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चुराना कैद करना भी

चुराना कैद करना भी अच्छा उम्र के खूबसूरत लम्हे….
मौक़ा मिलते ही करना यह चोरी , वक़्त की क़सम है तुम्हें ।
वक़्त की बुनियाद में हमेशा बदलने
की फ़ितरत…
वक़्त आएगा जब क़ैद कर पायेंगे अच्छे लम्हे पूरी होगी सब हसरत ।

चोरी करने का अच्छा इक उम्र का सवेरा,
खूबसूरत लम्हों से भरी एक कहानी यह मेरी।
मौका मिलते ही छिन लेना वो भाग्य की बहाना,
चोरी करना है जिसकी आदत, वक्त की क़सम है वह तूम्हें।

जीवन की रफ्तार तेज, बदलावों की लहरें गहरी,
कुछ लम्हों को छीन लो यही कहती है यह कविता में धरा।
वक्त की बुनियाद में हमेशा बदलते रहना चाहिए,
नयी सोच और अनुभवों को गले लगाना चाहिए।

पल्लों में छुपे हैं जीवन के रहस्य अनेक,
वक्त के संग्रहालय में बिखरती है यह चमक।
जब वक्त के पर्वतों से उछलती है धूल,
चोरी करती है उजाले को नयी दुल्हन रूप में।

जीवन के रंग बदले तो नए चित्र बनाएं,
चोरी करे वक्त से एक नया वादा लाएं।
क्योंकि जीवन की चोरी करने की ख्वाहिश,
वक्त की विशेषता बन जाए, यह सच्ची मानिंदगी की विशेषता।

चोरी करने का अच्छा इक उम्र का सवेरा,
जीवन की मोहर हो, वक्त की दौलत का रंग उतारा।
अच्छा उम्र की खूबसूरत लम्हों से अभिभूत,
बदलते वक्त को जींदगी के संग सम्बोधित, चुराना कैद करना भी अच्छा उम्र के खूबसूरत लम्हे।

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दिल वालो की दिल्ली

दिल वालो की दिल्ली
बंदे  सब मस्ती में टल्ली ।

दिल्ली में हम हुए पेदा…..
यही की चड़ी चर्बी और मैदा ।

दिल्ली का इतिहास पुराना…
हर जगह के लोगो का यहाँ ठिकाना ।

चाँदनी चौक कृष्ण नगर कमला नगर..
सरोजिनी नगर  रोहिणी हजारो डगर  ।

दिल्ली में पड़ती कड़क ठंड और भड़की गर्मी …
अपना नहीं यह मौसम की समीकरण उसकी हठधर्मी ।

दिल्ली राजधानी है राजनैतिकअखाड़ा…
हमेशा पड़ा रहता यहाँ राजनैतिक जाड़ा ।

राष्ट्रपति भवन इंडिया गेट या देखो लालक़िला….
बड़े बड़े फ़्लाइओवर पे लगता गाड़ियो का क़ाफ़िला ।

मेरी दिल्ली आने वाले का करती स्वागत करती बाँहें खोल के…
इसका दिल बड़ा है सब को सम्भाल लेती समानता से मीठा मीठा बोल के ।

दिल वालो की दिल्ली

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दयालु

मित्र हो दयालु
दुनिया नहीं कृपालु ।

काम का दयालु मित्र ….
क्योंकि उसका अच्छा चरित्र ।

दयालु मित्र होता कोमल हृदय….
परेशानी दिक़्क़त में देता वो समय ।

उसका व्यवहार आपकी संपत्ति….
ध्यान रखना उसपर आये जब विपत्ति ।

व्यवहार का नहीं लेना अनुचित लाभ …
उसके जीवन से दूर करना अभाव  ।

तुम भी निभाना मित्रता…
यही जीवन की पवित्रता ।

अच्छे मित्र का बने अच्छा मित्र….
सदा बसा ले हृदय में उसका चित्र ।

यही जीवन की शुभता….
हृदय से निभाना मित्रता ।

मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।

जब चले थे हम अकेले,
तब आया था तुम्हारा मेले।
बिना सोचे, बिना जाने,
तुमने बना दिया हमको तने।

