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नया विचार

एक समय जब मेरे मस्तिष्क में जैसे ही कोई नया विचार आता था , उसे मैं फटाक से लिख देता था, अपने सिरहाने के पास ही मैं अपनी डायरी ओर पेन लेकर सोता था , चाहे वो विचार रात को सोते हुए 2 बजे ही क्यू ना आया हो मेरे दिमाग में लेकिन वो विचार लिखना मुझे बहुत जरूरी लगता था, क्युकी वह एक विचार कब कितना बड़ा हो जाए , उस विचार का क्या कारण है? मेरे मस्तिष्क में आने वाले विचार को बस इसी वजह से मैं उस विचार को लिख लेता था।

सिर्फ इसी वजह से उन सभी विचारों को लिखते लिखते वह विचार आज हजारों की संख्या में हो चुके है, और आज भी मैं उन सभी विचारों पर थोड़ा थोड़ा काम करता रहता हूँ, उनको ओर बड़ा करने की कोशिश में लगा रहता हूँ , मैं उन सकारात्मक विचारों को लिख चुका हूँ और उन्ही विचारों के कारण मेरे जीवन में बहुत बदलाव भी आए है, क्युकी उन विचारों को मैंने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था।

ओर उन सभी विचारों से मेरे जीवन में जो परिवर्तन हो रहा था, मैं उन सभी परिवर्तनों को अपने भीतर महसूस कर रहा था, मेरे जीवन की गति में भी परिवर्तन दिख रहा था जिस वजह से मैं हमेशा खुद को बेहतर जीवन की ओर बढ़त हुआ देखता था, मेरा जीवन के प्रति नजरिया बड़ा होता जा रहा था , मेरे भीतर जो सवाल आ रहे थे उन सवालों के जवाब भी मैं ढूंढ प रहा था।

बचपन में मैंने एक किताब पढ़ी थी जिसका नाम पावर ऑफ पाज़िटिव थिंकिंग है यह किताब आज भी बहुत चर्चित किताबों में से एक है यही वह किताब है जिसकी वजह से मैंने उन सभी विचारों को जोड़ना शुरू कर दिया जो मुझे पाज़िटिव एनर्जी देते थे, मैं भागवत गीता का भी पाठ नियमित रूप से करता था और अपने विचारों को दृढ़ कारणए की कोशिश करता था।

सोचने वाली बात यह की हमारे मस्तिष्क में एक दिन में लगभग 60 हजार विचार आते है लेकिन उसमे से कितने विचार सकारात्मक ओर जीवन में उतारने के लिए लायक होते है, तथा उन विचारों पर कार्य कर सके ऐसे कितने विचार होते है, कोई विचार नया विचार तो कोई पुराना विचार होता है जो हमारे मस्तिष्क में काफी समय से चल रहा होता है।

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लगातार करते रहे

किसी भी कार्य लगातार करते रहे क्युकी ज़िंदगी में कुछ करने के लिए बहुत सारा जुनून, पागलपन चाहिए होता है, ओर उसी पगलपने के साथ लगातार काम करते रहना भी बहुत जरूरी है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो सफलता हमारे हाथों से दूर निकाल जाती है, जब सफलता दूर होने लगती है तभी हम बहुत सारे बहाने बनाने लग जाते है, ओर उन्ही बहानों के साथ अपने जीवन को बिताने लग जाते है, यदि आप सफल होन चाहते है बहाने ना बनाए, उन बहानों के लिए जवाब ढूँढे ओर उन पर कार्य तभी सफलता हासिल होगी।

कार्य को अधूरा न छोड़े: हम जो भी कार्य शुरू करते है उसको बीच में ही अधूरा छोड़ देते है, जबकी हमे ऐसा नहीं करना चाहिए, हम बार किसी दूसरे कार्य की ओर भागने लगते है, हमे एसा लगता है उस कार्य से हम बोर हो गए या हमारी उस कार्य में रुचि घट जाती है, हमे मज़ा नहीं आ रहा होता है, इसलिए हम उस कार्य को बीच में छोड़ देते है, लेकिन ऐसा करने से हम बहुत पीछे चले जाते है। हमे उस कार्य नए ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।

