Posts tagged kavita hindi mei

जीवन यदि प्रश्नपत्र

जीवन यदि प्रश्नपत्र तो संघर्ष उसका सही उत्तर…..
संघर्षों से ही वक्तित्ब में आए निखार जीवन हो बेहतर…

जीवन में द्वंद ओर संधर्षो की चुनौती को स्वीकारे…
संघर्ष एकमात्र उत्तर उसकी ऊष्मा उर्जा ही जीवन सुधारे ।

जीवन यदि प्रश्नपत्र तो संघर्ष उसका सही उत्तर,
संघर्षों से ही वक्तित्ब में आए निखार जीवन हो बेहतर।

जब उठते हैं सूर्य की किरणें नवीनतम सवेरे,
हमे चुनौतियों से मिलता है नया प्रश्नपत्र।
जीवन के विभिन्न रंगों में बदलते रहते हैं सफर,
संघर्षों से ही जीवन को मिलता है नया आकर।

हर कदम पर मुश्किलें हर तरफ से मुसीबतें,
पर संघर्ष के बिना कैसे मिलेगा जीवन का सम्मान।
आगे बढ़ने के लिए होना चाहिए तैयार,
संघर्षों को गले लगाकर बनाएं अपना अस्ताना।

जीवन की परीक्षा में है ये संघर्ष महत्वपूर्ण,
इन्हीं संघर्षों से बनती है शक्ति और दृढ़ता की बूंद।
हर तारीख को होना जिंदगी का आदेशक, एक आवाज,
संघर्षों से ही उभरती है जीवन की नयी पहचान।

जीवन यदि प्रश्नपत्र तो संघर्ष उसका सही उत्तर,
संघर्षों से ही वक्तित्ब में आए निखार जीवन हो बेहतर।
ना डरें संघर्षों से, बल्कि उनको गले लगाएं स्वीकार,
क्योंकि संघर्षों से ही बनता है व्यक्ति महान।

यह भी पढे: जीवन क्या है, हमारा जीवन, खुद से करे सवाल, जीने का अंदाज, चलते चलो,

चिंता में रहोगे

चिंता में रहोगे …..
भीतर के ताप से जलोगे ।
और जो खुश रहोगे….
ख़ुद स्वस्थ दूसरो को खुश कर सकोगे ।

ईर्ष्या भय चिंता और शंका…..
दुःख मुसीबतों का बजेगा डंका ।
ख़ुशी खुशी रहना सुखद संक्रमण…..
शुभ और लाभ ख़ुशी का आचरण ।

चिंता में रहोगे, दुःखों में खो जाओगे,
भीतर के ताप से जलोगे, आत्मा को भस्म करोगे।

पर जो खुश रहोगे, संतुष्ट रहोगे,
जीवन की मधुरता को आसानी से छोड़ोगे।

चिंता और चिंतन से मुक्ति पाने का रहस्य हैं,
आत्म-विश्वास और प्रेम में विलीन हो जाना हैं।

भीतर की आग को बुझाने के लिए,
आत्मा को प्रकाश की ओर ले जाना हैं।

चिंता में रहकर आत्मा तप्त हो जाती हैं,
दुःखों में खोकर जीवन अधूरा हो जाता हैं।

पर जो खुश रहें, जीवन को समझें,
आनंद के बीज बोने में लग जाता हैं।

चिंता से दूरी और मन की शांति पाने का रहस्य हैं,
आनंद का स्रोत और खुशियों का आधार हैं।

जब खुश रहोगे, तो अनुभवों को महसूस करोगे,
आत्मा की गहराई और प्रेम की ऊर्जा में लीन होगे।

तो चिंता में न रहोगे, खुश रहोगे हमेशा,
जीवन की गाथा में आनंद से रंग भरोगे।

यह भी पढे: ना करे चिंता, समस्याओ का निपटारा, दुख क्या है, इंसान, संकट एक मुश्किल,

एक मित्र जो समझे

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब….
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब….

