क्या है जिंदगी ? यह एक बहुत बड़ा विषय है और जिंदगी को आसानी से समझ पाया है। जिसने समझने की कोशिश की है वो खुद ही उलझा हुआ नजर आया है।
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शब्दों का सलीका
शब्दों का सलीका शब्दों को कहने के लिए एक सलीका चाहिए होता है हुजूर जो हममे नही है आया अब तक बस इसलिए दुनिया वाले हमे बतमीज कहते है। लेकिन हम क्या करे हमारे शब्द तो बेबाक निकल जाते है।
शब्दों का सलीका जब सही हो जाए,
तब उनसे विचारों का अभिप्राय बन जाए।
शब्दो की दुनिया बहुत रंगीन होती है,
जो जीवन के दुख सुख का अभिव्यक्ति करती है।
कुछ शब्द गहराई तक जा पहुंचते हैं,
तो कुछ बस छोटी सी बातों को दर्शाते हैं।
शब्दो की बारिश हो जब बाहर,
तब रहते हम अपने अंदर।
शब्दों की धुन हो जब सुहानी,
तब दिल के सारे गम हो जाते पानी।
शब्दों की सलाह से मिलती है हमें राहत,
जो जीवन की कठिनाइयों से देती है छुटकारा।
शब्दो का सलीका जब सही हो जाए,
तब उनसे विचारों का अभिप्राय बन जाए।
शब्दों को सही ढंग से उच्चारित करो,
तब उनका असली मतलब सबको समझ में आएगा।
शब्दों का जो सलीका सही हो जाए,
तो उनसे विचारों का अभिप्राय बन जाए।
शब्दो का सलीका होता है,
जो इंसान को अलग बनाता है,
कुछ शब्द चुने तो आदमी बदल जाता है,
और कुछ शब्दों से इतिहास बन जाता है।
शब्दों का सलीका होता है,
जो दिल को छू जाता है,
जो दिल को झकझोर देता है,
जो दिल को खुशी से भर जाता है
शब्दों की ताकत होती है, जिनसे व्यक्ति जीवन बदल जाता है,
बच्चे की हंसी से दिल खुश हो जाता है,
और किसी के दुख से दिल दुखी हो जाता है।
शब्दों के सलीके से कुछ नया करो,
जो दुनिया में नहीं होता है,
कुछ नया सोचो, कुछ नया बोलो,
जो लोगों को मोहित करता है।
शब्दो का सलीका होता है,
जो दिल में रहता है,
जो दिल से निकलता है,
वो आदमी को अलग बनाता है।
सलीके से बोलो, सलीके से सुनो,
जो दुनिया को नया करता है,
शब्दों का सलीका होता है,
जो इंसान को अलग बनाता है।
प्रेम क्या है
प्रेम क्या है ? यह कैसे बयान कर पाउ , हर छोर हर ओर बस प्रेम ही प्रेम मैं पाउ
इस प्रेम को मेरे सारे शब्द और मेरी उम्र बीत जाए
चन्द लफ्जो में बयान क्या करू ?
लेकिन प्रेम का अर्थ पूरा मेरे शब्द भी ना कर पाए
फिर भी एक नाकाम कोशिश सी है कुछ बताने की,
एक नया रिश्ता बनाने की ये संबंध वो है
जिसमे हर एक रिश्ता नाता समा जाता है
मत भेद दिलो मेंं जो है वो दूर हो जाता है ,
असीम आसमान भी धरती की औढनी नजर आता है
जब कभी सतरंगी होता है आसमान
तब यही आसमान एक छोर से बाहे फैलाये दूसरे छोर को जाता है
तब देखो क्या मधुर संबंध धरती और आसमान का बन जाता है यह प्रेम है जो धरती और आसमान को एक करता हुआ नजर आता है
यह प्रेम है जो पूरे ब्रह्मांड को एक शब्द में बांधे नजर आता है
यह प्रेम वो है जो ना शब्दो से बयान हो पाता है
ना मौन से यह प्रेम तो शब्द और मौन दोनो के पार ले जाता है।
यह भी पढे: यह प्रेम है, जीवन एक प्रेम कथा, प्रेम शब्द, प्यार का इजहार,
क्या है दुख
क्या है दुख ? दुख क्यों पैदा होता है ? दुख के पैदा होने कारण क्या है ??
