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जिम्मेदारियां

ये जिम्मेदारियां ही हे जो आपको बनाती मजबूत ओर परिपक्व……
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नही ये आती जब जगता अनुभव….

जिम्मेदारियां और अनुभव आपस में हे तालमेल हे जिगरी मित्र…..
जिम्मेदारियां बुरी नही उनके प्रति सोच संवारती आपका चरित्र।

ये जिम्मेदारियां ही हैं जो आपको बनातीं मजबूत और परिपक्व,
परिपक्वता का आयु से कुछ लेना नहीं, ये आती जब जगाता अनुभव।

समय के साथ बदलती हैं ये जिम्मेदारियां,
जब मानसिकता होती हैं प्रगाढ़ और प्रगतिशील।
धीरे-धीरे सीखते हैं हम जीने का कला,
जब जीवन की लहरें आतीं हैं और जातीं हैं अनुभवों की तरंगें।

परिकल्पना की पंखों पर उड़ते हैं हम,
जब सपनों की दुनिया को हम अपनाते हैं।
संघर्षों के मोर्चों पर खड़े होते हैं हम,
जब ज़िन्दगी की मुश्किलें हमें चुनाती हैं।

परिपक्वता की गाथा सुनाते हैं हम,
जब नये अनुभवों के साथ बढ़ते हैं हम।
समय की ओर चलते हैं हम निरंतर,
जब जिम्मेदारियों का भार हमें संभालते हैं।

परिपक्वता के पथ पर चलते हैं हम,
नई दिशा में अपनी आवाज़ उठाते हैं।
जीवन के रंगों को चढ़ाते हैं हम,
जब जिम्मेदारियों को समझते हैं और निभाते हैं।

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चिंता में रहोगे

चिंता में रहोगे …..
भीतर के ताप से जलोगे ।
और जो खुश रहोगे….
ख़ुद स्वस्थ दूसरो को खुश कर सकोगे ।

ईर्ष्या भय चिंता और शंका…..
दुःख मुसीबतों का बजेगा डंका ।
ख़ुशी खुशी रहना सुखद संक्रमण…..
शुभ और लाभ ख़ुशी का आचरण ।

चिंता में रहोगे, दुःखों में खो जाओगे,
भीतर के ताप से जलोगे, आत्मा को भस्म करोगे।

पर जो खुश रहोगे, संतुष्ट रहोगे,
जीवन की मधुरता को आसानी से छोड़ोगे।

चिंता और चिंतन से मुक्ति पाने का रहस्य हैं,
आत्म-विश्वास और प्रेम में विलीन हो जाना हैं।

भीतर की आग को बुझाने के लिए,
आत्मा को प्रकाश की ओर ले जाना हैं।

चिंता में रहकर आत्मा तप्त हो जाती हैं,
दुःखों में खोकर जीवन अधूरा हो जाता हैं।

पर जो खुश रहें, जीवन को समझें,
आनंद के बीज बोने में लग जाता हैं।

चिंता से दूरी और मन की शांति पाने का रहस्य हैं,
आनंद का स्रोत और खुशियों का आधार हैं।

जब खुश रहोगे, तो अनुभवों को महसूस करोगे,
आत्मा की गहराई और प्रेम की ऊर्जा में लीन होगे।

तो चिंता में न रहोगे, खुश रहोगे हमेशा,
जीवन की गाथा में आनंद से रंग भरोगे।

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एक मित्र जो समझे

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब….
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब….

असली मित्र वही जो आपके अच्छे बुरे दोनों पक्षों को जाने समझे दे साथ…
बाकी मित्र दुनियादारी वाले सिर्फ़ नाम के, मित्र वही जो दुखो में रखे सिर पर हाथ।

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब,
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब।

जब जीवन की लहरें हमें भांपती हैं थकावट,
वो दोस्त हमारा साथ देता है आशा का सहारा।
जब आँखों में भरती है गम की धूप की छाया,
वो दोस्त हमारा सबकुछ भुला देता है मगन होकर आया।

दोस्ती का रिश्ता है ये अद्वितीय और अनमोल,
वो दोस्त हमारा है जीवन का सबसे महत्वपूर्ण खजाना।
हमसे बांटता है वो सब खुशियां और गम के पल,
वो दोस्त हमारा है जो जानता है हमारी राज़-ओ-नियाज़ाना।

जब बैठे होते हैं हम उदास और तनहा,
वो दोस्त हमारा आता है और देता है संगीत की लहरें।
जब नहीं होती है हमें खुशियों की अपेक्षा कोई अपना,
वो दोस्त हमारा है जो बना देता है हमें फिर से ताजगी की बहारें।

जब अनजाने में ढक जाती है जिंदगी की राहें,
वो दोस्त हमारा है जो चलता है साथ हमेशा।
जब लगता है मन में उठेगा कोई बड़ा सवाल,
वो दोस्त हमारा है जो सुनता है ध्यान से हमेशा।

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब,
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब।
दोस्ती का इस अनमोल बंधन को सदा निभाना,
क्योंकि आपका दोस्त हमेशा रहेगा आपके पास बना।

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इस दिल में अरमान

इस दिल में अरमान बहुत है,
ये दिल की बातें कैसे बताऊं?
कैसे समझाऊं इसे तुम्हें?

