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ख्वाब इतने

ख्वाब इतने सजाये कुछ मजाक बन गए, तो कुछ खाक हो गए, उन सभी ख्वाबो को, सवारने की कोशिश में, आज हम राख बन गए।

ज़िंदगी के रंगीन पल, ख्वाब थे हमारे संग,
चंद सपने बहुत हसीन, चंद उड़ गए हंसते-हंसते।
पर कुछ ख्वाब अज़ीब से, मजाक बन गए हैं,
खुद को खो देने का, ऐसा था तूफ़ान ज़ख्मी बन गए।

उन ख्वाबों का हारा, जो हम ने चाहते थे पाना,
ज़िन्दगी ने दिखाए राह, कठिन थी और अनजाना।
पर आशा की किरणों से, सवारे थे हम रातें,
जीने का आदान-प्रदान, करते थे सपनों के साथ।

ख्वाबों की उड़ान के लिए, ज़मीनों पर मिला कर,
हम बने राख और जले, जैसे मोम की मशालें संग।
आकाश की ऊँचाइयों में, थे हमारे सपने छाए,
पर रास्ते थे अज़ीब से, जो छूट गए अधूरे।

कुछ ख्वाब इतने अब रह गए, ज़मीनों की गोद में दबे,
उन्हें बनाने की कोशिश में, हम रह गए राख बने।
पर ये राख एक आग है, जो जलती रहेगी जीवन भर,
ख्वाबों की आग को, हम जीने का आदान देंगे।

सारी शिकायते

तुम्हारी सारी शिकायते सुनूंगा , तुम्हे सुलझा लूंगा , तुम्हे लिखना है मुझे, तुम्हे सुनाना है मुझे, एक खामोशी हटानी है तुम्हारे भीतर की जो तुम्हे फिर से नायब करे तुम्हे वक़्त दूंगा तुम्हारे हिस्से का

तुम्हारी सारी शिकायते सुनूंगा,
तुम्हें सुलझा लूंगा, तुम्हें सुनाऊंगा।
इक खामोशी हटानी है तुम्हारे भीतर की,
जो तुम्हें फिर से नायाब करे, तुम्हें वक्त दूंगा।

दर्द और गम के रास्ते तुम्हारे संग चलूंगा,
खुशियों की बहारें तुम्हें संग दिखलाऊंगा।
कागज़ पर तेरे इश्क़ की कहानी लिखूंगा,
हर एक अक्षर में तुम्हें अपना दिल सुनाऊंगा।

ज़ख्मों को तेरे दवा बनाकर लिखूंगा,
आँसूओं को मुस्कान में रंगाऊंगा।
तेरे अंदर छिपी ख़ामोशियों को जगाऊंगा,
तुझे वक्त के साथ फिर से पास लाऊंगा।

अपने शेरों में तुम्हें चाँद सितारे दूंगा,
ख्वाबों की मस्ती को तुम्हें सुनाऊंगा।
हर गम को तेरे दिल से उठा लूंगा,
मुसीबतों के साथ तुम्हें फिर से जीना सिखाऊंगा।

सारी शिकायते

तू लिखना ज़रूरी है मुझे, तू सुनाना ज़रूरी है मुझे,
एक नया अध्याय तेरी कहानी में लिखना है मुझे।
तेरी बातों को समझने का वक्त दूंगा मैं,
तेरे हर अल्फ़ाज़ को दिल के करीब लाऊंगा मैं।

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बेसहारा छोड़ दिया

मुझको तेरी यादों ने बेसहारा छोड़ दिया
मेरा दिल कितना सख्त था तूने वो भी तोड़ दिया

किसी के लिए इस दिल में जगह ना थी
तूने मुझेको ही बेपनाह कर छोड़ दिया

किसी को पनाह मेने भी ना थी
और तूने भी मुझे बेपनाह कर छोड़ दिया

मेने खुद का जिंदगी से नाता तोड़ दिया था
लेकिन तूने मुझे अपनी और फिर मोड़ लिया

लोगो ने कहाँ सच्चे वाला प्यार सिर्फ एक बार होता है
तूने ये झूठ कर दिखाया
दूसरी बार वाला तो और भी बेशुमार होता है।

