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विचारों से बदले जिंदगी

विचारों से बदले जिंदगी हम सभी कुछ ना करने ओर होने के बस बहाने ढूंढ़ते है लेकिन उन बहानो से नुकसान हमारा ही होता है कुछ ना होना चल सकता लेकिन उस चीज के लिए तुमने यदि प्रयास ही नहीं किया तो यह ग़लत है यह तो भागना हो गया।

किसी भी कार्य में सफलता को पाने के लिए उसमे मेहनत ओर लगातार कार्य करना पड़ता है तभी वह कार्य परिणाम ओर सफलता का रूप लेती है।

क्या आप बहुत सारे बहानों के साथ सफल हो सकते है ?

यदि सचिन तेंदुलकर , लता मंगेश्कर आदि महान लोग बहाने बनाते तो क्या आज वो इस मुकाम को हासिल कर पाते।

Corona काल सभी के लिए आया है लेकिन क्या आप इस समय का सदुपयोग कर पा रहे है ? या फिर आप के पास बहुत सारे बहाने है कि हम क्या कर सकते है घर बैठकर

घर बैठकर भी बहुत कुछ एसा है को आप ही कर सकते है कोई ओर नहीं क्युकी जिंदगी में अच्छी आदतों का चुनाव आपको ही करना है

यही समय है जब आपको अपने लक्ष्यों का निर्धारण करना है , आइए अपने विचारों से बदले जिंदगी

1- अपने पुरानी आदतों को बदल कर नया रूप देना

2- अच्छे विचारो का संग्रह करना है

3- आपके जीवन का क्या लक्ष्य है आपको जानना है

4- आप क्या बनना चाहते है यह आपको ही सोचना है

5- पिछले बीते हुए समय में हमसे कहां गलतियां हुई है उनको समझना है।

6- अपने समय को ओर बर्बाद नहीं करना यह निश्चय करना है।

7- क्या अभी जो आप कर रहे है? वो सही है या इसमें भी कुछ बदलाव लाना है यह भी आपको ही सोचना है।

8- अगले 5-10-15-20 साल में आप अपने आपको कहा देखना चाहते है यह भी आपको ही तय करना है।

9- क्या आप अपनी विफलता को लेकर ओर भी बहाने बनाना चाहते है यह भी आपको ही तय करना है।

10- आपको क्या नया सीखना , पढ़ना , लिखना है यह भी आप ही करिए।

11- जिस कार्य में अधिक रुचि है उसको इस समय में भरपूर कर लीजिए।

यह जिंदगी ना तेरी

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
जिंदगी रूठ ना जाये कही

चलता रहा साथ जिंदगी के
यह थम ना जाये कही

तू सांस लेले खुलकर
कही सांस रुक ना जाये यही

जी ले थोड़ा सा जिंदगी को यही
कौन जाने अगला पल है या नही

दम भर ले जितना तू चाहे
फिर दम भरने को तू होगा या नही

फिर कही ये दम छूट ना जाये
हुंकार मार , दहाड़ , चिल्ला

जीवन को जी खुलकर आज और यही
अगला पल किसको खबर है या नही

आज तू इसका यही बुगल बजा
नाच हंस खिलखिला बस तू यही

पता चलने दे हर लोक को गाथा तेरी ,
अगला पल किसको खबर है या नही

यह जिंदगी ना तेरी ना मेरी
यह जिंदगी रूठ ना जाये कही

यह भी पढे: जिंदगी बस इसी तरह, हिन्दी कविताए, जिंदगी की राह,

परीक्षा

परीक्षा

हम सबका ऐसा सोचना है कि परीक्षा के बल विद्यालय जीवन में ही होती है। परंतु विद्यार्थी चाहे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करता हो या फिर किसी विश्वविद्यालय में परीक्षा उसका एक अभिन्न अंग होता है। पूरे साल में किसी विद्यार्थी ने क्या किया क्या नहीं किया क्या कितना उसे समझ आया इन सब का आकलन करना ही परीक्षा का मुख्य उद्देश्य होता है। सच पूछिए तो केवल पूरे साल की विद्यार्थी के ज्ञान को आप इनको ही परीक्षा के रूप में रखा जाता है,
यह विद्यार्थी के ज्ञान का आकलन का एक तरीका मात्र है।       

परंतु आज के समय में विद्यार्थियों के मन में परीक्षा का एक ऐसा डर बैठा हुआ है, कि उस डर की वजह से न जाने कितने ही विद्यार्थी मानसिक तौर से बीमार हो रहे हैं।
आज के समय में मानसिक बीमारियों की बहुत बड़ी बाजार परीक्षा का डर भी है। 

