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स्वयं को समय दे

स्वयं को समय दे …
जीवन क्षण क्षण हो रहा हे व्यय ।
जो जो करना हे उसका करे चिंतन …
उसपर फिर करे कर्मों से मनन ॥

स्वयं पे भी दे ध्यान….
स्वयं आप धुरी ले संज्ञान
आप प्रसन्न जो जग प्रसन्न …
ये अर्जित कमाई आपका धन ॥

स्वयं से करे संवाद…
पहचाने मन के विवाद ।
जीवन को मिले सही अर्थ …
बने हम इतने समर्थ ॥

स्वयं की करे सुरक्षा …
आपके चाहने वालों की यही मंशा ।
आपके चाहने वाले चाहते रहे सुरक्षित….
ये विचार मेरे मित्रों को समर्पित ॥

स्वयं को भी दे समय,
जीवन क्षण-क्षण हो रहा है व्यय।
जो-जो करना है, उसका करे चिंतन,
मन की ऊर्जा को जगाएं जगमगाते किनारे।

आओ, निर्णय का सागर तैरें,
ख्वाबों की उड़ान को पकड़ें,
आपातित्व की धारा में हर क्षण निकालें,
अपने अस्तित्व को नयी राह दिखाएं।

चिंता के बादलों को रोके,
आनंद की बूंदें बहाएं,
खुशियों के गीत गाएं,
भाग्य की रोशनी के साथ चले जाएं।

समय की पालकी में बैठें,
चरणों में जीवन की गाथा लिखें,
प्रतिभा के पंखों से ऊंचाई छू जाएं,
अपने सपनों को साकार करें और मनोरंजन करें।

जीवन क्षण क्षण हो रहा है व्यय,
इसे महत्वपूर्ण बनाएं और समय का सम्मान करें।
स्वयं को भी दे समय,
और खुद को नयी ऊंचाइयों तक ले जाएं।

गीत संगीत हृदय

गीत संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि….
सुनते रहे सुनाते रहे गाते रहे गुनगुनाते
रहे अपनाये यह विधि ।
गाना संगीत सुनके मन होता शांत….
सात सुरों की लय से मन होता प्रशांत ।

गीत संगीत मन मस्तिष्क की ओषधि….
बुझा दीपक जल उठता दूर होती व्याधि ।
संगीत एक आकाश जिसका न कोई छोर….
यह वो पतंग जिसकी उपलब्ध अनंत डोर।

गीत संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि,
जिनका आनंद होता है सदैव विधि।
सुनते रहें, सुनाते रहें, गाते रहें, गुनगुनाते रहें,
इस विधि को अपनाएं, जीवन में आनंद बहाएं।

गाना संगीत सुनके मन होता शांत,
स्वरों की मधुरता से जगाता चित्त का आदान्त।
सात सुरों की लय से मन होता प्रशांत,
रचनाओं की गहराई से भरता रूह का विश्रांत।

संगीत की जगमगाहट धरती को झूमा देती है,
ताल-मात्रा की गति हृदय को भर जाती है।
गीतों की मधुरता दिल को छू जाती है,
संगीत की सादगी मस्तिष्क को भर जाती है।

संगीत हृदय तथा मस्तिष्क की ओषधि है,
जो रागों की बंधन से मन को मुक्ति दिलाती है।
गीत संगीत का आनंद जीवन में बिखेरता है,
सदैव इसकी आराधना करें, अपनी आत्मा को संगीत से भरें।

स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।

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जीवन के लेखक

आप अपने जीवन के लेखक
उसमें उचित परिवर्तन कीजिए बेशक ।
अपनी लेखनी से कमाल बरपे….
हो जीवन पुस्तक अलग सटीक हटके ॥

जीवन की पुस्तक आत्मा है विषय….
न रखना तुम इस बात पे कभी संशय ।
विषय का चुनाव जेसे प्रकृति की सोच..
एकदम सटीक नही कार्य में कोई लोच ॥

जब कोई पढ़े आपकी जीवन पुस्तक….
प्रेरणा से आंदोलित हो हृदय मस्तक ।
पृष्ट पे शब्द ऐसे जेसे बिखरे हो मोती…
जीवन से परिपूर्ण स्वीकारती चुनोती ॥

