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ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

स्वयं का आकलन

हमे स्वयं का आकलन करते रहना चाहिए, समय समय पर हमे स्वयं की जांच करनी जरूरी है जिससे की हमे पता चलता है हम सही रास्ते पर ओर सही दिशा में अग्रसर है। हमारे जीवन का लक्ष्य सफलता को हासिल करना हो ओर उसी ओर हमे लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, साथ ही उन सभी चीजों का आकलन करना चाहिए जिसकी वजह से हम बीच बीच में रुक जाते है, यदि कोई परेशानी आती है उन बातों को भी समझना चाहिए लेकिन हमे रुकना नहीं है इस बात की गांठ बांधनी है हमे मंजिल तक पहुचना ही हमारा लक्ष्य है उसके लिए स्वयं का आकलन जरूरी है।

  1. जैसे जैसे तुम आगे बढ़ते हो, तुम मंजिल के ओर करीब होते जाते हो।

2. मंजिल तक पहुचना एक दिन का काम नहीं है, बहुत लंबे समय की मेहनत से मंजिल तक पहुचा जा सकता है, इसलिए लगातार मेहनत करते रहे एक दिन सफलता जरूर हासिल होगी।

3. स्वयं का आकलन करो, जब भी आपको लगे की आप सफलता के करीब नहीं पहुच रहे आपको स्वयं का आकलन करना चाहिए।

4. हमे अपनी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन गलतियों से सीखना चाहिए ओर आगे बढ़ना चाहिए, साथ इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए की वो गलतिया न दोहराई जाए।

5. स्वयं के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचे ओर सकारात्मक विचार को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाए, नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर रखे।

6. जिस कार्य में आपकी अधिक रुचि हो उसी कार्य को करे, हो सकता है एक समय आने पर उस कार्य में भी बोरियत महसूस हो लेकिन वही कार्य यदि वह कार्य आपकी पहली पसंद था ओर अब भी है तो उसमे रुचि फिर बढ़ जाएगी बस नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

7. अपनी रुचि के अनुसार ही व्यक्ति को कार्य करना चाहिए ओर उसी दिशा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए।

लगातार करते रहे

किसी भी कार्य लगातार करते रहे क्युकी ज़िंदगी में कुछ करने के लिए बहुत सारा जुनून, पागलपन चाहिए होता है, ओर उसी पगलपने के साथ लगातार काम करते रहना भी बहुत जरूरी है, यदि हम ऐसा नहीं करते तो सफलता हमारे हाथों से दूर निकाल जाती है, जब सफलता दूर होने लगती है तभी हम बहुत सारे बहाने बनाने लग जाते है, ओर उन्ही बहानों के साथ अपने जीवन को बिताने लग जाते है, यदि आप सफल होन चाहते है बहाने ना बनाए, उन बहानों के लिए जवाब ढूँढे ओर उन पर कार्य तभी सफलता हासिल होगी।

कार्य को अधूरा न छोड़े: हम जो भी कार्य शुरू करते है उसको बीच में ही अधूरा छोड़ देते है, जबकी हमे ऐसा नहीं करना चाहिए, हम बार किसी दूसरे कार्य की ओर भागने लगते है, हमे एसा लगता है उस कार्य से हम बोर हो गए या हमारी उस कार्य में रुचि घट जाती है, हमे मज़ा नहीं आ रहा होता है, इसलिए हम उस कार्य को बीच में छोड़ देते है, लेकिन ऐसा करने से हम बहुत पीछे चले जाते है। हमे उस कार्य नए ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।

स्वयं को रिवार्ड दो: जब भी कुछ करे, उसमे छोटी छोटी उन्नतती पर खुद को रिवार्ड दीजिए, हमे उस कार्य को ओर बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ओर उस कार्य को लगातार करते रहे ताकि हमारी रुचि बनी रहे, ओर हम उस कार्य को छोड़ बार बार इधर उधर भटके नहीं।

कार्यों में आनंद ले: उस कार्य में हमे मज़ा ओर वह कार्य हमे अच्छा लगना चाहिए हमे उस तरह से करना चाहिए वो कार्य, हमे कभी भी कार्यों से बोर नहीं होना चाहिए, उसमे आनंद ले।

आदत बनाए: समय पर कार्य करने की आदत बनाए, साथ ही अपने समय की बचत करे बेवजह के कार्यों को करने की आदत दूर रहे।

रुचि सबकी अलग

रुचि सबकी अलग अलग तरह की होती है और अलग अलग विषयो में परंतु यह जरुरी नहीं है कि हम सभी को जीवन में हमारी रूचि के अनुसार ही कार्य मिले और जिस विषय में हमारी है उसमें हमे सफलता मिले इसलिए हम जो भी कार्य करते है उसे ओर उत्साह से करे यही एक बेहतर विकल्प है, बहुत सारे छात्रों की रूचि गणित में होती है परंतु उससे ज्यादा छात्रों को गणित समझ में ही नहीं आती और कुछ छात्र गणित में रूचि तो रखते है, परंतु उसमे सफल नहीं हो पाते। बहुत सारे छात्र यह निर्णय लेते है 10वीं कक्षा के बाद #Science के विषय लेंगे परंतु उतने अंक ही नहीं प्राप्त कर पाते की वो विज्ञान ले पाए या फिर उन्हें ये लगने लगता कि क्या आगे वो कर पाएंगे या नहीं ? क्योंकि जरुरी नहीं है आपको विज्ञानं के सभी विषय पसंद हो 

उसमे #physics #chemistry #biology होती है जरुरी नहीं है आपको यह तीनों विषय पसंद हो समय के साथ साथ आपको अपनी रुचियों के बारे में पता लगता है, फिर आप उसी और अग्रसर होते है क्योंकि जरुरी नहीं है, जिसमे आपकी रुचि आज है उसीमे आपकी रुचि कल भी हो।
हमारे जीवन में हर पड़ाव पर बहुत सारे ऐसे कार्य सामने आते है, जो हमे अपनी रूचि के अनुसार नहीं मिलते लेकिन हमें वो सभी कार्यो को करना हमारे जीवन की आवश्यकता में आ जाते है चाहे हम उस कार्य को करना चाहते है, अथवा नहीं परंतु कार्य तो करना ही होता है क्यों ना  हम उन सभी कार्यो को उत्साह पूर्वक  करे।

