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अवसर

जिंदगी भी चुनिंदा अवसरों का इंतजार कर रही है, क्या वो अवसर तुम हो

अवसर
अवसर

अवसर जिंदगी का वो तुम ही हो इसे यू ही तुम मत जाने दो।

भागम भाग

जिंदगी एक भागम भाग दौड़ है जिसमे लाखो इच्छाएं है जिन्हें पूरा करने की एक नाकाम कोशिश है, उन सभी इच्छाओं को पूरा कर फिर यही छोड़ जाना है, ना कोई मुकाम पाना है ना कुछ कर दिखाना है फिर भी बस इस जिंदगी के साथ भागते ही जाना है।

बार बार असफल होने के बावजूद भी जीतने और कुछ कर दिखाने की इच्छा का नाम ही है जिंदगी 
कुछ करके दिखाना भी है जिंदगी 
क्या करना और क्यों करना, किसके लिए करना 
यह भी ना समझ पाना है जिंदगी
और समझ जाने का नाम ही तो है जिंदगी 

बहुत सारे सपनो को साकार करने का नाम भी है
जिंदगी उन सपनों से हार कर बैठ जाना भी है,
जो सपने देखे थे उनके लिए फिर से उठ जाना है 
जिंदगी और उनके साथ फिर नए सपनो को देखना और 
उठ कर हिस्सा लेना भी है यह जिंदगी 

जिंदगी भी गणित के उस 0 और इंफिनिटी की तरह लगती है, जो शुरुआत तो 0 से करती है और खत्म इंफिनिटी मतलब कभी ना खत्म होने वाली है यह जिंदगी 

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने की बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को जिंदगी कहते है। 
जीत और हार का सिलसिला है जिंदगी 
कभी जीत है तो हार भी है जिंदगी 

जिंदगी एक भागम भाग दौड़ है

किस्मत की लकीर

छोड़ दो किस्मत की लकीर पर यकीन करना , जब लोग बदल सकते है तो किस्मत क्या चीज है।

खुद पर विश्वास करो, सफलता जरूर मिलेगी,
जीवन के पथ पर आगे बढ़ो, मुसीबतें छिनेंगी।

किस्मत नहीं है, तेरे हाथों में ताकत है,
जो तू चाहे, वही तेरे आगे आएगी रात है।

जीवन की लड़ाई में हार नहीं मानना,
संघर्षों को गले लगाकर आगे बढ़ना।

खुद को परखें, अपने सपनों को पकड़ें,
जीवन की उचाईयों को छूने का जजबा रखें।

जब तू खुद को बदलेगा, दुनिया बदलेगी,
खुद पर विश्वास रख, अपनी ताकत बढ़ाएगी।

किस्मत तेरे कदमों की राह नहीं बनाती,
वह तो तू है, जो अपनी तक़दीर लिखाती।

हिम्मत की उड़ान पर तू चढ़, आकाश छू ले,
सबके दिलों में आग जगा, आशा जगमगा ले।

छोड़ दो उन हाथों की लकीरों पर विश्वास करना
तू खुद पर विश्वास कर, जीवन को जीना।

किस्मत की लकीर
किस्मत की लकीर

हमसे नाता तोड़ कर

अब उसको क्या मिला ये खोकर,
हमसे नाता तोड़ कर जो बेवफा हुआ,
आज वह खुद भी तनहा है खुदी से,
प्यार की राहों में अकेला फिर रहा है।

दिल की गहराईयों में उसकी तरह,
बेवफाई की वजह से तू भी रो रहा है,
दर्द और तन्हाई की एहसास अब तुझे,
शायरी के रूप में अपना दर्द बयां कर रहा है।

ज़माने की ताकत जो थी वह गई,
वफादारी का वादा वह भूल गया,
जिसे ज़िंदगी ने धोखा दिया है,
वह आज खुद अपनी रौशनी खो गया।

शायरी के ज़रिए अपनी दर्द बयां कर,
दिल की आहटों को बदल दे ज़ुबां,
बेवफाई के गम को लेकर उठा ये दर्द,
हमसे नाता तोड़ कर न रह जाए अब अनजान।

हमसे नाता तोड़ कर
sanjay gupta shayri

क्या मिला उसको
हमसे नाता तोड़ कर
आज खुद भी तनहा फिर रहा है
हमको तनहा छोड़कर..

काहे को खाली खाली

काहे को खाली खाली , खाली , खाली
खाली क्या है ???
समय
खाली कौन है ??