असली मित्र वही जो आपके अच्छे बुरे दोनों पक्षों को जाने समझे दे साथ…
बाकी मित्र दुनियादारी वाले सिर्फ़ नाम के, मित्र वही जो दुखो में रखे सिर पर हाथ।

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब,
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब।

जब जीवन की लहरें हमें भांपती हैं थकावट,
वो दोस्त हमारा साथ देता है आशा का सहारा।
जब आँखों में भरती है गम की धूप की छाया,
वो दोस्त हमारा सबकुछ भुला देता है मगन होकर आया।

दोस्ती का रिश्ता है ये अद्वितीय और अनमोल,
वो दोस्त हमारा है जीवन का सबसे महत्वपूर्ण खजाना।
हमसे बांटता है वो सब खुशियां और गम के पल,
वो दोस्त हमारा है जो जानता है हमारी राज़-ओ-नियाज़ाना।

जब बैठे होते हैं हम उदास और तनहा,
वो दोस्त हमारा आता है और देता है संगीत की लहरें।
जब नहीं होती है हमें खुशियों की अपेक्षा कोई अपना,
वो दोस्त हमारा है जो बना देता है हमें फिर से ताजगी की बहारें।

जब अनजाने में ढक जाती है जिंदगी की राहें,
वो दोस्त हमारा है जो चलता है साथ हमेशा।
जब लगता है मन में उठेगा कोई बड़ा सवाल,
वो दोस्त हमारा है जो सुनता है ध्यान से हमेशा।

एक मित्र जो समझे आपके आंसुओ को भी वो बहुत ही नयाब,
बाकी मित्र सिर्फ देखे जाने आपकी हंसी खुशी का रखते वो हिसाब।
दोस्ती का इस अनमोल बंधन को सदा निभाना,
क्योंकि आपका दोस्त हमेशा रहेगा आपके पास बना।

यह भी पढे: मित्र या शत्रु, अच्छे लोगों का साथ, मित्र आपका दर्पण, एक दूसरे के दर्द, सच्चा मित्र,

खुशियां

खुशियां ना कोई गंतव्य

खुशियां न तो कोई गंतव्य ,अधिकार कमाई, न इसे पहने न ही ये भोजन…..
ये एक आध्यात्मिक अनुभव जीवन के हर क्षण में प्रेम कृपा का आभार में लिप्त मन ।

कृपा ओर आभार से लिप्त मन सब के लिए शुभ ओर हितकारी…..
व्यक्ति विकास से होगा समाज का विकास मनुष्यता के लिए श्रेष्ठ शुभकारी ।

खुशियां का न तो कोई गंतव्य, अधिकार कमाई,
न इसे पहने न ही ये भोजन, ये एक आध्यात्मिक अनुभव।
जीवन के हर क्षण में प्रेम, कृपा का आभार में लिप्त मन।

यह जगत भरी माया का खेल, चाहे धन की महिमा हो या ऐश्वर्य।
पर सब छूट जाता है इस अनुभव के सामरिक आयाम से।

जब मन केवल प्रेम में विलीन हो जाता है,
तब खुशियां और प्रकृति के सुंदर रंग दिखाई देते हैं।
आनंद की अनंतता में जीने का अद्भुत गुण,
यही है आध्यात्मिक अनुभव का महान फल।

इस आध्यात्मिक यात्रा में खो जाएं तुम,
अध्यात्मिक गुरु के पास करो शरण।
वह दिखाएगा राह जो अद्वितीय है,
वहाँ निर्मल चित्त और आनंद के आभास हैं।

प्रेम की अमरता से जीने का रहस्य है,
भावों की ऊर्जा से जगाने का रहस्य है।
अनुभवों के साथ जो साझा करें तुम,
वह सत्य का मार्ग है, आनंद का प्रकाश हैं।

इस आध्यात्मिक अनुभव को जीने का आदिकाल से ही तत्व समझा जाता है,
संसार की मोहमय वृत्तियों से जब मुक्त होता है मन।
प्रेम की अनंत झरना जब बहने लगता है,
तब आत्मा को परमात्मा में विलीन होने का अनुभव होता हैं।

खुशियाँ और आनंद की अनंतता का जो एहसास होता हैं,
वही आध्यात्मिक अनुभव का महत्वपूर्ण लक्षण होता हैं।
मन को शांति और सुख का आनंद प्रतथा आनंद प्रदान करने वाला हैं,
आध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से जीवन को सजाने वाला हैं।

