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मोबाइल फोन

 
मोबाइल फोन भी टेलीफोन का ही एक दूसरा रूप है। टेलीफोन का अर्थ होता है दूरभाष यंत्र और मोबाइल शब्द का अर्थ होता है चलता फिरता हुआ, तो इस प्रकार मोबाइल फोन का अर्थ हुआ चलता फिरता हुआ दूरभाष यंत्र। प्राचीन समय में हमारे ऋषि मुनि अनंत समय तक साधनाएं किया करते थे और अपने विचार सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति तक आदान प्रदान किया करते थे। जैसे कि आज के युग में हम टेलीपैथी के नाम से भी जानते हैं।

परंतु आज हमें इस कार्य के लिए कोई मेहनत करने की, कोई साधना करने की तथा समय व्यर्थ करने की जरूरत नहीं है। हमारे पास एक छोटा सा यंत्र जिसे हम  मोबाइल फोन कहते है वह ऐसा यंत्र है जिससे कि हम पूरे विश्व में कहीं भी किसी से भी कभी भी बात कर सकते हैं अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। और जैसा कि हमने पौराणिक कथाओं में पड़ा है कि ऋषि मुनि लोग ध्यान लगाकर दूर बैठे व्यक्ति के बारे में भी देख लिया करते थे। आज इस कार्य के लिए हमें कोई ध्यान लगाने की जरूरत नहीं है। हमारे मोबाइल फोन में ही इस तरह के कार्य आसानी से हो सकते हैं। हम लोग वीडियो कॉलिंग या छायाचित्र के द्वारा किसी भी व्यक्ति से उसे देखते हुए बात कर सकते हैं। केवल एक छोटे से मोबाइल फोन की सहायता से , बस केवल हमें आवश्यकता है तो उसमें इंटरनेट सुविधा डलवाने की

           एक लंबे समय से हमारी सभ्यता में घड़ियां बांधने का प्रचलन चल रहा था। जब भी हमें समय देखना होता था तो घड़ी की ओर इशारा जाता था घड़ी की और हमारी नजर जाती थी परंतु आज के समय में इस मोबाइल फोन ने हमसे कलाई घड़ियों का प्रचलन भी बहुत ही कम कर दिया है।आज के समय में जब भी हमें समय देखना होता है हम मोबाइल फोन की तरफ एकदम से जाते हैं। यहां तक कि आजकल तो मौसम विभाग की खबरें भी मोबाइल फोन पर देख लिया करते हैं। छोटी बड़ी घटनाओं के लिए हम लोग केलकुलेटर यूज किया करते थे परंतु इस मोबाइल फोन ने  हीं उस कैलकुलेट का भी अब काम खत्म कर दिया है।
          
हमें डायरी लिखने के लिए एक डायरी नोटपैड और कलम की आवश्यकता होती थी परंतु आज के समय में डायरी के सभी फीचर्स हमें इस मोबाइल फोन में आसानी से उपलब्ध है, हमें अपने साथ में कोई डायरी लेकर घूमने की आवश्यकता नहीं है। याद कीजिए वह पुराने दिन जब लोगों के फोन नंबर हम डायरी में लिखा करते थे और वह टेलीफोन डायरेक्टरी आया करती थी जिसमें किस शहर के सभी जरूरी फोन नंबर लिखे होते थे, परंतु आज न जाने वह डायरेक्टरी कहां खो गई है। दुनिया भर की जानकारी हम पल भर में केवल एक इंटरनेट कनेक्शन की सहायता से हमारे फोन में ही देख सकते हैं।

इसमें मनोरंजन के लिए भी बहुत कुछ है। हां आज के समय में टेलीविजन का प्रचलन भी इसने काफी कम कर दिया है। हमें जो भी देखना होता है सीधा यूट्यूब ऑन किया और देख लिया,  चाहे आप को कुछ भी सीखना हो आप इस मोबाइल फोन की सहायता से बहुत आसानी से सीख सकते हैं।
अगर आप बेहतरीन खाना खाने के शौकीन है या खाना बनाने के तो आप आसानी से खाना बनाना भी इस पर सीख सकते हैं। आज के समय में आप दुनिया में कहीं भी जाएं आपको किसी से रास्ता पूछने की आवश्यकता नहीं है इस मोबाइल फोन ने आपको एक मैप की सहायता दी है जिससे कि आप आसानी से पूरी दुनिया के रास्ते की जानकारी पल भर में प्राप्त कर सकते हैं।