इंसान
खाली किस से है
पैसों से या समय से
यह खाली भी अजीब शब्द है

आजकल खाली वैसे कोई है क्या ?????
एक तरफ लगता है
सब खाली है
एक तरफ लगता है

दूसरी तरफ देखो तो कोई भी ना खाली
खाली कोई नही है,
कभी खाली तो कभी भरा सा लगता है इंसान
कहते है खाली दिमाग होता है।

शैतान का घर
खाली बड़ा या छोटा
मुट्ठी खाली , जेब खाली ,

रहता नही कोई तो मकान खाली ,

खाया नही कुछ तो पेट भी खाली
खाली डब्बा ,खाली बोटल
अगर तुम भी हो खाली तो

हर कोई आकर बके दो गाली
अरे बुड़बक काहे तू है खाली
यह जब होते है खाली
गेम खेले, जुआ खेले ,
ना जाने क्या क्या है ये खेले
बस दिखते है हरदम खाली, काहे को खाली खाली

जीवन से सवाल पूछो

जीवन आपके सवालों का जवाब देने को तैयार बैठा है, बस आप इस जीवन से सवाल तो पूछो एक बार , जिंदगी से सवाल पूछो तो क्या पूछो,
जिंदगी उत्तर नहीं देती, सिर्फ अपने रुख बताती है।
जिंदगी की तरफ देखो, तो क्या दिखता है,
उदासी, खुशी, मुसीबतें, और बेहतर दिन जिन्हें याद करते हैं।

जिंदगी के सवाल हमें बहुत परेशान करते हैं,
हम तो नहीं जानते क्या गलत हो गया हमसे।
हम तो बस फिर से शुरू करना चाहते हैं,
जिंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं।

जिंदगी से सवाल पूछो तो क्या जवाब मिलता है,
मौत का दर तो सबको होता है, बस जो जीता है वो जानता है।
जिंदगी की भीड़ में खुश रहो या उदास,
जीते रहो या हारो, जिंदगी का मजा तो बस रहता है उसमें बिताने में अपने वक्त का।

जिंदगी से सवाल पूछो तो क्या पूछो,
हम सबके लिए जिंदगी एक सवाल बन जाती है।
फिर भी, हम जिंदगी को आगे बढ़ाना नहीं छोड़ सकते,
जीवन की ये चुनौती हमें और मजबूत बनाती है।

शब्द हूं मैं

शब्द कौनसा ओर कैसा हूँ मैं ?

शब्द क्यू लगाते हो पीछे अपने नाम के ये कैसा शब्द है? इस शब्द की कोई जाती नहीं है , तो ये कौनसा शब्द है ओर कैसा ? मुझसे बहुत सारे लोगो ने ये सवाल पूछा है कि आपने अपने नाम के पीछे यह शब्द कैसे और क्यों रखा है? यह कोई जाती तो नहीं है, यदि हो तो हमने कभी सुनी नहीं है।

मेरा जवाब भी यही होता है की जी हाँ यह कोई जाती नहीं है बस यह मैंने यह शब्द स्वयं ही लगाया है, क्युकी शब्द से मैंने बहुत पाया है इस शब्द के कारण ही मुझे बहुत समझ आया है, जगत के जीतने प्रश्न मेरे मन में आए उनको हाल कर पाया हूँ मेरी जिंदगी की उलझने भी इन शब्दों के कारण ही खत्म कर मैं पाया हूँ, इसलिए शब्द मेरे नाम संग मैं शब्द लगाया हूँ।

ओर हर सवाल का जवाब का ये शब्द ही क्यू है? क्या है? ये शब्द जिसे आप इतना महतव देते है जिसे आप आत्मा भी कहते है। ऐसा क्यू है ?

तो आज उसका जवाब भी दे देता हूं, कौन हूं मैं? का अर्थ जो अब तक समझ और खोज पाया हूं,
वो शब्द है जो अब तक मैं कहलाया हूं।

इसके आगे की खोज जारी है लेकिन उत्तर अभी तक सभी प्रश्नों पर ये शब्द उत्तर सभी प्रश्नों पर भारी है, सभी पर्श्नो का हल मुझे मिला, सभी सोच इसपर आकर पूरी हुई  निराकार यही आकर पूर्ण हुआ।

संपूर्ण भागवत, वेद पुराणों का ज्ञान शब्द में आकर समाया जगत शब्दम्य ओम उच्चारण से गूंज उठाया, शब्द से ही इस जगत का विस्तार हो रहा है, शब्द से जगत ही शब्दमय होता जा रहा है शब्द से ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड चलायमान है, शब्द हम सभी में विध्यमान है ये नजर आया है