स्वयं को रिवार्ड दो: जब भी कुछ करे, उसमे छोटी छोटी उन्नतती पर खुद को रिवार्ड दीजिए, हमे उस कार्य को ओर बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ओर उस कार्य को लगातार करते रहे ताकि हमारी रुचि बनी रहे, ओर हम उस कार्य को छोड़ बार बार इधर उधर भटके नहीं।

कार्यों में आनंद ले: उस कार्य में हमे मज़ा ओर वह कार्य हमे अच्छा लगना चाहिए हमे उस तरह से करना चाहिए वो कार्य, हमे कभी भी कार्यों से बोर नहीं होना चाहिए, उसमे आनंद ले।

आदत बनाए: समय पर कार्य करने की आदत बनाए, साथ ही अपने समय की बचत करे बेवजह के कार्यों को करने की आदत दूर रहे।

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परिस्थितियां

हमारे जीवन की परिस्थितिया किस प्रकार की बन रही है, और हमारे जीवन से इन परिस्थितियों का क्या संबंध है। जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियां आती- जाती है और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है सब अपने अपने तरीके से  अपनी परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।
आप टूटना चाहते है या निखरना अब यह आप पर निर्भर करता है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय पर तथा आपके मस्तिष्क के विचारो पर निर्भर करता है।
परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है।

सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।
वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है।

उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।
यह कहना हमारे लिए आसान है परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।
आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ?

यह आप पर ही निर्भर करता है कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।
बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।
जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे, और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।
कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे
कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते ,  ना वो कुछ कर पाते है।

समय बलवान है ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है,समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको  भी साथ पकड़ लेते है और इंसान कमजोर पड़ जाता है हार मान लेता है तथा डरने लग जाता है जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

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अब्दुल कलाम

अब्दुल कलाम जी से हमे बहुत प्रेरणा मिलती है व बहुत सारी बाते सीखने को मिलती है उन्मे से एक यह भी है जिसे हम सभी को याद रखना ओर अपने जीवन में उटार्नी चाहिए।

बहाना  :- मैं अत्यंत गरीब घर से हूँ….

जवाब :- पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी गरीब घर से थे।

हम सभी को यही बात सिखनी चाहिए की हम बहाने तो बहुत सारे बना सकते है लेकिन सफल होने के लिए बहाने काम नहीं आते हमे कड़ी लग्न ओर मेहनत से कार्यों को करना पड़ता है, ओर उन कार्यों को करने उन्मे बहाने नहीं ढूँढने चाहिए।

अब्दुल कलाम
डॉक्टर कलाम

अब्दुल कलाम भारतीय वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे हैं। उन्हें “मिसाइल मैन” और “पीपल्स प्रेसिडेंट” के रूप में भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम ने भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में अपनी गुणवत्तापूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की।

अब्दुल कलाम हमारे देश के संघर्ष की उच्च गरिमा और गर्व के प्रतीक हैं। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी अद्भुत वैज्ञानिक मार्गदर्शन के बाद से ही भारत ने अंतरिक्ष में स्वतंत्रता प्राप्त की।

अब्दुल कलाम को अपने सर्वश्रेष्ठता, विदेशी भ्रमणों के दौरान छात्रों के बीच शिक्षा के प्रचारक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने सभी को यह सिखाया कि सपने देखने और मेहनत करने की शक्ति से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

अब्दुल कलाम के अनुशासनशील और संघटित जीवन पर भारतीय युवा बहुत प्रभावित हुए हैं। उनके शब्दों और उपदेशों ने देशभक्ति, शिक्षा, वैज्ञानिकता और नैतिकता को प्रेरित किया है। वे एक सच्चे मानववादी और शांतिप्रिय व्यक्तित्व थे, जिन्होंने देशभक्ति और जनकल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया।

अब्दुल कलाम ने जनता के मन को छू लेने वाले उदाहरण दिए हैं, जो आपके उदाहरण या दृष्टि के अनुसार आगे लिखे जा सकते हैं।