जीवन के रस्ते थे अन्धेरे,
मगर तुमने फैलाई थी रोशनी।
सबके सामने रिश्ता,
बना दिया था जैसे खोयी।

जो दर्द छिपे थे आँखों में,
तुमने उन्हें पहचाना।
जब उदास था मन और दिल,
तुमने दिया था समझाना।

जीवन के हर मोड़ पर,
तुमने थामा हाथ हमारा।
जब हम थक जाते थे चलते,
तुमने दिखाई थी आशा की चमक हमारा।

तुम्हारी मित्रता है अनमोल,
दिल की गहराइयों में बसी है खुशियों की बोल।
विश्वास और सम्मान के संग,
तुमने बना दिया हमको अच्छे इंसान।

मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।
तुम्हारे साथ है सुख-दुःख की बातें,
तुम्हारे साथ है जीवन की राहें।

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मौन का अवलोकन

मौन का अवलोकन उसकी परीक्षा,
चुनौतियों में मिलता है वह विजय का संक्षा।

समय मौन रहते हुए देता शिक्षा,
ज्ञान की वह अतुलनीय दूसरी सिक्का।

बहुत कम व्यक्ति  जो समय रहते समय से सही शिक्षा लेते…..
अधिकतर व्यक्ति समय बीतने के बाद समय से शिक्षित होते ।

समय मौन रहते हुए देता शिक्षा…..
मौन का अवलोकन उसकी परीक्षा ।

समय  निष्पक्ष देता समान अवसर…
भीतर जन्मे निष्पक्षता तब मिलेगा उत्तर ।

समय निरंतर सदा जवान उसका शरीर …
क्रियाकलाप उसका गहन सहज गंभीर।

समय का असर जीवनों में झलकता….
आज मेरा कल किसी और खिसकता ।

समय पे होना चाहिए गहन संवाद ….
छिपे है उत्तर उसके मौन में अमृत नाद ।

विद्यालय में सिखाया जाए समय महत्व..
पीढ़िया सुधरेगी जब जानेगी सार तत्व।

शब्दों के समंदर में छिपे होते हैं गहरे अर्थ,
मौन से वे उभरते हैं, देते ज्ञान का संचार।

चरम साधना है मौन, मन को वश में करना,
अन्तर्दृष्टि का प्रकाश, सच्चाई को पहचाना।

विचारों की लहरें आती हैं और जाती हैं,
मौन से वे शांत होती हैं, ज्ञान के सागर में बहती हैं।

शिक्षा का मूल संचार है मौन के द्वारा,
ज्ञान की धारा बहती है उसके अपारा।

हृदय के आँचल में बसे हैं अनगिनत सपने,
मौन से वे जागते हैं, प्रेरणा के रंग में रंगे।

समय मौन रहते हुए देता शिक्षा,
मौन का अवलोकन उसकी परीक्षा।

समय समय समय
इसका सही करना व्यय ।

यह कविता राम ललवानी जी के द्वारा लिखी गई है, यदि आप इसी तरह की कुछ ओर भी कविताए पढ़ना चाहते है तो नीचे कुछ कविताओ के लिंक दिए गए आप उन लिंक पर क्लिक करके और भी कविता पढ़ सकते है, इसके साथ ही, कमेन्ट कर हमारा प्रोतसहन बढ़ाए हम इसी तरह से और कविताए आपके लिए लिखते रहे, धन्यवाद

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बाहय दृष्टि

बाहय दृष्टि के यंत्र मिले दो नेत्र….
सहायक सुंदर सटीक इनका क्षेत्र ।

जानवरों मनुष्यों में समानता से दो नेत्र..
दृष्टि से दृष्टिकोण समृद्धि का रणक्षेत्र ।