जिस तरह से हम पुस्तक पढ़ते है, अथवा जो बिषय हमारी पसंद का नहीं है फिर भी हमे उस विषय को भी पढ़ना पड़ता है क्योंकि हमें परीक्षा में सफल होना होता है, हम में से ज्यादातर छात्रों को सामाजिक विज्ञान पढ़ने में अरुचि होती है लेकिन हमें परीक्षा में सफल होने के लिए वो विषय पढ़ना अनिवार्य होता है, जबकि सामाजिक विज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण विषय निकल कर बाहर आता है, जब आप #IAS #IS आदि की परीक्षाओ की तैयारी करते है तो सबसे ज्यादा आपको सामाजिक अध्यन आदि के विषयों में ही सबसे अधिक जानकारी लेनी होती है चाहे वो विषय हमे पसंद था, या नहीं परंतु जानकारी लेने के लिए उस विषय में हमे रूचि बनानी पढ़ी तथा उत्साह से के साथ पढ़ना भी पढ़ा।

इसलिए सफल व्यक्तित्व के लिए हमे सभी कार्यो को उत्साह के साथ करना चाहिए किसी भी कार्य को करते समय हमको बोरियत ना महसूस हो पूर्ण ध्यान और समग्र एकाग्रता के साथ हमे अपने कार्य को लगातार करना चाहिए तथा उस कार्य में जब तक सफलता ना प्राप्त करले तब तक हमे उस कार्य को करना चाहिए क्योंकि वही कार्य आपको आपकी मंजिल की और ले जाने में सहायक है।  

फिर हमें परीक्षा हेतु के लिए पढ़ने होते है ताकि हम परीक्षा में सफल हो सके यदि हम वही विषय उत्साह से पढ़े तो हम सफल तो होंगे ही अपितु उस विषय में अच्छे अंक भी प्राप्त कर पाएंगे
या फिर एक ही काम को बार बार करते हुए हम बोर हो जाते है परंतु वो कार्य करना हमारी मज़बूरी होता है यदि हम वही कार्य रूचि के साथ करे तो हम उस कार्य को अच्छे ढंग से तथा अच्छे परिणाम की स्तिथि तक करते है।

रुचि सबकी अलग होती है, इसलिए आप किसी दूसरे के जैसा बनने की कोशिश ना करे अपनी रुचि के अनुसार ही पढे व कोई कार्य करे, यही सफलता की निशानी है।

काल


परिवर्तन काल क्या है? एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है, यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है

भूतकाल
भूतकाल जिसे बदला नहीं जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे।

भविष्य काल
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है ? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका नहीं हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है जिसमें
कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है

जो कि एक पल का भी 100000वा हिस्सा हो हो सकता है और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है जिसमे किसी का प्रवेश संभव है

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में
वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

  परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
  क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time
{ future }—-{present }—{past } these are Parller to each other when ever they come in connection we call it Yug Parivartan
In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है


उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजीसे भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है
उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो, यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी

एतिहासिक पारी

क्या कुछ देखा आज एक नया अजूबा सा देख लिया है, अपनी ज़िंदगी में इस प्रकार का मैच पहली बार देखा है, जिसमे सिर्फ एक प्लेयर ही पूरा मैच बदल देता है, जब जीत का प्रतिशत मात्र 3% रह जाता है तब ग्लेंन मेक्सवेल वो करते है, जो इतिहास में भी कभी नहीं हुआ था, आज इतिहास लिखा गया है, ऐसी एतिहासिक पारी खेली गई आज जो पहले कभी किसी ने नहीं देखी थी। इस मैच के सारे प्रतिशत बदल दिए आज मेक्सवेल ने सबको गलत साबित कर दिया ओर सच कर दिखाए वो शब्द जिन्हे उनकी टीम अपने खेमे में लिखती है। I can and I will मैं कर सकता हूँ मैं करूंगा।

ऑस्ट्रेलिया ओर अफगानिस्तान के बीच जो मैच हुआ यह पूरी दुनिया को याद रहेगा, यह खेल इतिहास में सबसे यादगार मैच बन गया, ओर इसकी वजह है ग्लेंन मेक्सवेल जिन्होंने इस पारी 291 रन का पिच करते हुए 201 रन बनाए 128 गेंदों पर अकेले ही, जब उनकेर 7 खिलाड़ी 100 रन के भीतर ही आउट हो चुके थे, ये खेल अनिश्चित घटनाओ का खेल इसमे कुछ भी हो सकता है, परिणाम कभी बदल सकता है। इसलिए आपको हार नहीं माननी है।

यही बात आज पूरी दुनिया को मेक्सवेल ने बताई की की हम जीत सकते है ओर उन्होंने जीतकर दिखाया इस मैच को अकेले ही, दूसरे छोर Pet Cummins खड़े रहे उन्होंने मेक्सवेल का पूरा साथ दिया 68 बाल पर 12 रन बनाए लेकिन वह सामने खड़े रहे आउट नहीं हुए जो साथ मेक्सवेल को चाहिए वो साथ उन्होंने दिया जिसकी बदोलत मेक्सवेल रन धीरे धीरे बनाते रहे,

मेक्सवेल दर्द से झूझ रहे थे उनके पैरों में क्रैम्प आ रखे थे लेकिन वह खेलते रहे उस असहनीय दर्द के साथ भी, जबकी कप्तान ने उनसे कहा भी की आप कुछ देर खेमे में जाकर आराम करे ओर फिर वापस आए लेकिन मेक्सवेल नहीं गए उन्होंने बोल मैं खेलूँगा, ओर मेक्सवेल अपनी जिद्द पर आड़े रहे उन्होंने इस मैच अंत अकेले ही जीता दिया।

यह एक एतिहासिक पारी थी जो आज खेली गई जिसको कई दसको तक याद रखा जाएगा, जो शायद कभी भूली नहीं जा सकेगी, यह पारी मेक्सवेल ने अपने लिए नहीं खेली अपनी टीम के लिए खेली जिससे की वह अपनी टीम सेमी फाइनल में सुनिश्चित करे ओर आज उन्होंने वह कर दिया।

इस विश्व कप में मेक्सवेल ने बहुत गजब की पारी खेली इससे पहले भी उन्होंने 40 गेंदों पर 100 रन बनाए नीदरलेन्ड के खिलाफ ओर आज बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने 201 रन बनाए ये दोनों ही रिकार्ड बन गए।

