Posts tagged Shabd

आधुनिक तकनीक

आधुनिक दुनिया में आधुनिक तकनीक ने हमारे जीवन को बदल दिया है।

आधुनिक तकनीक का उपयोग इतना व्यापक हो गया है कि हम उसके बिना अपनी दैनिक जिंदगी के काम नहीं कर सकते। तकनीक ने हमें नए संभावित दुनिया का दरवाजा खोल दिया है जो हमारे अभी तक नहीं जाने वाले अनुभवों को संभव बनाता है।

तकनीक के उपयोग से हम समय और श्रम की बचत कर सकते हैं, संचार को सुगम बना सकते हैं, खाद्य उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में आविष्कार कर सकते हैं। तकनीक ने संचार के क्षेत्र में भी एक बड़ा बदलाव लाया है। टेलीफोन, ईमेल, सोशल मीडिया और वीडियो कॉल के जरिए हम दुनिया के किसी भी कोने से संचार कर सकते हैं।

तकनीक के उपयोग से हम ऐसे उपकरण बना सकते हैं जो अपने आप संभव नहीं थे। उदाहरण के लिए, स्मार्टफोन जो हमें आवश्यक संचार उपकरण के साथ साथ अन्य सेवाओं भी प्रदान करता है। वाहन और निर्माण के क्षेत्र में भी तकनीक ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, ऑटोमोबाइल और जहाजों में उपयोग किए जाने वाले संशोधन और नए उपकरण ने इन वाहनों को सुरक्षित और अधिक उपयोगी बनाया है।

लेकिनआधुनिक तकनीक के उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का भी सामना करना होगा। तकनीक का उपयोग संकट और अपराधों में भी होता है। साइबर अपराधों, डेटा उत्पादन और उसकी सुरक्षा विषय में भी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा, तकनीक का उपयोग वातावरण के लिए भी खतरा हो सकता है। टेक्नोलॉजी के उपयोग से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण, जल उपयोग और जनसंख्या वृद्धि की समस्याएं भी हमें उत्तरदायी बनाती हैं।

इसलिए, तकनीक का उपयोग एक दोहरी तलवार है। अगर हम इसे संवेदनशीलता और स्वयंसेवा के साथ उपयोग करें, तो इससे हमारे जीवन को बेहतर बनाने के साथ-साथ अधिक सुरक्षित और अस्थायी बनाने में मदद मिल सकती है। तकनीक को उच्च गुणवत्ता और सामाजिक उपयोग की सवयंसेवा के साथ विकास करना चाहिए। इससे हम एक संतुलित और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं जो तकनीक के उपयोग से अधिक उन्नत बनता जाएगा।

उम्मीद एक भावना है

उम्मीद किसे कहते है ?उम्मीद एक भावना है, जो किसी व्यक्ति या समूह को अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की आशा देती है, यह आशा व्यक्ति के मन में उत्पन्न होती है, कि वह एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकता है या कुछ सकारात्मक हालात से निकल सकता है।

उम्मीद के कारण कई हो सकते हैं, जब तक हम जीवित हैं, तब तक उम्मीद हमारे साथ होती है। कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

समर्थन: जब व्यक्ति किसी और की समर्था और सहयोग प्राप्त करता है, तो वह उम्मीदवादी बनता है।

सफलता का इतिहास: जब व्यक्ति के पास एक सकारात्मक सफलता का इतिहास होता है, तो वह उम्मीदवादी बनता है और उसे विभिन्न स्थानों पर सफलता की उम्मीद होती है।

आशावादी भावना: जब व्यक्ति आशावादी होता है, तब वह उम्मीदवादी बनता है।

मनोवृत्ति: जब व्यक्ति उदार मनोवृत्ति वाला होता है तो वह उम्मीदवादी होता है।

आशा की अभिवृद्धि: जब व्यक्ति के अंदर आशा की भावना बढ़ती है, तो वह उम्मीदवादी बनता है।

इन सभी कारणों से उम्मीद उत्पन्न होती है, और व्यक्ति को अगले कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है।

क्या उम्मीद के बिना जीवन संभव है? उम्मीद के बिना जीवन संभव है, लेकिन उम्मीद जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है, उम्मीद एक भावना है, जो हमें अपने ज़िंदगी के बदलाव और सकारात्मक नतीजों की उम्मीद देती है, उम्मीद की मदद से हम अपने जीवन की समस्याओं का सामना करते हैं, और उन्हें हल करने का तरीका ढूंढते हैं।

जीवन में अनेक बार ऐसी स्थितियां आती हैं, जब हमारी सारी उम्मीद खत्म हो जाती है, और लगता है, कि हम अपनी समस्याओं का कुछ नहीं कर सकते, लेकिन इस समय भी हमें उम्मीद रखना चाहिए क्योंकि उम्मीद ही हमें आगे बढ़ने की शक्ति देती है, उम्मीद रखने से हमारी मनोदशा भी सकारात्मक होती है जो हमें अपनी समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करती है।

इसलिए, उम्मीद के बिना जीवन संभव हो सकता है, लेकिन उम्मीद के अभाव में जीवन थोड़ा अधिक असंभव और अधिक दुखद हो सकता है, हमे अपनी उम्मीद को बनाए रखना है ओर किसी भी स्थिति में हिम्मत से काम लेना है।

यह भी पढे: जीत की उम्मीद, उम्मीद पर जीवन, हमारी उम्मीद, उम्मीद,

नए ब्लॉग

यदि आप एक नए ब्लॉगर हैं, तो निम्नलिखित टिप्स आपको अपने नया ब्लॉग को शुरू करने में मदद कर सकते हैं

