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खता हो गई

खता हो गई तो फिर सज़ा सुना दो दिल में इतना,
दर्द क्यूँ है वजह बता दो, इस दिल को राहत दिला दो।

जिंदगी के सफर में कभी-कभी हम गलतियाँ कर जाते हैं,
खुद से और दूसरों से गलत आश्वासन पाते हैं।
प्यार और विश्वास के क्षणों में हो जाती है ये भूल,
फिर इसे सुधारने का इरादा करते हैं हम सब।

पर दिल में जब दर्द बस जाता है बेवजह,
तो क्या कहें, कैसे समझाएँ वो अहसास महका दो।
इंसान होते हैं खामोश कुछ तो बात कर दो,
हालात को समझाने का मौका दे दो।

वक़्त के साथ चलने की कला ये सिखा दो,
गलती से जुदा हो गए तो भी राहत दिला दो।
हमसे भी तो बड़ी होती हैं गलतियाँ अक्सर,
क्षमा के फ़साने में सद्भाव समा दो।

खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो दिल में इतना,
दर्द क्यूँ है वजह बता दो, इस दिल को राहत दिला दो।
बस, एक मौका दो हमें फिर से सुधारने का,
प्यार और माफ़ी की कहानी को फिर से बना दो।

खता हो गई तो फिर
खता हो गई

खता हो गई तो फिर
सज़ा सुना दो दिल में इतना
दर्द क्यूँ है वजह बता दो

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मेरे हिस्से में

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से में,
मैंने यार भी तो फूल जैसे चुने हैं।

जीवन की राहों में थीं कठिनाइयाँ,
पर दोस्ती के फूल मुझे मिले हैं।
चाहत के रंग बिखेरे हैं हमने,
प्यार और सदा का वादा किया है हमने।

जैसे फूलों की खुशबू होती है अदा,
वैसे ही दोस्ती की मिठास है यारों।
हमारे बीते हुए पलों के साथ,
बनते हैं यादें, प्यार के प्यारों।

जब भी थक जाती हूँ राहों की चालों में,
फूलों की माला घुमाती हूँ मैं।
दोस्तों के साथ हाथ थामे चलती हूँ,
खुशियों की बहार बिताती हूँ मैं।

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से में,
मैंने यार भी तो फूल जैसे चुने हैं।
दोस्ती की दास्तान ये रंगीनी जारी रहे,
हर लम्हे में यारी की धुन बजे हैं।

काटे तो आने ही थे मेरे हिस्से में
मेरे हिस्से मे

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से मे, मैंने यार भी तो फूल
जैसे चुने हैं…

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जाते जाते तमन्ना है

जाते जाते तमन्ना है मेरे दिल की,
हर पल साथ तुम्हारा हो।
जितनी भी सांसें चलें, हर सांसों पर नाम तुम्हारा हो।

चले जाओ तुम, ये दिल रो रहा है,
बस यही एक आरजू है मेरी।
तुम्हारे साथ बिताए हर पल की यादें,
मेरे जीवन की आधार हैं ये तेरी।

क्या कहते हो, क्या कर दिया है तुमने,
जो ये दिल तुम्हें चाहता है इतना।
कुछ भी नहीं, बस तुम्हारे प्यार ने,
इसे दिवाना बना दिया है दिल का मना।

तुम्हारी यादों में खोया है ये दिल,
जीने की वजह बन गये हो तुम।
हर पल तुम्हें चाहे, हर ख्वाहिश में,
ये दिल तुम्हारा ही गाता है गीत सुनूं।

जाते जाते तमन्ना है मेरे दिल की,
हर पल साथ तुम्हारा हो।
जितनी भी सांसें चलें, हर सांसों पर नाम तुम्हारा हो।

जाते जाते तमन्ना है मेरे दिल की

जाते जाते तम्मना है मेरे दिल कि
हर पल साथ तुम्हारा हो
जितनी भी सांसे चले हर सांसो पर नाम तुम्हारा हो।

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चाय की चुस्की

चाय की चुस्की की तलब सुबह के समय तो ऐसी होती है,
मानो बिना चाय मेरे दिन की शुरुआत ही न हो रही हो।
लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा,
चाय की महक तुम तक भी पहुच रही है, यही बस बात होगी।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है,
मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।
चाय की चुस्की, चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है,
की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना,
चाय के बिना दिन की शुरुआत अधूरी सी महसूस होना।
चाय की तलब जैसे जीवन की एक आधारभूत आवश्यकता,
जो मन को शांति देकर दिल को बहुत सुकून देती है।

चाय की चुस्की लेने से लगता है दिल खुश हो जाता है,
कलम और कागज़ की जोड़ी बनती है, जब चाय की मिठास के साथ।
चाय की तलब इतनी है कि अक्सर शब्दों की कमी हो जाती है,
की सिर्फ एक चाय की मुलाक़ात से ही सब कुछ कह जाती है।

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बिछड़कर फिर मिलेंगे

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था,
ज़माने का डर भी था, अपने होने का यकीन कितना था।

बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था,
सपनों की राहों में तुम्हारा अमन कितना था।

चाहे राहें जुदा करे, या दूरियाँ हो जाएं,
हमारी यादों में सदा तुम्हारा असर कितना था।

फिर मिलेंगे जब बातें करेंगे लम्हों की,
दिल की धड़कनों में तुम्हारा इश्क़ इतना था।