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।

अक्सर दृष्टि वाले व्यक्ति दृष्टिवहीन….
विकसित नहीं दृष्टिकोण भावना हीन ।

स्वागत विविधता से रचे हो दृष्टिकोण….
दृष्टिवहीन लालच अधीन उनका कोण ।

भिन्न भिन्न दृष्टिकोणों का स्वागत….
सच्चाइयों से करते वो सामना अवगत  ।

अक्सर अपने दृष्टिकोण को मानते सही..
सत्य नहीं इतना सस्ता यह पहचाने नहीं ।

दृष्टिकोण को करते रहे निरंतर सुमृद्ध….
दूसरे दृष्टिकोण को समझने की हो ज़िद।

मेरी दृष्टि से में उकेरता छह….
सामने की दृष्टि से वही दिखता नौ
बात समझे ।

काहे मोक्ष ध्यान दे स्मृद्ध हो दृष्टिकोण…
स्वय उन्नति हो गाएगी जब होंगे बेहतर।

बाहय दृष्टि के यंत्र, मिले दो नेत्र…
सहायक सुंदर सटीक इनका क्षेत्र।

जगमगाते सितारे और छमकती चांदनी,
आकर्षित करते हमें, उनकी यह रचनी।

विशाल विश्व में घूमती आँखों की यात्रा,
हमें दिखाती सौंदर्य, जीवन की प्रकृति।

देखते हैं सबकुछ, रंग-बिरंगे दृश्य,
पहचानते हैं समय की मुद्रा, अनुभव की संगीत।

छोटी सी कागज़ पर भी दिखा देते हैं विशाल,
अद्भुत इन नेत्रों की शक्ति बेशक अद्वितीय है।

सृष्टि के रहस्यों का ज्ञान, ये नेत्र ही देते हैं,
प्राकृतिक सौंदर्य को बखूबी ये पहचानते हैं।

जब भी खुलते हैं, ये नेत्र धरती पर,
अधीर हो जाता है, मन का आंदोलन।

बाह्य दृष्टि के यंत्र, मिले दो नेत्र,
सहायक सुंदर सटीक इनका क्षेत्र।

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चरम सीमा दान

किसी को कुछ पैसे देना हंसी देना…
देना की चरम सीमा दान यह मैंने माना ।

किसी भी प्रकार का दान….
यह फैलता वृक्ष ,गहरा विज्ञान ।

कई बार दान अधिक प्राप्ति के लिये किया जाता….
कुछ आज तेरा है कल पक्का किसी और क्या यह विचार समझ नहीं आता ?

दान में जाग्रत हो बस देने का भाव….
कार्य स्वय होंगे यह प्रकृति का स्वभाव ।

जीवन के सफर में, हर एक मोड़ पर,
छोटे-छोटे बंदिशों का बनता है खेल।
कभी हंसी की हो भरमार, कभी रोने की आवाज,
परम शक्ति है देने की, इसे सच्ची व्याज।

जब दुःख का अँधेरा छाए, जीवन की धूप छाव,
तब देने का अद्भुत बल है, वो जो हंसी में छाव।
एक मुस्कान की कीमत जाने, जो दिलों को छू जाए,
वो पैसों से भी अमूल्य है, वो भावनाओं की बाज।

जो देता है हंसी को, वो देता है आनंद को,
पैसों का मोल नहीं होता, जब वो दिल में बस जाए।
प्रेम की भाषा है यह, जो बिन कहे सब कह जाए,
देने वाले का हृदय में, सदा स्वर्ग बस जाए।

चरम सीमा दान की, वही हंसी है सच्ची,
जब बिना लालच के दिया, जीवन को मीठा बनाए।
धनी हो या गरीब हो, सबको हंसी दे सके,
वही चरम सीमा है, दान की जो सबको भाए।

तो चलो आओ देने का, बढ़ाएं हंसी की पूंजी,
जीवन को खुशियों से भरें, बाँटें प्यार की बूँदी।
क्योंकि देना हंसी को, होता है खुद को देना,
चरम सीमा दान की, यह मैंने माना।

क्या यह समझ है एक बीज के विकास से एक विशाल वृक्ष , बीजों का भंडार पनपता ?
दृष्टि के विस्तार उसकी दूरदर्शिता और बिना किसी आकांक्षा से  व्यक्ति दान का महत्व समझता ।

