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यादों का सिलसिला

कुछ इश्क भी था, कुछ इश्क की बाते, कुछ बेसब्र थी जिंदगी, तो कुछ बेसब्र उनसे मुलाकाते, बस सफर यू ही कटने को था, रह गई मेरी अधूरी यादे, और उनकी यादों का सिलसिला, कुछ दूर तक ओर चला, जिंदगी का दौर खत्म हुआ, अब मौत के साथ मेरी गुफ्तगू हो गई।

कुछ इश्क़ भी था पर अब वो नहीं है,
जब चाहत थी तब हम थे वो नहीं है।

रात भर जागते थे हम उसके इंतज़ार में,
पर अब वो नहीं है जिसकी तलाश में।

हमने चाहा था उसे सबसे ज़्यादा,
पर वो तो बस एक ख्वाब बन कर रह गया।

जिस दिन उससे मिलने की ख़ुशी थी हमें,
वो दिन भी गुज़र गया, वो वक़्त नहीं है।

कुछ इश्क़ भी था पर अब वो नहीं है,
जब चाहत थी तब हम थे वो नहीं है।

उनकी यादों का सिलसिला कुछ इस तरह
क्या उन्हे मिलने की वो चाहत नहीं थी जो हमारे दिल में थी।

पर अब उससे मिलने की कोई आस नहीं है,
कुछ इश्क़ भी था पर अब वो नहीं है।

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सुंदर आयाम

हर सुबह उठकर अपने विचारों को उत्तम बनाए उन विचारों को बार बार मनन व चिंतन करे आज का शब्द “सुंदर आयाम”

सुंदर आयाम प्रकृति के,
नादियाँ अपना जल नहीं पीती,
वृक्ष अपना फल नहीं खाते,
हीरे जवाहरात भी दूसरे को सुशोभित ,
नियम प्रकृति का दूसरे के प्रति समर्पित ……
ऐसे ही दयावान व्यक्ति अनायास दूसरो के
हित के लिए होता हर समय आकर्षित ।

सुंदर आयाम प्रकृति के,
नादियाँ अपना जल नहीं पीती।
वृक्ष अपना फल नहीं खाते।
हीरे जवाहरात भी दूसरे को सुशोभित।

प्रकृति की अनूठी सुंदरता,
मनोहारी नजारों में बिखराती।
नदियाँ अपनी बहुता प्रदर्शित करती,
पर खुद को नहीं उन्हें भरती।

वृक्षों की हरियाली से लबरेज,
फलों की मिठास से नहीं भरेज।
वे धरती के अनुपम उपहार हैं,
जो दूसरों को खुशियाँ देते हैं।

हीरे और जवाहरात की मोहकता,
दूसरों के श्रृंगार में बसता।
ना स्वयं चमकते हैं, ना भूलते हैं,
पर दूसरों की ख़ूबसूरती में खो जाते हैं।

यह अद्भुत प्रकृति का रहस्य है,
सदैव दूसरों को सुशोभित करने का इरादा है।
जो देती है वृक्षों को जीवन,
और नादियों को मार्गदर्शन।

इसीलिए वे सुंदरता का प्रतीक हैं,
जो प्रकृति की महिमा को दिखाते हैं।
हमें सिखाते हैं समर्पण और निस्वार्थता,
क्योंकि खुद को भूल जाना ही सुंदरता है।

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कलाकार का जीवन

कलाकार का जीवन
कलाकार पर्दे पे आपके सुख दुःख भोगता…..
कलाकार किरदार भीतर स्वय के सोखता।
अपनी कला का जलवा मंच पे बखेरता….
किरदार में अपनी कला के प्राण फूकता।

कलाकार अभिनय को देता उत्तम आकर ….
एकलोते जीवन में जीता भिन्न भिन्न किरदार ।
कलाकार की ख़ुशबू चारों और फैलती…
प्रशंसा उसके कार्य में नई ऊर्जा भरती ।।