ये दिल जो चाहता है सिर्फ तुमको,
ये दिल जो तड़प रहा है बिना तुम्हारे,
इसे कैसे समझाऊं अपने अरमानों को?

एक कविता के रूप में सुनाऊं इसे,
जो इस दिल की धड़कनों में बसी है,
प्यार की भाषा में लिखूं इसे,
ताकि तुम इसे समझ सको बिना बातों के।

ये दिल जो तुम्हें चाहता है बेपनाह,
ये दिल जो तुम्हारी आशा में जी रहा है,
इसे कैसे व्यक्त करूं बिना शब्दों के,
इसकी गहराई को कैसे समझाऊं तुम्हें?

यही सोचते-सोचते एक कविता लिख रहा हूँ,
जिसमें इस दिल की बातें छिपी हैं,
कागज़ पर शब्दों को सजाता हूँ,
ताकि तुम इसे पढ़कर समझ सको इसे अपनी ज़रूरतों के।

ये दिल की अरज़ू है जो बहुत सी,
ये दिल की ख्वाहिश है जो अनमनी,
इसे कैसे बताऊं इस दिल को,
हर लम्हे में तुम्हारी यादें हैं बिखरी।

ये कविता बस इतना कहना चाहती है,
इस दिल में अरमान बहुत है,
इस दिल की बातें समझो तुम,
क्योंकि ये दिल तुम्हें ही चाहता है गमगीन।

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मन के विचार

मन के विचार, मन में चलते विचारो पर रहे बुद्धि की धार ।
वाणी भी क़ाबू रहेगी होगा मज़बूत आधार ॥
मन वचन कर्म से न किसी का दिल दुखे।
जीवन की कापी में स्वर्ण अक्षर से लिखे ॥

विचारों की धार मन में चलती,
बुद्धि की शक्ति सदा बनी रहती।
जब तक वाणी सच्ची हो और मधुर,
मजबूत आधार बने सबके लिए आदर।

मन, वचन, कर्म की त्रिविधि से,
किसी का दिल न हो कभी दुखे।
आदर के साथ रहे हमेशा,
सुखी बनाए अपने सभी रिश्ते।

प्रेम, शांति, आनंद की देन,
बनाए जीवन को सुंदर और धन्य।
चिंता, कष्ट, द्वेष को छोड़,
अपार खुशियों से भरे हमारे मन्य।

चलते रहें सत्य की मार्ग पर,
उठाएं ऊँचाईयों के पथ पर कदम।
सबका भला करने का हो निश्चय,
हो जाए सबका जीवन सुखदाम।

मन के विचार, मन में चलते विचारों का निर्माण,
बुद्धि की धार से हो संयम।
वचन और कर्म से बने संसार,
दुःख से मुक्ति पाएं सभी आदमी और औरत।

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साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।

अहंकार से मुक्ति

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली ।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली ॥
सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़ ।
वरना दुःख दर्द तकलीफ़ें लेती पाश में लेती वो जकड़॥

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली॥

सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़।
अहंकार को त्याग कर, पाएं सुख और आत्मिक संत्रष्टि की अपार विश्राम॥

जीवन के समुद्र में हम खोए रहते हैं, अहंकार के प्रवाह में बहते हैं,
परन्तु जब हम झुकते हैं, तभी प्रकृति की गोद में आते हैं।

गर्व से बहुत दूर हो, नम्रता की ओर बढ़ो,
स्वान्तःसुख को पाएं, खुशियों के आगार में बसो।

अहंकार का विनाश कर, मुक्ति का मार्ग खोजो।
नीवा रहो नम्र, जीवन के रहस्य को पहचानो॥

झुकाव और नम्रता में ही संपन्न होती है उच्चता,
विनम्रता से ही मिलती हैं मन की शांति और सुख की बरसाती।

अहंकार को त्याग कर, भाग्यशाली बनो तुम,
नम्रता की ओर चलो, आत्मिक संतुष्टि को पाओ आप।

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खुशियों का फैलाना

जीवन सुंदर इसमें कोई शक शुभा नहीं ।
मिली हुई खुशियों का फैलाना ही सही ॥
ख़ुशियों में होती सुगंध ओर आभा अजब ।
जीवन एक बार का सोदा हे बड़ा ही गजब

