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सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।

मेट्रो का सफर

मेट्रो का सफर आज कुछ जो इस तरह से शुरू किया वो मजेनटा लाइन की और था, इस रूट पर वसंत विहार तक अधिकतम वही स्टेशन आते है जो कंटेनमेंट जोन है यहाँ पर सभी लोगों को आने ओर जाने की अनुमति नहीं होती जो इधर रहता है या कोई कार्ये करता है उसीको आने जाने अनुमति है, यदि इधर आपको जाना है तो आपको valid permission चाहिए होती है, तभी आपको उस ज़ोन में जाने की अनुमति मिलती है। जो स्टेशन कन्टैन्मन्ट ज़ोन में आते है उनकी अनाउन्स्मेन्ट पहले ही मेट्रो में होती है जिससे आपको यह पता चलता है की आप बिना वजह इधर नहीं उतर कर घूम सकते तो, तो इस बात का अवश्य ध्यान रखे। हम शायद करना के दौरान इस रूट पर से कही गए थे तब कंटेनमैंट जोन के लिए अनाउंस हुआ तो हमे लगा बहुत बड़ा कंटेनमेंट जोन है लेकिन आज जब फिर से इधर गए तो इसका मतलब यह आम रास्ता नहीं है भाई साहब तो इधर आना जाना प्रतिबंधित है।

जैसा की आप इस बॉर्ड को देख रहे है उसमे मेट्रो ट्रेन के कोचेस में कितनी जगह भरी हुई है उसे प्रतिशत में दिखाया गया है। जिससे यह पता चलता है की कौनसे कोच में कितने प्रतिशत लोग बैठे है, ओर आपको जगह मिल सकती है या नहीं इसी उद्देश्य से यह बोर्ड लगे है, इसी बोर्ड को देखकर आप भी उस कोच में एंट्री करे ओर सीट पर बैठे यह जनकपुरी पश्चिम से बोटोनिकल की मेट्रो के मध्य का रास्ता है।

मेट्रो का सफर कुछ इस तरह था
मुनिरका मेट्रो स्टेशन

 

जनकपुरी से सदर छावनी तक एक लंबी टनल है जो सबसे लंबी टनल रूट है दिल्ली मेट्रो का यही मेट्रो बोतनिकल गार्डन तक कई बार टनल से होकर गुजरती है, जब टनल से बाहर आती मेट्रो तब मैं बादलों की तस्वीर ले लेता आज कुछ मनमोहक दृश्य आसमान में बन रहे थे बादल जैसे मेरा मन लूट रहे थे, मैं जब निकला था घर तब समय नीचे वाली तस्वीर दर्शा रहा हूँ, बादलों की ओट में सूरज छुपम छिपम खेलते है ये भी बता रहा हूँ।

समय
समय

आज सूरज चाचू बड़े अच्छे मूड में थे एसा लगा की वो छुपम छुपाई खेल रहे थे कभी बादलों की ओट में छिप रहे थे तो कभी उस ओट से बाहर निकल रहे थे, जैसे बादलों से बाहर आते तो अद्द्भुत दृश्य बादलों का दिख रहा था, कुछ कुछ प्रतीत हुआ इंद्रधनुष भी कही बन रहा था लेकिन ना जाने वो मेरी आँखों से कही दूर छिप रहा था।

बादल
बादल

बादलों के दृश्य को देख मैं मनमोहक हुए जा रहा था मानो मैं बादलों सा होने की दुआ मांग रहा था लेकिन ये सच कहाँ होने को जा रहा था जैसे जैसे मेट्रो स्टेशन पास आ रहा था , मैं अभी जमीन पर हूँ मैं आसमान से बादलों को मांग रहा था।

मेट्रो का सफर कुछ इस तरह था
बादल

आज मेट्रो का सफर इतना ही किया बाकी फिर दुबारा मिलेंगे

दिल्ली के बारे में कुछ बाते

दिल्ली जो कि भारत की राजधानी है। भारत के चार महानगरों में से एक है। और एक ऐतिहासिक शहर भी है। दिल्ली महानगर में मुगल काल की भी कई विश्व विख्यात विरासते आज भी मौजूद है। इसी दिल्ली में 16वीं शताब्दी मे तब्दील हुई जामा मस्जिद लाल किला आज भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वही पास ही में चांदनी चौक जैसा एक भव्य बाजार मौजूद है जिसमें कि तरह-तरह के व्यंजन पकवान वह हर तरह की खरीदारी के सामान उपलब्ध हो जाता है।    

    दिल्ली को तीन और से हरियाणा की सीमा लगती है, जबकि इस के पूर्वी छोर पर उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र लगभग 573 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली शहर की आबादी 11 मिलियन है जोकि मुंबई के बाद भारत का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है।       

                                     अगर दिल्ली शहर की प्राचीनता की बात की जाए तो 10 वीं शताब्दी में यहां पर तोमर राजाओं का राज्य था। उन्हीं तोमर राजाओं का एक वंशज पृथ्वीराज चौहान था जिसने कि दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। और वही पृथ्वीराज चौहान दिल्ली का अंतिम हिंदू शासक था। उस पृथ्वीराज चौहान के बाद दिल्ली में लगातार तुर्क और मुगलों का आक्रमण होने लगा। जिसमें कि पृथ्वीराज चौहान के तुरंत बाद गुलाम राजवंश आया उसके बाद खिलजी, तुगलक , सैयद और लोरी राजवंश आए। यह सभी मुस्लिम शासक थे। इसके बाद अंत में पानीपत की लड़ाई में बाबर ने लोधी व राजवंश को हराकर दिल्ली में मुगलिया सल्तनत की नींव रखी। इसी मुगलिया सल्तनत में बाबर के बाद बाबर का वंशज हुमायूं आया जिसने की दिनपनाह महल जो कि आज के समय में पुराने किले के नाम से मशहूर है का निर्माण करवाया। और हुमायूं की मृत्यु भी उसी दिन प्रणाम महल में सीढ़ियों से गिरकर हुई थी।     

                अनेक दर्शनीय स्थल जैसे की कुतुब मीनार, सिकंदर लोदी का मकबरा, इंडिया गेट आदि कई विरासत ए आज भी मौजूद है।  

   अगर हम नई दिल्ली की बात करें तो नई दिल्ली को अंग्रेजों ने सन 1911 में अपनी राजधानी बनाया। अंग्रेजों ने भी दिल्ली में कई भव्य इमारतों का निर्माण करवाया। आज इतना भव्य इंडिया गेट हम देखते हैं असल में यह प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विरासत के रूप में तैयार किया गया वह उन सैनिकों के नाम आज भी इंडिया गेट पर लिखे हुए हैं। उसके अलावा राष्ट्रपति भवन विधान सभा वह कनॉट प्लेस भी अंग्रेजों के द्वारा ही बसाई गई विरासत है।    

          आध्यात्मिक तौर पर भी दिल्ली शहर में काफी पुरानी विरासत ए रही है। सूफी संत निजामुद्दीन औलिया भी इसी दिल्ली में रहे हैं जिन्होंने दिल्ली में 15 राजाओं का शासन देखा और उन्हीं के शिष्य अमीर खुसरो जोकि तबले के अविष्कारक और खड़ी बोली के जनक भी हैं उन्होंने भी 10 राजाओं का शासन देखा वह उन 10 राजाओं के दरबार में रहे। उसके अलावा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की मजार भी हमें महरौली क्षेत्र में देखने को मिल जाएगी राजा कुतुबुद्दीन ने इन्हीं के नाम पर कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था।

Written by Pritam Mundotiya