Posts tagged hindi ki kavita

मेरा एक तरफा प्यार


मेरा एक तरफा प्यार ना जाने
कितना बढ़ चुका है अपने
प्रेम का इज़हार करने के लिए
मेरा पागलपन पता नही मुझे

मेरे दिल का हाल बेहाल हो जाता है
जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है
बिन कुछ कहे शब्दो का ढेर
मेरे मन में छोड़ जाती है

किस हद् तक बढ़ चुका है
जब वो मेरे सामने से गुजरती है
मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है
चल रही सांसे उसको देख रुक जाती है

(बदन में ना जाने कैसी
सरसराहट सी आ जाती है, )
मानो बिजली पूरे बदन में दौड़ जाती है
मेरे शब्द ठहर जाते है जुबान निःशब्द हो जाती है
मेरी नजर उसकी नजरो से नजर मिला नही पाती है

लेकिन वो तो
इतराती, इठलाती अपनी आंखे झुका
कर बस दौड़ी चली जाती है
एक नजर भर देखती नही वो मेरी और
बस मुझे और बेचैन कर वो निकल जाती है

मैं उसका घंटो इंतज़ार करता हूं
की उसकी नजर मेरी नजरो से मिले और हम दोनो का ने
उसकी मेरी ओर एक नजर मेरे पर इनायत हो जाए

और हम दोनो का नैन मटक्का हो जाए
( देखने के लिए मिला पाऊ उनसे
मैं भी एक नजर भर देख पाऊ )
अपने पहले प्यार का पहला इज़हार करने के लिए
लेकिन वो नजर भर उठाके मेरी और
देखती हुई नजर नही आती है

बस वो तो अपनी सहेलियो के संग वो
बाते करती हुई ही चली जाती है
उसे जरा सा भी इल्म नही है की
मेरे दिल के अरमान जो उससे एक पल
बात करने के लिए उमड़ रहे थे
उनका गला घोट वो चली जाती है

बस मेरे पहले प्यार का पहला इज़हार
जो अब तक ना कर पाया हूं
उन सारे अरमानो को ज्यो का त्यों छोड़ वो जाती है , मेरे दिल को बेहाल कर जाती है, मेरा एक तरफा प्यार बस एक तरफा ही रह जाता है, लेकिन शब्दों में इस प्रेम मैं बयान नहीं कर पाता हूँ।

यह भी पढे: प्रेम की भाषा, बड़ों का आशीर्वाद, यह है प्रेम, प्रेम क्या है,

तुम्हारा ख्याल

तुम्हारा ख्याल कुछ इस तरह से आना

ओर जिंदगी का बेहाल सा हो जाना

इन ख्यालों को रोकू कैसे

इन ख्यालों को टोकू कैसे

जरा सा रुक ओर ख्याल कर मेरा भी

हर बात में इन ख्यालों से सवाल कैसे

अगर ना पुछू तो जवाब कैसे

उखड़ा हुआ है कुछ कुछ

अब बिन बात के इन ख्यालों में बवाल कैसे

बस तेरा आना

तेरा जाना इन ख्यालों से दूरी बनाना

अब कैसे इन ख्यालों बिन खुद के साथ हो जाना

ए मुसाफिर

ए मुसाफिर
वजह बेवजह तू मुस्कुराता चल
वजह बेवजह तू मुसकुराता चल
बेखबर राहो पर तू आगे निकल

तुझे मिलेगी चुनौतियां
उन चुनौतियों पर कदम बढ़ाता चल
तू चल , तू चल , तू चल

ना थकना
ना रुकना
ना घबराना
ना हार मान जाना तू
बन अपना साथी तू
खुद से खुद में जाकर तू मिल

भूत , भविष्य की फिकर छोड़ दे
वर्तमान के साथ जी तू हर पल
ए मुसाफिर तू कदम बढ़त चल

हर डगर, हर मंजिल पर न तू रुक
बस अपनी मंजिल पर नजर रख कर
बढ़ता तू आगे चल , बढ़त तू आगे चल

यह भी पढे: ख्वाबों की डोर, समय का अंधेरा, कही अटक गया मैं, हम संभलेंगे भी,

शब्दों के भीतर ही

शब्दों के भीतर ही हम अटक जाते है ,जब इनका मन करता है तब ही बाहर आते है ,इन शब्दों पर किसी का राज नहीं चलता ,ये तो अपना ही राज चलाते है , शब्द की चाबी, शब्द की डोर किसके हाथ में है ,यह किसीको नहीं पता, शब्द अलग कहानी बयान करते है ओर अपना जीवन स्वयं ही बनाते है  