अपने नए ब्लॉग का विषय चुनें: आपको एक थीम चुननी होगी जो आपके ब्लॉग के सभी पोस्ट के लिए उपयुक्त हो। आप अपने ब्लॉग के विषय के बारे में विचार करें जो आपकी रुचि के अनुसार हो।

एक नाम चुनें: एक उपयोगी नए ब्लॉग नाम चुनें जो आपके उद्देश्यों और विषय से संबंधित हो। ब्लॉग नाम को सरल और यादगार बनाने के लिए एक छोटा और स्पष्ट नाम चुनें।

एक ब्लॉग होस्ट का चयन करें: एक अच्छे ब्लॉग होस्टिंग सेवा का चयन करें, जो आपके वेबसाइट को चलाने के लिए आवश्यक हो। आपको एक बेहतरीन होस्टिंग सेवा चुननी चाहिए जो आपके ब्लॉग के लिए उचित समर्थन और सुरक्षा प्रदान करती हो।

एक शीर्षक और लोगो बनाएं: एक शीर्षक और लोगो (LOGO) बनाना आपके ब्लॉग के लिए एक अलग और पहचानी चीज होगी। एक जीवंत और उपयोगी लोगो बनाएं जो आपके ब्लॉग के विषय को ठीक से दर्शाता हो।

अपने ब्लॉग के लिए सामग्री लिखें: अपने ब्लॉग के लिए उचित सामग्री (CONTENT ) लिखें जो आपके विषय से संबंधित हो। सामग्री को आकर्षक, सरल और उपयोगी बनाएं जो आपके पाठकों को समझने में मदद करेगी।

एक सोशल मीडियाप्रवेश करें: एक सोशल मीडिया साइट पर अपने ब्लॉग का प्रचार करना आपके ब्लॉग के लिए उचित ट्रैफिक लाने में मदद कर सकता है। आप एक या दो सोशल मीडिया प्लेटफार्म चुन सकते हैं, जैसे फेस्बूक, ट्विटर , पिनटेरेस्ट, जो आपके लक्ष्यों और विषय से संबंधित हों।

अपने ब्लॉग को विज्ञापित करें: अपने ब्लॉग को विज्ञापित ( Advertise ) करना आपके ब्लॉग के लिए ज्यादा ट्रैफिक लाने में मदद कर सकता है। आप इंटरनेट पर अपने ब्लॉग के बारे में जानकारी शेयर कर सकते हैं और अपने ब्लॉग को लोगों के बीच फैलाने के लिए विभिन्न दलों और समुदायों को जोड़ सकते हैं।

नियमित रूप से सामग्री अपडेट करें: एक अपडेट किया गया ब्लॉग लोगों को अपने ब्लॉग के लिए वापस आने के लिए प्रोत्साहित करता है। नियमित रूप से नई सामग्री अपडेट करें और अपने पाठकों से संबंधित टिप्स और लेखों के बारे में संपर्क में रहें, लोगों से फीडबैक जरूर ले ये आपके ब्लॉग को सुधार करने में मदद करता है।

अपने पाठकों से संपर्क में रहें: अपने पाठकों के साथ संपर्क में रहना आपके लिए उचित होगा। अपने पाठकों के टिप्स, प्रश्नों और टिप्पणियों का जवाब दें और उनसे अपने ब्लॉग के बारे में अधिक जानकारी जानने की कोशिश करें।

धैर्य रखें: अपने ब्लॉग को सफल बनाने में समय लगता है। धैर्य रखें और हर रोज नियमित रूप से सामग्री अपडेट करें ताकि पाठकों की संख्या बढ़ती रहे।

पाठक आपके ब्लॉग के लिए वापस आते रहें। अपने ब्लॉग को बढ़ाने के लिए आपको अपने लक्ष्यों के लिए एक समय सीमा तय करनी चाहिए और अपने ब्लॉग में नियमित रूप से समय निकालना चाहिए। यदि आप परत टाइम कर आढ़े रहे है तो भी आप इस कार्य को कम से कम 1-2 घंटे जरूर दे।

आप अपने नए ब्लॉग के लिए एक समुदाय (Group) भी बना सकते हैं, जो आपके ब्लॉग के विषय से संबंधित हो। इससे आप अपने पाठकों की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, अपनी सामग्री को साझा कर सकते हैं और अधिक बढ़ने के लिए एक सामान्य नेटवर्क बना सकते हैं।

एक अच्छे नए ब्लॉग को संचालित रखने के लिए, आपको अपने पाठकों के साथ संपर्क में रहना चाहिए। आपको अपने पाठकों के टिप्स, प्रश्नों और टिप्पणियों का जवाब देना चाहिए जिसके लिए आप Quora को चुन सकते है, और उनसे अपने ब्लॉग के बारे में अधिक जानकारी जानने की कोशिश करनी चाहिए। इससे आप अपने पाठकों के बीच एक विशेष रिश्ता बना सकते हैं जो आपके ब्लॉग के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।

अंत में, आपको धैर्य रखना चाहिए। ब्लॉगिंग में सफल होने में समय लगता है इसलिए आपको धैर्य रखना चाहिए और नियमित रूप से सामग्री अपडेट करना चाहिए। अपने ब्लॉग के लिए उचित समय निकालें, उचित सम्पादन और शोध करें, और अपने पाठकों के साथ संपर्क में रहें। यदि आप इन टिप्स का पालन करते हैं, तो आप अपने ब्लॉग को सफल बनाने में सक्षम होंगे।