क्रिकेट

क्रिकेट पूरी दुनिया में इतना लोकप्रिय क्यू है ? यह खेल सिर्फ खेल नहीं है, इस खेल को देखने में रुचि तो बढ़ती ही है साथ ही यह खेल आपको बहुत कुछ सिखाता है, आपके जीने के नजरिया को बदल देता है, आपके भीतर कुछ कर गुजरने की इच्छा को प्रबल करता है, आपको हिम्मत देता है।

कभी न हार मानने जैसी सोची बढ़ावा देता है।

जैसा की कहा जाता है क्रिकेट अनिश्चित घटनाओ का खेल है कब हो जिंदगी में ओर क्रिकेट ये किसी को नहीं पता इसलिए आखरी बाल तक मैच का रुख बादल सकता है, किसकी जीत किसकी हार ये कोई नहीं कह सकता बाजी कभी भी पलट सकती है। यही आपकी जिंदगी भी आपको सिखाती है।

इस खेल पूरी टीम एक तालमेल के साथ चलती है अकेला कोई नहीं जीत नहीं सकता उसने इतने रन बना दिए जिसकी वजह से हम जीत गए , परंतु बोलर ने गेंद भी डाली है तभी उतने रन बने है, फील्ड का योगदान, जो आपके साथ रन लेने के लिए दौड़ रहा है उसका योगदान हर किसी का योगदान होता है आपकी सफलता के पीछे आप अकेले भी बहुत अच्छे है लेकिन उन सभी के साथ आप बहुत अच्छे बन गए है तभी आप यहाँ तक पहुच पा रहे है, ओर इस बात को आप ना भूले

जो खेल में सफल नहीं हो पाते ओर आपकी टीम के साथ होते है आपको योगदान देते है लेकिन उनका साथ भी बहुत जरूरी होता है। सबका साथ ही आपकी सफलता है।

इस खेल में आप की हार के साथ ओर भी बहुत लोग हारते है सिर्फ आप नहीं हारते आप एक टीम होकर हारते है, आपको पूरा देश समर्थन करता है, बहुत सारे को तो हम लोग जानते भी नहीं है, ओर उन खेलों को हम लोग तवज्जो भी नहीं देते है जिस खेल को हम आदर सम्मान दे रहे है लोगों की भावना इस खेल के साथ जुड़ी हुई है,

कोई भी कमजोर नहीं

कोई भी कमजोर नहीं होता आज Nedarland ने साउथ अफ्रीका को परेशान कर दिया पूरा मैच देखने लायक ओर बहुत कुछ सीखने लायक रहा जिस तरह से उन्होंने अपनी पारी खेली वो लड़खड़ाए जरूर लेकिन उनके कप्तान ने हार नहीं मानी पूरी बारी में बहुत जोश ओर होश दिखा, जब वो बल्लेबाजी कर रहे थे, हर एक गेंद जैसे ही बल्ले से लगती वो दौड़ कर रन ले लेते थे।

जिससे उनके रन अधिक बने हर बाल पर स्ट्राइक लेना ओर देना इससे आपका आत्मबल बढ़ता है, ओर टीम का स्कोर भी इसिके साथ आपके दिमाग से प्रेशर भी हट जाता है, सामने वाली टीम दवाब में आती नजर आ जाती है जैसे जैसे आपका स्कोर बोर्ड चलता है यही किया Nedarland के कप्तान ने ओर कर दिखाया आज एक कारनामा , उन्होंने इतिहास रच दिया।

कोई भी कमजोर नहीं होता जैसा की हमने रविवार वाले मैच में देखा जो अफगानिस्तान ओर इंग्लैंड के मैच बड़ी उलट फेर हुई अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हरा दिया जो 2019 की विश्व विजेता टीम थी उसको हराना एक बहुत बड़ी सफलता अफगानिस्तान के लिए जिसकी वजह से इस वर्ल्ड कप में पॉइंट्स टेबल में उलट फेर हो गई है।

कप्तान एडवर्ड्स ने 78 रन बनाए जो बहुत ही शानदार रहे इस मैच में

साउथ अफ्रीका पर Nedarland ने दबाव बनाया जिसकी वजह साउथ अफ्रीका की पारी लड़खड़ाती हुई दिखाई दी पहले दो मैच में साउथ अफ्रीका सबसे बेहतरीन टीम लग रही थी इस विश्व कप की लेकिन Nederland के सामने बिल्कुल झुकी हुई टीम दिखाई दी,

मुश्किल बढ़ा दी थी साउथ अफ्रीका की वो बिल्कुल रन नहीं बना पाए, ओर जल्दी ही वापस अपने खेमे में जाते हुए नजर आए साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज की सारी टीम आउट हो गई। आज जो चैम्पीयन की तरह खेल रही थी साउथ अफ्रीका की टीम वो धराशाई होती नजर आई, यह टीम नीदरलेन्ड से हारी हुई नजर आई।

तैयारी करो

तैयारी करो लेकिन तैयारी किस बात की और तैयारी क्या है? यह तैयारी हमे किसलिए करनी है? किसी भी कार्य को सही एवं अच्छी तरह से करने के लिए हमे तैयारी पहले से ही शुरू करनी होती है, चाहे फिर तैयारी किसी भी चीज की हो , यह तैयारी परीक्षा के लिए भी हो सकती है।

जिस प्रकार से एक बच्चे के 8th में 60% नंबर आते है अब यदि उसे 10th में 90+ अंक प्राप्त करने है, तो उसे ओर अधिक मेहनत करनी होगी उसे कक्ष 9 में भी लगभग 80-90 प्रतिशत अंक लाने होंगे, तभी वह 10वी में 90 प्रतिशत अंक पाने की उम्मीद कर सकता है , इसके साथ उसको अधिक मेहनत से पढ़ाई भी करनी होगी, उसके लिए खूब तैयारी करो।

यही एक सिद्धांत है, सफल होने का ओर आगे बढ़ने का की हमको लगातार बेहतर होने की कोशिश करते रहना चाहिए, साथ ही अपने लक्ष्य के प्रति पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तभी हम सफल होते है , तभी वह हमारी तैयारी की ओर कदम बढ़ता है।

यदि हम किसी भी कार्य को अच्छे ढंग से करना चाहते है, तो तैयारी तो हमे आज से करनी होगी ओर तैयारी जितनी अच्छी होगी परिणाम भी उतने अच्छे ही होंगे इसलिए हमे तैयारी करनी है, अब ये तैयारी किसी भी कार्य के लिए हो सकती है।