  • “अगर आप एक परिवर्तन बनना चाहते हैं, तो आपको खुद पर पहले विश्वास करना होगा।” –
  • “सपने वहीं होते हैं जो हम अपने दिमाग में बनाते हैं, लेकिन उन्हें सच करने के लिए हमें मेहनत करनी पड़ती है।” –
  • “शिक्षा आपके दिमाग को खोलती है और आपको नई सोच का द्वार खोलती है।” –
  • “यदि आप असाधारण चीजें करना चाहते हैं, तो आपको आम तरीके से सोचना बंद करना होगा।” –
  • “सपनों को पूरा करने के लिए आपको सोचना नहीं, करना पड़ेगा।” –
  • “सफलता आपके पास नहीं आती है, वह आपकी मेहनत और संघर्ष के बाद आपके पास आती है।” –

मूड को जरा संभाल

क्या होता है ना की आप अपने मूड के साथ ही लड़ते रहते हो, कब किस तरह का मूड बन जाए आपको पता ही नहीं चलता, इसलिए अपने मूड को जरा संभाल कर रखिए क्युकी इसको बिगड़ने में समय नहीं लगता बस संभालने में वक्त बहुत है लगता, इसलिए इस मूड को क्यों ही बिगड़ने दे हम, इस मूड को हमेशा सकारात्मक विचारों से भरना बहुत जरूरी है, जब हमारे मन मस्तिष्क में नकारात्मक विचार बहुत ज्यादा हो जाते है, तभी हमारा मूड बहुत जल्दी जल्दी खराब होने लगता है, इसलिए सकारात्मक बने रहे।

बार बार अपने मूड को मत खराब करो, इस मूड को देखो की ये बार बार क्यू खराब हो जाता है, इसका क्या इलाज है की बस ठीक रहे यह क्युकी यह मूड तो हर छोटी छोटी सी चीज पर खराब हो जाता है।

“इस मूड को जरा संभाल कही ये हो न जाए बिगड़ेल”

जैसे ही हमारा मूड खराब होता है हम चिड़चिड़े हो जाते है, ओर फिर हमे कोई पसंद नहीं आता हम सभी से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते है, कुछ भी पसंद नहीं आता, ये हमारे मूड खराब होने का नतीजा निकलता है।

इस मूड को ठीक रखने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए, इस मूड के बार बार खराब होने से हमारा पूरा दिन ही खराब हो जाता है, हम चिड़चिड़े हो जाते है, इसलिए इस मूड को ठीक रखने की आवश्यकता होती है, इस मूड का कुछ पता ही नहीं चलता, कभी ठीक रहता है तो कभी खराब हो जाता है, बहुत बार हमे पता ही नहीं चलता की हमारा मूड क्यों खराब हो जाता है।

जब हम अपनी मर्जी का कोई कार्य नहीं करते तब हमारा मूड ज्यादा खराब हो जाता है, या तो आप उस कार्य को करे जो आपको ज्यादा पसंद है या फिर अपनी सोच को बदलिए की कोई भी काम बेकार नहीं होता बस उसमे मन लगाना आना चाहिए, और मन लगाकर ही किसी भी कार्य को करना चाहिए।

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यह मन अधीर

यह मन , यह मन
यह मन अधीर हुए जाए
ना समझ आए कुछ
यह मन कहना क्या चाहे

बस पहेली सी बुझाए
सवाल की झड़ी
दिमाग में लगाए
कभी घबराए
कभी साहस दिखाए

कभी चुप बैठ जाए
कभी शोर मचाए
कभी क्रोधित हो जाए
कभी शांत ही जाए

फिर सोच मन बार बार घबराए
आगे अब क्या हो ?
जो यह दिमाग भी समझ ना पाए

पुनः पुनः
बस इसी विषय में सोच कर
दिन रात बीत चली जाए
क्या करू अब मै?

