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सारे विचार अस्थाई

सारे विचार अस्थाई
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई ।

सब व्यक्ति व्यक्तित्व अस्थाई…
समझो इस बात की गहराई ।

सब दिखते दृश्य अस्थाई ….
इससे क्या बात समझ आई ।

सारी भावनायें अस्थाई ….
नहीं कुछ भी स्थाई ।

अपने मिले कार्य सही से करे….
हम सब स्थाई दायरे से घिरे ।

न काहु से दोस्ती न काहु से बैर…
शुक्रिया करते चलो माँगो सब की ख़ैर ।

यहाँ सब अस्थाई….
यह बात ही सच्ची इकाई ।

बहते चलो जैसे बहता पानी….
या बहो पवन की तरह यही ज़िंदगानी ।

सारे विचार अस्थाई,
नहीं अस्थाई मर्ज़ की दवाई।

जीवन के सफर में कभी आए,
खो गए फिर वो गुजरे दिन जाए।
चिंता और चिंता का बंधन है,
इसे तोड़ने की राह ढूंढ़ लो भले।

ज़िंदगी की चाल में आए हैं ये विचार,
चिंता के बादल छाए हैं ये आधार।
पर याद रखो, ये सब हैं अस्थाई,
हो सकता है आने वाले कुछ पल हंसाई।

ज़िंदगी की राहों में कभी थम जाएं,
चिंता के दामन से खुद को छुड़ाएं।
हर चिंता को दवा नहीं कहा जा सकता,
कुछ तो विचार होंगे अस्थाई ही रह सकता।

अपना ध्यान मुख्य बातों पर रखो,
हंसते रहो, मुस्कराते रहो आप।
रोग या चिंता ने नहीं जीती है ज़िंदगी,
जीने का आनंद सदैव बनाए रखो सर्वदा।

सब का शुक्रिया सब का धन्यवाद

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सामान्य दृष्टि

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।
बाहय दृष्टि के यंत्र मिले दो नेत्र….
सहायक सुंदर सटीक इनका क्षेत्र।

जानवरों मनुष्यों में समानता से दो नेत्र..
दृष्टि से दृष्टिकोण समृद्धि का रणक्षेत्र ।

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।

अक्सर दृष्टि वाले व्यक्ति दृष्टिवहीन….
विकसित नहीं दृष्टिकोण भावना हीन ।

स्वागत विविधता से रचे हो दृष्टिकोण….
दृष्टिवहीन लालच अधीन उनका कोण ।

भिन्न भिन्न दृष्टिकोणों का स्वागत….
सच्चाइयों से करते वो सामना अवगत  ।

अक्सर अपने दृष्टिकोण को मानते सही..
सत्य नहीं इतना सस्ता यह पहचाने नहीं ।

दृष्टिकोण को करते रहे निरंतर सुमृद्ध….
दूसरे दृष्टिकोण को समझने की हो ज़िद।

मेरी दृष्टि से में उकेरता छह….
सामने की दृष्टि से वही दिखता नौ
बात समझे ।

काहे मोक्ष ध्यान दे स्मृद्ध हो दृष्टिकोण…
स्वय उन्नति हो गाएगी जब होंगे बेहतर ।

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जिंदगी बस इसी तरह

जिंदगी बस इसी तरह है, कब मिलना हो ओर कब बिछड़ जाना, इस जिंदगी का कोई पता नहीं, कब उदासी में डूब जाए ओर कब खुशी की लहर आए, इसी को जिंदगी कहते है।

जिंदगी की यात्रा अनिश्चितता की राह,
मिलने और बिछड़ने का संगम, जब हो जाए निकट,
खुशियों की लहर आए, तब हो जाए विस्तार।

जीवन की लहरों में छूटे अनेक रंग,
उदासी की धूमिल घड़ी, जो ले जाए हमको छंग,
पर आगे जब बढ़े हंसी की धारा,
तब भूल जाएं हम सब अपनी परेशानियों का बारा।