हम अपनी जिंदगी में क्या करना चाहते है? लेकिन हम कर कुछ ओर ही रहे है, जो हम करना चाहते है हमे उसके लिए भी तैयारी भी करनी है ओर जो कर रहे है, उसको करते रहना है, जब वक्त आएगा तब आप अपना मनपसंद कार्य पूरे मन ओर तन से करने लग जाओगे यही वो तैयारी है जो आपको करनी है, या आप कर रहे है तो आपको बहुत सारी सावधानी बरतनी है, उन तैयारियों के लिए।

तैयारी करो
तैयारी खूब धूम धाम से होनी चाहिए , हर रोज तुम्हें ये याद रहे की तुम जो अपनी जिंदगी में करना चाहते हो उसको ही तुम्हें करना है, तुम अपनी सारी कोशिशे उसी के लिए कर रहे हो।

तुम कभी भूल ही न पाओ इतना तुम खुद को याद दिलाओ” जलील होना भी खुद की ही नजरों में हो तो बेहतर है क्युकी जो तुम करना चाहते थे तभी तुम कर पाते हो वरना उम्र भर पछतावे की चादर ओड़ नम आँखों के संग अधूरे सपनों की आँखों को खोलकर तुम राते बिताते हो।

तैयारी लगातार चलती रहनी चाहिए वो रुकनी नहीं चाहिए क्युकी तैयारी आपके द्वारा किया जाने वाला लगातार प्रयास है आपकी तैयारी आपको आपके सपनों को पूरा करवाती है।

कौन हूं मै ?

“निकला हूँ उस ठिकाने को ढूंढने जिसका पता भी ना मालुम मुझे”
मैं निकल चला हूँ उस राह पर जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता, ना उस मंजिल की खबर है न रास्ते  का पता बस निकल चला हूँ मैं,
अब लौटना संभव नहीं है और अब मै वापस लौटना भी नहीं चाहता क्युकी मै स्वयं को जानना चाहता हूं कौन हूं मैं ? यह प्रश्न मेरे मन को कचोट डालता है,

तलाश पूरी मेरी होगी
या अधूरी रह जायेगी?
ये भी नहीं पता मुझे
लेकिन
मैं निकल पड़ा हूँ,

अब लौट कर वापस नहीं आना है
मुझे बस मंजिल को पाकर ही रहना है
सफ़र में आयेे कितनी भी रुकावट
मैं रुकुंगा नहीं, थकूँगा नहीं
बस चलते ही रहना है मुझे
अपनी मंजिल को हासिल ही करना है मुझे

सवाल है कुछ इस तरह
जिनके जवाब मै खोज रहा हूं
ना जाने किस किस तरह

कौन हूँ मैं ?
किसलिए मैं आया हूँ यहाँ?
यहां मेरे आने का क्या कारण है ?
 

कौनसा ऐसा कार्य है जिसको पूर्ण करना है ?
यह मुझे न खबर ना ही पता है मुझे बस मंजिल की तलाश है, मैं भटक रहा हूँ इधर उधर अपनी मंजिल मैं 

मैं खोजता रहा बस अपनी मंजिल और अपना सफ़र मैं
ना मुझे नाम पता है,
ना निशान पता है
कौनसी छाप छोड़ी  थी,
ना ही मुझे उसका निशान पता है,
बस ढूंढ रहा हूँ अपने आपको
ढूंढता हूं मैं अपने आपको
ढूंढता हूँ हर जगह हल पल,
मैं भटकता फिर रहा हूं ना जाने

कभी मैं  सवयम को किसी वस्तु मे ढूंढता हुूं
तो कभी किसी वस्तु से अलग होकर मै देखता हूं
मुझे नहीं पता
की मैं अपने आपको कहा ढूंढ पाउँगा या फिर मै स्वयं को ढूंढ पाऊंगा भी या नहीं लेकिन चलना खोजना मेरा  काम है यही मेरा नियत कर्म है जिसे मुझे पूरा करना है।
मुझे ना रास्ता पता है
ना किसी दिशा का ज्ञान है
बस एक कोशिश है, अपने आपको जानने की मैं निकल चला हूँ उस रास्ते पर जहा मैं अपने आपको जान सकु ये मेरे पहला पड़ाव है जिंदगी में अपने आपको खोजने के लिए मैं आतुर हूँ मुझे कुछ पाना नहीं है बस जानना है, स्वयं को स्वयं की अनुभूति होती है कैसे ? बस यही समझ जाना है मुझे
नहीं पता क्यों ?  मुझे मेरे अंदर हजारो लाखो विचार उमड़ रहे है ? जो सिर्फ सवाल है जिनके जवाब नहीं है मेरे पास………..

वो क्यों इतने सारे विचार एकत्रित हो रहे है इनका जवाब कहां खोज पाऊंगा मै ?
कहां मिलेंगे मुझे उन सवालों के जवाब ?

मेरे मैं और मस्तिस्क में जिनके बारे में मैं भी नहीं जानता मैं क्यों इतने विचारो से मैं भरा जा रहा हूँ,कहा से आ रहे है? क्या कारण है इन्ह विचारो के आने का? क्यों मुझे ये विचार कही ले जाना चाहते है ?मैं जाना तो कही और चाहता हूँ ये विचार मुझे कही और खीच रहे है जैसे मैं विवश हूँ इन्ह विचारो के साथ लेकिन मुझे अपनी मंजिल हासिल करनी है मैं निकल हूँ सिर्फ अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए तलाश भी उसी की बस कुछ और नहीं चाहिए मुझे चाहे मेरे विचार मुझे कितना ही भटक रहे हो कितना भी डरा रहे हो कभी भी ले जाने की कोशिश करे लेकिन मैं वापस ना जाऊंगा मैं अपनी मंजिल को पाकर ही रहूँगा ये मेरा विशवास स्वयं में जिसे मैं पूरा करके ही रहूँगा


मैं कौन हूँ?
किसमे हूँ मैं?
मेरे यहां होने का कारण क्या है ?
क्यों मेरा जन्म हुआ है?
ऐसा कोनसा कार्य है जिसे मैं करने यहाँ आया हूँ ?
कभी लगता है की मुर्गे की बांग में हूँ
तो कभी सूरज की रोशनी में हूँ
मैं हूँ कहाँ ? कौन हूँ मैं ?
यह एक प्रश्न जो मेरे मस्तिस्क को झुझला देता है,
की क्यों नहीं जान पा रहा हूँ अपने आपको, मैं तो एक शरीर हूँ या मन , लेकिन फिर वो भी नहीं हूँ,
तब कौन, कौन हूँ मैं ? आवाज़, सुर, ध्वनि किसमे हूँ में ?
कौन हूँ मैं?