यह मन
यह मन
यह मन अधीर हुआ जाए

यह मन, यह मन,
मन अधीर हुए जाए।
ना समझ आए कुछ,
जैसे धुंधली रात के अंधेरे में खो जाए।

खोये हुए ख़्वाबों के संसार में,
यह मन विचलित हो जाए।
चाहे तो खुद को ढूंढे,
पर कहीं ना पाए, अधीर हो जाए।

जब अँधेरा छाये,
और रास्ता दिखाई न दे।
कोई राह निकले दिल की,
मन खुद को तंग करे, चिढ़ाए।

पर फिर भी यह मन,
उम्मीद की किरण में जगमगाए।
चाहे हो जाए अधीर,
फिर भी खुशियों से अभिभूत हो जाए।

यह मन, यह मन,
जो अधीर हो जाए।
दूर जाए सभी चिंताएं,
और खुशियों से भर जाए।

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बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।

जो मन के भीतर है दबा कहीं, यह कोशिश है उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन, कभी इस जीवन एमी संतुलन आता है तो काभी असंतुलन बस यह जीवन यू ही चलता है, इस जीवन को बेहतर करने की कोशिश में लगे रहना ही है, यही कोशिश हो हमारी हर समय अवसर की खोज रखे जारी।

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की, कुछ पाने की,
कुछ कह पाना,
कुछ समझा पाना,
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना भी संभव नहीं दिखता बस यू ही यह जीवन चलता फिरता

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दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए।

आप दिल की सुनते है या दिमाग या फिर आप दोनों की बातों पर गौर करते है, आपका दिल आपको ज्यादा प्रभावित करता है या दिमाग, दिमाग तो बहुत कठोर निर्णय लेता है लेकिन हमारा दिल बहुत हल्के क्युकी दिल बहुत जल्दी भावुक हो जाता है, इसी भावुकता में कई बार फैसले जो नहीं लेने चाहिए वो भी लिए जाए है।

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतेगा, ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा, यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है, कई बार तो वापस अपनी राह पर आना भी बहुत मुश्किल हो जाता है, खुद को संभालना भी मुश्किल हो जाता है, हमारी राहे काही गुम हो जाती है, क्युकी दिल ओर दिमाग की दुविधा बहुत बढ़ जाती है।

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सोचना बहुत पसंद है

वैसे मुझे सोचना बहुत पसंद है लेकिन इस रिमझिम रिमझिम सी बारिश में तो बस खो जाऊ यही करने का मन आज मन है , धीमी धीमी सी बारिश आज सुबह से ही रही है , इस मौसम को देख बस बाहर घूमने का मन का करता है, खुद को घर में कैद तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती , लेकिन मैंने खुद को घर में रोक रखा है, अभी फिलहाल कुछ समय के लिए घर पर ही हूँ , ताकि मैं कुछ तेजी से काम करता रहु जितनी गति मेरे काम को चाहिए, लगभग 6 घंटे तो मुझे लिखना ही है इसके अलावा भी कुछ थोड़ा बहुत नया करने के लिए समय निकालना होता है, ओर जो पुराना लिखा हुआ उसको भी एडिट करता हूँ मैं, इसके साथ साथ अपने विचारों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। ताकि जो नए विचार मन भीतर आते है उन पर कार्य करता रहु।

क्युकी यह विचार ही है जो मुझे नए कार्य की ओर प्रेरित करते है। नया नया सोचकर कुछ लिख लेता हूँ।

क्या आपको सोचना पसंद है? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि नहीं तो क्यों नहीं

मुझे सोचना बहुत पसंद है , ओर जो सोचता हूँ उन विचारों को मैं लिख लेता हूँ , ताकि उन सभी विचारों को ओर आगे बढ़ा सकु , उन पर कुछ कार्य कर सकु , क्युकी यह जो मेरे मस्तिष्क में विचार आ रहे है ये एक प्रकार के सुझाव होते है , यदि आप सकारात्मक है ओर आपके विचार भी सकारात्मक रूप से आ रहे है, तो आपके विचार आपको बहुत सारे सुझाव हर रोज मिल रहे है।

क्या आप भी उन सुझावों पर कुछ कार्य करते है, या फिर उन्हे कम से कम लिख लेते है, क्या आपने अपने विचारों को जानने की कोशिश की है, मैं करता हूँ अपने विचारों को जानने की कोशिश की यह विचार कैसे ओर क्यों आते है, मैं अपने मस्तिष्क में आने वाले ज्यादातर विचारों को देखता ओर समझता हूँ, जिसकी वजह से मुझे अपने जीवन को एक नई दिशा देने में मदद मिलती है , ओर स्वयं में लगातार सुधार की जो आवश्यकता होती है, वो भी इन्ही विचारों के कारण होती है , यह विचार मेरे जीवन को लगातार बेहतर बनाने में मदद करते है।