टूटा फूटा

मैं टूटा फूटा ओर बिखर गया उन्होंने सीमेटा भी नहीं इस टूटे हुए दिल को वो बस यू ही बिखरा छोड़ चले उन्होंने मुड़ देखा नहीं, सीमेटा नहीं बेकदरी कर उस हाल में चल दिए।

टूटा फूटा ओर बिखर गया,
दर्द दिल का मेरा उठ गया आसमां में।
सीमेटा भी नहीं इस टूटे हुए दिल को,
वो बस यूं ही बिखरा छोड़ गयी मुझे यहां।

जीने के नगमे थे सजाए हुए,
अब जिंदगी के राग सुनाई नहीं देते।
प्यार के अरमान थे बहुत सजाए हुए,
पर अब तेरे बिना पल गुजराई नहीं जाती।

मेरे टूटे हुए दिल की आहटें,
मुझसे छिन गई हर रातें।
तेरे चरणों में मेरा सुख था,
पर वो भी छिन गया मेरे हाथ से।

क्या करूँ अब मैं इस टूटे हुए दिल से,
कहाँ जाऊँ इस विरानी की दस्तान सुनाने।
वो बस यूं ही बिखरा छोड़ गयी मुझे यहां,
और मैं आज खुद को खोजने में लगा हुआ हूँ।

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झूठी मोहब्बत

झूठी मोहब्बत, यकीन नही आता
तुम्हे भी मुझसे
मोहब्बत थी
वो भी झूठी

वादे थे हमारे, वचन थे सुहाने,
पर अब ये सब लगते हैं वो सब ठगने।

तुम्हारी हंसी, तुम्हारी मुस्कान,
अब हर सब्बा में बस एक बहाना निगलते हैं।

जैसे रात का अंधेरा, जैसे ख़्वाबों का धोखा,
तुम्हारी बातों में छुपा था एक बड़ा सच्चा।

प्यार का वादा था, इकरार की आस,
पर तुम्हारे दिल का कच्चा, बोलता था झूठा वास।

मोहब्बत का झरोखा, दिखावे की दुकान,
तुम्हारे लिए ये सब था सिर्फ़ एक फ़साना।

अब दिल में ये गुज़रते हैं तूफ़ान,
तूम्हारी मोहब्बत की ये थी कहानी जहान।

सोचा था तुमसे मिलकर हम बनेंगे ज़माना,
पर तुम्हारे दिल का रास्ता था बस एक धोखा साना।

अब ज़िंदगी की कविता में ये शब्द लिखता हूँ,
तुम्हारी झूठी मोहब्बत का सत्य प्रकाशित करता हूँ।

वो झूठी मोहब्बत
झूठी मोहब्बत

पता नहीं

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे है अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते है। ना वो हमसे कुछ कहते है और जिंदगी से उदास रहते है।

पता नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
अपने सीने में जो वो हर पल मुस्कुराते ही रहते हैं।

उनकी हंसी की बारिश में खो जाता हूँ,
मेरे दिल की झील में बह जाते हैं वो बार-बार।

जैसे छिपा हुआ है खुदा का एक राज़,
बिना वजह मुस्काने का वो उपहार देते हैं।

ना जाने कौनसे संगीत की सुरीली धुन,
उनके होंठों से बहती है बार-बार।

जब भी उनकी आँखों में देखता हूँ,
एक नया जहां बनता है हर बार।

वो राज़ी हैं खुदा से और अपने दिल से,
जैसे खिलते हैं फूल हर बगिया में बार-बार।

इतनी खुशियों से भरी है उनकी ज़िंदगी,
जैसे उजियारे हों सबके आस-पास हर जगह।

मालूम नहीं वो कौनसे राज छिपा के बैठे हैं,
पर उनकी मुस्कान से जगमगाती है दुनिया हर पल।

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मेरे हिस्से में

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से में,
मैंने यार भी तो फूल जैसे चुने हैं।