जब बिछड़ते हैं कभी अपने प्यारे,
दिल में उत्पन्न होती है तकलीफों की आग,
लेकिन जब आते हैं वो खुशी के बादल,
तब चमक जाती है जीवन की हर रात।

जिंदगी बस इसी तरह है, अनिश्चित और मधुर,
हर मोड़ पर परिवर्तन, हर दिन एक नया सफर।
हमें यह स्वीकार करना होगा, इसकी खुशनुमा चाल,
जिंदगी को गले लगा लेना, बनाना हर मोमेंट स्पेशल।

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ख्वाबों को जोड़ता हूँ

मैं बहुत ख्वाबों को जोड़ता हूँ,
तोड़ता हूँ बस ना क्यूं,
ये राहों की उलझनें, ये रातों की तन्हाई,
सब खोया हुआ है इस दिल की गहराई में।

ख्वाबों की दुनिया में बसा हूँ मैं,
उन्हें सजाता हूँ और भर देता हूँ,
पर कभी-कभी वो बिखर जाते हैं,
तोड़ देता हूँ उन्हें ये दिल रोता है।

ख्वाबों की उम्मीद रखता हूँ मैं,
उन्हें संभालता हूँ और खुशियाँ देता हूँ,
पर कभी-कभी वो टूट जाते हैं,
तोड़ देता हूँ उन्हें ये दिल रोता है।

ख्वाबों की दुनिया में उलझा हूँ मैं,
उन्हें खींचता हूँ और उड़ान देता हूँ,
पर कभी-कभी वो तूट जाते हैं,
तोड़ देता हूँ उन्हें ये दिल रोता है।

ख्वाबों के बंधन में जकड़ा हूँ मैं,
उन्हें जीने का आधार बनाता हूँ,
पर कभी-कभी वो छूट जाते हैं,
तोड़ देता हूँ उन्हें ये दिल रोता है, तो फिर उन्ही ख्वाबों को जोड़ता हूँ।

हर रोज बेहतर होना है

हर रोज बेहतर होना है, उस बेहतर होने की तैयारी करनी है

हर रोज बेहतर होने के लिए कुछ न कुछ करना है

एक नई चीज रोज करनी है

कुछ नया सीखना है,

कुछ अलग करने की चाह इस मन में है, जो फिर से करना है

जिस चीज को आप बचपन में बड़े मन से करते है उसको फिर से करो

जो आप सीखना चाहते थे बचपन में उसे फिर से सीखो

कुछ दुबारा करो , कुछ नया करो

कुछ पहली बार करो, तो कुछ बार बार करो

रोज किताबे पढ़ो खुद को बेहतर करने के लिए

स्वयं को सुधारों आने वाले कल के लिए, अपने शब्दों को सुधारों 

हर रोज बेहतर होना है।

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जिंदगी से जिंदगी

बीते हुए दिन
जिंदगी से जिंदगी कि कुछ मुलाकातें
जो अधूरी थी शायद पूरी भी ना हो सकी
ओर कभी शायद पूरी अब हो भी ना सके
क्युकी वो दब गई, दफन हो गई

उन बीते हुए दिनों में, उन बीते हुए दिनों
जिनमें मैने बहुत सारी नादानी की थी
क्या उन नादानियों को फिर से याद करूं?
ऐसा क्या ख़ास है?
उन बीते हुए दिनों में, जिंदगी से जिंदगी की कुछ मुलाकाते

जो मै फिर से जाऊ उन पुरानी यादों में,
बातो में,
क्यों गुम हो जाऊ?
क्या है ख़ास?
है क्या ख़ास?