यकीन नहीं होता था थोड़ा सा वक़्त बिताने का,
जब भी मिलते थे हम, इक पल जैसे जीना ही था।

बिछड़कर भी जब फिर मिलेंगे, तब साथ रहेंगे हमेशा,
क्योंकि हमारे बीच का प्यार हमेशा हसीना है।

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था
बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था

दिल को छू जाए

जब दिल को छू जाए वो इश्क़ की राहत,
तब जान ले तू, दर्द की कहानी की बात।

मुझको समझने के लिए ज़माने की नहीं ज़रूरत,
बस इश्क़ कर, और ज़ख्मों को महसूस कर जरा।

मोहब्बत की इन्तहाँ नहीं होती कोई सीमा,
दर्द का इलाज़ लिख, मेरे शब्दों की एक रीमा।

जब तक न खो जाए तेरी रौशनी दिल की,
तब तक संग रहेगी, मेरी शायरी ये बेदिल की।

ना कर इतनी मेहनत तू, मेरे दर्द को समझने की,
प्यार कर, और वादे से भर दे ज़िंदगी की राहें।

जब दिल को छू जाए
संजय गुप्ता शायर

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की

जब दिल को छू जाए वो इश्क की राहत,

मेरी आवारगी में

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है,
तेरी याद जब सताती है, दिल बेकरारा हो जाता है।

घर की चाहरदी सब अजनबी सी लगती है,
तेरे बिना यहां रहना, बस कठिन हो जाती है।

आवारगी में घूमते हैं ये रास्ते जहां,
तेरी यादों की महक साथ लेकर चलते हैं।

दिल की तनहाई में जब तेरी याद आती है,
घर बिखर जाता है, अकेलापन सताता है।

आवारगी में जब दिल तेरी तलाश में होता है,
तू घर की याद बनकर, दिल को संभालता है।

तेरी यादों की मधुर सुरी जब घर को छू जाती है,
खुशियों की चादर ओढ़ कर, दिल को भर जाती है।

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है

मेरी आवारगी में कुछ दखल तुम्हारा भी है, क्यों की जब तेरी याद आती है तो घर अच्छा नही लगता

मेरे ख्यालों में ही

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
ज़िंदगी की धूप में मेरे साथ ज़िंदा रहा करो।
तुम्हारी छाँव में मेरी रातें चमकेंगी,
तुम्हारी आवाज़ में मेरे गीत मेरी यादें बनेंगी।

तुम मेरे ख्यालों की बारिश की बूंदों में बरसो,
मेरी हर सांस में तुम चहकों बसो।
जब भी धड़कनें रुक जाएं, मेरे पास आना,
तुम्हारे होंठों से मेरी ज़िंदगी मिलाना।

तुम मेरे ख्यालों मे बिखरा करो मिलकर,
मेरी हर चाह को अपनी ख्वाहिश बना कर।
तुम्हारी मुस्कान बन जाए मेरी चंदनी रातों की,
तुम्हारी आँखों में खो जाए मेरी जिंदगी रातों की।

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
मेरे दिल की हर धड़कन में बसा करो।
जब भी तन्हा महसूस करो, मेरा नाम बुलाना,
तुम्हारे साथ रहकर मुझे हमारी दुनिया सजाना।

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उलफ़त की कहानी

उलफ़त की कहानी लिखते हैं हम शेरों की ज़ुबान से,
जब दिल का इश्क़ उभरता है, और रूह को छू जाता है।

उल्फ़त की चाहत में जब दिल बेकरार हो जाता है,
हर वक़्त उसका जिक्र करने को तैयार हो जाता है।

जब उल्फ़त का रंग बदलता है वक़्त के साथ,
दिल में नयी धड़कनों की आवाज़ उठ जाती है।

उल्फ़त की आग में जब दिल जलता है,
हर एक दर्द को बहुत गहरा महसूस करता है।

उल्फ़त की बेवफ़ाई में जब दिल टूट जाता है,
हर एक ख्वाब बर्बाद हो जाता है।

उल्फ़त की इक नज़र जब दिल को चूमती है,
ज़िन्दगी की हर चीज़ प्यार की मिसाल बन जाती है।

उल्फ़त की बातें करते हैं हम शेरों की ज़ुबान से,
जब इश्क़ की लहरें दिल को बहुत भाती हैं।
उलफ़त की कहानी लिखते हैं हम शेरों की ज़ुबान से,
जब दिल का इश्क़ उभरता है, और रूह को छू जाता है।

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इश्क मोहब्बत क्या है

इश्क मोहब्बत क्या है, कौन समझा सकता है,
दिल में उतर जाता है, फिर रूह को सताता है।

ये एक आग है जो जलती है बिना बुझने,
जब तेरे दीदार का ख्वाब मन में छाने।

इश्क की बारिश में जब दिल भीग जाता है,
हर सांस तेरे नाम पर ज़िंदगी बस बिताता है।

दर्द की गहराई में जब आँखें नम हो जाती हैं,
इश्क के रंग में जब दिल खुद को खो जाता हैं।

ये जुनून है जो दिल को भरमा देता है,
जिस्म को जला देता है, रूह को जला देता है।

इश्क मोहब्बत क्या है, जब बयां करने की ज़रूरत नहीं,
सिर्फ एहसासों को अपने दिल में बसाने की चाहत है।

इश्क मोहब्बत क्या है

इश्क मुहब्बत क्या है..?
मुझे नही मालूम…?
.
बस …..
.
तुम्हारी याद आती है..?
सीधी सी बात है