शब्दों के भीतर ही एक जहाँ होता है,
जिसमें दर्द और सुख का समान होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ अक्षर नजर आते हैं,
वे जीवन के संघर्षों की झलक दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक समंदर होता है,
जिसमें खुशियों की लहरें भी तैरती हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ विचार नजर आते हैं,
वे नये सपनों की उमंग दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक आग होती है,
जो उत्साह और जोश से जलती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ उत्साह नजर आते हैं,
वे नए सपनों के आगार में जलते हैं।

शब्दों के भीतर एक ख्वाब होता है,
जिसमें असंभव भी संभव लगता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ ख्वाब नजर आते हैं,
वे नये सपनों की दुनिया बसाते हैं।

शब्दों के भीतर एक महफ़ूज़ होता है,
जहाँ अनजान भी अपना होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ भाव नजर आते हैं,
वे नए संबंधों की उमंग दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर एक अजीब सा दर्द होता है,
जिसमें अक्सर अपनों का दर्द छिपता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ दर्द नजर आते हैं,
वे अपनों के दर्द के एहसास दिलाते हैं।

शब्दों के भीतर एक असीम खामोशी होती है,
जिसमें खुशियों और दर्द का एक साथ अहसास होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ आभास नजर आते हैं,
वे जीवन के रहस्यों कोसमझाते हैं और उन्हें व्यक्त करते हैं।

शब्दों के भीतर अनगिनत विचार होते हैं,
जो अक्सर स्वयं को ढूँढते हुए खो जाते हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ विचार नजर आते हैं,
वे जीवन के रहस्यों को सुलझाते हैं।

शब्दों के भीतर एक अद्भुत शक्ति होती है,
जो संसार को बदलने की ताकत रखती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ शक्ति नजर आती है,
वे संसार की बदलती तस्वीर दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक अनंत संभावनाओं का समुंदर होता है,
जो नए और अनजान सपनों को जीवंत रखता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ संभावनाएं नजर आती हैं,
वे सपनों की उमंगों को भरते हैं।

शब्दों के भीतर एक अद्भुत वास्तविकता होती है,
जो संसार को समझने की ताकत देती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ वास्तविकता नजर आती है,
वे संसार की सच्चाई को दर्शाते हैं।

शब्दों के भीतर एक ही अनंत दुनिया होती है,
जिसमें अनगिनत संभावनाएं बसती हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ एक साथ सब कुछ नजर आता है,
वे जीवन की उमंगों से भरी दुनिया बनाते हैं।

यह भी पढे: अपने शब्दों पर जोर, शब्दों में सहजता, शब्द, शब्दों का संसार,

सब संभव

सब संभव हो जाता है , जब मिलता है सही व्यक्तियों का साथ , बहुत शुभ होता है , आपकी तरक्की में भी उनका होता है उनका हाथ , सही ओर अच्छी सोच जीवन के रंगमंच का सत्य जाने , समझे इस जीवन का प्रपंच क्या है? इसी पर आधारित एक कविता “सब संभव

सब संभव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

जीवन की सारी छवियाँ सजाएं,
रंगों से भरे इस नाटक को बनाएं।

प्रेम की पटियां बिछाएं सबके बीच,
खुशियों की कहानी लिखें, ना हो कोई त्रिश।

संयम और समर्पण से भरे ये अभिनय,
जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास।

संघर्षों के मैदान में नृत्य करते हुए,
हर स्थिति में सही राह चुनते हुए।

जीवन की संघर्षों को रंगीन बनाएं,
मन के रंगों से ये छवियाँ चमकाएं।

संगठित सोच और सही कर्म,
साथ चलते हुए विजय की ओर धाव।

सब सम्भव, जब मिलता सही व्यक्तियों का साथ,
बहुत शुभ, आपकी तरक़्क़ी में होता उनका हाथ॥

इस रंगमंच पर खुद को प्रकट करें,
अपनी पहचान को जगाएं और बढ़ाएं।

जीवन के सभी पात्र निभाएं सही तरह,
सामरिक आत्मा को जगाएं और जगाएं।

सब सम्भव है, जब आपके साथ हैं सही लोग,
आपकी तरक़्क़ी में होता है उनका योग।

यह भी पढे: असम्भव याद रखना, असम्भव बात, असंभव को संभव, हमारी उम्मीद, कामयाबी,

प्यार का इजहार

मेरे दिल का हाल जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है ओर प्यार का इजहार न कर पता हूँ मेरा एक तरफ़ा प्यार ना जाने
कितना बढ़ चुका है अपने
प्यार का इजहार करने के लिए
मेरा पागलपन पता नही मुझे