नहीं पता, मुझे नहीं पता
लेकिन फिर भी ना जाने क्यों?
ना जाने क्यों?
वो बीते हुए दिन बहुत याद आते है
वो बीते हुए दिन याद आते है

लेकिन क्या करे वो तो बीते हुए दिन है कुछ किया नहीं जा सकता
याद आते है, बताओ आते है ना
वो दिन
वहीं पुराने दिन जो तुम बिताए थे

उनमें तुम्हारा बचपन भी था, लड़कपन, जवानी, झगड़ा भी था।
कभी मासूमियत थी तो कभी धोखा था तुम्हारे चेहरे पर
लेकिन कुछ था
पता नहीं क्या था
पता नहीं क्या था

लेकिन सभी मुझे कहते है वो कुछ खास था
क्युकी वो बिता हुआ एक पल
एक दिन
महीना, महीने , साल एक उम्र का पड़ाव था
जो बीत गया , वो बीत गया

फिर वो आ ना सका
फिर वो आ ना सका
बस अब उन दिनों की यादें है
जो बीत गए है

जो बन्द हो गए है डायरी में, पन्नों में,
कलम की स्याही से जिन्हे फिर ठीक भी नहीं किया जा सकता
उनको फिर से जिया भी नहीं जा सकता
उनमें सिर्फ दबी मुस्कुराहट,
दबे आंसू, झलकता जाम

ओर धुंधली यांदे है जिनको फिर से याद करने की कोशिश की जा सकती है
लेकिन जीवित नहीं किया जा सकता वो दिन,
वो बीते हुए दिन मेरे भी नहीं है,
खोए भी नहीं है सिर्फ जिंदा लाश की तरह दफन है,

उन्हें मै फिर से याद कर रहा हूं
क्युकी वो मेरे बीते हुए दिन है
बीते हुए दिन है, जिंदगी से जिंदगी की मुलाकते है।

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हाल ए दिल बताऊं भी क्या ?

आंखे नम है ना जाने क्यो?
ना कोई गम है
ना मर्म है
फिर भी मेरी आँखें नम है
क्या समझू
इस बात को तूने जो ढाया सितम है
 
सितम समझू या कुछ और समझू?
 
क्योंकि अब तो
मुझे खुद की खबर नही
खुद ना जाने कही गुम हूं मैं
शायद थोड़ा चुप भी हूं ,
जिंदगी से बाते भी थोड़ी काम करता हूं
खुद से मिलने की कोशिश भी बहुत करता हूं
मगर
फिर वापस आ नही पाऊंगा इस बात से डरता हूं ,
कोशिश खुद को भुलाने की भी करता हूं
लेकिन भूल नही पाता हर वक़्त
अपनी बेबसी तमासा देख
मैं खुद ही नजर आता ,
धड़कने जोर जोर से धकडती है
धड़कने जोर जोर से धड़कती है
तू मेरे साथ है नही
इस बात से
मेरी धड़कने भी सुबकती है ,
क्या कहूँ??
क्या समझाऊ ??

लिखूं क्या अपनी दासता?
  बताऊ क्या अपनी हस्ती ?
जिसको चाहा था इस कदर
उसने ही जलाई मेरी दिल की बस्ती
किसके आगे हम अपने आंसू बहाय
किसको दुखडा हम अपना सुनाये
  है कोई ??
   जो हमारी स्तिथि को समझ को समझ पाए।
    मोहहब्बत कि थी कोई गुनाह नही
    जिसकी सजा मिल रही है बिना सुनवाई
  लगता है तुमसे बात करूं
  चाहे एक बार करू
   लेकिन बात तो करू
   फिर ना जाने क्यों?
    मन कहता है कि
   बात अब क्या करूँ ?
   बात अब क्या करूँ ?
जब तुम मेरा साथ छोड़ जाते थे
तो भरोसा टूट जाता था
लगता था कि तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?
क्या तुम उम्र भर मेरे साथ रह पाओगे ?
लाखो सवाल मन को कुचल देते थे
और में गुस्से में भर जाती था ,
मै बैठ वही रो दिया कर देता था  ,
तुम आओगे वापस बस यही आस
तुम्हारे आने की वापस लगये बैठ जाता था
अब क्या?
जो  तुमने साथ अब छोड़ दिया नाता जो था वो तोड़ जो दिया
  फिर काहे ? मै तुमसे इकरार करू
   ये तो दिल है मेरा जो सिर्फ मैं अब भी तुमसे ही प्यार करु क्या फिर दुबारा ?
   और बार बार अपने प्रेम का इज़हार करू , रिश्ता नाता कुछ बचा नही
   फिर काहे मै अश्क़ नैनन मैं भरु
    ये तो दिल है मेरा जो
    अब भी सिर्फ तुमसे ही मै प्रेम करू
बड़ी बेबसी है ये लोग हँसते है
मोह्हबत की हकीकत को जानकर