चुनौतियां करती जीवन को सम्पन्न…
शक्ति ये विस्फोट आपका परम धन ।
आप अपने जीवन के लेखक…
डालिए शब्दों भाषा में अलख ॥

मैं हूँ अपने जीवन के लेखक, कलम मेरी साथ है,
जीवन के पन्नों में उचित परिवर्तन लिखूं आज।
मेरी लेखनी से कमाल बरसें, अक्षर-अक्षर जगमगाएं,
कविता का रूप धारण करे और रचना को सजाएं।

जीवन की प्रेरणा और उमंग मेरी कविताओं में बहे,
सत्य और सुंदरता की छाया मेरी रचनाओं में छाए।
ज्ञान और समझ की आग मेरे शब्दों से जले,
बदलाव की लहर मेरी कविताओं में बहे।

जीवन के रंग-बिरंगे पलों को आकार दूं मैं शब्दों में,
खुद को खोजते हुए, नए रास्तों को चुनूं मैं विचारों में।
जीवन की अनुभूतियों को सहजता से व्यक्त करूं,
प्रेरणा के पंक्तियों में विचारों का रंग छिड़कूं।

मेरे लेखन से समाज में बदलाव का प्रकाश फैले,
ज्ञान की धारा बहे, सभ्यता की लहर उठाए।
चेतना के बाध्य सूत्र में रचनाओं की बुनियाद डालूं,
नये सपनों के पंख लगाए, आगे बढ़ते जाएं।

तो आओ, लिखते हैं नया अध्याय, नया पृष्ठ आज,
कविता की छटा फैलाएं, अपने जीवन को संवारें।
अपनी लेखनी से कमाल बरसे, मन की ऊर्जा व्यक्त करें,
मैं हूँ अपने जीवन के लेखक, अब नया अध्याय शुरू करें॥

और बताए अपने जीवन की कुछ बाते, यही है नई शुरुआत इस जीवन की

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समस्याओ का निपटारा

दिमाग़ ,आँखे ओर हृदय खुले रहे…
समस्याओ का निपटारा सही से होता रहे ।
नही तो गलती पे गलती होती रहेंगी …
ग़लतियों की उलट गंगा यूँही बेहती रहेगी ।

लहरों की चहल-पहल में बहती जाए,
जीवन की मधुर गाथा सुनती जाए।
हमेशा जगमगाता रहे जीवन का सागर,
आगे बढ़ते रहें हम सब मिलकर।

जीवन की राह में चुनौतियाँ होंगी,
पर निरंतरता से हम उन्हें मिटाएंगी।
चिंताएं और आवेश दूर कर जाएंगे,
खुशियों की नई कहानी लिखाएंगे।

बदलेंगे हम अपने सोच का नजरिया,
सही और गलत के बीच समझदारी लाएंगे।
नये आयाम देंगे अपने सपनों को,
आगे बढ़ेंगे हम मनोविज्ञान के रास्तों पर।

इस गाथा का अंत नहीं होगा कभी,
हम बढ़ते रहेंगे नई उचाईयों की ओर।
दिमाग़, आँखे और हृदय खुले रहेंगे,
समस्याओं का निपटारा सही से होता रहेंगी।
नहीं तो गलती पे गलती होती रहेंगी,
ग़लतियों की उलट गंगा यूँही बहती रहेगी।

स्वयं के विकास में भी इनका खुला रहना ज़रूरी…
तभी की या माँगी हुई मनोकामनाएँ होगी पूरी ।
सब ओर ख़ुशियों का मेला लगेगा..
जीवन ख़ुशियों की ऊर्जा से भरेगा ॥

विकास करना आगे बढ़ना मानवीय भूख…
सभी तलाश रहे खोज रहे हे सच्चा सुख ।
हर किसी को मुकमल जहाँ नही होता वो नसीब …
दिमाग़, आँखो ओर हृदय से सब तरह से
लगाना तरतीब ॥ इन समस्याओ का निपटारा करना।