छोटे बच्चे हो या बड़े सभी के लिए मनोरंजन के साधन मोबाइल फोन पर उपलब्ध है।                                            परंतु इस मोबाइल फोन में कुछ अच्छाइयां है तो कई बुराइयां भी है। हमारे समाज कि काफी चीजें आज हमें देखने को नहीं मिलती। जब मोबाइल फोन नहीं था तो सभी बच्चे एक-दूसरे के साथ मैदान में खेला करते थे हस्ट पुष्ट  भी रहते थे और उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता था, जबकि आज के समय में सभी बच्चे सिर्फ मोबाइल फोन गेम्स में लगे रहते हैं जिससे उनकी आंखें भी कमजोर होती है और और शरीर भी कमजोर होता है। एक ही घर में रहते हुए हम एक दूसरे से बात नहीं कर पाते केवल इस मोबाइल फोन की वजह से।

इस मोबाइल फोन की वजह से हम आज इतने व्यस्त हो गए हैं कि बस पूछिए मत क्युकी इस बात आकलन करना अब बहुत मुश्किल हो चुका है।

कोई भी कभी भी आपको फोन कर देता है। चाहे सामने वाला किस भी  परिस्थिति में है इस से कोई मतलब नहीं। आप चाहे बाथरूम में हो या बेडरूम में यह कभी भी बज जाता है। कभी-कभी तो आधी रात में फोन बजता है तो इतना गुस्सा आता है कि बस क्या कहें। क्युकी दूरियां घत गई है कभी भी किसी को आपकी याद आती या कोई काम होता है तो बस बटन दबाए ओर आपसे बात करना शुरू आप व्यस्त है या नहीं इस बात का उन्हें क्या पता ??

सच्ची मित्रता इस फोन की वजह से खो गई है। वह सच्चे मित्र जो साथ रहा करते थे खेला खुदा करते थे आज न जाने कहां गुम हो गए हैं। आज इस मोबाइल फोन की सहायता से सोशल साइट्स पर हम चाहे हजारों मित्र बना ले परंतु एक सच्चा मित्र हमें देखने को नहीं मिलता है आज के समय के बच्चों में शायद इसी वजह से आज के समय के बच्चों में काफी सारी मानसिक बीमारियां भी पनप रही है। परीक्षाएं पहले भी होती थी बच्चे पहले भी पढ़ा करते थे, परंतु इस तरह के मानसिक विकार केवल आज के बच्चों में ही देखने को मिलते हैं।  

अंत में अपने शब्दों को विराम देते हुए केवल यही कहना चाहूंगा कि विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को तो आसान किया है लेकिन कई सारी बुराइयां भी दी है।

किसी भी चीज में कुछ अच्छाइयां होती है तो कुछ बुराइयां भी होती है, यह केवल हम पर निर्भर करता है कि हम किसी भी वस्तु का या किसी भी चीज का कितने अच्छे से इस्तेमाल करना जानते हैं यह कितने अच्छे से इस्तेमाल कर रहे हैं। कोई भी वस्तु उसके लिए पात्र व्यक्ति के हाथ में ही शोभा देती है अपात्र व्यक्ति के हाथ में तो गलत ही होगा। आज के समय में हम छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल दे देते हैं जो कि मुझे लगता है ठीक नहीं है। मुझे तो अपना स्कूल खत्म होने के बाद में मोबाइल मिला था और मेरा यही कहना है कि कम से कम विद्यालय जीवन में तो बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाए।         

  धन्यवाद

Written by Pritam Mundotiya

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शब्द क्या है?