कलाकार समाज का वो नुमाइंदा…..
भीतर से वो भी शख़्स अच्छा या गंदा ।
कलाकार में हम शख़्सियत नहीं नायक को खोजते …..
उस नायक से क़ायम होता रिश्ता बड़ी शिद्दत से उसे हम पूजते ।।

कलाकार का जीवन, पर्दे पे आपके सुख दुःख भोगता,
किरदार भीतर स्वयं के सोखता।

रंग और अभिनय की दुनिया में खो जाता है सब,
अपने भावों के माध्यम से जगत को भर देता है अर्थ।

प्रेम, विरह, आनंद, विलाप, सबको अदा करता है वह,
जीवन के हर रंग को अपनी कला से सजाता है वह।

कला के सम्राट, कलाकार नाम उनका,
रंगमंच पर जीवन का सच उनका।

संगीत की साज, नृत्य की आवाज,
सभी रसों को जीवंत करता है वह राज।

पढ़ता है वह वाचिक विधान,
साधक के रूप में निभाता है अद्वितीय ध्यान।

नाटकों के पट पर, सिनेमा की दुनिया में,
कलाकार रचता है अपनी कहानी में।

जीवन के रंगों को चित्रित करता है वह,
अपनी कला से जन-जन को भरता है वह।

जीवन-संगीत की लहरों में नाचता है वह,
अपनी अभिनय की कविता सुनाता है वह।

कलाकार का जीवन, रंग और रूपों का संगम,
अपनी कला के साथ जीने का अद्वितीय उपयोग।

धन, यश या स्थान की परवाह नहीं होती उसको,
उसकी प्राथमिकता होती है अपनी कला में खोने की।

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अत्याचार का बड़ा भाई

हर सुबह, हर दिन अच्छे विचारों से आपका दिन शुभ हो इसके लिए कीजिए विचार प्रतिदिन आज का विचार “अत्याचार का बड़ा भाई”

अत्याचार का बड़ा भाई हे भ्रष्टाचार….
भ्रष्टाचार राक्षसों का सर्वश्रेष्ठ आहार ।
करते व्यभिचार उनका अधिकार….
उनको सब घृणित कृत्यों से प्यार ।

अब आया नए नसल का भ्रष्टाचार….
स्वयं की घोषणा पवित्र होने की हुंकार ।
उनके पाप का धड़ा जल्द ही भर रहा…
उनका नैतिकता का मुखौटा उतर रहा ।

अत्याचार का बड़ा भाई है भ्रष्टाचार,
भ्रष्टाचार राक्षसों का सर्वश्रेष्ठ आहार।
करते व्यभिचार उनका अधिकार,
उनको सब घृणित कृत्यों से प्यार।

धन का लालच, इंसानियत का त्याग,
भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलते ये व्याघ्र।
निर्दोषों को बदनाम करते हैं आपात,
आम जनता की जीवनरेखा बन जाते हैं विलापत।

चोरी-छिपे मिलती हैं जब डेली,
सत्ता के बैठे ये लालची जेली।
सारे नेता बन जाते हैं बिकाऊ,
जनता की बातों से जुदा हो जाते हैं दूर।

खाते हैं घूस में बड़े-बड़े रिश्वत,
जनता की मुसीबतों को करते निवारण।
बदलता नहीं इनका रंग नेतृत्व,
वोटों के मोह में फंस जाते हैं गुमराह।

देश की विकास ले जाते हैं इंद्रधनुष,
जनता की आशाओं को बनाते हैं धुंध।
दिखावे के पीछे छिपाते हैं अपराध,
भ्रष्टाचार के दामन से डरते हैं नागरिक।

जब तक न जागे जनता की आँखें,
भ्रष्टाचार की चोट बनी रहेगी गहन।
संघर्ष करें हम इस बुराई के खिलाफ,
दें एक नये भारत को वादा विश्वास का।

इसिके साथ साथ आप कुछ ओर कविताए भी पढे व हमे कमेन्ट में जरूर बताए की हमारी कविटाए आपको कैसी लगती है जिससे हम ओर बेहतर ओर ज्यादा से ज्यादा लिखे आपके द्वारा दिए गए सुझाव ही हमे प्रेरित करते है