इस आध्यात्मिक अनुभव में सच्ची खुशियाँ हैं,
जो भाग्यशाली जीवन का सच्चा आधार हैं।
मन को शुद्ध करके जब प्रेम का आनंद मिलता हैं,
तब जीवन निर्मलता और प्रकाश से भर जाता हैं।

इस खोज में रहकर जीने का सच्चा आनंद हैं,
जो वास्तविकता के साथ जीवन को परिपूर्ण करता हैं।
अध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से जब सम्पूर्णता का अनुभव होता हैं,
तब मन और आत्मा में प्रेम की अभिव्यक्ति होती हैं।

इसलिए, खुशियां के पीछे न तो कोई गंतव्य होता हैं,
न अधिकार की कमाई, न इसे पहने न ही ये भोजन।
यह एक आध्यात्मिक अनुभव हैं, जो मन को आनंदित करता हैं,
प्रेम और कृपा का आभार में लिप्त होता हैं।

यह भी पढे: खुल के जिये, खुशियों को फैलाना, खुश रहिए, खुशी से पीठ थपथपाना,

इस दिल में अरमान

इस दिल में अरमान बहुत है,
ये दिल की बातें कैसे बताऊं?
कैसे समझाऊं इसे तुम्हें?

ये दिल जो चाहता है सिर्फ तुमको,
ये दिल जो तड़प रहा है बिना तुम्हारे,
इसे कैसे समझाऊं अपने अरमानों को?

एक कविता के रूप में सुनाऊं इसे,
जो इस दिल की धड़कनों में बसी है,
प्यार की भाषा में लिखूं इसे,
ताकि तुम इसे समझ सको बिना बातों के।

ये दिल जो तुम्हें चाहता है बेपनाह,
ये दिल जो तुम्हारी आशा में जी रहा है,
इसे कैसे व्यक्त करूं बिना शब्दों के,
इसकी गहराई को कैसे समझाऊं तुम्हें?

यही सोचते-सोचते एक कविता लिख रहा हूँ,
जिसमें इस दिल की बातें छिपी हैं,
कागज़ पर शब्दों को सजाता हूँ,
ताकि तुम इसे पढ़कर समझ सको इसे अपनी ज़रूरतों के।

ये दिल की अरज़ू है जो बहुत सी,
ये दिल की ख्वाहिश है जो अनमनी,
इसे कैसे बताऊं इस दिल को,
हर लम्हे में तुम्हारी यादें हैं बिखरी।

ये कविता बस इतना कहना चाहती है,
इस दिल में अरमान बहुत है,
इस दिल की बातें समझो तुम,
क्योंकि ये दिल तुम्हें ही चाहता है गमगीन।

यह भी पढे: छोटी कविता, किसी को लूटा के, तेरा ख्याल, सुकून, कुछ यादे है, खता हो गई,

आशा ओर निराशा

जीवन कभी आशा ओर निराशा के तत्वों से निर्मित…..
आश ओर निराश दोनो ही अस्थाई उनका बल सीमित….

इससे उपजी शिक्षा से स्वयं के जीवन को सजना संवारना ….
मेरे दर्द से बड़े बड़े दूसरों के दर्द इस सत्य को सदा पहचाना ।

जीवन कभी आशा ओर निराश के तत्वों से निर्मित,
आशा ओर निराशा, दोनों ही अस्थाई, उनका बल सीमित।

जब आशा की किरणें बांधती हैं सपनों की डोर,
प्रेरणा के पंखों पर उड़ जाता है मन मोर।

सपनों की भूमि पर खिलती है खुशियों की बारिश,
आनंद के संगीत सुनती है मन में मधुर वादियां।

लेकिन जब निराशा की घटाएं छाती पर सँवार,
धैर्य के पंखों से उड़ जाता है अचल संघर्ष।

परिश्रम की धूप में तपते हैं सपनों के बीज,
उग्र विपत्तियों के मैदान में जीवन भर संघर्ष करते हैं।

आशा और निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
ये चक्रव्यूह बनाते हैं अनुभवों का मेल-जोल।

हर नये सवेरे को लेकर आती है आशा की बूंद,
जो जीने की आग होती है दिलों में नई उमंग।

पर जब तन को घायल करे विचारों की हिमाकारी,
निराशा की धूंस छाती को बांध लेती है बंधकारी।

