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उत्तम व्यवहार

उत्तम व्यवहार रहता हमेशा खुशियों पर सवार हर रिश्ते मजबूत करता एक बड़ी पहचान बनता , अच्छे व्यवहार से जीवन में सरलता आती है जीने का एक तरीका बताती है, खुल जाते खुशियों के द्वार है होने से अच्छे व्यवहार यही है आज का विचार रहे सदा उत्तम व्यवहार

उत्तम व्यवहार,
ख़ुशियों पे सवार …..
अच्छे रिश्ते के,
खुलते उससे द्वार ।

व्यवहार कुशलता,
जीवन में सरलता…..
जीवन ताले की चाभी,
सरलता ख़ुशियों की नाभि ॥

सच का सफर

सच का रास्ता आसान नहीं है मुश्किल है सच का सफर लेकिन सच बोलने के लिए कभी सोचना नहीं पड़ता लेकिन जब हम झूठ बोलते है तब हमे सोचना पड़ता है की दुबारा भी यही बोलना है इस झूठ को छुपाना भी है पड़ता इसलिए सच्चाई के रास्ते को हमे अपनाना इस राह से नहीं भटकना इसी पर आज का विचार “सच की सफर”

सच बोलने के लिए नहीं सोचना हे पड़ता…..
ये सच की क़ाबिलियत उसका तड़का ।
सच के नाम के झूठे नोट भी चल रहे……
इसी व्यवस्था में वो झूठे भी हे पल रहे ।

सच की राह मुश्किल पर रास्ता सीधा….
देखने की बात कितनी किसकी श्रद्धा ।
कुदरत का क़ानून सच उसका आधार ….
इसी आधार से दे मन विचारो को आकार ।

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क्रोध खतरनाक

क्रोध खतरनाक …
इसकी लंबी नाक ।
क्रोध की आँधी …..
रिश्तों की समाधि ।

शांत रहकर जो कमाये रिश्ते …..
शैतान क्रोध की बलि वो चढ़ते ।
समय पे एक चुप ओर सौ सुख….
दंड तुम्हें मिलता गलती करता मुख ।

क्रोध सोचने समझने की शक्ति करता नष्ट…
क्रोध के पीछे पछतावा ओर कष्ट ही कष्ट ।
आगे आगे रिश्ते वेसे ही हो रहे समाप्त….
बचा लीजिए रिश्ता यह वजह ही पर्याप्त ।

क्रोध खतरनाक सी अग्नि….
भस्म करती नहीं किसी की संगिनी ।
जीवन एक प्रश्नपत्र….
शांति ही उत्तर इसका अस्त्र ।

शुभ रात्री आज जून माह की
विदाई दिवस हे और जुलाई माह का कल
आगमन होगा तो बाँहे खोल के जून माह की करे विदाई और जुलाई माह का स्वागत ।

दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ

मैं घोषणा करता हूँ मुझे हुआ हे वो दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ
शर्मा जी वर्मा जी ने पूछा है क्या ज्ञान हुआ आपको श्रीमान ?
मैं बताऊँ मुझे हुआ हे दिव्य सत्य ज्ञान पत्नी देवी ही शुद्ध भगवान।
घर में बैठा हे भगवान….
ऐ शेतान् इस परम ज्ञान को नहीं रहा जान ।
क्या बुद्धि तेरी जल गई बुझ गई ओ अहंकारी ओ बुद्धि नुक़सान।
मेरा ज्ञान व्यावहारिक टन टनाटन….
यह समझ का गेम मुझे हुआ परम ज्ञान।

इस ज्ञान हम 24×7 करते प्रचार….
खाओ गोलगप्पे और खट मीठिया आचार।

जय श्री पत्नी सर्व देवाये नमों नमः
संकट कटे कटे सब पीड़ा ओम फट।

दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ

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खूबसूरत चेहरा बूढ़ा

खूबसूरत चेहरा बुढ़ा जाता हे….
मज़बूत शरीर समय अनुसार पड़ता कमजोर
पद भी एक दिन वो होता समाप्त
लेकिन एक अच्छा व्यक्ति हमेशा अच्छा व्यक्ति रहता हे ।
अच्छे बने अच्छाई की आयु हमेशा होती
बड़ी ….
पद चेहरा हो शरीर समय रहते हो जाते जैसे दीमक लगी लकड़ी ।
अच्छाई अंदर स्वय को होती वो ढके ….
जैसे प्याज़ या बंद गोभी की भीतरी परते ।

समय गूंगा नहीं है

ये समय गूंगा नहीं है बस रहता यह मौन….
समय पर देता बता किसका ही कौन ।
समय से सब कुछ मान सम्मान या अपमान …
समय जब अपना तो गधा भी पहलवान ।

समय से करो संवाद उसके हृदय को जानो…
उसकी निरंतरता निष्पक्षता को तुम पहचानो।
निरंतरता और निष्पक्षता एक कठिन साधना..
अहंकार की गुरुत्वाकर्षण सीमा को पड़ेगा तोड़ना टापना ।

इन सब बाँतो का नही कही पाठ्यक्रम ….
जीवन में श्रेष्ठ को जानने के कठिन नियम ।
हर घटना में समय सदा था हे और रहेगा साक्षी….
यह समय की अनिवार्य शर्त दिखती हर घटना में उसकी यह बानगी ।