व्यस्त अपनी जिंदगी में

व्यस्त अपनी जिंदगी में सब है यहाँ, किसी को किसी की कोई परवाह नहीं है बस बेफिक्री है , किसको किसकी फिक्र है यहाँ , शहर तो अनजान नहीं था बस मतलब ने इस शहर को भी अनजान बना दिया है , देख कर भी लोग आंखे चुराते है उन्हे लगता है चोर है चोरी करकर खाते है।

सब व्यस्त है अपनी जिंदगी में

बेखबरी का जमाना है

खबर किसकी किसको यहाँ

जमाने भर की बात होती है लेकिन

जरूरत किसकी किसको यहाँ

सब अपना अपना मतलब सोचते है,

मतलब की दुनिया है मतलब से लोग खोजते है

किसी को किसीसे मतलब नहीं है यहाँ

किसी से किसी की मुलाकात हो बस इतनी सी बात है

ध्यान

क्या ध्यान से विचार बलवान और फलित होता है ?
जी हाँ , ध्यान से आपके विचार बहुत बलवान होने लग जाते है, शब्द आकाश का विकार होते है, जब हम ध्यान करते है तो मन ओर बुद्धि शुद्ध विचारों से भर जाती है, ओर इस प्रकृति का मूल ही शुद्ध होना है, जब हमारे विचार शुद्ध होते है ओर प्रकृति का संपर्क ओर गहरा हो जाता है जिससे हमारे विचारों बलवान होते है, तथा यह फलित भी होते है, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का आधार ही शब्द है, आपके शब्द ही फलित होते है, जैसे ही विचारों के माध्यम से आप किसी भी चीज का संकल्प करते है, वो फलित होना शुरू जाते है, ब्रह्मांड में जैसे ही आप कोई भी शब्द छोड़ते हो उस पर कार्य होना शुरू हो जाता है, यह आपकी भावनाए, आप कितने सकारात्मक है , इन पर भी निर्भर करता है , जैसे जैसे आप ध्यान की गहराई में भीतर उतरेंगे आप अपने विचारों के प्रति सजग होना शुरू कर देते है ओर उसी तरह से आपका जीवन हो जाता है , यदि आप की इच्छा दृढ़ है ओर विश्वास आपके भीतर बहुत भरा हुआ है, तो आप जो चाहते है वह अवश्य पा लेंगे।

law of attraction

secret

सहायता के तौर पर इन दोनों किताबों को पढ़ जा सकता है।

Chaho Agar

Mere likhe hue sher part-8 , chaho agar koi pyara sa insaan,chaho agar ek pyari si muskaan,chaho agar ek pyara sa dil,jis dil main ho tumhari pehchaan,to sahi chuna hai tune mujhe

141. kat rahi hai jindagi kaat raha hun…
kuch apne kuch paraye rishte apne kandhon par dho raha hun…
koi sochta hai kuch achcha bhi mera ..
to uski kya galti jo bura hi hota hai mera…
nikal lunga yun hi  hanste hue main jindagi ka safar…
jindagi ka pata nahin maut ko to bana lunga humsafar mera…

142. Mera dil todkar tune kuch bura toi nahin kiya…
ab har tukda ek seene main dhatakta hai…

143.mujhse na poocho unki nazron main jaake dekho ..
aj mere saath nahin par mujhe dhoondhti to hai…
haal mera nahin unka bhi dekho…
wo mere nahin hai.. par mera dil to unka hi hai…

144.Mat pooch mere dost meri maut ke nazaare hain hazaar…
Ek choti si maut se mera kya hoga…

145.Pyar
ek haseen lamha ya lamho ki kadi…
lamhon ki kadi ya janzeer…
mazboot janzeer ya kamzor kadiyan…
kamjor kadi ya dil ki lagi…
ye dil ki lagi ya dillagi…
dillagi hi  main dil kho gaya…
dil kho gaya ki mila naya thikana…
dil ka theekana mera ya uska bhi hai…
wo mera paraya hai aur main uska hi hai…

146.bas dhundhli si yaad hai baaki…
bas unka ek ehsaas hai baki…
Berukhi ka shikaar hua hun…
Bas shikaar ki maut hai baaki…

147.Is Tofano se bhari jindagi ke saagar main wo mera sathi tha…
wo mera majhi tha par humsafar nahin tha…
meri jindagi ki nav ko kinaare lagake use chor ke jaana hi tha…
wo chor gaya beech majhdaar main hi toofano main akela…
majhi main humsafar dhoondha to ye to hona hi tha…
chalo ab tairna bhi aagaya pehle to bas doobna hi ata tha…

148.humain bhi pata hai wo sahi nahin hai
unhe bhi pata hai ki hum galat nahin hain..
yuhi ek pal main chor diya unko…
dil tod diya mera ki sheesha nahin hain…

149.chalna to chahat hun par paon hi nahin hai…
udna main chahata hun par pankh hi nahin hai…
rona main chahata hun par ankhon main ansun hi nahin hai…
chal to lun bina paon ke bhi par koi sahara hi nahin hai…
ud to lun sapno main hi par ab koi sapna bhi nahin hai..
ro to lun kisi aur ke dukh par… na jaane kyun mere siwa koi ab dukhi bhi nahin hai…

150.Ye kaisa pyar hai ki jata nahin
Nafrat hai tumse ki pyar nahin…
Ladai bhi tumse baat bhi tumse
Bas ab teri yaad hai tera saath nahin…

151.Hogaya ab wahi jo hona nahin chahiye tha…
khogaya ab wohi jo khona nahin chahiye tha…
karna hai ab wahi jo karna nahin chahiye tha…
bas milta hi nahin jo mujhe chahiye tha…

