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तुम्हारी यादों का ढेर

अक्सर तुम्हारी यादों का ढेर लग जाता है
जब भी तुम्हारा एक छोटा सा ख्याल आता है।
दिन कट नही पाता रात लंबी हो जाती है
तुम्हारी यादों का सफर खत्म होता हुआ
नजर ही नही आता है

और

इस कदर मेरा हाल बुरा हो जाता
मानो हरा भरा पेड़ तेज़ आंधी में
अपनी खुशहाल जिंदगी को सलामत रखने की गुहार लगाता है

तुम्हारी यादों का ढेर
तुम्हारी यादों का ढेर

लेकिन उस पेड़ की गुहार कोई सुन नही पाता है कुछ क्षण
बाद ही हरे भरे पत्तो से भरा पेड़ सुने जंगल में तब्दील
नजर आता है वो रोता, चिल्लाता , बिलखता है
लेकिन कोई उसकी पुकार कोई नही सुनता
वो पेड़ अब हरा भरा नही सुना सुना नजर आता है।

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