जीवन के सुंदरता को कैसे व्यक्त करूँ,
कौनसी बातें इसमें छुपी हैं, कौनसी हैं परचम,
खुशियों का फैलाना, विश्वास जगाना,
कैसे उन एहसासों को सजाऊं, जो छुए अजनबी जगह।

खुशियाँ होती हैं सुगंधित और चमकीली,
मन को मोह लेती हैं वे अद्भुत ख्वाहिशें।
जीवन के रंगों में वे भरती हैं माया,
देती हैं प्यार की मिठास, हर रोज़ नया सपना।

खुशियों की आभा में बसती हैं खुशहाली,
जागती हैं हमारी आत्मा को नई उमंगें।
जीवन के संगीत में गुनगुनाती हैं स्वर,
छाती में भरती हैं खुदरा, नवीनता की हवा।

खुशियों से रंगी हुई दुनिया है अनोखी,
जीवन के विभिन्न पहलुओं में छिपी हैं महिमा।
बस खोजना हैं उन आंधीयों को जो छुए आकाश,
जीवन के सुंदरता को अपने अंतर में समाए।

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अच्छे लोगों का साथ

चमकते अलग से मिलता अच्छे लोगों का साथ ।
इरादे उनके नेक हो उनका होता बहुत बड़ा हाथ ॥
सच्चे मित्र आपके सुख दुःख के वो भागीदार ।
उनसे ही जीवन वो एक बेशक़ीमती किरदार ॥

धन्य हैं वे लोग जो चमकते हैं अलग से,
मिलता है उन्हें अच्छे लोगों का साथ
उनके इरादे नेक होते हैं, और उनका हाथ
होता है बहुत बड़ा, जो सदैव सहारा बनाता है।

सच्चे मित्र होते हैं आपके सुख-दुःख के भागीदार,
जिनकी दोस्ती में है सर्वदा विश्वास और प्यार।
जब आप उदास होते हैं, वे आपके पास आते हैं,
आपके दर्द को समझते हैं, और आपको संबलते हैं।

जीवन के सफर में, जब आप अकेले महसूस करते हैं,
वे मित्र उठते हैं आपके साथ और देते हैं साथ।
सुख के पलों में और दुःख के समय में,
वे आपका सहारा बनते हैं, आपको नया आशा देते हैं।

सच्चे मित्र होने का अर्थ है प्यार और सम्मान,
उनके संग हर दिन बदलती है जिंदगी की कहानी।
चमकते हैं वे अलग से, खुद को साबित करते हैं,
और आपकी जिंदगी में खुशियों का आंचल बिछाते हैं।


मित्र आपका दर्पण

मित्र आपका दर्पण , मित्र भिन्न भिन्न प्रकार की उनकी सुगंध को लिए वो इत्र…..
मित्र आपका दर्पण उनको हम चुनते, मददगार गढ़ने में चरित्र ।

नहीं मन में इच्छा बड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों से हो मित्रता ….
मेरे मित्र हो जाए वो बड़े महत्वपूर्ण ऐसी हो उनकी पात्रता ।

मित्र, वह रंगीन फूल है जिसके पत्तों में छुपी है सुगंध,
विविध रूपों में व्यक्त होती है उनकी आत्मा की विशेषता।
जैसे शीतल वायु में तरंगों की लहरें छाती हैं,
वैसे ही मित्रता के साथ वे दिलों को छू जाते हैं।

मित्र, तुम्हारी प्रतिबिंब वे देखते हैं अपनी आभा में,
तुम्हारे साथ जीवन के सफर में रंग भरते हैं।
वे बनते हैं तुम्हारे मददगार, तुम्हारे संग वे चरित्र गढ़ते हैं,
मित्र आपका दर्पण जैसे दर्पण तुम्हें चुनता है, वैसे ही वे तुम्हें स्वीकारते हैं।

मित्र, वे संगठित होते हैं जैसे पुरानी किताबों के पन्ने,
जो अनमोल विचारों से भरे हैं और ज्ञान का संग्रह करते हैं।
वे सहायता करते हैं जब जीवन के अचानक मुड़े आते हैं,
तुम्हारे दुःख सुख में सदैव वे संगीत बनते हैं।

मित्र, उनके साथ जीने में हमेशा होती है आनंद की बरसात,
जैसे इत्र की सुगंध हमें ले जाती है आभा की उषा में।
वे रचते हैं हमारी कहानी को खुदा की एक कृपा समान,
मित्र, तुम्हारा दर्पण वे हैं, जो हमेशा रहेंगे हमारे अभिमान।

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