152. tu bewafa hai ye to main nahin janta…
main galat tha ya tu galat ye bhi main nahin janta..
janta hun to bas itna ki tujhe bhoolna nahin janta…
meri jindagi tere bina ek pal bhi bitana nahin janta…

153.paas hi baithe hain par kitni dooriyan hai…
dekhte hain mujhko par nazren kahin aur hain…
pehle nazroon ka dayra bhi chota na tha…
ab to dil ke dayre main bhi koi aur hai…

154.hum to dhoondhte hain bahane mehkhane bhi jana tha…
kabhi khushi to kabhi gum bhi bahana tha…
kabhi main to kabhi koi aur bhi bahana tha…
bas peena tha mujhe tu to bas ek bahana tha…

155.Mujhe tu kya poochta hai pyar ke maane…
main to khud dhoondh raha hun mohabbat ke paimaane…
is saagar main na utarna tairne ke bahaane…
yahan to kood ke aana hai sirf doobjaane…

156.chaho agar koi pyara sa insaan,
chaho agar ek pyari si muskaan,
chaho agar ek pyara sa dil,
jis dil main ho tumhari pehchaan,
to sahi chuna hai tune mujhe,
Parchayi nazar ayegi usiki jo dekho meri ankhon main.

157.pyar karna bhi aasaan nahin tumse…
chor dena to mumkin hi nahin ek bar jo mil liya tumse…
lo Pyar to kar liya hai beshumar tumse…
par chorne ki choti si koshish bhi nahin ho pati humse…

158.Ek andaaj ye bhi hai humara….
kuch dard hai unka kuch saath hai humara…

159.
Maine kya khoya maine kya paya…
sochne biatha to bas itna paya…
ki sochta raha kya hai khona pana…
to kahin aisa na ho jaye…
wo bhi khodun jo badi mushkil se hai paya…

160.
Jo bhoolne layak tha…
wo to kisi layak hi nahin tha…
use bhooljana hi behtar hai..

Read This Also: Sabkuch lut Gaya, Dil Main Armaan, Ghazhab Hota,

Sabkuch lut gaya

sabkuch lut gaya sabkuch manga tha par kuch na mila…kuch na lutane ka socha tha par sabkuch lut gaya … baki mujhme kuch na raha sabkuch , likhe hue sher………..

101. tere har ashk par mujhe bhi rona aya…
jab tujhe gussa aya jane mujhe bhi kyun gussa aya…
har waqt teri khushi ka hi khayal aya…
in jajbaton ko tu kabhi samajh nahin paya…
tujhe bhi mujh par pyar aye…
bas yahi khwab har raat sone par aya…
ab tujhe bhulane ka waqt hai aya…
der se hi sahi par ye khayal bhi mujhe abhi aya…

102. tera haath thaam kar in ishq ki galiyon main kadam rakh liya hai…
beech rah main jaane kyun tune apna daaman chura liya hai…
hum to abhi bhi inhi galiyon main bhatak rahe hai…
shayad tujhe apni manjil ka thikana mil gaya hai…

103. har lamha teri yadon main guzaara hai…
har intezaar teri yadon se sajaya hai…
har yaad par tujhko hi pukara hai…
har pukaar ke baad fir intezaar hi sahara hai…

104.dhadhakte armano se dil to mera hi jalta hai…
har armaan par ek ansun to mera hi chalakta hai…
duniya ke liye to atishbazi ka sa tamasha hai…
ghar to yaron phir bhi mera hi jalta hai…

105.neend ye kambhakt kyun ati nahin…
jaan ye kambhakt kyun jati nahin…
roro ke dil mera kyun bharta nahin…
hansne ki baari bhi kambhakt ati nahin…

106.chooti jo unki gali…
veerano main bhatak raha hun..
choota jo unka saath to…
tanhaiyon main jee raha hun…
choota jo uska nazaara…
jindagi ki door dheeli kar raha hun…
talash to jari hai…
choota hua dhoondh raha hun…

107.jindagi khatam nahin hoti ek patthar se thokar khakar…
fir khade ho gaye hain rahon main tera saath paakar…

108. suraj to roj nikalta hai bas mera hi savera nahin hota…
main hamesha se tera hi tha tu hi ek pal ke liye mera nahin hota…

109. rooth ke wo mujhse baitha hai… shayad meri hi khata hai…
ab berukhi hi sehna hai mujhe… shayad yahi meri saja hai…

110.ab dil tut bhi jaye to kya, ab mera nahin hai…
wo chhoot bhi jaye to kya, ab mera nahin hai…
har lamha wo mera tha… tha, ab mera nahin hai…

waise bhi kya fark pad jayega, jab mera hi nahin hai…

111. jaane kya hua sab mere dukh main dukhi se nazar ate hain…
ab to hawa mai udte patte bhi chatpatate nazar ate hain…

112. rah ke patthar ko thokar na maar…
shayad ye unka dil bhi ho sakta hai…
un pattharon ko yun hata na rahon se…
ki banana hai ghar inhi pattharon se isi rah par…

113. humain to dhokon ki adat si ho gayi hai…
kabhi jindagi to kabhi maut bhi dhoka de jati hai…
jao ab na jindagi ki jaroorat hai na marna chahata hun…
bas ab ye kashmakash na ho ye khwaish hai dil main…

114. chal mere dil apne arman kahi dafn kar chal…
jab bhi nikla hai ek arman kisi nain kuchla hai har pal…
bas bahot hua ab na rona hai aur ek pal…
tu hi tera sahara hai tu hi khud sambhal…