शब्द क्या है? 
हम लोग सुबह से शाम तक सारा दिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, परंतु फिर भी बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो शब्दों का महत्व जान पाते हैं। हमें अपनी सभी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों की आवश्यकता होती है। परंतु देखा जाए तो असल में शब्द है क्या?         
अधिकांश है हमारा सोचना होता है कि शब्द केवल ध्वनियों के मिलाने से बनते हैं। परंतु केवल ध्वनियों के योग से ही शब्द नहीं बनते शब्दों में भावनाएं अभिव्यक्त होती हैं। यह सारा संसार ही शब्दों के पीछे ही चल रहा है।                                     

शब्द क्या है?
शब्द

चाहे आप संसार के किसी भी विषय का अध्ययन करें आपको शब्दों की आवश्यकता जरूर होगी।      
हर शब्द मूल के है क्या?        
हमारे द्वारा बोला गया कोई भी शब्द या कोई भी ध्वनि कभी खत्म नहीं होती। वह ध्वनि इस अनंत ब्रह्मांड में गूंजती रहती है। इस ब्रह्मांड का कोई आदि व अंत नहीं है। और इसी अनंत ब्रह्मांड में हमारे द्वारा बोले गए शब्द व ध्वनियां गूंजती रहती हैं । 
      
 शब्दों के कई प्रकार के प्रभाव भी होते हैं।                                   

हमने ध्वनि चिकित्सा के बारे में भी पड़ा है। कई प्रकार के अलग-अलग संगीत की ध्वनि मनुष्य के इलाज के लिए फायदेमंद होती है। यहां तक कि हम जो विभिन्न भाषाओं में गीत संगीत सुनते हैं। चाहे वह आधुनिक संगीत हो या फिर शास्त्रीय संगीत या फिर किसी भी भाषा का संगीत सब शब्दों के योग से ही तो बने हैं। इसी संगीत से मनुष्य सदियों से अपना मनोरंजन करते आए हैं।
     
इसके अलावा मनुष्य के संपूर्ण जीवन के क्रियाकलापों में भी अलग-अलग प्रकार के संगीत का वर्णन मिलता है।

जैसे हम देखते हैं यदि कोई मनुष्य बहुत खुश है तो वह अलग प्रकार से गुनगुनाने लगता है। अगर कोई मनुष्य किसी बहुत ही व्यथा में है पीड़ित है तो वह आंसुओं के साथ कुछ ना कुछ गुनगुनाने लगता है। रोता हुआ मनुष्य भी अपनी भावनाओं के साथ कुछ शब्दों को व्यक्त करता है मनुष्य के जीवन सभी भावनाओं में मनुष्य संगीत का इस्तेमाल करता है।


  इन्हीं शब्दों के योग से ज्योतिष, खगोल शास्त्र, मंत्र शास्त्र आदि अनेकानेक विषय बनते हैं,जब हम किसी भी शब्द का उच्चारण करते हैं, तो उस शब्द के साथ कुछ ध्वनि तरंगे निकलती हैं वे ध्वनि तरंगे इस ब्रह्मांड में गूंजती हैं, और अलग-अलग ध्वनि तरंगों का अलग-अलग प्रभाव भी होता है।

जिस प्रकार हिंदू धर्म में ओम शब्द का वर्णन है, उसी प्रकार बौद्ध व जैन धर्मों में भी ओम शब्द का वर्णन है, भले ही यह अपने मतों को लेकर अलग-अलग हो परंतु इस एक शब्द पर यह सभी धर्म एकमत हैं,  अगर हम पाश्चात्य धर्मों को देखें जैसे कि इस्लाम व ईसाई धर्म में भी आमीन शब्द का प्रचलन है, हिंदी शब्दों में कुछ ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती हैं, जो कि मनुष्य के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

हम सनातन धर्म में भी ओम, ऐऺ , क्लीम, श्री आदि बीज अक्षरों का वर्णन है। यह सभी कुछ सकारात्मक ध्वनि तरंगों को पैदा करके मनुष्य के जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव लाने में सक्षम है।

हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों में न जाने कितने ही अच्छे और बुरे शब्दों का इस्तेमाल पूरा दिन होता है, परंतु हमें अपने द्वारा इस्तेमाल की जाने वाले शब्दों को ध्यान से इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि मुख से निकले हुए शब्द वापस नहीं आते, और अगर कोई व्यक्ति शब्दों का अच्छे से इस्तेमाल करने में सक्षम है, शब्दों के द्वारा मनुष्य के मन पर घाव भी किया जा सकता है।