परीक्षा में अपने आप में कोई डर होने का मतलब नहीं है परंतु हम जब प्रतिस्पर्धा पर आते हैं विद्यार्थी पर जबरदस्ती का प्रभाव डालते हैं, और किसी दूसरे की तरह होने की चाह उस विद्यार्थी को मानसिक व्याधियों से ग्रस्त कर देती है। हर विद्यार्थी की अपनी एक क्षमता होती है और उसी क्षमता की पहचान के लिए ही परीक्षा निर्धारण किया गया है।  हर बार परीक्षा का अर्थ केवल इतना है कि विद्यार्थी अपनी क्षमता को जाने और अपने आप से प्रतिस्पर्धा करें और अगली बार अपनी पिछली क्षमता से अच्छा प्रदर्शन करें और वह अपनी कमियों को जान सके अपनी गलतियों को सुधार सकें। पिछली परीक्षा में की गई अपनी गलतियों को सुधारने के लिए परीक्षा के परिणाम दिए जाते हैं।

परंतु किसी भी विद्यार्थी परीक्षा में आए उसके अंको के माध्यम से ही जांचा नहीं जा सकता हर एक विद्यार्थी या हर एक बालक किसी न किसी एक विषय में अच्छा होता है। या फिर  ऐसा कहा जाए कि हर कोई विद्यार्थी हर एक विषय में अच्छा नहीं होता हर किसी की अपनी पसंद वह अपनी इच्छाएं होती है जिस विषय में विद्यार्थी की इच्छा अच्छी है इच्छा शक्ति रखती है उस विषय को वह जल्दी और आसानी से सीख सकता है।

  परीक्षा केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं परंतु यह तो प्रत्येक मनुष्य के लिए जीवन के हर मोड़ पर देखने को मिलती है। समय-समय पर मनुष्य को परीक्षा की घड़ी का सामना करना पड़ता है। और उनसे निकलने के लिए मनुष्य को नए-नए तरीकों से कोशिश करनी पड़ती है यह पूरा जीवन कई पड़ाव पर परीक्षाएं लाता है।

Written by Pritam Mundotiya

परिवर्तन काल जीवन

परिवर्तन काल जीवन
एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है , यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है, और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है, वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल
भूतकाल जिसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है, लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है, एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे, परिवर्तन काल जीवन का चक्र चलता रहेगा।

भविष्य काल
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे हम वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है, भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका है, या नहीं यह भी हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है, सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है, जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है, हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है, जिसमें कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है, परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है, परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है, आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है।

जो कि एक पल का भी 100000 वा हिस्सा हो सकता है, और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है, जिसमे किसी का प्रवेश संभव है।

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है, उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है, आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है, उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है, जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है, जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है, और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है, हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है, लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
 क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है।

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time.
{ future }—-{present }—{past } these are parrler to each other when ever they come in connection we call it yug parivartan.

In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है, यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी, जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजी से भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है।

उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है, उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी, अब शायद वे परिवर्तन काल जीवन के बंधन से छूटने की और हो।

यह भी पढे: सपने बड़े हो, क्या सपने होते है?, जीवन क्या है?,

बेइंतहा मोहब्बत

बेइंतहा मोहब्बत ,गिला-शिकवा ,
दर्द ए सितम,
ना मरहम कोई उन्होंने लगाया
बस
वक़्त बेवक्त
जख्म को नासूर बनाया
क्या क्या ना उन्होंने – क्या क्या ना उन्होंने
मुझ पर आजमाया
देखो तो सही अरे देखो तो सही
कमाल उनका था ये
उन्होंने हथियार भी ना उठाया
ओर
खून खंजर बिन मेरा कर दिया
और अब उन पर
इस जुल्म इल्जाम भी नहीं आया।

बेइंतहा मोहब्बत
जख्म

मिट्टी का घरौंदा

मिट्टी का घरौंदा अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा ही तो है, जो मै बनता हूं बार बार ,
फिर क्यों मैं ? यहाँ पर अपना
दिल और दिमाग इतना मै लगाता हूं
टूट जाता है, यह मिट्टी का घरौंदा जिसे

मैं इतनी मेहनत से बनाता हूं
एक दिन तो छोड़ जाना है सबकुछ, कुछ साथ नहीं मुझे अपने लेकर जाना है
फिर क्यों मैं?
दिल इस दुनिया से लगाता हूं, जो अक्सर टूट हुआ दिल ही नजर आता है, यह शरीर मिट्टी का घरौंदा ही है जो अक्सर टूट जाता है।