115. Sabkuch manga tha par kuch na mila…
kuch na lutane ka socha tha par sabkuch lut gaya
baki mujhme kuch na raha sabkuch to mera usnain chura liya…
ab to bas kuch gum hain kuch yaden hain jise apna sabkuch bana liya…

116. unki yadon ke aane ka kya kahe kuch hisaab hi nahi…
kabhi puchega to kya jawaab dunga…khud mere paas hi jawaab nahin…
kya jindagi main sason aur dil main dhdkan ko ginne ka bhi tareeka hai kahin…

117. kaun kehta hai main tanha nahin rehna chahata…
main to teri yadon mai…
tere khayalon mai…
tere dil ki gehrayion mai…
tere din mai…
teri raaton mai…
tere khwabon mai…
tere baton mai…
teri nazaron mai..
teri pasand mai…
teri khwaishon mai…
teri ankhon ke samandar mai…
teri bahon mai…
tu jise chahe un naamo mai…
kuch khon ke darr mai…
teri khushiyon mai…
teri kamyabiyon mai…
tere junoon mai…
teri pagal pan mai…
teri masti mai…
tere dukh bantane walon mai…
tere nakhre uthane walon mai…
tere sang jindagi bitane walon mai…
tere saath jeene mai…
tere saath marne mai…
tujhse judi har cheeze mai har waqt, har lamha, har pal main tanha rehna chahta hun mai…

118. yun dhalte din ko dekh kar.. yun dhalte suraj ko dekh kar…
mera bhi dil bhuja bhuja sa hai…
par fir dil main ek ummeed bhi hai…
naye chadte din ur ugte suraj ko dekh kar…

119. Gum ke sahare ki talash thi tujhse takra gaya…
Mohabbat ki talash thi tujhse takra gaya…
Khud se bhagta raha jindagi bhar yu hi…
jab apno ki talash main nikla to tujhse takra gaya…
jab Jindagi ki talash main nikla to tujhse takra gaya…

(bahot tadpa hun dardon ke ghere main…
Gum ke sahare ki talash nikla to tujhse takra gaya…

rote rote ankhon ke ansun bhi peegaya main…
Jab khushi ki talash main nikla to tujhse takra gaya…

nafraton ki barish main bheegta raha main…
Mohabbat ki talash nikla to tujhse takra gaya…

Khud ke saye se bhi bhagta raha main…
jab apno ki talash main nikla to tujhse takra gaya…

kya jeena mera, bas jinda tha main…
jab Jindagi ki talash main nikla to tujhse takra gaya…)


120.
dil kehta hai unka pegam jaroor ayega…
par unhe apne pegam padhne se fursat hi kahan…
intezaar hai unke ek khat ka par…
shayad ye khat likhne ka waqt bhi unke pass kahan…
shayad ye khat bhi mere naseeb main kahan…

Vaibhav Agarwal Mere likhe hue sher part 6

Hamari Halat Kya

Mere likhe hue sher bhag-5

81. hamari halat kya koi unko jake ye bataye…
ki hamari halat kya hai…
wo to hamain thukra ke age badh gaye…
magar hum band ghadi ki suiyon ki tarah wahin reh gaye…hamari halat kya

samay to apni raftaar se age nikal chuka hai…
par mera waqt us akhri mulakaat par tham sa gaya hai…

82. yun waqt ke saath chalne ki chahat main…
har apne ko peeche chor chala hun…
ek khud ka to bharosa tha…
ab har pal khud ko bhi dhoka deta hun…
jaane kiski chahat hai mujhe..
jo mere dil ki aawaaj ko bhi ansuna karta hun…

83.aaj fir kisi apne ki ankhon main ansun dekha hai…
par jaane kyun mera mann bhi udas hua hai…
mera dil uska dukh bantna to chahata hai..
par use ye kehte hue bhi darta hai….

84. Aaj main khush hun…
ki mera janaza jo nikal raha hai… 
jindagi main koi saath na tha…
maut ke baad julus sa nazara hai…
mere saath to koi na roya…
par ab koi mere liye ansun baha raha hai…
aaj main khush hun…ki mera janaza jo nikal raha hai…

85. ye logon ki bheed ye sawaalon ke tufaan…
thak gaya hun main inke jawaab dede kar…
ab to thodi shanti mil jaye jindagi main kahin…
thak gaya hun dil ka sukoon dhundh dhundh kar…

86. ye wo aakhri raat hai jab main roya hun…
shayad akhri raat jab main khoya hun…
bas yahi samajh liya hai ab maine…
ab yahi soch kar har raat sota hun…

87. Tujhme itna kho gaya hun ki khud se jyada tujhe samajhne laga hun…
ab tu kuch kahe na kahe teri khamosh jabaan bhi samajhne laga hun…
tu bol ke apni dastan-e-dil bayan kare na kare…
ab to teri dhadkano ko sun kar tere khayal samajhne laga hun…

88.har arju khatam, har khwaish ko mil gaya anjaam…
tu jo khush hua hai, nahin meri duaaon ko bhi kuch kaam…

89. jindagi nahin chalti ek din bhi tujhse door hokar…
jaane kaise rahunga tujhse alvida kehkar…
naajaane tu samajh payega ki nahin…
koi mil gaya tha apna sa tujhse milkar…

90. suna hai apni taqdeer apne haathon se baadalti hai..
yahan to jis gali se nikalte hain, wahan se to maut bhi apna rasta badalti hai…

91 wo karte hain waar anjaam-e-manzil ke aane par..
ke mud kar bhi nahin ja sakte…
sahi chodda hai jeevan ki majhdhaar par..

