ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड का एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ा होना ही अखंड कहलाता है,

इस पर कुछ पंक्तियों के माध्यम से अपने शब्दों की छोटी सी रचना की है।

कविता का शीर्षक “ब्रह्मांड अखंड है

ब्रह्मांड अखंड…
शक्ति का अदभुत मेला प्रचंड ।
ब्रह्मांड अदभुत….
व्यवस्था में नहीं कमी एक सूत ।
ब्रह्मांड अकल्पनीय…
कार्यशेली गोपनीय सुरमय ।
ब्रह्मांड निरंतर……
सदा विस्तारित चक्र ।
ब्रह्मांड क्यूँ……
एक गहरा गोपनीय खेल विहू ।
ब्रह्मांड व्यवस्था…..
देखे जैसी जिसकी आस्था ।
ब्रह्मांड ऊर्जा….
स्वयं संचालित व्यवस्था ।
ब्रह्मांड के नियम…..
सबके लिए सम ।
ब्रह्मांड का महत्वपूर्ण हिस्सा पृथ्वी
जीवन यौवन से वो उजरी सँवरी ।

धन्यवाद यह रचना राम ललवानी द्वारा लिखी गई है

साथ ही आप ब्रह्मांड का जुड़ा होना एक छोर से दूसरे तक पढ़ सकते है।

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