मिट्टी का घरौंदा ही तो है अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा




जीवन एक अवसर है

जीवन एक अवसर है।

जीवन को अवसर का मोहताज ना रहने दो, जीवन तो स्वत एक अवसर है, इसे एक अवसर , मौके के रूप में तुम लो , जीवन एक सुनहरा अवसर दे रहा है तुम्हें यू ना इसे तुम जाने दो

जीवन एक अवसर है इसको अवसर की तरह देखो जन्म ओर मृत्यु के बीच में हमे बहुत सारी जो जीवन यापन कर रहे है वह एक सुनहरा अवसर है इस जीवन को यू ही व्यर्थ न करे, इसे अवसर के रूप में ले ओर इस जीवन लक्ष्य को पहचाने, और लक्षे की और आगे बढ़े तथा जाने की आप यहाँ क्यों आए है? क्या कारण, उद्देश्य है इस जीवन का? इस बात को खोजने में अपना जीवन लगाए।

नींद को तोड़ो

जागरूक होना और जागरूकता क्या है ?

नींद ओर आलस को छोड़ना है , किसी भी कार्य के लिए तथा हमें अपने जीवन के लिए हमेसा तत्पर होना चाहिए  साथ ही सीखने और जानने की इच्छा रखना हर उस किर्या प्रतिकिर्या तो देखना जो हमारे जीवन के साथ घटित हो रही है जिन सभी कारणों से हमारा जीवन बदल रहा है

बिल्कुल सजग अवस्था में उसे देखना , महसूस, करना ही जीवन को ऊर्जा देता है तथा स्वयम के प्रति जागरूक करता है।

अपने अंदर जागरूकता को पैदा करो अर्थात नींद को तोड़ो विचारो को भली भांति देखना शुरू कर करो हमारा  शरीर तो आलस्य से भरा हुआ है

यह तो सोना ही चाहता है परंतु बुद्धि किर्याशील है जब हम सोते है तब भी बुद्धि कार्यरत है और अपना कार्य करती है रहती है परन्तु शरीर अचेत है वह आलस्य , प्रमाद चाहता है
कभी कुछ कार्य करना ही नहीं चाहता

हम रोज 8 घंटे की नींद ले रहे है और कुछ लोग ज्यादा तथा कम , हम सभी को रोज जीने के लिए  86400 सेकंड मिलते है हम उन्हें बिना सोचे समझे खर्च कर देते है लेकिन 86400 का हिसाब नही लगाते की हमने उन सेकण्ड्स का खर्च कहाँ और कैसे किया ?

जो लोग उन पलो का हिसाब रखते है वो बहुत आगे  निकल जाते है अपने जीवन को एक उद्देश्य के साथ जीते है और उनका समय उनके जीवन को एक उच्च स्तर देता है जिन लोगो ने समय की कीमत को पहचान लिया है वह लोग बहुत ऊंचाई को छू जाते है और जो समय की बरबादी करते है वह नीचे ही धंस जाते है

इसलिए अपने भीतर जागरूकता पैदा करना जागरूक होना है, अतिआवश्यक है विचारो के आने पर जाने को देखना ही जागरूक होना है

“नींद को तोड़ो”

जागरूकता कब और कैसे आएगी ?
जब आप अपने मस्तिष्क के विचारों को देखोगे ओर अपने शरीर के प्रति संवेदनशील बनोगे जागरूक होकर देखोगे स्वयम को अपने शरीर के दवारा किया जाने वाला कार्य को ध्यानपूर्वक देखो अपने सभी  विचारो के प्रति सचेत रहें सोच के लिए, अपने कार्य के लिए, वातावरण के लिए, अपनी स्तिथि और परिस्तिथि के लिए,  भावनाओ के लिए स्वयम के शरीर की संवेदनशीलताओं के प्रति जागरूक हो विचारके लिए, सकारात्मक ऊर्जा के लिए आप क्या कर रहे? 
क्या करना चाहते हो?

इसके प्रति जागृत हो सचेत हो, सचेत अवस्था में रहो देखो इस जीवन को और देखो जीवन के साथ होने वाली घटनाओ को वो सभी घटनाये हमारे साथ हो रही है हम कर रहे है या नही फिर भी वो घटनाये हो रही है क्योंकि हमारा जीवन विकसित होना चाहता है और हम सभी एक विकासशील प्रकिर्या का हिस्सा है जिसमे हम सभी को विकसित होने है।

हाल ए दिल बताऊं भी क्या ?

