Posts tagged shayriya

मेरे ख्यालों में ही

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
ज़िंदगी की धूप में मेरे साथ ज़िंदा रहा करो।
तुम्हारी छाँव में मेरी रातें चमकेंगी,
तुम्हारी आवाज़ में मेरे गीत मेरी यादें बनेंगी।

तुम मेरे ख्यालों की बारिश की बूंदों में बरसो,
मेरी हर सांस में तुम चहकों बसो।
जब भी धड़कनें रुक जाएं, मेरे पास आना,
तुम्हारे होंठों से मेरी ज़िंदगी मिलाना।

तुम मेरे ख्यालों मे बिखरा करो मिलकर,
मेरी हर चाह को अपनी ख्वाहिश बना कर।
तुम्हारी मुस्कान बन जाए मेरी चंदनी रातों की,
तुम्हारी आँखों में खो जाए मेरी जिंदगी रातों की।

तुम मेरे ख्यालों में ही रहा करो,
मेरे दिल की हर धड़कन में बसा करो।
जब भी तन्हा महसूस करो, मेरा नाम बुलाना,
तुम्हारे साथ रहकर मुझे हमारी दुनिया सजाना।

यह भी पढे: तेरा ख्याल, बहुत सारा ख्याल, मेरे ख्यालों में, छोड़ दो ख्याल, तुम्हारा ख्याल

हम आसमान छूते है

अगर हमारे रोकने से वो रूक जाते
तो हम उनके सामने झुक जाते, हम आसमान छूते है

हम आसमान छूते है
Sanjay gupta shayri

जब हमारी रफ्तार से उन्मुक्त हो जाते,
और दूर तक वो हमें रोकने की कोशिश करते,
तो उन्हें जवाब में हम ये शायरी लिखते:

ज़िंदगी की राहों में चाहते हो रोकना हमें,
हम तो उड़ान भरने का जुनून रखते हैं।
ये वक्त नहीं रुकने का, ये रवाना हैं हम,
कोई ताकत नहीं जो हमें थाम सकते हैं।

जब बादलों की तरह हम आसमान छूते है,
और चाहते हो तुम हमें यहाँ ठहराने के लिए,
तो ये ख़्वाबों की दुनिया है, ये अद्भुत हैं जगह,
कोई बंधन नहीं जो तुम हमें थाम सकते हैं।

हम नदियों के सागर से उछलते हैं,
और चाहते हो तुम हमें बंधन में बांधने के लिए,
तो जाओ तुम और खो जाओ अपनी कहानी में,
हम तो खुद ज़िन्दगी के साथ निभाते हैं।

ये रास्ते नहीं रुकने का, ये आगाज़ हैं हमारा,
जिन्दगी की लहरों में हम बहते चलते हैं।
तुम चाहे जैसे भी हमें रोको, हम नहीं थमेंगे,
शायरी के सहारे अब हम बदलते चलते हैं।

यह भी पढे : तारीफ में क्या लिखू, दीवाना, सिसकिया, रूठे तो मनाए कौन

इश्क की खुमारी

जो शायरियाँ लिखी थी तेरे इश्क की खुमारी में
आज उसकी कीमत दस रुपए लगाई है कबाड़ी ने

इश्क की खुमारी
Sanjay gupta shayri

जो शायरियाँ लिखी थी तेरे इश्क की खुमारी में
आज उसकी कीमत दस रुपए लगाई है कबाड़ी ने

दिल की बातें जो लिखी थीं, वो अब बेचने आए हैं,
उन अक्षरों को अब एक मोहल्ले में बसाने आए हैं।

कितनी मेहनत से रची थीं वो शेरों की पंक्तियाँ,
आज उनकी कद्र बस रुपए की बिक्री में होती है।

प्यार की कहानियाँ, ज़िन्दगी की कविताएँ,
कबाड़ी की आँखों में बेचने को आज लाए हैं।

मेरे इश्क़ के बदले, दस रुपए की कीमत,
ये कैसी दुनिया है, ये कैसी कहानी है।

पर शायरी की ताकत नहीं घटी है मेरे दोस्त,
वो दिलों को छूने की क्षमता आज भी रखती है।

सोचकर बाजार गया

सोचकर बाजार गया था अपने कुछ अश्क़ बेचने…
हर खरीददार बोला, अपनों के दिये तोहफे बिका नहीं करते

मेरे दिल की गहराइयों में छुपी है ये कहानी,
जहाँ दर्द के बीज उगाए, प्यार के फूल खिला नहीं करते।

प्यार की कीमत सबको समझाने को आया था मैं,
पर जब देखा दुनिया ने, रिश्तों का मोल गिना नहीं करते।

हर चेहरे के पीछे छुपा है दर्द और गम का सौदा,
जब तक शायद उन्हें ख़रीदने वाला उनकी अदा समझा नहीं करते।

अश्क बिकाने गया था बाज़ार में, लेकिन वहाँ कोई ख़रीदने वाला नहीं,
क्योंकि प्यार और दर्द की कीमत कोई तोला नहीं करते।

सोचकर बाजार गया था।

यह भी पढे: हमसे नाता तोड़ कर, दिल को छु जाए, सिसकिया , मेरी आँखों को पढ़,