हम आज के समय में देखते हैं कि इतने लोग मनोचिकित्सक के पास जाते हैं, जबकि वह केवल मनोरोगी से बात करता है, वह केवल सामने बैठे मनोरोगी के विचारों को उसके शब्दों के रूप में सुनता है, और अपने विचारों को अपने शब्दों के रूप में उसके मस्तिष्क की ओर प्रवाहित करता है, यह सभी खेल केवल शब्दों का ही है।

हम अपने मुंह से न जाने कितने ही अपशब्द निकालते हैं, और शब्दों के ही द्वारा हम परमात्मा का स्मरण भी करते हैं। हम सोचते हैं कि जिस समय हम परमात्मा का स्मरण कर रहे हैं, और शब्द निकाल रहे हैं, उस समय हमें परमात्मा देखता है और अपने मुखमंडल से  अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए यह नहीं सोच पाते।

अगर हमें शब्दों की असली महत्व को जानना है तो कुछ समय हमें निशब्द होकर रहना चाहिए, अर्थात मौन धारण भी करना चाहिए। अगर हमें अपने शब्दों में प्रभाव लाना है तो हमें शब्दों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम दिन रात व्यर्थ के शब्द ही बोलते रहेंगे तो हमारे शब्दों की अहमियत नहीं रह जाएगी और हमारे शब्दों का प्रभाव भी कम हो जाएगा।

इसलिए हमें प्रत्येक शब्द को बहुत ही सोच समझ के इस्तेमाल करना चाहिए, संत कबीर दास जी ने भी अपने दोहे में कहा है, कि हर एक शब्द को हमें तराजू में तोल कर तब मुख से निकालना चाहिए।  
                                                
“भर सकता है घाव तलवार का बोली का घाव भरे ना”

Written by Pritam Mundotiya

शब्द का घाव न भरे कभी
शब्द के घाव ना भर पाए

हाल ए दिल बताऊं भी क्या ?

आंखे नम है ना जाने क्यो?
ना कोई गम है
ना मर्म है
फिर भी मेरी आँखें नम है
क्या समझू
इस बात को तूने जो ढाया सितम है
 
सितम समझू या कुछ और समझू?
 
क्योंकि अब तो
मुझे खुद की खबर नही
खुद ना जाने कही गुम हूं मैं
शायद थोड़ा चुप भी हूं ,
जिंदगी से बाते भी थोड़ी काम करता हूं
खुद से मिलने की कोशिश भी बहुत करता हूं
मगर
फिर वापस आ नही पाऊंगा इस बात से डरता हूं ,
कोशिश खुद को भुलाने की भी करता हूं
लेकिन भूल नही पाता हर वक़्त
अपनी बेबसी तमासा देख
मैं खुद ही नजर आता ,
धड़कने जोर जोर से धकडती है
धड़कने जोर जोर से धड़कती है
तू मेरे साथ है नही
इस बात से
मेरी धड़कने भी सुबकती है ,
क्या कहूँ??
क्या समझाऊ ??