हार नहीं माननी चाहिए जब आशा की खिलती है खेती,
दृढ़ संकल्प और प्रगति के संग बढ़ती है आगे हर रेती।

निराशा के बादलों को तोड़कर आकाश को छू लो,
नये सपनों की उड़ान भरो आशा की परिंदों के साथ।

आशा ओर निराशा, जीवन के दो पहलू हैं,
इनका संगम बनाता है हमें बेहतर इंसान।

यह भी पढे: आशा न बाँधिए, उम्मीद एक भावना है, उम्मीद पर जीवन, सदा आशावान,

अहंकार से मुक्ति

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली ।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली ॥
सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़ ।
वरना दुःख दर्द तकलीफ़ें लेती पाश में लेती वो जकड़॥

भरीं केतली जब जब झुकती तभी वो हो पाती वो ख़ाली।
इसी तरह अहंकार से मुक्ति के लिए झुकते वही भाग्यशाली॥

सदा नीवा रहने से नहीं जन्मती शरीर मन में अकड़।
अहंकार को त्याग कर, पाएं सुख और आत्मिक संत्रष्टि की अपार विश्राम॥

जीवन के समुद्र में हम खोए रहते हैं, अहंकार के प्रवाह में बहते हैं,
परन्तु जब हम झुकते हैं, तभी प्रकृति की गोद में आते हैं।

गर्व से बहुत दूर हो, नम्रता की ओर बढ़ो,
स्वान्तःसुख को पाएं, खुशियों के आगार में बसो।

अहंकार का विनाश कर, मुक्ति का मार्ग खोजो।
नीवा रहो नम्र, जीवन के रहस्य को पहचानो॥

झुकाव और नम्रता में ही संपन्न होती है उच्चता,
विनम्रता से ही मिलती हैं मन की शांति और सुख की बरसाती।

अहंकार को त्याग कर, भाग्यशाली बनो तुम,
नम्रता की ओर चलो, आत्मिक संतुष्टि को पाओ आप।

यह भी पढे: अहंकार का कद, अपमान ओर अहंकार, अहंकार सत्य सच नहीं, सच्चाई का करे,

अच्छा कार्य करते रहे

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा…..
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे
बाक़ी सब झूठा ।

कई बार दूर से सामने नहीं दिखता रास्ता…..
सड़क बता रही हे कारण लेकिन दृष्टिकोण होता सस्ता ।
दृष्टिकोण में सुधार करे , करे उसमे विकास ….
तभी बड़ी बड़ी सूचनाएँ समझ पायेंगे करेंगे जब निरंतर प्रयास।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
अच्छा कार्य करते रहे कोई देखे या न देखे।

मधुरता उजागर करेगी सदा,
जीवन को रंगीन करके ही छोड़ा।

क्या है जगत की धूप और छाँव,
जो करता है न्याय, सत्य का पालन।

हर कार्य जचाएगा जब भी,
सच्चाई की रोशनी में जब भी।

कितने भी झूठ बस वही रहेगा,
जो सत्य की परिभाषा बनेगा।

जगत के रंग में न रंगे दिल,
अच्छाई की राह पर चले दिल।

कविता यह गीत है सत्य का,
जो आपको कहती है सच्चाई का।

शक्कर अंधेरे में खाये या उजाले में मुँह को करेगी मीठा,
जीवन को सार्थक बनाएगी यह लीला।

यह भी पढे: अच्छा समय आएगा, ज्यादा योग्य, अलग होना अच्छा, हर व्यक्ति विशेष,

स्वयं को नही रोकना

स्वयं को नही रोकना, देना सदा अपना सर्वोत्तम ।
चाहे नहीं देता सामने वाला श्रेय नहीं रोकना अपने कदम ।

आपके बढ़ाए अच्छे कदम उदाहरण समाज का वो दर्पण ।
ये असल जीवन जीने का नियम , देने का भाव का समर्पण ॥

स्वयं को नही रोकना, देना सदा अपना सर्वोत्तम ।
चाहे नहीं देता सामने वाला श्रेय नहीं रोकना अपने कदम ।

खुद को बनाएं सितारा, चमकें आसमान में,
जीवन के हर मोड़ पर स्वयं को गुरुत्वाकर्षक बनाएं।

सोचो न कभी अधीन, हकदार हो तुम उच्चताओं के,
अपने सपनों को पूरा करो, ना हो कभी थमते कदम।