हमारी यदि कोई इच्छा-अनिच्छा है तो भी वह शब्दों के कारण ही पूर्ण होती है, शब्द के कारण कोई भी वस्तु अकारण नहीं है सभी जीव और वस्तुए कारणों के कारण में बंधी हुई है।

कोई भी किसी भी प्रकार का प्रश्न पूछो उसका जवाब शब्द है, प्रकाश की गति से भी तीव्र शब्द है, क्युकी शब्द एक दूसरे से जुड़े हुए है शब्द का दूसरा रूप जिसे हम विचार या ॐ रश्मि भी कह सकते है, उन्हे तरंगित किरने जो हमारे भीतेर से निकल रही है।

शब्दो को पढ़ता हूं,
शब्दो को सुनता हूं,
खुद की पहचान भी शब्दो से करता हूँ मैं

शब्द हूँ मैं

शब्द ही शब्द को जाने

शब्द ही शब्द को जाने, बिन शब्द हम किसको माने,
शब्दो से शब्दो का मिलन हो रहा है, शब्दों से बिछड़ना भी अनोखा है , इन शब्दो से  इस ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा यह रहसे अनोखा है कौन इसको समझ रहा है,
शब्दो का अनूठा जीवन इनका रहस्य ना कोई जान पाया, शब्दों ने अपना अनेक रूप दिखाया , शब्द एक होकर भी आया ओर भिन्न होकर भी इन शब्दों ने समझाया, लेकिन इन शब्दों के रहसे कोई नहीं समझ पाया ,
शब्द ही शब्द को उदघोष करते है, शब्द का जीवन बहुमूल्य
है, शब्दो का सहयोग शब्दो के लिए अनोखा है इस जीवन में ,
शब्द में प्रीति , शब्द में भाव , शब्द का बदलाव, शब्दों का अर्थ, शब्द कभी व्यर्थ तो शब्दों का कभी अनर्थ भी है।

शब्दो की चर्चा भी खूब होती है कभी यह
शब्द का मान – अपमान
शब्दो का क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार ,
शब्दो का मिलना बिछड़ना , शब्दो का एकजुट होना और शब्दो का अलग अलग हो जाना
यह शब्द ही जो तुम्हे खोखला कर देते है यह शब्द ही है जो तुम्हारा जीवन खुशियों से भर देते है , शब्द के अलग अलग रूप , आकर है इनको समझना बुद्धि के पार है।

शब्दो का क्रम, शब्दो का लयबद्ध होना इनका यही एक विचार है शब्द कर रहे अपना प्रचार प्रसार यही इनका कार्य यही इनका आचार है, शब्दो में कितने ही भेद और मतभेद है, शब्द स्थिर है और अस्थिर भी है इनका प्रयास एकमत है लेकिन मतलब अनेक है इसलिए बढ़ रहा भेद नहीं हो पा रहे है ये एक!

फिर से एक और पड़ाव पार करने को हूं अब जिंदगी को इस पार से उस पार करने को हूं,
जिंदगी के कई पड़ाव पार किए है लेकिन ये पड़ाव और भी महत्वपूर्ण है जिसमे शब्द को जाना शब्द में जिया था, अब शब्द से मौन की और होने को हूं या शब्दातीत होऊंगा मैं।

शब्दों की गठरी जो

शब्दों की गठरी जो अनचाही है उसे ही लेकर घूम रहे हो, उन अनचाहे शब्दो को हटाकर जिन शब्दो को चाहते हो, उनको बांध लो और उनके ही साथ चलो फिर देखो सफर कैसा मस्त हो जायेगा, मंजिल आसान लगेगी मुसीबतें चाहकर भी करीब ना होगी दुख भी सुख में झट से बदल जाए।

बेइंतहा मोहब्बत

बेइंतहा मोहब्बत ,गिला-शिकवा ,
दर्द ए सितम,
ना मरहम कोई उन्होंने लगाया
बस
वक़्त बेवक्त
जख्म को नासूर बनाया
क्या क्या ना उन्होंने – क्या क्या ना उन्होंने
मुझ पर आजमाया
देखो तो सही अरे देखो तो सही
कमाल उनका था ये
उन्होंने हथियार भी ना उठाया
ओर
खून खंजर बिन मेरा कर दिया
और अब उन पर
इस जुल्म इल्जाम भी नहीं आया।

बेइंतहा मोहब्बत
जख्म