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मित्र या शत्रु

जन्म से न तो मित्र या शत्रु जन्मते….
वो  तो व्यवहार अहंकार बल से पनपते ।

यदि जीवन जीना है खुलकर
उसका स्वाद है जीयो झुककर ।

प्रकृति अपनी पलकों पे बेठायेगी…
झुकने वाली बात जब समझ वो आएगी ।

प्रकृति उसे ऊँचा दर्जा बख़्शती….
जब उसकी रजा तुममें झलकती ।

हृदय से लिखी बात हृदय को करती स्पर्श..
इस बात  में प्रेम के बहाव में सम्मिलित हर्ष  ।

कुछ लोग मिलकर जाते वो बदल…
यह जीवन की सच्चाई उसकी हलचल ।

और कुछ लोग के मिलने से बदलता जीवन ….
समर्थ समृद्ध होता जीवन जैसे उजला यौवन।

जन्म से न तो मित्र या शत्रु जन्मते…
वो तो व्यवहार अहंकार बल से पनपते ।

प्रकृति की गोद से हम उठते हैं,
प्रेम और स्नेह से घिरे हुए पलते हैं।
कोई भी आये यहाँ, नवजात बच्चा हो या वृद्ध,
उन्हें बचपन की खेलने की जगह हम देते हैं।

परंपरा के बंधनों से हम छूटते हैं,
समाज की मर्यादाओं से टकराते हैं।
मित्रता और प्यार के बांधव बनते हैं,
सबके दिल में यह स्थान बनाते हैं।

कितने ही रंग-बिरंगे व्यक्तित्व हम देखते हैं,
कितने ही भावनाओं को हम महसूस करते हैं।
पर जन्म से ही कोई मित्र या शत्रु नहीं होता,
ये सिर्फ व्यक्ति का व्यवहार दिखाते हैं।

अहंकार और बल से उनके पनपते हैं,
सबको अपने नीचे रखने की कोशिश करते हैं।
पर जीवन का रहस्य है प्यार और सम्मान,
इन्हीं गुणों से बनते हैं सच्चे मित्र और भाई-बहन।

जन्म से न तो मित्र या शत्रु जन्मते,
वो तो व्यवहार अहंकार बल से पनपते है।
इसलिए हमेशा देखो दिल से इंसान को,
उसके गुणों को, जीवन के साथी को।

सच्ची मित्रता और प्यार ही जीवन का आधार है,
इन रिश्तों को हमेशा बचाएं और निभाएं।
जन्म से नहीं, बल्कि अपने व्यवहार से,
हम मित्र या शत्रु बनते हैं इस संसार में।



सुनी बात

सुनी बात पे न करना विश्वास ..
सत्य समझने का करना प्रयास ।

जल्दी करते सुने हुये पे विश्वास….
कम बुद्धि कौशल हम दूसरे के दास ।

झूठ सुनाने से तेज़ी जल्दी से फैलता..
लोग भी सुनना चाहते जो हो चटपटा ।

चटपटे के शौक़ीन दो चार बात जोड़ते …
सुनकर मज़ा लेते नहीं सत्य को खोजते ।

कान के कच्चे होने से बढ़ती परेशानियाँ…
उलझ जाते सुनकर उनकी कहानियाँ ।

सुनना फिर अंदर ले जाना या नहीं ले जाना ये तय करती बुद्धि….