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वक्त का तराजू

कुछ प्रेमी हो गए वो वक्त का तराजू से बाहर…..
न बता पाएगी वक्त मशीन अब उनका कितना होता उनका भार ।
अब उनको यादों के तराज़ू में उनका भार तोलता हूँ……
जहाँ भी रहे खुश रहे ,पलड़ा सुख का भारी रहे प्रभु से यही माँगता हूँ ॥

कुछ प्रेमी हो गए वो वक्त का तराजू से बाहर,
न बता पाएगी वक्त मशीन अब उनका कितना होता उनका भार।
अब उनको यादों के तराज़ू में,
जब तकरीरें और हंसी की चिराग जलते हैं।

वक्त की पटरी पर उनकी मुस्कान चमकती है,
जैसे वो अभी भी यहाँ हों, नए दिन मनाते हैं।
पर सच्चाई ये है, कि वक्त की लम्बाई नहीं होती,
जब ये अनमोल पल भी धीरे-धीरे बितते हैं।

यादों के तराज़ू में उनकी मुहब्बत का भार होता है,
हर बार जब यादें उनका ध्यान दिलाती हैं।
चाहे वो दिल तोड़े या अपने साथ ले जाएं,
पर यादें हमेशा उनके होंगी, जब भी याद आती हैं।

वक्त की मशीन ज्ञात नहीं कर सकती,
कि कितना भारी होता है प्रेम का उनका भार।
पर ये यकीनन है, कि जब वो हमारे साथ होते हैं,
दुनिया की सारी खुशियाँ अपने साथ लाते हैं।

यादों के तराज़ू में हमेशा सच्चाई होती है,
प्रेम का महत्व और उसका भार समझाती है।
जब भी मन हो उनको याद करने का,
यादों के तराज़ू में प्रेम बहुमूल्य बन जाती है।

अलग अलग आभा

हर व्यक्ति की अलग अलग आभा,
कोई चंदन समान कोई नीम समान…..
ये रंग जीवन के स्वाद प्रयोग अलग,
ज़रूरते अलग , न बन तू अनजान ।

कोई व्यक्ति किसी कार्य में निपुण
सबका अपना अपना कार्य क्षेत्र….
जेसे भिन्न भिन्न होते सातों स्वर
ध्वनि ओर भिन्न होते सबके नेत्र ।

जहां सृजनशीलता की धूम होती है,
वहां कोई व्यक्ति निपुणता का अभियान चलाता है।
हर क्षेत्र में वो अपनी पहचान बनाता है,
कर्मठता से सबको प्रभावित करता है।

किसान खेतों में अपनी खेती करता है,
उन्हें अन्न के अभाव से बचाता है।
प्राणों की रक्षा करता है वन रक्षक,
उसका कार्यक्षेत्र वन और प्राणी सजात रखता है।

शिक्षक ज्ञान की झील बहाते हैं,
छात्रों के मन को रोशनी से भराते हैं।
वैज्ञानिक नए अविष्कार करते हैं,
प्रगति के मार्ग पर सबको ले जाते हैं।

चिकित्सक रोगी को स्वस्थ बनाते हैं,
सेवा का परमेश्वर रूप धारण करते हैं।
शिल्पी रंगों की दुनिया बनाते हैं,
सौंदर्य को स्वर्णिम रूप देते हैं।

वकील न्याय की प्रणाली संभालते हैं,
सत्य की जीत का उपहार देते हैं।
सैनिक देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं,
वीरता का प्रतीक बने रहते हैं।

प्रतिभा के चमकते तारे व्यक्ति के काम में होते हैं,
हर क्षेत्र में वह निपुणता की सत्ता बनते हैं।
कोई भी कार्य पूर्ण बनाने में यथार्थता होती है,
सबका अपना-अपना कार्य क्षेत्र अद्वितीयता होती है।

हर व्यक्ति की अलग अलग आभा,
कोई चंदन समान कोई नीम समान…..

अधिक नहीं चाहिए

जो होता हे सही ही होता हे,
बहुत अधिक नहीं चाहिए
प्रसन्नता के लिए…..