92.tu mera na ho saka iska gum nahin…
tune mujhe thukra diya iska bhi gum nahin…
gum to bas is baat ka hai ki…
tujhe meri mohabbat ki inteha ka andaja hi nahin…
kher ismain teri bhi koi khata nahin…
is pyar ki hadd ka to ab tak mujhe bhi pata nahin…

93. Na jaane kyun tere jaane ka gum hai..
na jaane kyun fir na milne ka darr hai…
tu na bhoolne ka waada to kar gaya..
par tera ye waada bhul jaane ka darr hai…

94. Haar tabhi maan jab haarne ko kuch baaki na bache…
jeet tabhi hai jab jeetne ko kuch baaki na bache…
patthar hote hain sabki rahon main…
har patthar ko chunkar bharle apne daaman main..
jab tak rahon main ek bhi patthar baaki na bache…
hum tere saath hain har haal main har raah main…
chahe tera koi aur saathi baki na bache…
एक कदम तुम चलो हमारी  तरफ, एक कदम हम चले तुम्हारी तरफ
यूँ ही चलते रहे जब तक कोई फैसला बाकि न रहे

95. Har koi hans leta hai haal sunkar mera…
fir dil kuchal deta hai,jab wah kehta hai sher sunkar mera…
use to meri shayari main dar-e-dil sunai padta hai…
har gum ko sehta to bechara dil mera….

96. Aaj fir tera haal poochne hi himmat ki hai…
fir se us dosti ko jodne ki koshish ki hai…
bas ye dostana fir purane jaisa ho jaye …
aaj fir is aitbaar main ye umeed ki hai…

97. Rooh-e-jindagi meri yun ghayal si ho gayi hai…
jane kis dukh main dukhi hokar gafil hi ho chuki hai…
ab aur na saha jata hai na jiya jata hai ek pal bhi..
jindagi meri khushgawar si nahin ek bojh main badal gayi hai….

98. jaane wo kis sapne se darr lagta hai..
ki ab ratoon ko sona bhi  nahin chahata hun…
jo sapna jagti ankhon se dekha tha…
ab use toot te hue nahin dekhna chahata hun…
jo mujhse ek dill ka rishta banaya hai tune..
koi naam dekhar use badnaam nahin karna chahata hun…
har baat tujhse shuru ho jindagi ki…
aur tujhpar hi khatam bhi karna chahata hun…

99. Seedhe chalte raston par bhatak jata hun…
sirf tere khayal se kahin kho jata hun…

tu ek nigah bhar ke dekh le kabhi yun hi…
bas teri taraf is khayal se dekhta jata hun…

kahin is baar tu aaya hoga shayad..
yahi soch kar darwaje par nigahen lagaye baith jata hun…

har aahat pe lagta hai tu aaya hai shayad…
halki si aawaaj se adhi raat ko bhi jaag jaata hun…

shayad tu sapno main hi aajaye…
yahi sochkar fir sone ki  koshish main lag jaata hun…

100. nigahen baar baar unhe dhundhti hain jo kabhi humse milte hi nahin…
wo rehte hain pass pass hamesha par kabhi apne se hue hi nahin..

Read This Also: Chaho Agar, Sab Se Milta Hun, Pta Nahi Main,

Nazar

61. dekha jo tujhko khil khila ke hanste hue..
dil ka har soya khwab jaag utha hai…
is pyari si hansi ke suron ko sunkar yun…
mere dil ke jal tarang ka har taar baz utha hai…
jo bikhere hai khushiyon ke geet tu fijaon main…
feeka sargam ka har ek sur  hua lagta hai…

62. use janna chahta hoon jo hummain nahin janta…
use pyar karta hoon jo pyar karna hi nahin janta…
ab ismain meri kya khata jo ek bewafa se dil laga baitha…
kaash usnain wo dekha hota jo pyar reh gaya andekha…

63. hum aye hain unke ghar is umeed main ki wo ankhe bichaye baithe honge..
itna sochte hue jo unke darwaze par dastak di….
darwaja khulte hi unhone poocha… aap kaun hain???
hum hi laut aye ye soch kar ki hum hi  galat ghar main agaye honge…

64. barish ki choti choti boondon main tera hi massoon chehra nazar ata hai…
fir is barsaat main ankhe khole khada hoon shayad ek boond in ankho main sama jaye…
par sochta hoon mere gum-e-ansuon ke sang wo boond na beh jaye…
wo ankhon main basa chehra hi bas teri akhri yaad hai…
yahi sochkar bas ab hansta rehata hoon… kahin ek ansun na beh jaye…

65.hum diya jalaye baithe the ki wo ayenge hum se milne
diya bhi jal raha hai wo milne bhi aye hain…
bas ab humare ghar nahin  humari mazar par aye hain…

66.khud to mar chuke hain doosron ke liye jeete hain…
ab khud ke gum or dard se nasha nahin hota hai…
khud ke liye nahin ab doosron ka gum galak karne ke liye peete hain…

67. wo door ek ummid ka dia jal raha hai…
wo ek halki si roshni se mere dil ka andhera chant raha hai…
lo himmat karke diye tak haath to badha dia hai…
par jaane kiski nazar lagayi hai in khushiyon ko…
ki us ummed ke deye se bhi haath jal raha hai…

fir bhi thame hue hun is diye ko jalte hue haathon main..
shayad yahi likha hoga meri haathon ki lakeeron main…
yahi soch kar in lakeeron ko mitane ke liye haath bhi jala raha hoon..
fir nayi lakeeren banegi  fir is ummed main jal raha hoon main…

68. us roshni main badhti hui tanhaiyon se bhag kar…
is andhere ke kaale sayon se dosti  ki hai…
par us roshni ki tanhaiyon main bhi apnapan tha…
in andheron main to meri parchayi ne bhi saath chor diya hai…

69.jise humne chaha wo mujhe na mil saka…
koi humain chahata aise mai na ban saka…
ab ismain meri kya khata main un jaisa na ho saka…
kisi ke dil main pyar to kya nafrat bhi na jaga saka….