आंखे नम है ना जाने क्यो?
ना कोई गम है
ना मर्म है
फिर भी मेरी आँखें नम है
क्या समझू
इस बात को तूने जो ढाया सितम है
 
सितम समझू या कुछ और समझू?
 
क्योंकि अब तो
मुझे खुद की खबर नही
खुद ना जाने कही गुम हूं मैं
शायद थोड़ा चुप भी हूं ,
जिंदगी से बाते भी थोड़ी काम करता हूं
खुद से मिलने की कोशिश भी बहुत करता हूं
मगर
फिर वापस आ नही पाऊंगा इस बात से डरता हूं ,
कोशिश खुद को भुलाने की भी करता हूं
लेकिन भूल नही पाता हर वक़्त
अपनी बेबसी तमासा देख
मैं खुद ही नजर आता ,
धड़कने जोर जोर से धकडती है
धड़कने जोर जोर से धड़कती है
तू मेरे साथ है नही
इस बात से
मेरी धड़कने भी सुबकती है ,
क्या कहूँ??
क्या समझाऊ ??

लिखूं क्या अपनी दासता?
  बताऊ क्या अपनी हस्ती ?
जिसको चाहा था इस कदर
उसने ही जलाई मेरी दिल की बस्ती
किसके आगे हम अपने आंसू बहाय
किसको दुखडा हम अपना सुनाये
  है कोई ??
   जो हमारी स्तिथि को समझ को समझ पाए।
    मोहहब्बत कि थी कोई गुनाह नही
    जिसकी सजा मिल रही है बिना सुनवाई
  लगता है तुमसे बात करूं
  चाहे एक बार करू
   लेकिन बात तो करू
   फिर ना जाने क्यों?
    मन कहता है कि
   बात अब क्या करूँ ?
   बात अब क्या करूँ ?
जब तुम मेरा साथ छोड़ जाते थे
तो भरोसा टूट जाता था
लगता था कि तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?
क्या तुम उम्र भर मेरे साथ रह पाओगे ?
लाखो सवाल मन को कुचल देते थे
और में गुस्से में भर जाती था ,
मै बैठ वही रो दिया कर देता था  ,
तुम आओगे वापस बस यही आस
तुम्हारे आने की वापस लगये बैठ जाता था
अब क्या?
जो  तुमने साथ अब छोड़ दिया नाता जो था वो तोड़ जो दिया
  फिर काहे ? मै तुमसे इकरार करू
   ये तो दिल है मेरा जो सिर्फ मैं अब भी तुमसे ही प्यार करु क्या फिर दुबारा ?
   और बार बार अपने प्रेम का इज़हार करू , रिश्ता नाता कुछ बचा नही
   फिर काहे मै अश्क़ नैनन मैं भरु
    ये तो दिल है मेरा जो
    अब भी सिर्फ तुमसे ही मै प्रेम करू
बड़ी बेबसी है ये लोग हँसते है
मोह्हबत की हकीकत को जानकर


उन्हें पहचान कैसे कराऊ?
उन्हें एहसास कैसे दिलाऊ?
उन्हें इस मोह्हबत का दर्द कैसे बताऊ?
क्या आज खुद ही आईना मै बन जाऊ ?
कैसे उनको इस मोह्हबत का आईना दिखाऊ?
उन्हें रूबरू कैसे कराऊ?
दोनो छोर पर उन्होंने दरवाजा जो है बन्द कर दिया।
इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया
ना इस और आने को हम है
ना उस और को जाने को

इस तन्हाई में उन्होंने इस कदर साथ हमारा है छोड़ दिया     

जैसे पंछी बिन पंखों के पिंजरे से बाहर छोड़ दिया

इस मोह्हबत की हकीकत क्या है?
सिर्फ मै हूं जो जानता हूं
यू उनसे मोह्हबत थी बेपनाह पर
अब क्या ?
उन्होंने हमें कर दिया तबाह

कुछ तो मोह्हबत के आंसू तुम भी पी लेना

यदि मोह्हबत हो जाये खुद को तबाह कर मोह्हबत के साथ जी लेना

लगता है
कोई सुने कुछ पल मुझे भी बैठकर
फिर लगता है मैं सुनाऊ भी क्या?
हाल ए दिल बताऊ भी क्या?
हाल ए दिल क्या हुआ ये अब समझाऊ भी क्या ?
बस जो हुआ है उसको छिपाऊँ
लेकिन
 छिपाऊँ भी कहाँ?