उन्हें पहचान कैसे कराऊ?
उन्हें एहसास कैसे दिलाऊ?
उन्हें इस मोह्हबत का दर्द कैसे बताऊ?
क्या आज खुद ही आईना मै बन जाऊ ?
कैसे उनको इस मोह्हबत का आईना दिखाऊ?
उन्हें रूबरू कैसे कराऊ?
दोनो छोर पर उन्होंने दरवाजा जो है बन्द कर दिया।
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
ना इस और आने को हम है
ना उस और को जाने को

इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया     

जैसे पंछी बिन पंखों के पिंजरे से बाहर छोड़ दिया

इस मोह्हबत की हकीकत क्या है?
सिर्फ मै हूं जो जानता हूं
यू उनसे मोह्हबत थी बेपनाह पर
अब क्या ?
उन्होंने हमें कर दिया तबाह

कुछ तो मोह्हबत के आंसू तुम भी पी लेना

यदि मोह्हबत हो जाये खुद को तबाह कर मोह्हबत के साथ जी लेना

लगता है
कोई सुने कुछ पल मुझे भी बैठकर
फिर लगता है मैं सुनाऊ भी क्या?
हाल ए दिल बताऊ भी क्या?
हाल ए दिल क्या हुआ ये अब समझाऊ भी क्या ?
बस जो हुआ है उसको छिपाऊँ
लेकिन
 छिपाऊँ भी कहाँ?

जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता की भांति ही है, जिसमे आपको जिंदगी के हर उतार चदाव के बारे में मिलता है, जिस तरह से जिंदगी आपको प्रोत्साहित करती है उसी तरह कविता भी, कविता में ही जिंदगी की सच्चाई छुपी मिलती है जो शब्दों के माध्यम से आपको बताती है, रूबरू कराती है।

मुस्कराहट का ही तो एक नाम है जिंदगी
जरा इसे मुस्कुराने ही दो,

ना गम के साये में खोने जाने दो यह है जिंदगी
जिसे मिली उसे कदर नहीं है

जिसे न मिली उससे पूछो जरा क्या है जिंदगी ?
न तड़पाओ न रोने दो बड़ी प्यारी है जिंदगी

इसे खिलने दो जरा यह खिलना चाहती है
क्योंकि खिलखिलाती सी है यह जिंदगी

गुदगुदाती सी है जिंदगी
बहुत हसाती है यह जिंदगी

रुलाती भी बहुत है जिंदगी
मिलकर जीने का नाम है जिंदगी

बिछड़ने का नाम है जिंदगी
फिर मिल जाने का नाम भी है जिंदगी

प्यारी सी मुस्कान है यह जिंदगी
खुद में जीने का नाम है जिंदगी

रूठे हुए को मनाना है जिंदगी
किसी अपने से रूठ जाना भी है जिंदगी

इंतज़ार भी है जिंदगी
अधूरी प्यास है जिंदगी

सहलाती हुई माथे पर हाथ रखती माँ है यह जिंदगी
माँ का आँचल है जिंदगी

पिता की डांट का नाम है जिंदगी
खुदसे प्यार करने का नाम है जिंदगी

मैं से मैं मिल जाना है जिंदगी
तुम और मैं को खत्म कर देना है जिंदगी

जिंदगी एक कविता की भांति ही है बस इस जिंदगी को उसी तरह से जिओ

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