किस हद् तक बढ़ चुका है
जब वो मेरे सामने से गुजर जाती है
मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है
सांसे रुक जाती है
बदन में ना जाने कैसी
सरसराहट सी आ जाती है

मेरे शब्द रुक जाते है मेरी नजर
उसकी नजरो से मिल नही पाती है
लेकिन वो तो
इतराती, इठलाती अपनी आंखे झुका
कर बस भागी चली जाती है

एक नजर भर देखती नही
बात नही करती वो मुझसे
बस मुझे और बेचैन कर वो जाती है
मैं घंटो इंतज़ार करता हूं उसका

उसके एक नजर भर देखने के लिए
अपने पहले प्रेम का इजहार करने के लिए
लेकिन वो नजर भर उठाके मेरी और
देखती हुई नजर नही आती है

बस अपनी सहेलियो के संग वो
बाते करती हुई चली जाती है
उसे जरा सा भी इल्म नही है की
मेरे सारे अरमान जो उससे

बात करने
के लिए उमड़ रहे थे
उनका गला घोट वो जाती है
बस मेरे पहले प्यार का पहला इजहार
जो अब तक ना कर पाया हूं
उन सारे अरमानो को ज्यो का त्यों छोड़ वो जाती है।

यह भी पढे: प्रेम की भाषा, झूठी मोहब्बत, इश्क की बात, कुछ इश्क की बाते, मेरा एक तरफा प्यार,

औरत ना होती

औरत ना होती तो जिंदगी अधूरी होती
क्या जिंदगी पूरी होती अगर तुम ना होती ?

जिंदगी के हर हिस्से में तुम हो
कहानी और किससे में तुम हो

हर जीत में तुम हो
हर हार में भी तुम हो

सुबह भी तुम शाम भी तुम हो
ख़ुशी भी तुम हो गम भी तुम हो
धुप भी तुम छाव भी तुम हो

मिठास भी तुम हो खटास भी तुम हो
कभी कभी बेस्वाद भी तुम हो
जीवन के हर स्वाद में तुम हो

माँ बहन पत्नी और बेटी भी तुम ही हो
जीवन के हर रूप और स्वरुप में तुम हो

मुझे बनाने वाली भी तुम हो
मुझे बिगाड़ने वाली भी तुम हो

मुझे ऊँचाई पर पहुचाने वाली भी तुम
और उस ऊँचाई से नीचे गिराने वाली भी तुम हो

तुम से ही पैदा होती मेरी हर इच्छा है
तुम नहीं हो तो शायद जीवन ना ही हो
यह इच्छा है।

औरत ना होती तो जिंदगी कैसी होती।

यह भी पढे: यह जिंदगी कैसी, यह खाली हाथ, बड़े अधूरे अधूरे

ये काका बाबू

आज कुछ बताता हूं की ये कौन है
लोग जो कहलाते है ये काका बाबू
इनकी वजह से ही चल रहा है

कारोबार अखबारों का
ये वो है जो कर रहे काम सलाहकारों का ( काका बाबू )
हर बात की खबर इनको
सारी अपडेट खबर इनके

पास है पहुच जाती तभी तो
इनकी जानकारी सबसे ऊपर है आती
कहलाते है ये काका बाबू
कौन है काका बाबू

क्या करते है काका बाबू
कहाँ से आते है यह काका बाबू
हर बात में टांग अड़ाते है काका बाबू
अलग अलग सलाह देते हुए नजर आते है

पता कुछ भी नही होता,
लेकिन अपनी टांग हर बात में वो अड़ाते है
कभी हिन्दू तो कभी मुस्लिम मुद्दा वो उठाते है
जिनको पता कुछ नही बस
घंटो लेक्चर देते हुए नजर वो आते है

कभी मोदी को चोर तो
कभी राहुल को पप्पू वो बनाते है
कभी राम मंदिर तोडते है
तो कभी बाबरी मस्जिद तोडते है

कभी गली में चिल्लाते है तो
कभी रोड़ पर बैठ जाते है
अपने घर की कलह सुलझा
नही पाते दुसरो को सलाह
देते हुए ये नजर आते है