मित्र हो दयालु
दुनिया नहीं कृपालु ।
काम का दयालु मित्र ….
क्योंकि उसका अच्छा चरित्र ।
दयालु मित्र होता कोमल हृदय….
परेशानी दिक़्क़त में देता वो समय ।
उसका व्यवहार आपकी संपत्ति….
ध्यान रखना उसपर आये जब विपत्ति ।
व्यवहार का नहीं लेना अनुचित लाभ …
उसके जीवन से दूर करना अभाव ।
तुम भी निभाना मित्रता…
यही जीवन की पवित्रता ।
अच्छे मित्र का बने अच्छा मित्र….
सदा बसा ले हृदय में उसका चित्र ।
यही जीवन की शुभता….
हृदय से निभाना मित्रता ।
मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।
जब चले थे हम अकेले,
तब आया था तुम्हारा मेले।
बिना सोचे, बिना जाने,
तुमने बना दिया हमको तने।
जीवन के रस्ते थे अन्धेरे,
मगर तुमने फैलाई थी रोशनी।
सबके सामने रिश्ता,
बना दिया था जैसे खोयी।
जो दर्द छिपे थे आँखों में,
तुमने उन्हें पहचाना।
जब उदास था मन और दिल,
तुमने दिया था समझाना।
जीवन के हर मोड़ पर,
तुमने थामा हाथ हमारा।
जब हम थक जाते थे चलते,
तुमने दिखाई थी आशा की चमक हमारा।
तुम्हारी मित्रता है अनमोल,
दिल की गहराइयों में बसी है खुशियों की बोल।
विश्वास और सम्मान के संग,
तुमने बना दिया हमको अच्छे इंसान।
मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।
तुम्हारे साथ है सुख-दुःख की बातें,
तुम्हारे साथ है जीवन की राहें।
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