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कौन है ये लोग

कहाँ से आते है ये लोग ? कौन है ये लोग जो रोज उट पटाँग हरकते करते है लेकिन फिर भी इनको कुछ समझ नहीं आता बस ये तो अपनी फिकर करते है दुनिया को पागल समझते है, और खुद को बहुत समझदार , खुद को बहुत एडवांस ओर दूसरों को आउट्डैटिड समझते है।

मेट्रो में कुछ ऐसे लोग भी सफर करते है

खाते है पीते ओर अपना कूड़ा कचरा वही छोड़ जाते है

साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते,

उन्हे अपनी जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है

क्या वो अपने घरों में भी ऐसा ही करते है

ना जाने कौन सी शिक्षा वो ग्रहण कर रहे है

अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे है

क्या ये लोग जेन्डर स्पिसिफिक या फिर महिलाये और पुरुष दोनों को कहा जा सकता है?

आज शुक्रवार दिनांक 16-12-2022 जब में दुकान से आ रहा था तो मेट्रो भरी हुई थी ओर में आज उस जगह खड़ा हो गया जो मेट्रो में वृद्ध वाली सीट रिजर्व होती है उस जगह जाकर खड़ा हो गया तभी मेरे कानों ने कुछ बाते सुनी।

आज मैंने दो बुजुर्ग व्यक्तियों को आपस में बाते करते हुए सुना की लड़किया हमारी सीट पर बैठ जाती फिर उठने का नाम ही नहीं लेती और यदि हम महिलाओ की सीट की बैठ पर जाते है तो तुरंत ही उठा देती है फिर उम्र का लिहाज भी नहीं करती है ना जाने ये कैसा समय आ गया है बिल्कुल भी शर्म नहीं बची है आजकल के बच्चों में की कोई बुजुर्ग उनके सामने खड़ा हुआ है ओर वो अपनी सीट छोड़कर उठते नहीं साथ ही यदि उनकी सीट पर बैठ जाओ तो वह वह से उठा देती है बल्कि उंगली से इशारा कर बोलती की उठ जाओ बड़ा अजीब सा लगता है।

तभी मन में प्रश्न उठता है की ये है इनके कैसे संस्कार ?

कौन है यह लोग ? आज कल लोगों में एक नई परतिस्पर्धा भी देखने को मिलती है हॉर्न बजने की लोग हॉर्न बहुत जोर जोर से बजाते  है और ना जाने कैसे कैसे हॉर्न अपनी गाड़ियों में लगवाते है, बिना सोचे समझे ये लोग सिर्फ हॉर्न बजते है बिना मतलब के जैसे की कोई इनके बस सामने ना आए इनको पूरा रास्ता खाली मिले भाई साहब गाड़ी रोड पर चला रहे हो आसमान में नहीं लेकिन अब ये बात इनको कौन समझाए और कैसे ?

पूछो इनसे भी कौन है ये लोग ? न जाने कौन है ये लोग जो गॅलिओ को हाइवे और हाइवे को गली बना लेते है स्कूटर ओर बाइक वाले लोग गली में ऐसे गाड़ी चलते है जैसे हाइवे पर चल रहे हो और हाइवे या रोड पर पहुचते ही ये साइड में चलाने लग जाते है तब इनकी हैकड़ी सब खतम हो जाती है फेर भूल जाते है गाड़ी चलाना?

कौन है वो लोग ? हम सभी में से है वो कुछ लोग जो ऐसी हरकते है और बिना सोचे समझे ये सारी हरकते करते ही जाते है! रुकते नहीं है ना ही समझते है यह सब हमारी आदतों में आ जाता है।

मेट्रो में संगीत न बजाए ये लगातार मेट्रो में इस सूचना को लगातार प्रसारित किया जाता है यात्रियों को लेकिन इनमे से कुछ यात्री बिना एयर फोन के तेज ध्वनि में गाने सुनते ही रहते है और विडिओ या कुछ रील्स देखते रहते है उनके साथ में कौन है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है बस खुद के लिए ओर टाइम पास के लिए वो ये सब करते है इनको सिर्फ अपने मनोरंजन की परवाह होती है इसके अलावा इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कौन है ये लोग ? जो किसी की नहीं सुनते ये सिर्फ अपनी ही धुन में होते है सभी बातों को नकार देते है।

देखिए क्या आपके आसपास भी ऐसे लोग है ?

लोग बदल जाते है

लोग बदल जाते है अपनी ही बातों पर वो लोग तिक नहीं पाते है, हो सकता है कोई उनकी मजबूरई हो लेकिन क्या मजबूरई इतनी बड़ी जो अपनी ही बातों पर अडिग नहीं रह पाते वो , मजबूरी नहीं सामने खड़ी हो पाएगी, जब तुम करके रखो सारी तैयारी लोग बदल जाते है…..
सही बात पे नही अमल कर पाते ।
उनकी भी होगी कोई मजबूरी….
व्यक्ति को मजबूरी से ऊपर उठना ज़रूरी ।

मजबूरी तुम पे न हो भारी…..
जब कि होगी सही से तेयारी ।
नही लग जाएगी मजबूरी की बीमारी….
ओर तुम पे लगाम डाल के करेगी सवारी ॥