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सच्चा मित्र

एक अस्त्र ही बहुत है वह अस्त्र आपका मित्र है , जिस मित्र के सदा विजय नहीं चाहिए सहस्त्र मित्र बस एक ही हो वो सच्चा मित्र मित्र आपका अस्त्र…
एक ही बहुत
नही चाहिए वो सहस्त्र ।
मित्र सच्चा सहयोगी….
सुगंध उसकी सर्वत्र उपयोगी ।

मित्रता की सदा विजय हो ,
मित्रता ही नारा ।

एक अस्त्र ही बहुत है, वह अस्त्र मेरा मित्र है,
जो सदा विजय नहीं चाहता, सहस्त्र मित्र बस एक ही है।

वो सच्चा मित्र, जो मेरे साथ सदैव खड़ा है,
जब भी जरूरत पड़ी मेरी, मेरे पास हमेशा आया।

उसकी आँखों में छिपी है विश्वास की ज्वाला,
वो मेरी हर बात को समझता, मेरे दुखों को महसूस करता।

जब समय था मुझे पीछे खींचते अंधकार के घेरे,
वह मेरे साथ चला, मेरे साथ हैरानी और डरे।

जब भी जीवन की लहरें मेरे सामने उठाएं,
वो सहारा बनकर मेरे पास खड़ा रहे आए।

उसने मुझे शक्ति दी, सामर्थ्य की प्रेरणा दी,
जिससे जीता मैं हर युद्ध, हर मुश्किल से लड़ा हूँ।

उसका आभास हर सांस में है, हर धड़कन में बसा,
वो सच्चा मित्र, जो मेरे जीवन का अद्वितीय रंग बना।

जब भी मैं उदासी से भरा, अशांति से घिरा हूँ,
वो मेरे पास आकर मुझे हंसाता, खुशियों से भर देता है।

सदा मेरे पक्ष में स्थिर रहकर, मेरे साथ चलने वाला,
हर संकट और समस्या से मुझे बचाने वाला।

वो जिसका नाम प्यार से जुड़ा है,
जो सदैव मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान धरा है।

इस अस्त्र की शक्ति सदैव मेरी आस्था बनी रहे,
सहस्त्र मित्र, तू मेरा सच्चा मित्र है और रहेगा सदैव ही।

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आँखे मन का दर्पण

आँखे मन का दर्पण है , इन आँखों से दिख जाते सारे भाव , सुंदरता आँखो को
ओर व्यक्तित्व हृदय को प्रिय….

आँखे हृदय मेरे ही अंग….
ये सब जीवन कथा के प्रसंग ।

आँखे मन का दर्पण….
भीतर की सूचना से वो सम्पन्न ।

ये आँखे सुख दुःख में रोना जानती….
बताती क्या चल रहा मन में उसे कह जाती ॥

आँखे मन का दर्पण है,
इन आँखों से दिख जाते सारे भाव।
सुंदरता आँखों को,
ओर व्यक्तित्व हृदय को प्रिय।

जब ये आँखें हँसती हैं,
बिना कुछ कहे सब कह जाती हैं।
आँखों में चमक और उमंग होती है,
जीवन में नई राहें बनाती हैं।

जब ये आँखें रोती हैं,
बीते पलों की यादें लेकर सोती हैं।
आँखों में आंसू और गहराई होती है,
दुख और दर्द को खुद में समेट लेती हैं।

जब ये आँखें चिंतित होती हैं,
भविष्य की भारी सोच में खोती हैं।
आँखों में उलझन और विश्वास होता है,
संकट के समय भी साथ निभाती हैं।

ये आँखें हृदय की बातें कहती हैं,
इश्क़ और प्यार की आवाज़ उठाती हैं।
आँखों में प्रेम और आदर्श होता है,
सुखी और समृद्ध जीवन का राज बनाती हैं।

