों की गहराई में छिपा है आनंद विशाल,
जो फलों और पुष्पों को देते हैं उच्च विकास।

मिट्टी की गोद में आँखे भरी खुशबू पलती है,
सृष्टि की गोद में नई जीवन की लहर बहती है।

वृक्षों की छाया में प्राकृतिक सुंदरता छाई है,
पक्षियों की चहचहाहट में जीवन की गाथा बांई है।

हर पौधे की जड़ में ताकत बसी होती है,
हर वनस्पति की पत्ती में जीवन का रहस्य छिपी होती है।

जीवन की प्रकृति ने बनाए हैं सृजन के अद्भुत रंग,
जो देते हैं हमें खुशियों का नया संग।

हर बीज अपनी विशेषता लेकर उगता है,
हर फूल अपनी मिठास लेकर मुस्काता है।

जीवन की रचना में प्रकृति का साथ हमेशा रहा है,
हर मनुष्य को यह ज्ञान दिया जाता है।

चाहे जीवन की बारिश हो या तूफान,
प्रकृति हर समय हमें देती है सहारा बन।

समय बीतता रहता है, जीवन की यात्रा में,
पर प्रकृति की रचना हमें हमेशा संजोती रहती हैं।

गुप्त और गहरा ज्ञान यह कि देने का नाम ही जीवन।
देने के लिए प्रकृति ने रखा रचा बीजों का चयन, यही प्रकृति का नियम

नकारात्मक सोच

नकारात्मक सोच , अच्छी अच्छी घटनायें घटती जब नकारात्मक से होती दूरी……
नकारात्मकता मात्र एक पहलू एक पक्ष , उससे दूरी ही ज़रूरी…..

जितना हो सके पर किन्तु परंतु न पड़े इसकी ज़रूरत……
फिर हर समय शुभ ही शुभ हर मुहूर्त ही शुभ मुहूर्त ।

नकारात्मक सोच से परे,
जीवन में उजियारे;
एक दूसरे को समझते,
सहयोग से बदलते हाले।

आँधी चली, तूफान आये,
मगर हम अकेले न जाये;
संगठन में मजबूती है,
संयम से खुशियाँ बांटे।

नकारात्मकता को दूर भगाए,
सकारात्मक सोच से निभाए;
समृद्धि और खुशहाली की राह,
हम सब मिलकर चलें संग।

आपसी मेलजोल का खजाना,
मिटाए असाधारणता का भ्रम;
जीवन में बनाए अच्छी राह,
नकारात्मकता से दूर करें विचार।

सकारात्मकता की ज्योति जलाएं,
प्रकाश फैलाएं, खुशियाँ पाएं;
अच्छी अच्छी घटनाएं होंगी,
नकारात्मकता को हम भगाएं।

सबको आपस में जोड़े रखें,
खुशहाली की राह बनाएं;
नकारात्मकता से हो दूरी,
सबको खुशियों से भरे मौसम से डूबे।

अच्छे लोगों का साथ

चमकते अलग से मिलता अच्छे लोगों का साथ ।
इरादे उनके नेक हो उनका होता बहुत बड़ा हाथ ॥
सच्चे मित्र आपके सुख दुःख के वो भागीदार ।
उनसे ही जीवन वो एक बेशक़ीमती किरदार ॥

धन्य हैं वे लोग जो चमकते हैं अलग से,
मिलता है उन्हें अच्छे लोगों का साथ
उनके इरादे नेक होते हैं, और उनका हाथ
होता है बहुत बड़ा, जो सदैव सहारा बनाता है।

सच्चे मित्र होते हैं आपके सुख-दुःख के भागीदार,
जिनकी दोस्ती में है सर्वदा विश्वास और प्यार।
जब आप उदास होते हैं, वे आपके पास आते हैं,
आपके दर्द को समझते हैं, और आपको संबलते हैं।

जीवन के सफर में, जब आप अकेले महसूस करते हैं,
वे मित्र उठते हैं आपके साथ और देते हैं साथ।
सुख के पलों में और दुःख के समय में,
वे आपका सहारा बनते हैं, आपको नया आशा देते हैं।

सच्चे मित्र होने का अर्थ है प्यार और सम्मान,
उनके संग हर दिन बदलती है जिंदगी की कहानी।
चमकते हैं वे अलग से, खुद को साबित करते हैं,
और आपकी जिंदगी में खुशियों का आंचल बिछाते हैं।