70. tujhse itna pyar karte hain ki..
is ehsaas ki inteha hum nahin jante…
bas maut se bhi lad jayenge par tujhe na jane denge…
maut na mani to uske sath hum bhi holenge…
is duniya se us jahan tak har kadam tere saath chalenge…

71. jo bhul jayen wo yaden nahin…
jo yaad na aye wo pyar bhari baten nahin…
tere mere dil ka haal ek jaisa hai…
bas tune keh diya aur main to keh bhi pata nahin…

72.shayri ki ye adat to sharab ki adat se bhi hai buri…
sharab pi kar to sab bhool jata hun…shayri main to yaden sanjota hun…
sharab peekar badbadat hun to diljala samajhte hain…
shayri sunkar to wah wah kiya karte hain…

73.jaane chor aye the unko kiske sahare…
wo khafa to hai ki kyun chor aye the beech rah main…
wo na samjhe ek bhi majboori meri…
ye bhi na socha ki hum jeete hain kiske sahare…

ye bhatakti kashti si jindagi ka sawaar main jaane kiske hun sahare…
ye dukh ka maha sagar aur nahin ek bhi sukh ke kinare…
kehne ko bahot hai yahan sahanubhuti ka khara paani…
par pyas to tabhi bhujegi jab mile kisi ke pyar sa meetha pani…

par pyas nahin bhujti; jabtak na ho; pyar ke meethe neere…

(Jane wo chor gaye hume kis ke sahare…
Chora bhi to tab jab door the kinare…
Ye bhi na socha ke is dukho bhare jeewan k sagar me hum lehro se lad rahe the kiske sahare…
Is toti purani kasthi se jeewan ka sawar main jaane lade jaraha hoo kis ke sahare…
Ye dukho ke sagar ke shayad nahi hai kinare…
Kehne ko bohot hai yahan Suhanubhuti ka khara paani…
par na jane kab paunchagi sahil pe meri kahani…
Dar ta hoo sahil ke intzaar me he khatam na ho jai meri zindagani…)

74. dekho wo mujhse rooth kar kaisi sajaayen deta hai…
kabhi lagta hai shayad bhool gaya hoga mujhe…
par wo zalim to itna sukoon bhi nahin deta hai…
wo door betha hua bhi khamosh sadaayen deta hai…

75. ye tumhari ankhen pyari pyari…
in ankhon main sundar kwabon ka ek samandar…
is samandar main meethi boonden yadon ki…
kahin mera dil pyar ke jazeeron main doob na jaye…
kahin mujhe tujhse pyar na ho jaye…

kahin ye jaan kar tu mujhse rooth na jaye..
kahin mera dost kahin chhoot na jaye…

76.jab unke dar-o-sheher se nikla tha…
wo mujhe alvida kehne door tak aya tha…
jaane kyun main ye dekh kar khush tha…
ki uski ankhon main ek chota sa ansun tha..

77.maine use chaha jo mujhe chah na saka…
usnain jise chaha wo use chah na saka
ab ye meri ya uska naseeb kehlo…
na hi main khush raha na hi wo khush reh saka…

78.dil le liya hai tune seene se nikal kar…
us khali jagah ko bhar diya hai tune judai ka gum daal kar…
ab jiyenge kaise yun tere bin jindagi bhar…
ki reh nahin pate ek pal bhi tujhse door hokar…


79. Is bheed main kuch to mai bhi shamil ho jaun…
kuch to duniya ke jaisa bhi ban hi jaun…
abhi kuch to khud ko janta hun pehchanta hun…
us bheeh bhad main kahin khud ko na bhool jaun…

80. aaj kisi ko dekha tha bhatakte hue raston par…
kuch jana pehchana sa koi apna sa laga…
kuch dhundh ka sama tha…
fir bhi use dhundhne nikla…
is umeed main ki ab mera bhi koi sathi hoga…
par jo kohre ka ghana badal chanta…
saamne aina tha or usmain mera aks tha..
fir main aur mera saya un raston par bhatakne lage…

wo door ek saya sa nazar ata hai…
is dhundh main kuch dhundhla sa nazar ata hai…
chalo koi to apna sa nazar ata hai…
pass jakar dekha to ek aina sa nazar ata hai…
us aine main mera hi aks nazar ata hai…

Meri Khushiyo

Mere likhe hue sher (bhag-3) meri khushiyo ne bahot kiya, pta nahi kaise likhne lga hoon, jab maut ne gale laga liya to jindagi ki kise fiqr hai…jab gummo main bhi hansna seekh liya to khushi ki

1. meri khushiyon ne bahot kiya mere gamo ke janaze ka intezaar…
aaj to mera hi janaza hai doston…
shayad ye intezaar khatam ho jaye jindagi ke us paar…

2. har burai ko chorne ki koshish karta hoon ..
main bura insaan nahin hoon… bas burai chor nahin sakta hoon…
har khushi ne mujhe chor diya hai… ab gumo ko chor nahin sakta hoon…
khushiyon ne to dhoka diya… dard ko khafa chor nahin sakta hoon…

3. bas aaj ye ehsaas hai kaun mera kaun paraya hai…
jo dekh le nigah bharke wo apna lagta hai…
jo ankhe churaye  wo begana…
kabhi nahin mushkil thi log pehchanne main…
ab to dhoka khata hoon rojana…