आँखे मन का दर्पण है,
इन आँखों से दिख जाते सारे भाव।
सुंदरता आँखों को,
ओर व्यक्तित्व हृदय को प्रिय।

ये आँखें जीवन की कहानी सुनाती हैं,
बिना शब्दों के भी बहुत कुछ कह जाती हैं।
इन आँखों में सच्चाई और निर्मलता होती है,
जीवन के हर मोड़ पर साथ देती हैं।

चाहे आँखें हों छोटी या बड़ी,
हर इंसान की आँखों में खूबसूरती होती है।
इन आँखों को समझो और महसूस करो,
हर रंग और भाव की छवि यहां मबनी रहती है।

आँखों की झलक से भावनाएं प्रकट होती हैं,
जैसे मन की गहराई से निकलती हैं।
चाहे खुशी की बौछार हो या गम का सागर,
आँखों में ही छुपी होती हैं वह सारी कहानियां।

जब आँखें मुस्काने लगती हैं,
दिल में खुशियों की बहार उगलती हैं।
आँखों में प्रेम और स्नेह की ज्योति होती है,
खुशहाल रिश्तों को नया अर्थ देती हैं।

जब आँखें आंसू बहाती हैं,
दर्द और दुख की कहानी सुनाती हैं।
आँखों में संवेदना और सहानुभूति होती है,
आपस में जुड़े हुए हमसफ़रों को जाग्रत करती हैं।

आँखे मन का दर्पण हैं,
जो दिखाती हैं सच्चाई की पहचान।
व्यक्तित्व के रंग और अभिव्यक्ति की कला,
हर आँख में बसती हैं वही अद्भुत छान।

इसलिए आँखों को सदा महत्व देना चाहिए,
क्योंकि वे मन के रहस्यों को छूने का द्वार हैं।
जब हम आँखों की ओर ध्यान देते हैं,
तभी हम प्रेम और समझ के आदर्श अर्थ को समझ पाते हैं।

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यह जिंदगी ना तेरी

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
जिंदगी रूठ ना जाये कही

चलता रहा साथ जिंदगी के
यह थम ना जाये कही

तू सांस लेले खुलकर
कही सांस रुक ना जाये यही

जी ले थोड़ा सा जिंदगी को यही
कौन जाने अगला पल है या नही

दम भर ले जितना तू चाहे
फिर दम भरने को तू होगा या नही

फिर कही ये दम छूट ना जाये
हुंकार मार , दहाड़ , चिल्ला

जीवन को जी खुलकर आज और यही
अगला पल किसको खबर है या नही

आज तू इसका यही बुगल बजा
नाच हंस खिलखिला बस तू यही

पता चलने दे हर लोक को गाथा तेरी ,
अगला पल किसको खबर है या नही

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
यह जिंदगी रूठ ना जाये कही

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जरूरी नहीं

जरूरी नहीं हर सवाल का जवाब मिले , उस नही का अब कोई जवाब नही
यह जिंदगी है मेरी कोई ख्वाब नही ,सिर्फ तू ही एक ख्वाब था मेरा
लेकिन
अब तो तू मेरा एक ख्याल भी नही

उस नही का कोई जवाब नही
जिंदगी है मेरीं
एक रात में उतर जाए वो शराब नही है
मोहब्बत की है मेने कोई शबाब नही ।

मैं दौड़ आता था एक नजर भर तुझे देखने के लिए
अब तुझे नजर भर देखना भी जरूरी नही

इसलिए
अब जरा दूर रह तू मुझसे
तू ही मुक्कममल हो ख्वाब मेरा
अब वो ख्वाब भी तू नही …

उस नही का अब कोई जवाब नही

वो मुलाकाते जो अधूरी थी तेरे साथ
वो मुलाकाते भी पूरी हो अब जरूरी नही

तू शुरआत थी मेरी जरूर
लेकिन…
लेकिन उस शुरुआत का छोर
अंत तक मिले वो भी तो जरूरी नही
( अब उस शुरुआत की मुझे जरूरत नही )