जीवन के धागे टूटे

जब कभी जीवन के धागे टूटे तो जाना मित्रों के सानिध्य….
वो योग्य दर्ज़ी निशुल्क टूटे धागों को रफू करना उनका लक्ष्य ।
मित्रता एक रिक्त पृष्ठ पर उकेरी सुंदर कलात्मक कलाकृति….
सम्भालिये मित्रता को वो आपकी निधि एक अमूल्य सम्पति ॥

जब कभी जीवन के धागे टूटे तो जाना मित्रों के सानिध्य…
वो योग्य दर्ज़ी निशुल्क टूटे धागों को रफू करना उनका लक्ष्य।
मित्रता एक रिक्त पृष्ठ पर उकेरी सुंदर कलात्मक कलाकृति…

दोस्तों के साथ जब जीवन के धागे टूट जाएं,
उनके साथी के पास जाना, जहां शांति बनी रहे।
अहम्यता समझ कर, धागों को जोड़ने का काम करो,
मित्रता के लक्ष्य की ओर, आगे बढ़ते रहो।

मित्रता एक रिक्त पृष्ठ पर उकेरी सुंदर कलात्मक कलाकृति,
हर रंग, हर सूरत में उसकी मधुरता व्यक्त होती है।
साथ चलने की ताकत, अनदेखी के दरवाज़े को खोलती है,
धागों को मजबूती से बाँधती है और कठिनाइयों को हरती है।

जब तुम्हारे जीवन के धागे टूट जाएं,
तो याद रखो कि दोस्तों का साथ हमेशा मिलेगा।
वे तुम्हारे लिए वह समर्पण होंगे,
जो तुम्हें जीवन के संघर्षों से निकालेगा।

तो जब भी धागे टूटें, मित्रों के आसपास जाना,
उनकी सहायता से धागों को मजबूती देना।
मित्रता की सुंदर कला को आदर्श बनाना,
और एक दूसरे के साथ हमेशा जुड़े रहना।

Nazar

61. dekha jo tujhko khil khila ke hanste hue..
dil ka har soya khwab jaag utha hai…
is pyari si hansi ke suron ko sunkar yun…
mere dil ke jal tarang ka har taar baz utha hai…
jo bikhere hai khushiyon ke geet tu fijaon main…
feeka sargam ka har ek sur  hua lagta hai…

62. use janna chahta hoon jo hummain nahin janta…
use pyar karta hoon jo pyar karna hi nahin janta…
ab ismain meri kya khata jo ek bewafa se dil laga baitha…
kaash usnain wo dekha hota jo pyar reh gaya andekha…

63. hum aye hain unke ghar is umeed main ki wo ankhe bichaye baithe honge..
itna sochte hue jo unke darwaze par dastak di….
darwaja khulte hi unhone poocha… aap kaun hain???
hum hi laut aye ye soch kar ki hum hi  galat ghar main agaye honge…

64. barish ki choti choti boondon main tera hi massoon chehra nazar ata hai…
fir is barsaat main ankhe khole khada hoon shayad ek boond in ankho main sama jaye…
par sochta hoon mere gum-e-ansuon ke sang wo boond na beh jaye…
wo ankhon main basa chehra hi bas teri akhri yaad hai…
yahi sochkar bas ab hansta rehata hoon… kahin ek ansun na beh jaye…

65.hum diya jalaye baithe the ki wo ayenge hum se milne
diya bhi jal raha hai wo milne bhi aye hain…
bas ab humare ghar nahin  humari mazar par aye hain…

66.khud to mar chuke hain doosron ke liye jeete hain…
ab khud ke gum or dard se nasha nahin hota hai…
khud ke liye nahin ab doosron ka gum galak karne ke liye peete hain…

67. wo door ek ummid ka dia jal raha hai…
wo ek halki si roshni se mere dil ka andhera chant raha hai…
lo himmat karke diye tak haath to badha dia hai…
par jaane kiski nazar lagayi hai in khushiyon ko…
ki us ummed ke deye se bhi haath jal raha hai…

fir bhi thame hue hun is diye ko jalte hue haathon main..
shayad yahi likha hoga meri haathon ki lakeeron main…
yahi soch kar in lakeeron ko mitane ke liye haath bhi jala raha hoon..
fir nayi lakeeren banegi  fir is ummed main jal raha hoon main…

68. us roshni main badhti hui tanhaiyon se bhag kar…
is andhere ke kaale sayon se dosti  ki hai…
par us roshni ki tanhaiyon main bhi apnapan tha…
in andheron main to meri parchayi ne bhi saath chor diya hai…

69.jise humne chaha wo mujhe na mil saka…
koi humain chahata aise mai na ban saka…
ab ismain meri kya khata main un jaisa na ho saka…
kisi ke dil main pyar to kya nafrat bhi na jaga saka….