फितरत बदलना

फितरत बदलना आसान नहीं है, किसी की फ़ितरत नहीं बदल सकते दोस्तों जब भी भैस पुछ उठाएगी तो गोबर करेगी गोबर क्या समझे, न उलझें, सिर्फ़ और सिर्फ़ समझे, अब बात गोबर की उससे उपले बनते है, बेहतरीन खाद बनती है, गोबर गैस का प्लांट चलता है और पहले गोबर से घर में लेप लगाते थे, दीवारो पे लगाते थे गर्मी में ठंडा और ठंडी में गर्म का अहसास होता था।

और अब तो न जाने क्या क्या समान बनाया जा रहा है, गोबर से कागज मूर्तियाँ लिफ़ाफ़े न जाने अनगिनत समान बना रहे है, लेकिन बदबू में अटक गये तो वहाँ भी फसे रहने की संभावना हे।

तो कृपा करके शुरुआत में न जाये पूरा भाव पढ़े फिर आगे की बात करे, समझदार तो गोबर में भी अपना फ़ायदा ढूँढ लेंगे, ढूँढ लिया है, आगे-आगे और आयेंगे और आने चाहिए जो इसमें अच्छे व्यापार की सम्भावना को बड़ा करे विस्तृत करे, अब बस हमे फितरत बदलना है।

न समय बर्बाद

न समय बर्बाद करना ग़ुस्सा करने में….
ग़ुस्सा भरता दुखो को अपने झोले में ।
न समय बर्बाद करना चिंता करके….
चिंता बंद गली ,दम लेगी वो मर के ।

जीवन हे हवा के ग़ुब्बारे सा ….
चिंता ग़ुस्सा दुःख उसे जाते खा ।
हंसिए मुस्कुराए दुखो को सुई लगाए….
चलो समय का सही सदुपयोग हो जाए ॥

जीवन का गणित

जीवन का गणित एसा है जो किसी को समझ ना आए इस गणित सब उलझे हुए नजर आए , इस गणित को जो समझे वो इस भवर से बाहर निकल जाए।

जीवन का गणित
जीवन में आशीर्वादों को जमा कीजिए
दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए
भलाई को गुणा कीजिए
इच्छाओं को भाग दीजिए
जीवन के विकास में जहां जहां
जो ज़रूरी हे कही घटा कही जोड़
कही भाग तो कही गुणा निरंतर कीजिये

दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए, दर्द को मिटा दीजिए,
खुशियों को बांटिए, सबको हंसा दीजिए।

भलाई को गुणा कीजिए, अच्छाई को फैलाइए,
सद्गुरु की ओर से मंगलकामनाएं लेंगे आपको बहुत सारी।

दूसरों की मदद कीजिए, सदैव नेकी में लग जाइए,
प्रेम और समझ से बनाइए, जीवन को अपारी।

सफलता की राह पर चलिए, मेहनत और समर्पण से,
आपकी कठिनाइयाँ घटाएंगे, सफलता की उच्चाईयाँ पाएंगे।

खुश रहिए, मुस्कराइए, दूसरों को खुश रखिए,
यह जीवन का गणित है, जिसे हमेशा आप सुलझाइए।

यह थी प्रेम, शांति और समृद्धि की कविता,
जीवन के साथी बनकर, खुशहाली की पथ पर चलिए सदा।

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सच्चा मित्र

एक अस्त्र ही बहुत है वह अस्त्र आपका मित्र है , जिस मित्र के सदा विजय नहीं चाहिए सहस्त्र मित्र बस एक ही हो वो सच्चा मित्र मित्र आपका अस्त्र…
एक ही बहुत
नही चाहिए वो सहस्त्र ।
मित्र सच्चा सहयोगी….
सुगंध उसकी सर्वत्र उपयोगी ।

मित्रता की सदा विजय हो ,
मित्रता ही नारा ।

एक अस्त्र ही बहुत है, वह अस्त्र मेरा मित्र है,
जो सदा विजय नहीं चाहता, सहस्त्र मित्र बस एक ही है।

वो सच्चा मित्र, जो मेरे साथ सदैव खड़ा है,
जब भी जरूरत पड़ी मेरी, मेरे पास हमेशा आया।

उसकी आँखों में छिपी है विश्वास की ज्वाला,
वो मेरी हर बात को समझता, मेरे दुखों को महसूस करता।

जब समय था मुझे पीछे खींचते अंधकार के घेरे,
वह मेरे साथ चला, मेरे साथ हैरानी और डरे।

जब भी जीवन की लहरें मेरे सामने उठाएं,
वो सहारा बनकर मेरे पास खड़ा रहे आए।

उसने मुझे शक्ति दी, सामर्थ्य की प्रेरणा दी,
जिससे जीता मैं हर युद्ध, हर मुश्किल से लड़ा हूँ।

उसका आभास हर सांस में है, हर धड़कन में बसा,
वो सच्चा मित्र, जो मेरे जीवन का अद्वितीय रंग बना।

जब भी मैं उदासी से भरा, अशांति से घिरा हूँ,
वो मेरे पास आकर मुझे हंसाता, खुशियों से भर देता है।

सदा मेरे पक्ष में स्थिर रहकर, मेरे साथ चलने वाला,
हर संकट और समस्या से मुझे बचाने वाला।

वो जिसका नाम प्यार से जुड़ा है,
जो सदैव मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान धरा है।

इस अस्त्र की शक्ति सदैव मेरी आस्था बनी रहे,
सहस्त्र मित्र, तू मेरा सच्चा मित्र है और रहेगा सदैव ही।

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