किर्या में हूँ
या
कार्य में हूँ ?
विचार,
सोच,
हाव-भाव,
शब्द,
किर्या,
प्रतिकिर्या बस सवाल यही की कौन हूँ मैं?

मैं मुर्गे की कुकड़ू कु में हूँ, या
चिड़िया की ची ची में हूं मै,
सूरज की रोशनी में मैं हूँ ?
मैं प्रकाश हूँ या अँधेरा हूँ मैं?
कौनसी दिशा में हूँ या दिशाहीन भटकाव हूँ मैं
क्या दसो दिशाओ में मैं हूँ?
समय की तरह बीतता हुआ हूँ मैं
या समय हूँ मैं ?
बचपन,जवानी या बुढ़ापा हूँ मैं?
या इनके पड़ाव में हूँ मैं ?
टूटता हुआ हूँ मैं ?
या जुड़ा हुआ हूँ मैं ?
लड़खड़ाता हुआ हूँ मैं या
संभालता हुआ इंसान हूँ ?
पूर्ण हु मैं या
अपूर्ण हु मैं ?
शांति हूँ मैं या
शोर हूँ मैं ?
खेलता हुआ बचपन हूँ या
शांति का अनुभव हूँ मैं ?
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ ?
राह पर चलता हुआ इंसान हूं या
भटक गया हूं राह से कही ? 
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ इंसान हूं ?

प्रश्नों की झड़ी लगी हुई है मेरे मन मस्तिष्क में लेकिन जवाब कुछ नहीं आ रहा है, बस चल रहा हूँ मैं उस रहा पर जिसके लिए मैं निकला था।

मैं किस तरह से कर रहा हूं?
खुद की तलाश ये भी नही पता मुझको 

लेकिन तलाश कर रहा हूं
वो कौनसा रास्ता है?
जिससे मैं अपने आपको जान सकता हूं ? 
मैं अपने विचारों को देख रहा हूं , समझ रहा हूं जानने की कोशिश कर रहा हूं ,
किस ओर से ये विचार मेरे मन मस्तिष्क में आ रहे है इनका उद्गम स्थान कौनसा है और क्यों इतने विचार मेरे मस्तिष्क में आ रहे है ?

इन विचारो के कारण और परिणाम क्या है ?
शायद यह विचार ही है जो मुझे मेरी मंजिल तक मुझे पहुंचा सकते है
मुझे यही जानना है इन्हीं विचारों पर मुझे बल देना है,
इन्ही विचारो को सही ढंग से समझना है क्योंकि इन्ही विचारो के कारण मेरा जीवन कदम कदम पर बदल रहा है इसलिए मुझे इन्ह विचारो को ध्यांपूर्वक देखना है  ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो में बदल जाते है और विचारो इकठ्ठा कर लेते है मुझे ये जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में उन्में मिल जाता हूं क्यों मिल जाता हूं ये भी मुझे समझना है।ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो मैं बदल जाते है और विचारों का समूह रूप बना लेते है मुझे यह जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में मै उस किर्या मैं मिल जाता हूं लेकिन क्यों मिल जाता हूं यह भी मुझे समझना है।

हमको कुछ खबर नही इसका ना पता मालुम मुझे ना ही मंजिल की खबर फिर भी मैं चलता ही जा रहा हूं किश और मैं निकल चला ?किश सफर किस मंजिल की तलाश में मैं भटक इधर उधर हूं रहा बस अब मुझे बढ़ना है और आगे लेकिन कैसे मेरे ही विचार मुझे दबा रहे मेरे ही विचार मेरे रास्ते की रुकावट है मेरे विचार आगे नहीं बढ़ने देते है और रोक लेते है बार बार सारे विचार मेरे एक विचार को दबा रहे मुझमे डर पैदा पैदा कर रहे है उस डर से आगे निकलू कैसे बस वही सोचता हूं रुकावट से भर जाता जाता ह् मंजिल की औए आगे बढ़ नहीं पाता बार बार फिर वापस पीछे आ जाता हूं.

मुझे खुद की तलाश है में बेखबर हूं अपने ही लिए ना मुझे पता अपने ही होने का ना ही रकस्त कुछ मिल रहा बस युही में चलता जा रहा हूं जिसका न होश है मुझे ना खबर है रहो की भी बड़ी अजीब सी मिल रही है रहे भी मुझे लोग मिल रहे है करवा यू बढ़ रहा सफर में क्या होना था और हो क्या रहा है इसका भी होश नही है मुझको बस में आगे बढ़ युही चल रहा हूं मंजिल मील या ना मिले लेकिन मैं आगे बढ़ रहा हूं।

इसमे बताया जा रहा है हम अपनी मंजिल को भूलकर अलग अलग राहो पर निकल पड़ते है जिसका कोई मेल नही है मिलान नही है हमारी मंजिल जिसका दूर दूर तक कोई नाता नही है बस चलते रहते है हैम ओर फेर भटकाव जिंदगी का पेड़ होता ही जाता है पता भी होता है कुछ फिर भी कुछ न कुछ भूल कर ही देते है हम मनीला को पाने के लिए जैसे मम्मी मार्किट सामान लेने के लिए भेजती है तो हम किसी से बात करते हुए रुक जाते है और भूल जाते है कि किस लिए आया या फिर कौनसा समान लेने के लिए आया था।

लोग अब मिलते जा रहे है मुझे मेरी इन्ह राहो मैं मुझे कारवा भी यू जुड़ता ही जा रहा रहा है बस में सफर के साथ चलता ही जा रहा हूं मंजिल की तलाश में , मैं ना जाने कहा कहा मैं भटकता जा रहा हूं बार बार मेरे मन में आ रहा यही सवाल की कौन हूँ, मैं किधर जा रहा हूँ, स्वयं की तलाश में बस मैं चला जा रहा हूँ।

क्या शब्दों का संचार हूं मैं या आसमान से विस्तार हूं मैं क्रोध हूं मैं या प्रेम हूं मैं 
क्यों विचार टूटे टूटे से लगते है क्या, उसमे हूं मैं क्या इंसान ना समझ है , या आज का इंसान सब कुछ समझता है हम सभी बुद्धिमान समझते है।


कौन है इंसान?  लक्ष्य क्या है ?
फिर ना जाने क्यों चल रहा है ये इंसान 
क्या इस इंसान को पता है वो क्या चाहता है ?