70. tujhse itna pyar karte hain ki..
is ehsaas ki inteha hum nahin jante…
bas maut se bhi lad jayenge par tujhe na jane denge…
maut na mani to uske sath hum bhi holenge…
is duniya se us jahan tak har kadam tere saath chalenge…

71. jo bhul jayen wo yaden nahin…
jo yaad na aye wo pyar bhari baten nahin…
tere mere dil ka haal ek jaisa hai…
bas tune keh diya aur main to keh bhi pata nahin…

72.shayri ki ye adat to sharab ki adat se bhi hai buri…
sharab pi kar to sab bhool jata hun…shayri main to yaden sanjota hun…
sharab peekar badbadat hun to diljala samajhte hain…
shayri sunkar to wah wah kiya karte hain…

73.jaane chor aye the unko kiske sahare…
wo khafa to hai ki kyun chor aye the beech rah main…
wo na samjhe ek bhi majboori meri…
ye bhi na socha ki hum jeete hain kiske sahare…

ye bhatakti kashti si jindagi ka sawaar main jaane kiske hun sahare…
ye dukh ka maha sagar aur nahin ek bhi sukh ke kinare…
kehne ko bahot hai yahan sahanubhuti ka khara paani…
par pyas to tabhi bhujegi jab mile kisi ke pyar sa meetha pani…

par pyas nahin bhujti; jabtak na ho; pyar ke meethe neere…

(Jane wo chor gaye hume kis ke sahare…
Chora bhi to tab jab door the kinare…
Ye bhi na socha ke is dukho bhare jeewan k sagar me hum lehro se lad rahe the kiske sahare…
Is toti purani kasthi se jeewan ka sawar main jaane lade jaraha hoo kis ke sahare…
Ye dukho ke sagar ke shayad nahi hai kinare…
Kehne ko bohot hai yahan Suhanubhuti ka khara paani…
par na jane kab paunchagi sahil pe meri kahani…
Dar ta hoo sahil ke intzaar me he khatam na ho jai meri zindagani…)

74. dekho wo mujhse rooth kar kaisi sajaayen deta hai…
kabhi lagta hai shayad bhool gaya hoga mujhe…
par wo zalim to itna sukoon bhi nahin deta hai…
wo door betha hua bhi khamosh sadaayen deta hai…

75. ye tumhari ankhen pyari pyari…
in ankhon main sundar kwabon ka ek samandar…
is samandar main meethi boonden yadon ki…
kahin mera dil pyar ke jazeeron main doob na jaye…
kahin mujhe tujhse pyar na ho jaye…

kahin ye jaan kar tu mujhse rooth na jaye..
kahin mera dost kahin chhoot na jaye…

76.jab unke dar-o-sheher se nikla tha…
wo mujhe alvida kehne door tak aya tha…
jaane kyun main ye dekh kar khush tha…
ki uski ankhon main ek chota sa ansun tha..

77.maine use chaha jo mujhe chah na saka…
usnain jise chaha wo use chah na saka
ab ye meri ya uska naseeb kehlo…
na hi main khush raha na hi wo khush reh saka…

78.dil le liya hai tune seene se nikal kar…
us khali jagah ko bhar diya hai tune judai ka gum daal kar…
ab jiyenge kaise yun tere bin jindagi bhar…
ki reh nahin pate ek pal bhi tujhse door hokar…


79. Is bheed main kuch to mai bhi shamil ho jaun…
kuch to duniya ke jaisa bhi ban hi jaun…
abhi kuch to khud ko janta hun pehchanta hun…
us bheeh bhad main kahin khud ko na bhool jaun…

80. aaj kisi ko dekha tha bhatakte hue raston par…
kuch jana pehchana sa koi apna sa laga…
kuch dhundh ka sama tha…
fir bhi use dhundhne nikla…
is umeed main ki ab mera bhi koi sathi hoga…
par jo kohre ka ghana badal chanta…
saamne aina tha or usmain mera aks tha..
fir main aur mera saya un raston par bhatakne lage…

wo door ek saya sa nazar ata hai…
is dhundh main kuch dhundhla sa nazar ata hai…
chalo koi to apna sa nazar ata hai…
pass jakar dekha to ek aina sa nazar ata hai…
us aine main mera hi aks nazar ata hai…