जो चाहिए वो भीतर व्याप्त,
थोड़ी सोच बदलने से प्रज्वलित
होंगे प्रसन्नता के दीये ।

जो होता है सही ही होता है,
यह सत्यता हमेशा सच्ची होती है।
क्योंकि हमें जीवन यही सिखाता है,
जीने का अद्भुत तरीका बताता है।

खुश रहने के लिए बहुत नहीं चाहिए,
संतुष्टि के साथ अपना मन बहलाना चाहिए।
सुख और समृद्धि की तलाश में न भटकें,
जीवन की सरलता को समझना चाहिए।

खोजो नहीं बाहरी जगत को,
अपनी आंतरिक सौंदर्य को पहचानो।
ज्ञान की चोटी पर ऊँचाइयों को छूनें,
अपने अस्तित्व को गहराई से महसूस करो।

हर एक पल को आनंद से जियो,
खुश रहने के लिए कारण ढूंढो।
जिंदगी के रंगों को ख़ुद चुनो,
प्रसन्नता के लिए अपने मन को टूटों।

जो होता है सही ही होता है, बहुत अधिक नहीं चाहिए
प्रसन्नता उसी को मिलती है। जिसके मन में संतोष है

खुश रहने की कला सीखें,
जीवन को खुशहाली से जीना सीखें।

जीवन ज्यादा

जीवन ज्यादा 10 विचार जो जीवन बदल दे

कुछ विचार हो जो आपके जीवन को पूर्ण रूप से बदल दे, वही जीवन के विचार है, जो आपको निखार देंगे , आपको नई ऊर्जा ओर सकती प्रदान करते है। हमे बस उन्ही जीवन के विचार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। ऐसे ही कुछ अनमोल विचार है , जिन्हे हमे अपने जीवन में उतारना चाहिए।

जीवन ज्यादा योजना नहीं माँगता , आदिवासी जंगल के सच्चे निवासी…..
परम्पराएँ जीवनशेली अनूठी ख़ासी ।
आदिवासी जल जंगल ज़मीन के रखवाले…
जंगल के सच्चे सपूत सिपाही निराले ।

उनकी ख़ुशी के कारण बहुत साधारण ….
नाच गान के मनाते साधारण उनके वरण ।
वो जानवरों के साथ कैसे जीना जानते ….
जंगल बना रहे और फले फुले यह मानते ।

जंगल का दोहन नहीं उनकी मंशा….
उनसे सीखे सुधारे समाज की दिशा ।
वो जंगल से लेते और उसे वापस लोटाते….
वो अपनी परंपराओं से सच्चाई से निभाते ।

2. जीवन ज्यादा योजना नहीं माँगता…..
उसकी आशा तुममें न पनपे विषमता ।
जीवन मिलजुल के कार्य कर रहा ..
चाहे जल में आकाश में चाहे हो धरा ।

सब अपने हिस्से का जीवन जी के
आगे बढ़ते जा रहे…..
पुराना जीवन जा रहा नया जीवन हर क्षण प्रगत हुए जा रहे ।
ये खेल निरंतरता का सदा था हे
ओर चलेगा …
जीवन आएँगे जीवन जाएँगे इसका
पुष्प सदाबहार खिलेगा ।

3. हम सदा कार्यशील एक बेहतर कल के निर्माण के प्रति अग्रसर……
कल परिवर्तित होता हम खुश की जगह और बेहतर के तलाशते अवसर ।
ये त्रासदी हे हम अनंत यात्रा में हे हमे ख़ुद नहीं पता क्या हम चाहते …..
कुछ अधिक जो नहीं हुआ हे परिभाषित बस लगे हे अंध दौड़ में भागते जाते ।

4. सही शब्द हृदयों की चाभी , उसको खोलने का काम वो करते …..
सही शब्दों का प्रयोग करके जैसे पहन मोती की माला हम महकते सँवरते ।
शब्द तीर ज़ख़्म दे सकते गंभीर …..
शब्द ही मीठे मिटा देते दुःख की पीर ।

कई लोग हे जिनको समझने पे भी नहीं उनके कान पे जूँ रेंगती ……
प्रभु जी से प्रार्थना सुधारो उनकी मति बुद्धि
उनकी सही पकड़े गति