टूटता हूं मैं या जुड़ता हुआ मैं , समय के साथ साथ बैतब हूआ बिता हूं पल में या समय के आने बाप काल या पल में हूं मैं ? लेकिन कौन हूं मैं परिस्तिथयो से भाग रहा इंसान हूं मैं या जूझ रहा परिष्तिथियो में ठहरा हुआ रुक हुआ देखता हुआ एहसास  हूं मैं या कल या देखती हुई आंख महसूस कर रहा है शरीर हूं मैं या मूर्च्छा में पड़ा हूआ शरीर 

बहता हुआ प्रेम हूं मैं या
इंसान का क्रोध ?
विपरित दिशा में मुड रहा इंसान हूं मैं
या ब्रह्मांड का विस्तार हूं मैं ? 
अनुकूल परिस्तिथयो में बह रहा इंसान हूं विप्रिप जाने की कोसिह हूं मैं ? 
लड़ता हुआ इंसान हूं मै या चुप रहता हूं मै?
हर पल हर समय में बढ़ाने वाली परिस्थितियों
से भरा हुआ इंसान हूं मैं ?
उधेड़ बुन में जा रहा इंसान हूं मैं
या सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?

उधेड़ बन में जा रहा इंसान हूं मैं ?
या
सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?
घबराहट हूं मैं या साहस हूं मैं ?
हाथी की गर्जना हूं ? हिम्मत हूं मैं ? 

इंसान की पूर्णता हूं मैं या
उसकी अपूर्णता हूं मैं ?

रिक्त स्थान हूं या
भर हुआ आसमान ?
सवाल हूं मैं या जवाब हूं मैं
समस्या हूं या समाधान  हूं मैं ?
जानने की इच्छा या
पहचानने की समझ हूं मैं ?
चलता हुआ मुसाफिर हूं मै? या
रुका हुआ इंसान हूं मै?
परिसिथतियों के साथ बह रहा हु मै
परिष्तिथियो से लड़ता हुआ इंसान ? 

खुशी हूं मैं या दुख हूं मैं ?
अंधेरा हूं मैं या प्रकाश हूं?
हर जगह ढूंढ रहा इंसान हूं मैं
कौन सा उद्गम स्थान हूं मैं ?

इस स्तिथि में हु मैं ?
कोनसी सी परिस्तिथत में हूं
चांद की शीतलता हूं या
सूरज की ज्वलनशीलता हु मैं ? 

बिंदु सा आकर हूं मैं या
ब्रह्मांड जैसा निराकार हूं ? 
शब्द सा मीठा हूं या
नीम से कड़वा हूं मैं

कौन हूं मैं ? 

इस जगह खड़ा इंसान हु मैं ?
हर वक़्त , हर पल घटना में मैं
अपने आपको खोजता इंसान हु मैं ?
चट्टान की तरह कठोर हूं मै ? या
माँ की तरह नरम हु मैं
ये मुझे ना पता चल पा रहा है
कि कौन हूं मैं?
हर पल हर जगह खोजता चल रहा मैं
इस सवाल  का जवाब नही मिल रहा है
हर एक वस्तु हर एक घटना में होने की कोशिश है
और
हर घटना को जानने और समझने की
कोशिश में लगा हुआ मैं

किस ओर निकल चला किस मंजिल को पाने को हूं मै ?
निकल चला बस गतिमान हु मैं
अब रुकना मेरा काम नहीं
मुझे मिले मेरी पहचान वहीं है सही
कही ढूंढता स्वयम को चला
पूछता अपने आपको रहा
बतादो मुझे कौन हूं मैं
जानते है लोग मुझे मेरे नाम से
मेरे काम से लेकिन मेरा अस्तित्व है क्या ?
इस वजह मै यहां वहां बस भटकता ही रहा
ना मंजिल न सफर का मुझे पता चला
बस रहा ढूंढ मै स्वयम को हर पल रहा
कौन हूं मैं?
ये प्रश्न मेरे मन में बार बार उठ रहा 
“निकला हूँ उस ठिकाने को ढूंढने जिसका पता भी ना मालुम मुझे”
मैं निकल चला हूँ उस राह पर जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता, ना उस मंजिल की खबर है न रास्ते  का पता बस निकल चला हूँ मैं
अब लौटना संभव नहीं है और अब मै वापस लौटना भी नहीं चाहता क्युकी मै स्वयं को जानना चाहता हूं कौन हूं में ? यह प्रश्न मेरे मन को कचोट डालता है
तलाश पूरी मेरी होगी
या
अधूरी रह जायेगी?
ये भी नहीं पता मुझे
लेकिन
मैं निकल पड़ा हूँ
अब लौट कर वापस नहीं आना है
मुझे बस मंजिल को पाकर ही रहना है
सफ़र में आयेे कितनी भी रुकावट
मैं रुकुंगा नहीं, थकूँगा नहीं
बस चलते ही रहना है मुझे
अपनी मंजिल को हासिल ही करना है मुझे
सवाल है कुछ इस तरह
जिनके जवाब मै खोज रहा हूं
ना जाने किस किस तरह
कौन हूँ मैं ?
किसलिए मैं आया हूँ यहाँ?
यहां मेरे आने का क्या कारण है ? कौनसा ऐसा कार्य है जिसको पूर्ण करना है ?
यह मुझे न खबर ना ही पता है मुझे बस मंजिल की तलाश है, मैं भटक रहा हूँ इधर उधर अपनी मंजिल मैं 

मैं खोजता रहा बस अपनी मंजिल और अपना सफ़र मैं
ना मुझे नाम पता है,
ना निशान पता है
कौनसी छाप छोड़ी  थी
ना ही मुझे उसका निशान पता है
बस ढूंढ रहा हूँ अपने आपको
ढूंढता हूं मैं अपने आपको
ढूंढता हूँ हर जगह हल पल,
मैं भटकता फिर रहा हूं ना जाने

कभी मैं  सवयम को किसी वस्तु मे ढूंढता हुूं
तो कभी किसी वस्तु से अलग होकर मै देखता हूं
मुझे नहीं पता
की मैं अपने आपको कहा ढूंढ पाउँगा या फिर मै स्वयं को ढूंढ पाऊंगा भी या नहीं लेकिन चलना खोजना मेरा  काम है यही मेरा नियत कर्म है जिसे मुझे पूरा करना है।
मुझे ना रास्ता पता है
ना किसी दिशा का ज्ञान है
बस एक कोशिश है अपने आपको जानने की मैं निकल चला हूँ उस रास्ते पर जहा मैं अपने आपको जान सकु ये मेरे पहला पड़ाव है जिंदगी में अपने आपको खोजने के लिए मैं आतुर हूँ मुझे कुछ पाना नहीं है बस जानना है, स्वयं को स्वयं की अनुभूति होती है कैसे ? बस यही समझ जाना है मुझे
नहीं पता क्यों ?  मुझे मेरे अंदर हजारो लाखो विचार उमड़ रहे है ? जो सिर्फ सवाल है जिनके जवाब नहीं है मेरे पास
वो क्यों इतने सारे विचार एकत्रित हो रहे है इनका जवाब कहां खोज पाऊंगा मै ?
कहां मिलेंगे मुझे उन सवालों के जवाब ?