4. salon se sukhe banzar is dil ko bas ek khushiyon ki barish ka intezaar hai…
han dil nam to hua hai or hara bhara bhi…
bas nami gummo ke samandar ki hawaon se hai…
jo mere dil ke nasooron ko hara bhara rakhti hai…

5. Main aine ke rubaru…
ye aks mujhse hairaan hai kyun…

6. tujhse bichadne ka dukh nahin.. tere milne ke intezaar de darr lagta hai…
ki us ummeed ki lau se mere dil ke har dard ka diya jalta hai…

7.har dard se ubarna chahata hoon…
in tanhayion se nikalna chahata hoon…
shayad tere pyar main hui nakamayabi ka asar hai…
ab kabhi pyar ke us masoom chehre ko padhna nahin chahata hoon…

8.maza to bahot aata hai dastane mohabbat sunane main…
par yun achcha nahin lagta kisika berukhi ke sath sunna…
thak k ek thikana bach jata hai dard e dil sunane ko…
bura hai jaiasa bhi hai par ye kabakht saki hi sunta hai maikhane main…

9.DOST + I = DOSTI…
‘I’ will alwaz b there for ‘DOST’…
b my ‘DOST’ forever to complete ‘DOSTI’…

10.DUSHMAN+ I=DUSHMANI…
‘I’ will alwaz b there for ‘DUSHMAN’…
b my ‘DUSHMAN’ forever to complete ‘DUSHMANI’…

11. raat bahot ho chuki hai…
par ankhon main need nahin hai…
bahar sukha hai par akhon main nami hai…
Registaan sa banzarapan ab is dil main baki hai..

12 shabdon ke jaal bunna hi shayar ki shayari nahin…
wo shayar hi kya jo apne gummo ke jaal main uljha nahin…
wo shayar hi kya jo apni shayari jiya hai nahin..
wo shayri hi kya jo sachchi kahani hi nahin…
wo shayar hi kya jo apni jindagi ke ehsason ke jaal main uljha nahin…

13. jab maut ne gale laga liya to jindagi ki kise fiqr hai…
jab gummo main bhi hansna seekh liya to khushi ki kise fiqr hai…

14. sab log apna samajhte hain par abhi bhi apno ki kami si hai…
tu dil ke paas hai par fir bhi teri kami si hai…

wo kehte hain main bhoola nahin hoon fir bhi mujhe hitchkiyon ki kami si hai…
aur to kuch jyada nahin bas tere jane ke baad dil main dhadkano ki kami si hai…

sab kuch samajhta hoon mujhe samajhne walon ki kami si hai…
har kisi ko samjhata hoon mujhe samajhane walon ki kami si hai…

ya to wo mujhe bhool gaya hai…
ya meri pukaron main kami si hai…

bahot khuch kehna hai par shabdon ki kami si hai…
bahot kuch sunna hai par aawajon ki kami si hai…

dost to bahot mile par nibhane wallon ki kami si hai…
pyar to bahot kiya par humse pyar karne walon ki kami si hai…

ji raha hoon par jindagi ki kami si hai…
hans raha hoon par khushiyon ki kami si hai…

jindagi bahot jeeli hai ab to maut ki kami si hai…

(Yun to bahut kuch hai mere pass phir bhi kuch kami si hai
Ghira hun charon taraf muskurate chehron se
phir bhi zindagi me ujale bharne wali us muskrahat ki kami si hai
Dikh rahi hai pahchan apni or udte har nazar me
phir bhi dil ko chu lene wali us nigaah ki kami si ha
gunjata hai har din naye kisson , kohlahal aur dhahakon se
phir bhi kaanon me gungunaati us khamoshi ki kami si hai
bad rahe hai kadam mere pane ko nayi manjeel
phir bhi in haathon me chut chuke un naram haathon ki kami se hai…………….)

15.uski yadon main yun gumm sa ho gaya hoon…
usse dhoondhne nikla par kahin main hi kho gaya hoon…
jo kabhi mil jao kahin raaste main tum humse…
ye na kehna bhool ke bhi kabhi tumhe bhool gaya hoon…

16. hum tere shahar main aye the musafir ki tarah…( this line by Ghulaam ali)
kya kiya tune is dil-e-nadaan ke saath…
ki chala ja raha hoon tere sheher se kaafiroon ki tarah…

17. jate hue main un rasto ke purane darakhton par…
jo ek nigah bharkar sochta hoon…
to khayal ata hai ki unpe pade samay ki dhaaraon ke nishaan…
shayad  yaad dilate hain mujhe…
aine main nazar ate mere aks ki…

18. wo lete hain wahin abhi bhi chadar odhe hue…
jane kyun , wo nahin hai ab, hum ye bhi bhool gaye…
bas itna saa kehna hai…

wo soye itna ki uthna hi bhool gaye…
hum jaage itna ki sona hi bhool gaye…
saath jeene ka wada tha par saath marne ki kasam wo bhool gaye…

jane kahan chale gaye ki humare ghar ka rasta wo bhol gaye…

19. jab nikalta hoon main kisi raste par..
har raston pe mod mil jate hain..
jo mudta hoon har mod par…
to har mod ke baad  dorahe nazar ate hain…
chunta to hoon unmain se ek rasta par…
fir milte to wahi mod aur dorahe hain…

20. kyun jalaye rakkha hai gam e dil ka diya yun
ki ansuon ko behne ka mauka mil gaya hai..
in ansuon se jalta hai ye gum e dil…
jo band kardo ek baar yun ansun bahana…
nahi padega kabhi fir dard e dil sehna…

vaibhav agarwal  mere likhe hue sher bhaag 3