लिखूं क्या अपनी दासता?
  बताऊ क्या अपनी हस्ती ?
जिसको चाहा था इस कदर
उसने ही जलाई मेरी दिल की बस्ती
किसके आगे हम अपने आंसू बहाय
किसको दुखडा हम अपना सुनाये
  है कोई ??
   जो हमारी स्तिथि को समझ को समझ पाए।
    मोहहब्बत कि थी कोई गुनाह नही
    जिसकी सजा मिल रही है बिना सुनवाई
  लगता है तुमसे बात करूं
  चाहे एक बार करू
   लेकिन बात तो करू
   फिर ना जाने क्यों?
    मन कहता है कि
   बात अब क्या करूँ ?
   बात अब क्या करूँ ?
जब तुम मेरा साथ छोड़ जाते थे
तो भरोसा टूट जाता था
लगता था कि तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?
क्या तुम उम्र भर मेरे साथ रह पाओगे ?
लाखो सवाल मन को कुचल देते थे
और में गुस्से में भर जाती था ,
मै बैठ वही रो दिया कर देता था  ,
तुम आओगे वापस बस यही आस
तुम्हारे आने की वापस लगये बैठ जाता था
अब क्या?
जो  तुमने साथ अब छोड़ दिया नाता जो था वो तोड़ जो दिया
  फिर काहे ? मै तुमसे इकरार करू
   ये तो दिल है मेरा जो सिर्फ मैं अब भी तुमसे ही प्यार करु क्या फिर दुबारा ?
   और बार बार अपने प्रेम का इज़हार करू , रिश्ता नाता कुछ बचा नही
   फिर काहे मै अश्क़ नैनन मैं भरु
    ये तो दिल है मेरा जो
    अब भी सिर्फ तुमसे ही मै प्रेम करू
बड़ी बेबसी है ये लोग हँसते है
मोह्हबत की हकीकत को जानकर


उन्हें पहचान कैसे कराऊ?
उन्हें एहसास कैसे दिलाऊ?
उन्हें इस मोह्हबत का दर्द कैसे बताऊ?
क्या आज खुद ही आईना मै बन जाऊ ?
कैसे उनको इस मोह्हबत का आईना दिखाऊ?
उन्हें रूबरू कैसे कराऊ?
दोनो छोर पर उन्होंने दरवाजा जो है बन्द कर दिया।
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
ना इस और आने को हम है
ना उस और को जाने को

इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया     

जैसे पंछी बिन पंखों के पिंजरे से बाहर छोड़ दिया

इस मोह्हबत की हकीकत क्या है?
सिर्फ मै हूं जो जानता हूं
यू उनसे मोह्हबत थी बेपनाह पर
अब क्या ?
उन्होंने हमें कर दिया तबाह

कुछ तो मोह्हबत के आंसू तुम भी पी लेना

यदि मोह्हबत हो जाये खुद को तबाह कर मोह्हबत के साथ जी लेना

लगता है
कोई सुने कुछ पल मुझे भी बैठकर
फिर लगता है मैं सुनाऊ भी क्या?
हाल ए दिल बताऊ भी क्या?
हाल ए दिल क्या हुआ ये अब समझाऊ भी क्या ?
बस जो हुआ है उसको छिपाऊँ
लेकिन
 छिपाऊँ भी कहाँ?

कुछ सवाल

कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ सवाल हम भी करने लगे है
जरा ख्याल रखना इन सवालो का
कुछ जवाब अब हम भी देने लगे है

कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ बात हम भी करने लगे है
कुछ मुलाकात हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल रखना इन मुलाकातों का
इन मुलाकातों की बात अब हम भी करने लगे है

कुछ ख्याल हम भी करने लगे है
कुछ याद हम भी करने लगे है
कुछ दीदार हम भी करने लगे है
जरा ख्याल रखना तुम अपना, अपनी यादों में दीदार कर तुम्हारा याद अब हम भी करने लगे है
कुछ ख्याल हम भी करने लगे है

कुछ अश्क़ बहने लगे है
कुछ आह भी हम भरने लगे है
जरा ख्याल रखना अश्क़ों का तुम्हारी याद आने से अश्क़ अब इन्ह आंखों से बहने लगे है।
कुछ ख्याल अब हम भी करने लगे है

के अब मुलाकाते जरूरी है
सब्र है हमे लेकिन इतना
बतादो के अब सब्र के इम्तिहान
से हम भी गुजरने लगे है

कुछ सवाल हम भी करने लगे है

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तालियों में शोर है

तालियों में शोर है मुझे तालियों की गड़गड़ाहट का शोर नही चाहिए
इसमे भी मुझे हिंसा दिखती है,

दो हाथो के बीच जो आवाज होती है उसे शब्दो की
की गूंज को दबाना कहते है

तालिया बजाकर मेरी तौहीन ना करो
ये दो हाथो के बीच का शोर बस इसे थोड़ा कम ही करो

ये जो तुम्हारी तालियो की गड़गड़ाहट है न मुझे अच्छी नही लगती
आजकल तो ये तालिया हर गली चौराहे पर 10-10rs में बिकती है