मेरे मैं और मस्तिस्क में जिनके बारे में मैं भी नहीं जानता मैं क्यों इतने विचारो से मैं भरा जा रहा हूँ कहा से आ रहे है ?क्या कारण है इन्ह विचारो के आने का ? क्यों मुझे ये विचार कही ले जाना चाहते है ?मैं जाना तो कही और चाहता हूँ ये विचार मुझे कही और खीच रहे है जैसे मैं विवश हूँ इन्ह विचारो के साथ लेकिन मुझे अपनी मंजिल हासिल करनी है मैं निकल हूँ सिर्फ अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए तलाश भी उसी की बस कुछ और नहीं चाहिए मुझे चाहे मेरे विचार मुझे कितना ही भटक रहे हो कितना भी डरा रहे हो कभी भी ले जाने की कोशिश करे लेकिन मैं वापस ना जाऊंगा मैं अपनी मंजिल को पाकर ही रहूँगा ये मेरा विशवास स्वयं में जिसे मैं पूरा करके ही रहूँगा
मैं कौन हूँ?
किसमे हूँ मैं?
मेरे यहां होने का कारण क्या है ?
क्यों मेरा जन्म हुआ है?
ऐसा कोनसा कार्य है जिसे मैं करने यहाँ आया हूँ ?
कभी लगता है की मुर्गे की बांग में हूँ
तो कभी सूरज की रोशनी में हूँ
मैं हूँ कहाँ ? कौन हूँ मैं ?
यह एक प्रश्न जो मेरे मस्तिस्क को झुझला देता है
की क्यों नहीं जान पा रहा हूँ अपने आपको 
मैं तो एक शरीर हूँ या मन
लेकिन फिर वो भी नहीं हूँ
तब कौन कौन हूँ मैं ?
आवाज़, सुर,ध्वनि
किसमे हूँ में ?
कौन हूँ मैं ?
किर्या में हूँ
या
कार्य में हूँ ?
विचार,
सोच,
हाव-भाव
शब्द,
किर्या,
प्रतिकिर्या में हूँ क्या

मैं मुर्गे की कुकड़ू कु में हूँ या
चिड़िया की ची ची में हूं मै
सूरज की रोशनी में मैं हूँ ?
मैं प्रकाश हूँ या अँधेरा हूँ मैं?
कौनसी दिशा में हूँ
या दसो दिशाओ में मैं हूँ?
समय की तरह बीतता हुआ हूँ मैं
या समय हूँ मैं ?
बचपन,जवानी या बुढ़ापा हूँ मैं?
या इनके पड़ाव में हूँ मैं ?
टूटता हुआ हूँ मैं ?
या जुड़ा हुआ हूँ मैं ?
लड़खड़ाता हुआ हूँ मैं या
संभालता हुआ इंसान हूँ ?
पूर्ण हु मैं या
अपूर्ण हु मैं ?
शांति हूँ मैं या
शोर हूँ मैं ?
खेलता हुआ बचपन हूँ या शांति का अनुभव हूँ मैं ?
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ ?
राह पर चलता हुआ इंसान हूं या
भटक गया हूं राह से कही ? 
खेलता हुआ बच्चा हूं मैं या
रोता हुआ इंसान हूं ?

मैं किस तरह से कर रहा हूं? खुद की तलाश ये भी नही पता मुझको 

लेकिन तलाश कर रहा हूं
वो कौनसा रास्ता है?
जिससे मैं अपने आपको जान सकता हूं ? 
मैं अपने विचारों को देख रहा हूं , समझ रहा हूं जानने की कोशिश कर रहा हूं ,
किस ओर से ये विचार मेरे मन मस्तिष्क में आ रहे है इनका उद्गम स्थान कौनसा है और क्यों इतने विचार मेरे मस्तिष्क में आ रहे है ?
इन विचारो के कारण और परिणाम क्या है ?
शायद यह विचार ही है जो मुझे मेरी मंजिल तक मुझे पहुंचा सकते है
मुझे यही जानना है इन्हीं विचारों पर मुझे बल देना है
इन्ही विचारो को सही ढंग से समझना है क्योंकि इन्ही विचारो के कारण मेरा जीवन कदम कदम पर बदल रहा है इसलिए मुझे इन्ह विचारो को ध्यांपूर्वक देखना है  ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो में बदल जाते है और विचारो इकठ्ठा कर लेते है मुझे ये जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में उन्में मिल जाता हूं क्यों मिल जाता हूं ये भी मुझे समझना है।ये विचार कैसे बहुत सारे विचारो मैं बदल जाते है और विचारों का समूह रूप बना लेते है मुझे यह जानना है इसी किर्या को देखना है जाने अनजाने में मै उस किर्या मैं मिल जाता हूं लेकिन क्यों मिल जाता हूं यह भी मुझे समझना है।

हमको कुछ खबर नही इसका ना पता मालुम मुझे ना ही मंजिल की खबर फिर भी मैं चलता ही जा रहा हूं किश और मैं निकल चला ?किश सफर किस मंजिल की तलाश में मैं भटक इधर उधर हूं रहा बस अब मुझे बढ़ना है और आगे लेकिन कैसे मेरे ही विचार मुझे दबा रहे मेरे ही विचार मेरे रास्ते की रुकावट है मेरे विचार आगे नहीं बढ़ने देते है और रोक लेते है बार बार सारे विचार मेरे एक विचार को दबा रहे मुझमे डर पैदा पैदा कर रहे है उस डर से आगे निकलू कैसे बस वही सोचता हूं रुकावट से भर जाता जाता ह् मंजिल की औए आगे बढ़ नहीं पाता बार बार फिर वापस पीछे आ जाता हूं 