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जीवन को इन्जॉय

जीवन को इन्जॉय कैसे करना चाहोगे? जिंदगी उन हसीन लम्हों का ही नाम है जिनमे आपने सुकून पाया हो, ये भाग दौड़ की जिंदगी से बहुत दूर निकल जाना हो। इस जिंदगी के हसीन लम्हों को कैद करना

कहते है जिंदगी, जिंदगी लंबी नहीं बस बड़ी होनी चाहिए इसका अर्थ है, आपकी जिंदगी का कोई मतलब होना चाहिए जब तक जिए हर पल बेहतर होना चाहिए, जीवन को इन्जॉय करते हुए होना चाहिए।

पता नहीं कि जीवन को एन्जॉय करने के लिए क्या करना चाहिए मगर अधिकांश की जिन्दगी या तो निन्यानवे के चक्र में फँसी रहती है, या फिर जीवन को समझने और तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने में बीत जाती है।

फिर भी उम्र के इस पड़ाव तक आ कर मैंने जो सीखा है, उसके अनुसार लाइफ को एन्जॉय करने के लिए आपको इन बातों पर थोड़ा गौर करना चाहिए , यदि आपको यह बाते पसंद आए तो आप इनको अपने जीवन में उतार सकते है।

1. जीवन में आपाधापी तो उम्र भर की है इस भागम भाग का जो खेल है वो खत्म नहीं होता ये लंबा सिलसिला है। बस इसी दौड़ में कुछ ऐसे पलों को इककठे करना ओर उन पलों के साथ इन्जॉय कर सकते है , जिसे हम सभी यू ही गवा देते है ओर जीवन को इन्जॉय नहीं कर पाते है बस यू ही उधेड़ बुन में इस जीवन की उलझते हुए नजर आते है।

2. सन्तुलन तालमेल रखना जरूरी है, जीवन में काम और निजी जिन्दगी में अंतर रखना और दोनों के बीच सन्तुलन बनाये रखना उतना ही जरूरी है जितना कि हमारा साँस लेना, केवल काम या अर्थ भी जीवन को ख़ुशी से नहीं भर सकते और केवल निजी जीवन में मग्न रहने पर भी आपके पास जरूरी अर्थ नहीं आएगा, तो संतुलन जरूरी है।

3. जिस कार्य में अधिक रूचि हो, उसी में अपना करियर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। यह दोहरा फायदा देती है। जीवन में आप जो करेंगे, उसमें रूचि हमेशा बनी रहेगी और अर्थोपार्जन भी होता रहेगा। याद रखिये कि अर्थोपार्जन के लिए कुछ भी करना एक बात है, और ख़ुशी से वो करना जिसे करने पर आपको ख़ुशी मिलती है, यह दूसरी बात है। जब आप अपनी मनपसंद का कार्य करते है तो उस कार्य के लिए समय आप समय नहीं देखते बस उसमे लगे रहते है बोरियत नहीं आती आपका लगातार उस कार्य को करने का मन करता है।

4.यदि आप किसी को खुशी नहीं दे सकते तो किसी को आप दुखी भी न करे, मनुष्य जन्म से अन्तरात्मा के साथ जन्मता है। किसी भी विपरीत कार्य से उसे स्वयं पीड़ा होती है और उसकी अन्तरात्मा उसे तब तक कचोटती है जब तक कि वह उस विपरीत कार्य के बदले सही कार्य न कर दे। जान बूझ कर किसी को दिया गया दुःख अंततः मनुष्य की पीड़ा का कारण बनता है। इसलिए जीवन को एन्जॉय करने के रास्ते में किसी को दिया गया दुःख पीड़ा का कारण न बने, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने कर्म को सत्कर्मों तक सीमित रखें, ओर दूसरों का भी अच्छा सोचे व करे