आँखों देखती संग कान सुनते तब सही ग़लत या कितनी बात में शुद्धि ।

जनता  भोली कुछ नया सुनना चाहती…
झूठो के  बिछाये जाल में फस जाती ।

सुनी सुनाई बात पे न करना विश्वास….
ये कहना है मेरा और यही मेरा प्रयास ।

सुनी बात पे न करना विश्वास,
सत्य समझने का करना प्रयास।

जगमगाते शब्दों में न जाना रास्ता,
विश्वास के पहाड़ों को छूने का प्रयास।

कई बार जब आवाज उठाई जाती है,
मन में संदेह खुद को समझाई जाती है।

पर ज्ञान की रोशनी से जगमगाते सभी,
सत्य की और बढ़ते यही रास्ता।

हकीकत के लिए खुद को तैयार करो,
अपनी बुद्धि के ज्ञान में डूब जाओ।

चिन्ता की अंधकार से उभरो तुम,
ज्ञान के सौरभ में लहराओ तुम।

सत्य की पहचान अपनी बना लो,
भ्रम के आँधियों को तुम छा लो।

सुनी बातों पर मत करो विश्वास,
सत्य को पहचानो, बनो ज्ञान का आदान्त।



रिक्तता को बनाना

रिक्तता को बनाना बनाये रखना अति आवश्यक….
रिक्तता के कारण नहीं होता टकराव नहीं होती कसक ।
सब का कार्य क्षेत्र उसमे रिक्तता अनिवार्य…
एक निश्चित दूरी बनाए रखे, आवश्यक इतना धैर्य ।

जब रिक्तता होती है, वह जगह मिलती है विचारों की,
जहाँ नए कार्यों के बीज बोने को मिलती है शक्ति।
जब दिमाग खाली होता है, उसे भरती है कल्पना,
नये और अद्वितीय रूप लेती है जगत की सृजनशीलता।

अस्थायी रिक्तता देती है आशा का समुंदर,
जहाँ तलाशी जाती है नये सपनों की सत्यता।
विचारों की गाथा बुनती है अद्वितीय कविता,
सृजनशील विचारों को मिलता है पथ प्रशस्ति का निशान।

पर धैर्य की आवश्यकता है, जब रिक्तता होती है,
क्योंकि नये कार्यों के लिए समय लगता है।
धीरे-धीरे उगते हैं सपने, नये विचार बहार आते हैं,
धैर्य से इंतजार करो, नयी रोशनी जगमगाती है।

तो चलो, धैर्य बनाए रखो, इस रिक्तता के बीच,
नए सपनों की उड़ान भरें, अपार सफलता के बीच।
रिक्तता है सृजनशीलता का आदान-प्रदान स्थान,
जब उसे सही तरीके से उपयोग करो, होती है जीवन की ज्ञान।

रिक्तता को बनाना बनाये रखना अति आवश्यक…
रिक्तता के कारण नहीं होता टकराव नहीं होती कसक।
सब का कार्य क्षेत्र उसमे रिक्तता अनिवार्य, एक निश्चित दूरी बनाए रखे, आवश्यक इतना धैर्य।

जीने का अंदाज

हमे देखना है क्या है हमारे पास….
यही सही जीने का अंदाज ।
जो पास वही सच में असली…
उसी में ख़ुशियाँ मिलेगी तसल्ली ।

वर्तमान में जो भी है उसे सम्भाले….
ज़रूर खुलेंगे क़िस्मत के बंद ताले ।
यह सब जीवन की कहानी….
सुन लो तुम मेरी ज़ुबानी ।

जीवन का असली रंग,
है वही जो हमारे पास संग।
चाहे छोटी हो या बड़ी सी बात,
ख़ुशियों का मंच है यही इक़रार।

चाहे धन हो या न हो समृद्धि,
जीने का आनंद है सदैव सिद्धि।
हमारे अंतर में जो ख़ुशी हो,
वही है सच्ची जीवन की खोज।

दूसरों की नज़रों से आगे निकल,
खुद को पहचाने और अपनाए सबक।
जो हमारा है, वही सच और असली,
खुद को खो न दें, यही है तसल्ली।

जीवन की खोज में, आगे बढ़े हम,
जो खो गया, उसे छोड़ दें हम।
ख़ुशियों की खेलती दुनिया में,
हमारी जोड़ी हो, समृद्धि और सद्भावना से।

यही सही जीने का अंदाज है,
जो पास है, वही हमारी असली आज़।
ख़ुशियों के संग जीवन का मेल,
अपनी पहचान में हमें मिलेगी तसल्ली।