5. पढ़ाई अनपढ़ से मतलब नहीं हे
भावनायें समझ में चाहिए आनी….
भावनायें समझे वही व्यक्ति पढ़ा
लिखा बाक़ी सब बेकार की कहानी ।

भीतरी शिक्षा के नहीं विद्यालय….
घर से मिलते संस्कार बिना चुकाए मूल्य ।
जो भी वस्तुयें निशुल्क वही मूल्यवान….
भीतरी शक्ति से उन्हें हम सकते पहचान ।

6. प्रत्येक सूर्यास्त हमारे जीवन से एक दिन को कम…..
लेकिन फिर हुए सूर्योदय से जीवन में भरता नया दम ।
हो चाहे सूर्योदय या सूर्यास्त हर समय परिवार और मित्रों का थामे रहे हाथ…..
सम्भालना अपनो को दिखाना यही सही दिशा यही उत्तम पुरुषार्थ ।

7. नहीं महत्वपूर्ण हम कितना जानते हे या हे कितने शिक्षित …..
योग्य हो इतने जटिल से जटिल स्थिति से निकल सके सुरक्षित ।
अपनी योग्यता में धार लगाते रहे करे इतना परिश्रम….
युद्ध में बेवजह खून नहीं बहेगा योग्य हो इतने सक्षम।

8. विश्वास से की गई प्रार्थना सार्थक…..
सब होगा सम्भव प्रयास हो अथक ।
असम्भव होगा वो तत्काल सम्भव…..
विश्वास की शक्ति से कर ले अनुभव ।

दे ध्यान विश्वास में न जुड़ा हो अंध…..
फिर आगे अंधेरा ही अंधेरा दुर्गंध ही दुर्गंध ।
अपनी प्रार्थना में अधिक से अधिक व्यक्तियों को करे सम्मलित…..
जीवन में उतरेगी प्राण वायु , बात करे जिसमें जुड़ा हो सबका हित।

9. संबंध नहीं होते बढ़े , उन संबंधों को सम्भालने वाले होते हे बड़े…..
हीरे जवाहरात भी खूबसूरत लेकिन चार चाँद लगाते जब होते वो गहनों में जड़े ।
हमेशा संबंधों को सम्भाले नहीं करे दोहन…..
संबंध सही रहेगे उनका उज्जवल रहेगा यौवन।

10. ये प्रश्न ग़ैर वाजिब हे कि कौन हमसे आगे और कौन हमसे पीछे…..
ये ज़िंदगी हे साहब रिश्ते कमाइये रिश्ते पैसे में ताक़त लेकिन नहीं रिसते जैसी नज़ाकत न ही उसकी तरह प्यास ।

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मेरा धैर्य से संवाद

मेरा धैर्य से संवाद , धेर्ये में तेरे में पलता
तेरे में मेरा बचपन जवानी में जीता ।
तू जेसा मुझे वैचारिक भोजन स्वस्थ
भोजन देगा उसी प्रकार मेरा शरीर
बनेगा ।

मै तुझे बदरी विशाल की तरह चाहता देखना ।
धेर्य सपना तो तेरा बहुत बड़ा लेकिन पहचान तू क्या जीवन जी रहा । पल भर में मुझे छोड़
ग़ुस्से के घोड़े की सवारी करने लगता हे ।
मुझे तो साहस दे मुझे पाल अच्छा वेचारिक भोजन दे निरंतर तो में तेरा सपना पूरा कर सकता हूँ ।

में तुझ से प्रतिज्ञा करता हूँ धैर्य मेने तेरे विचारो को सुना में तुझे अपनी तकलीफ़ों में आगे झोकूँगा तुझे में बहुत मज़बूत बनाऊँगा ओर
जीवन को महान उज्ज्वल बनाऊँगा मै समझ रहा हूँ तेरी कितनी आवश्यकता हे जो भी बड़ा दिख रखा लोगों के जीवन में वो तेरे ही बल पर प्राप्त हुआ हे ।

मेरा धैर्य से संवाद यही है अब तू लग जा काम पे वेसे ही समय जो अब आगे बचा हे उसे पहचान ओर अपने बुद्धि कोशल से आगे बढ़।

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