5. सद्भावना और परोपकार दया भाव की नियत सदा हृदय में धारण रखना, ख़ुशी को खुद के समीप पाने का सरल उपाय है। एक पुष्प से अच्छादित उपवन में हर किसी का मन हर्षित होता है। कौन प्रातः की लालिमा को देख कर प्रफुल्लित, प्रसन्न और आनंद से भर नहीं जाता। पक्षियों का कलरव किसके हृदय को आह्लादित नहीं करता है। कौन बहते झरनों को या बरसते बादलों को देख कर मयूर की भांति नृत्य करने को उद्यत नहीं होता है। इसलिए, परोपकार और सद्भावना की उर्जा से वह मनुष्य सदा ही ऐसे भावों से परिपूर्ण रहता है। फिर उसे अपने जीवन को एन्जॉय करने से कोई रोक नहीं सकता।

6. प्रेम इस मृत्युलोक में अगर किसी ने प्रेम को जान लिया तो उसने जीवन का मर्म और उद्देश्य जान लिया। प्रेम कहने के लिए ढाई अक्षर का शब्द मात्र है, मगर इसके मर्म को जानने के लिए संत से ले कर भगवान तक मनुष्य रूप धर पृथ्वी पर आते हैं। इसे किन्हीं शब्दों या शब्दों के समूहों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता वरन इसे आत्मसात करना पड़ता है, वह भी सारे हृदय के लिए सम्भव नहीं जिसे परमात्मा ने बनाया है, प्रेम का मर्म जानने या समझने के लिए कुछ खास हृदय ही उपयुक्त है। फिर भी मनुष्य के लिए इसे जितना सम्भव हो, जानने की कोशिश करनी चाहिए। कदाचित, कई अर्थों में प्रेम ऊपर वर्णित अन्य गतिविधियों में समाहित है।

7. मौजूदा पलों का आनंद लें: वर्तमान क्षण को महसूस करें और उसका आनंद लें। अपने आस-पास के वातावरण की सुंदरता, सुखद संगठन, और मनोहारी वस्तुएं देखें।

8. संयम और अधिकार्यता बनाए रखें: अपने काम में संयम बनाए रखने का प्रयास करें। समय का सदुपयोग करें और अपनी प्राथमिकताओं को पहचानें।

9. सराहना करें: अपने आस-पास की खूबियों को देखें और सराहना करें। दृष्टि से छोटी-छोटी खुशियों को पकड़ें और उन्हें महसूस करें।

10. स्वास्थ्य का ध्यान रखें: अपने शरीर और मन की देखभाल करें। नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ आहार लें, और प्रतिदिन सुखद नींद प्राप्त करें।

11. अपनी प्रिय गतिविधियों में समय बिताएं: अपनी प्रिय गतिविधियों, जैसे कि गाना गाना, पुस्तक पढ़ना, फोटोग्राफी, योग, यात्रा, आदि में समय बिताएं। इन गतिविधियों में आपको आनंद का एहसास होगा।

12. संगठन को छोड़कर आराम करें: अपने आप को संगठित रखने के लिए अवकाश, अवकाश या छुट्टी पर जाएं। किसी खास स्थान पर जाने का आनंद लें और वहां की सुंदरता का आनंद उठाएं।

13. ध्यान और मेधा का अभ्यास करें: ध्यान और मेधा अभ्यास करें, जैसे कि मानसिक शांति और आनंद के लिए मेडिटेशन करें। योगाभ्यास भी मन को शांत और स्थिर रखने में मदद कर सकता है।

14. प्रेरणादायक किताबें पढ़ें: आप प्रेरणादायक किताबें पढ़कर अपने मन को प्रशांत, सकारात्मक और उत्साहित रख सकते हैं। किसी आदर्श के चरित्रों और उनकी कथाओं से प्रेरणा लें।

15. अपने पासवर्ड को छोड़ें: अपने दिन के हसीन पलों को कैप्चर करने के लिए अपने पासवर्ड और फोन को अवकाश पर छोड़ें। सोशल मीडिया का उपयोग कम करें और अपने पासवर्ड खोलने के बजाय वास्तविक जीवन को जीएं।

16. धैर्य और कृतज्ञता रखें: जीवन के प्रत्येक पल को धैर्य से और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करें। धन्यवाद की भावना रखें और अपने आस-पास के लोगों के साथ दया और सहानुभूति बनाए रखें।

याद रखें, हर दिन विशेष है और हर क्षण का आनंद उठाने का अवसर होता है। संयमित रहें, स्थितिवत्ता रखें और जीवन के छोटे-छोटे पलों का आनंद लें।

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