तुम्हारे जो इन हाथो के बीच का शोर है ना
किसी ने इसे भी हिंसा कहाँ है

धर्म के नाम पर

धर्म के नाम पर दंगे ना कर। तू हिन्दू है या मुसलमान जो भी हो पहले इंसान बन।

इस फोटो को कोई एक्सप्लेन करेगा ??
लगातार जब मै कोई पोस्ट डालता हूं तो लगातार मेरे साथ जिन्होंने बहुत अच्छा समय बिताया है वो मुझसे आकर बोलते है, कमेंट करते है धर्म , मजहब , हिन्दू , मुस्लिम यही सब बोलते है लेकिन मेरा धर्म इंसानियत है जैसा श्री मदभागवत गीता जी में उपदेश दिया गया है। और मै उसीको अपने आचरण में लगातार लाने के लिए प्रयासरत हूं मुझे तुम्हारी तरह नहीं बनना बिल्कुल भी नहीं बनना।
“धर्म को धारण करना धर्म कहलाता है” धारण अर्थात
और वो सनातन है आजकल असमाजिक तत्व अपनी तरह से तोड़ मरोड़ कर धर्म बना रहे है और बिगाड़ रहे है जिसे धर्म नहीं कहते और वो धर्म नहीं हो सकता जिसमे लड़ाई झगड़ा आदि सिखाया जाए।

धर्म के नाम पर
धर्म के नाम पर

मुझे तो नहीं लग रहा की ये दोनों भाई है जिस तरह से इन लोगो झगड़ा किया है क्या वो भाई भाई करते है ??
जवाब आपके पास है मेरे पास तो बिल्कुल नहीं है।

क्या यहां दो भाई लिखना उचित था ?? इस तरह के विचार रखने वाला व्यक्ति मेरा भाई कैसे हुआ ???
मेरे विचार , मेरे संस्कार तो इस तरह का उपद्रव करने के संस्कार नहीं देते
मेरे अंदर क्रोध , घृणा , अहंकार , लालच , हो सकता है लेकिन क्या इस हद तक है ??
बिल्कुल नहीं है और ना ही कभी होगा क्युकी यह इंसानियत नहीं है , आजकल लोग इंसान नहीं बनना चाहते वो हिन्दू – मुस्लिम बनना चाहते है यह आपको बनना है यह आपका रास्ता है मेरा नहीं और मै ऐसे आडंबर , ढोंगी,सत्ता के लालची लोगो की तरह बनने का बिल्कुल इच्छुक नहीं हूं।
यह दो भाई लड़ रहे है आपस नुक़सान किसका हुआ ??

आपकी जमीन ,आपका घर , और आपके आसपास के लोगों का भी आपने घर , मकान , गाडियां यह सब जला दिया लेकिन किसलिए यह तो बता दो ??
हॉस्पिटल बंद रहेगा उस एरिया में सिर्फ तुम दो भाई लोगो की वजह से
रोड पर खड़ी रिक्शा और गाडियां सब जलाई तुम दो भाईयो ने , अब स्कूल कैसे जाएंगे बच्चे , हॉस्पिटल में दवाई तो तुम ही लोग लेने जाते हो अबकही ओर जाओगे पैसे भी तुम्हारे खर्च होंगे या कोई और आएगा ??

रोड तोड़ दी अब सरकार बनवाए तुम्हारे लिए ??
हॉस्पिटल बनवाए तुम्हारे लिए ताकि तुम फिर तोड़ दो
मस्जिद, मंदिर तोड़ दिए अब कहां जाओगे वैसे तुम दोनों भाई इस लायक नहीं हो की मंदिर ओर मस्जिद जाओ तुम्हे इतनी अक्ल ही नहीं है कि लड़ाई नहीं करते लड़ाई भी ऐसी मेरे पास लफ्ज़ भी नहीं है तुम दी भाईयो के लिए।
बहुत गुस्सा आ रहा है तुम दोनों भाइयों के लिए कितना लिखूं उतना कम है बेशर्मी की सारी हदे पार तुमने कर दी।

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