जीवन की राहों में थीं कठिनाइयाँ,
पर दोस्ती के फूल मुझे मिले हैं।
चाहत के रंग बिखेरे हैं हमने,
प्यार और सदा का वादा किया है हमने।

जैसे फूलों की खुशबू होती है अदा,
वैसे ही दोस्ती की मिठास है यारों।
हमारे बीते हुए पलों के साथ,
बनते हैं यादें, प्यार के प्यारों।

जब भी थक जाती हूँ राहों की चालों में,
फूलों की माला घुमाती हूँ मैं।
दोस्तों के साथ हाथ थामे चलती हूँ,
खुशियों की बहार बिताती हूँ मैं।

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से में,
मैंने यार भी तो फूल जैसे चुने हैं।
दोस्ती की दास्तान ये रंगीनी जारी रहे,
हर लम्हे में यारी की धुन बजे हैं।

काटे तो आने ही थे मेरे हिस्से में
मेरे हिस्से मे

काटें तो आने ही थे मेरे हिस्से मे, मैंने यार भी तो फूल
जैसे चुने हैं…

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चाय की चुस्की

चाय की चुस्की की तलब सुबह के समय तो ऐसी होती है,
मानो बिना चाय मेरे दिन की शुरुआत ही न हो रही हो।
लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा,
चाय की महक तुम तक भी पहुच रही है, यही बस बात होगी।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है,
मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।
चाय की चुस्की, चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है,
की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना,
चाय के बिना दिन की शुरुआत अधूरी सी महसूस होना।
चाय की तलब जैसे जीवन की एक आधारभूत आवश्यकता,
जो मन को शांति देकर दिल को बहुत सुकून देती है।

चाय की चुस्की लेने से लगता है दिल खुश हो जाता है,
कलम और कागज़ की जोड़ी बनती है, जब चाय की मिठास के साथ।
चाय की तलब इतनी है कि अक्सर शब्दों की कमी हो जाती है,
की सिर्फ एक चाय की मुलाक़ात से ही सब कुछ कह जाती है।

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हमसे नाता तोड़ कर

अब उसको क्या मिला ये खोकर,
हमसे नाता तोड़ कर जो बेवफा हुआ,
आज वह खुद भी तनहा है खुदी से,
प्यार की राहों में अकेला फिर रहा है।

दिल की गहराईयों में उसकी तरह,
बेवफाई की वजह से तू भी रो रहा है,
दर्द और तन्हाई की एहसास अब तुझे,
शायरी के रूप में अपना दर्द बयां कर रहा है।

ज़माने की ताकत जो थी वह गई,
वफादारी का वादा वह भूल गया,
जिसे ज़िंदगी ने धोखा दिया है,
वह आज खुद अपनी रौशनी खो गया।

शायरी के ज़रिए अपनी दर्द बयां कर,
दिल की आहटों को बदल दे ज़ुबां,
बेवफाई के गम को लेकर उठा ये दर्द,
हमसे नाता तोड़ कर न रह जाए अब अनजान।

हमसे नाता तोड़ कर
sanjay gupta shayar

क्या मिला उसको
हमसे नाता तोड़ कर
आज खुद भी तनहा फिर रहा है
हमको तनहा छोड़कर..

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बिछड़कर फिर मिलेंगे

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था,
ज़माने का डर भी था, अपने होने का यकीन कितना था।

बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था,
सपनों की राहों में तुम्हारा अमन कितना था।

चाहे राहें जुदा करे, या दूरियाँ हो जाएं,
हमारी यादों में सदा तुम्हारा असर कितना था।

फिर मिलेंगे जब बातें करेंगे लम्हों की,
दिल की धड़कनों में तुम्हारा इश्क़ इतना था।

यकीन नहीं होता था थोड़ा सा वक़्त बिताने का,
जब भी मिलते थे हम, इक पल जैसे जीना ही था।

बिछड़कर भी जब फिर मिलेंगे, तब साथ रहेंगे हमेशा,
क्योंकि हमारे बीच का प्यार हमेशा हसीना है।

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था

बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था
बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था