जगमगाते रहो आप, अपने आत्मविश्वास की रौशनी में,
चाहे हों न रहे उपलब्धियाँ, अपने हौसलों को न टूटने दो।

आगे बढ़ो सदैव, ना रुकना अपने सपनों के आगे,
प्रशंसा का पर्दा तोड़ो, अपने जीवन के रंग बिखेरो।

जीवन की राहों में जब भी थक जाओ,
खुद को याद दिलाओ, अपने संकल्प को जगाओ।

स्वयं को कभी भी नहीं रोको, अपनी उच्चताओं को छू लो,
चाहे नहीं मिले श्रेय, अपने कदमों को थामो।



वृक्ष का संसार

वृक्ष का संसार
सदा जीवन में विस्तार ।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म…
झोंकता स्वयं के कर्म ॥

वृक्ष का आकाश प्रेम ….
पूछते उसका कुशल क्षेम ।
वृक्ष का सम्पर्क धरती आकाश….
पूरी करता धरती की आश ॥

वृक्ष जीवन की सुंदरता….
प्रकृति की कलात्मकता ।
वृक्ष धरती की धरोहर….
हर क्षण हर पहर हर क्षण हर पहर ।

वृक्ष का संसार … सदा जीवन में विस्तार।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म।
झोंकता स्वयं के कर्म।

वृक्षों की दुनिया में, एक आदर्श बसा है।
प्रकृति की गोद में, उनका स्वरुप न्यारा है।
जीवन की रक्षा, प्रेम की अद्भुत कहानी।
वृक्षों की छाया में शांति का गीत बहानी।

जैसे वृक्ष ऊँचाई प्राप्त करते जाते हैं,
हमें भी आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए।
जीवन के कठिनाइयों में डटकर नहीं रुकना चाहिए।
बलिदान कर, प्रगति का मार्ग चुनना चाहिए।

वृक्षों की कठोरता और सहनशीलता से हमें सीख लेनी चाहिए।
उनकी प्रकृति के साथ मेल जोड़कर रहना चाहिए।
वृक्षों की प्रेम भरी छाया से चिढ़ाना चाहिए।
प्रकृति के संगीत में अपनी जीवन धुन गाना चाहिए।

वृक्षों की उच्चता और नीचता के बीच,
समता का संदेश छिपा है।
हमें भी सबको सम्मान देकर रहना चाहिए।
एक-दूसरे के साथ प्यार और सहयोग बढ़ाना चाहिए।

वृक्षों का संसार है सदा विकास करता,
उनकी शाखाओं में नई ऊँचाइयाँ बनाता।
स्वयं के कर्मों से झोंकता जीवन का रहस्य,
हमें भी आगे बढ़कर अपना भाग्य बनाना चाहिए।

वृक्ष का संसार… सदा जीवन में विस्तार।
नई ऊँचाइयाँ उनका धर्म।
झोंकता स्वयं के कर्म।

वृक्षों को पनपने दे वो जानते हे स्वयं को वो असली आध्यात्मिक जो सिर्फ़ देना जानते हे देना फ़ना होना उनका कर्म।
मिट्टी के पाताल के जल के अग्नि के आकाश के पत्थरों के पहाड़ों के आकाशों के बादलों के पक्षियों के कीट पतंगो के जानवरों के वातावरण के जीवन के पृथ्वी के समंदरो के नदी के मनुष्यों के सब के मित्र जीवन के चक्र की रीड़ की हड्डी ।

सही से जीवन की आकाँक्षा हो तो इनको मदद करे (न मदद करके ) वातावरण ओर इनकी मदद के नाम पे हम नुक़सान ज़्यादा कर रहे हे ये स्वयजीवी हे इस परम मित्र को नष्ट न करे ।
मनुष्यों समझे ये हे तो हम हे इतनी सीख ही यह सत्य ।
इस सत्य से सीखे ज़्यादा बात की नहीं आवश्यकता ।
सुबह की राम राम ।
जय श्री वृक्ष
ॐ श्री वृक्ष
धरती परम धाम वृक्ष ।
???❤️??

यह भी पढे: अच्छा समय आएगा, विनम्रता ही सम्पदा, एक उम्मीद, प्रेरणा जीवन, आपके शब्द,