मेरी मंजिल है कही और
लेकिन उस मंजिल का रास्ता भी अब तू नही

तू इस बात को
सुन , समझ , और फिर दिमाग में
बिठा ले

जवानी मेरी भी है
सिर्फ तू ही हसीन, दिलरुबानी नही

दिल लगा था तुझसे
लेकिन
तू छोड़ गयी मुझको जो एक बार
 
और फिर लौटकर आये
यह बात
भी अब कोई जरूरी नहीं
  
मांगू तुझे उस रब से और
इस बात का मैं दम भरु
अब ये बात भी जरूरी नहीं
 
मैं जब तुझे पलको पर बिठाना चाहता था
लेकिन
तू आना नही चाहती तो यह बेवजह की
जिद्द करना भी मेरी जुर्रत नही

उस नही का अब कोई जवाब नही

जरूरत तेरी भी हो
बस यह बात है सही
 
सिर्फ जरूरत मेरी हो इस
बात में कोई दम नही

माना तू ख्वाब था मेरा खूबसूरत और हसीन
लेकिन
हर ख्वाब मुक्कममल हो यह भी तो जरूरी नहीं

नही हुआ मुक्कममल ख्वाब तो भी सही
मुझे तेरे दूर होने का अब कोई गम नही ।

भूल चुका हूं मैं
रत्ती भर भी  मुझे अब तू याद नही
इसलिए
तेरा वापस आना मेरी जिंदगी में
अब वो भी मेरी जरूरत नही।

अब उस नही का कोई जवाब नही।

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कौन हो तुम ?

यु ही रूठ भी जाते हो ,
यु ही मान भी जाते हो
ना जाने कौन हो तुम मेरे ?

फिर भी साथ हमेशा तुम ही निभाते हो ,
मेरी आँखों में देखो जरा हर पल
तुम ही नजर आते हो
भाग जाता हूं सबकुछ छोड़कर

लेकिन मेरे जिंदगी के हर विचार तुम आकार में तुम खड़े हो जाते हो ,
क्रोध भी लाता हूं, अहंकार भी लाता हूं
लेकिन प्रेम इतना गहरा है कि पिघल जाता हूं
समस्त विचारो में संसार नहीं दिखता

क्योंकि तुम्हारी छवि के साथ ही ठहर मैं जाता हूं
ना जाने कौन हो तुम?
जिसके बिना रह नहीं पाता हूं
बस मौन मैं हो जाता हूं ,
खुद को समझने और समझाने की चेष्ठा मैं करता हूं

लेकिन तुम विचार बन मेरे मस्तिष्क में बैठ जाते हो
क्यों ? अपनी ही सोच में मुझे डूबा कर बार बार चले क्यों चले जाते हो ?
रूठे हुए दीखते हो तुम मुझसे लेकिन सबसे ज्यादा प्यार भी मुझे करते नजर आते हो
यह कौनसा है सम्बन्ध जो तुम मुझसे निभाते हो ?

तुम्हारी यादों का ढेर

अक्सर तुम्हारी यादों का ढेर लग जाता है
जब भी तुम्हारा एक छोटा सा ख्याल आता है।
दिन कट नही पाता रात लंबी हो जाती है
तुम्हारी यादों का सफर खत्म होता हुआ
नजर ही नही आता है

और

इस कदर मेरा हाल बुरा हो जाता
मानो हरा भरा पेड़ तेज़ आंधी में
अपनी खुशहाल जिंदगी को सलामत रखने की गुहार लगाता है

तुम्हारी यादों का ढेर
तुम्हारी यादों का ढेर

लेकिन उस पेड़ की गुहार कोई सुन नही पाता है कुछ क्षण
बाद ही हरे भरे पत्तो से भरा पेड़ सुने जंगल में तब्दील
नजर आता है वो रोता, चिल्लाता , बिलखता है
लेकिन कोई उसकी पुकार कोई नही सुनता
वो पेड़ अब हरा भरा नही सुना सुना नजर आता है।

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