मुझे खुद की तलाश है में बेखबर हूं अपने ही लिए ना मुझे पता अपने ही होने का ना ही रास्ता कुछ मिल रहा बस युही में चलता जा रहा हूं जिसका न होश है मुझे ना खबर है राह भी बड़ी अजीब सी मिल रही है।
लोग मिल रहे है, करवा यू बढ़ रहा सफर में क्या होना था, और हो क्या रहा है? इसका भी होश नही है मुझको बस में आगे बढ़ युही चल रहा हूं, मंजिल मील या ना मिले लेकिन मैं आगे बढ़ रहा हूं।

इसमे बताया जा रहा है हम अपनी मंजिल को भूलकर अलग अलग राहो पर निकल पड़ते है जिसका कोई मेल नही है मिलान नही है हमारी मंजिल जिसका दूर दूर तक कोई नाता नही है बस चलते रहते है हैम ओर फेर भटकाव जिंदगी का पेड़ होता ही जाता है पता भी होता है कुछ फिर भी कुछ न कुछ भूल कर ही देते है हम मनीला को पाने के लिए जैसे मम्मी मार्किट सामान लेने के लिए भेजती है तो हम किसी से बात करते हुए रुक जाते है और भूल जाते है कि किस लिए आया या फिर कौनसा समान लेने के लिए आया था।

लोग अब मिलते जा रहे है मुझे मेरी इन्ह राहो मैं मुझे कारवां भी यू जुड़ता ही जा रहा रहा है बस में सफर के साथ चलता ही जा रहा हूं मंजिल की तलाश में, मैं ना जाने कहा-कहा मैं भटकता मैं जा रहा हूं, बार बार मेरे मन में आ रहा ये प्रश्न है।

“क्या शब्दों का संचार हूं?, मैं या आसमान से विस्तार हूं, मैं क्रोध हूं, मैं या प्रेम हूं मैं”

क्यों विचार टूटे टूटे से लगते है क्या उसमे हूं मैं क्या इंसान ना समझ है , या आज का इंसान सब कुछ समझता है हम सभी बुद्धिमान समझते है 

कौन है इंसान?  लक्ष्य क्या है ?
फिर ना जाने क्यों चल रहा है ये इंसान 
क्या इस इंसान को पता है वो क्या चाहता है ?

टूटता हूं मैं या जुड़ता हुआ मैं , समय के साथ साथ बैतब हूआ बिता हूं पल में या समय के आने बाप काल या पल में हूं मैं ? लेकिन कौन हूं मैं परिस्तिथयो से भाग रहा इंसान हूं मैं या जूझ रहा परिष्तिथियो में ठहरा हुआ रुक हुआ देखता हुआ एहसास  हूं मैं या कल या देखती हुई आंख महसूस कर रहा है शरीर हूं मैं या मूर्च्छा में पड़ा हूआ शरीर 

बहता हुआ प्रेम हूं मैं या
इंसान का क्रोध ?
विपरित दिशा में मुड रहा इंसान हूं मैं
या ब्रह्मांड का विस्तार हूं मैं ? 
अनुकूल परिस्तिथयो में बह रहा इंसान हूं विप्रिप जाने की कोसिह हूं मैं ? 
लड़ता हुआ इंसान हूं मै या चुप रहता हूं मै?
हर पल हर समय में बढ़ाने वाली परिस्थितियों
से भरा हुआ इंसान हूं मैं ?
उधेड़ बुन में जा रहा इंसान हूं मैं
या सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?

उधेड़ बुन में जा रहा इंसान हूं मैं ?
या
सुलझाने की कोशिश हूं मैं ?
घबराहट हूं मैं या साहस हूं मैं ?
हाथी की गर्जना हूं ? हिम्मत हूं मैं ? 

इंसान की पूर्णता हूं मैं या
उसकी अपूर्णता हूं मैं ?

रिक्त स्थान हूं या
भर हुआ आसमान ?
सवाल हूं मैं या जवाब हूं मैं
समस्या हूं या समाधान  हूं मैं ?
जानने की इच्छा या
पहचानने की समझ हूं मैं ?
चलता हुआ मुसाफिर हूं मै? या
रुका हुआ इंसान हूं मै?
परिसिथतियों के साथ बह रहा हु मै
परिष्तिथियो से लड़ता हुआ इंसान ? 

खुशी हूं मैं या दुख हूं मैं ?
अंधेरा हूं मैं या प्रकाश हूं?
हर जगह ढूंढ रहा इंसान हूं मैं
कौन सा उद्गम स्थान हूं मैं ?

इस स्तिथि में हु मैं ?
कोनसी सी परिस्तिथत में हूं
चांद की शीतलता हूं या
सूरज की ज्वलनशीलता हु मैं ? 

बिंदु सा आकर हूं मैं या
ब्रह्मांड जैसा निराकार हूं ? 
शब्द सा मीठा हूं या
नीम से कड़वा हूं मैं

कौन हूं मैं ? 

इस जगह खड़ा इंसान हु मैं ?
हर वक़्त , हर पल घटना में मैं
अपने आपको खोजता इंसान हु मैं ?
चट्टान की तरह कठोर हूं मै ? या
माँ की तरह नरम हु मैं
ये मुझे ना पता चल पा रहा है
कि कौन हूं मैं?
हर पल हर जगह खोजता चल रहा मैं
इस सवाल  का जवाब नही मिल रहा है
हर एक वस्तु हर एक घटना में होने की कोशिश है
और
हर घटना को जानने और समझने की
कोशिश में लगा हुआ मैं

किस ओर निकल चला किस मंजिल को पाने को हूं मै ?
निकल चला बस गतिमान हु मैं
अब रुकना मेरा काम नहीं
मुझे मिले मेरी पहचान वहीं है सही
कही ढूंढता स्वयम को चला
पूछता अपने आपको रहा
बतादो मुझे कौन हूं मैं
जानते है लोग मुझे मेरे नाम से
मेरे काम से लेकिन मेरा अस्तित्व है क्या ?
इस वजह मै यहां वहां बस भटकता ही रहा
ना मंजिल न सफर का मुझे पता चला
बस रहा ढूंढ मै स्वयम को हर पल रहा
कौन हूं मैं?
ये प्रश्न मेरे मन में बार बार उठ रहा।