वैसे तो दुख जैसा कुछ नही है बस एक विचार है जिसको हमने बहुत बड़ा बनने का मौका दिया है इस दुख शब्द को हमने थोड़े भाव क्या दे दिए ये दुख तो हमारे सिर पर ही चढ़ने लग गया है और हमारे सिर पर ही मंडरा रहा है तथा जकड़ कर रखता है ताकि हम इससे छूट ही ना सके
अपने जीवन पर हावी होने मौका दिया है और यह बस बढ़ता ही जाता है और सुख का आनंद क्षणभंगुर होता जाता है अब सुख का जो समय है वो छोटा हो गया क्योंकि हमने दुख को अधिक महत्व दे दिया है दुख को हम पाल पोष रहे है लेकिन सुख को बस एक पल का समझ कर जिये जा रहे है सोचते है यही कुछ पल है जी लो सुख के लेकिन यह कुछ पल हमने ही सीमित किये है इनको
हमने ही सिकोड़ कर रख दिया है दुख अपना विस्तार कर रहा है और सुख सिकुड़ता ही जा रहा है
दुख एक विचार है और यह विचारो का एक समूह बना लेता है इस मस्तिष्क में जिसके कारण दुख बढ़ता जाता है जो बार बार अलग तरीको से हमारे मन के द्वारा बुद्धि को बार बार नकारात्मक बिचारो की और बल दिलवाता है जिसके कारण है हम सिर्फ अपने भीतर उन विचारो का समावेश कर लेते है जिनसे हम अपना मानसिक संतुलन खो देते है।
जब दुख को आमंत्रण दिया है तो इस दुख को भी हँसना सिखाओ उसके साथ भी खेलो दुख है एक ऐसा रिश्तेदार है जिसकी खातिरदारी करने पर वो भाग जाता है यदि इन दुखो को देखकर ओर दुखी हुआ जाएगा तो फिर यह भी ओर समय तक रुक जाता है इसलिए ऐसा रिश्तेदार कहा मिलेगा जिसकी खातिरदारी करने से वो जल्दी चला जाए ऐसा रिश्तेदारों को तो गले से लगाना चाहिए
दुख को अपनेे जीवन से कैसे निकाले ?
क्या है दुख ? यह दुख मात्र एक विचार है जिसको आप बढ़ावा दे रहे है अनेकानेक सम्भवनायो के साथ जो वास्तव में कुछ भी ना थी दुख और सुख समानांतर ही बात है लेकिन हम दुख का चिंतन ज्यादा लंबे समय तक करते है इसलिए दुख हमारे साथ चिपक जाता है और सुख बहुत काम समय के लिए हमारे साथ पाता है
यही कारण है हमारा जीवन ज्यादातर दुख से घिरा रहता है
और सुख से अछूता होता जा रहा है
दिन का चैन
आँखे भीग जाती है मेरी
जब मैं तेरे बारे सोचता हूँ
दिन का चैन खो जाता है
और
रातो की नींद उड़ जाती है
सारे सपने भूल जाता हूं
ना सोता हूं ना जागता हु
पागलो की तरह बड़बड़ाता हुआ
लोगो को नजर आता हूं
जब मैं तेरे बारे में सोचता हूं
ना काम कर पाता हूं
ना खाली बैठ पाता हूं
तेरी याद में ना जाने कहाँ खो जाता हूं
तुझको भूल ही नही पाता हूं
फिर ये बात भी गलत लगती है
कि मैं तेरे बारे सोचता हूं
तू तो मेरे खयालो से नही जाती है
हर पल हर दम तू मेरी
सांसो की धड़कनों में धड़कती
हुई सुनी जाती है
फिर कैसे कह रहा था मैं
की जब भी तू मेरी यादों में आती है
अब तो यह बात मेरी सांसो ने भी झुठलादी है
की जब तू मेरी यादों में आती है
मैं मनमर्जी हूँ
हाँ और ना एक इशारा है जो मुझे बिल्कुल पसंद नही इसलिए मैं मनमर्जी हूँ, हाँ और ना, एक इशारा है,
मन की बातों का पहरेदारा है।
कभी मंज़ूरी, कभी अस्वीकार,
इसे समझने में है कठिन बहुत बार।
हाँ कहने से हमेशा डर लगता है,
ना कहने से दिल को तसल्ली नहीं मिलता है।
कभी खो देते हैं अच्छे मौके,
कभी अच्छे मौके खुद ही छोड़ देते हैं।
इशारा ज़रूरी हो जाता है कभी-कभी,
जब शब्दों में नहीं बयां हो पाती कहानी।
पर दिल के बातों को समझना तो है मुश्किल,
हर इशारे पर विश्वास करना उचित नहीं होता है।
मनमर्जी होना, कुछ लोगों को अच्छा लगता है,
खुद को खोलना, सबको अपनी बात कहने में खुशी मिलती है।
पर हाँ और ना की दुनिया भी जरूरी है,
समझने वाले के लिए यह एक अद्वितीय कहानी है।
हाँ और ना एक इशारा है जो मुझे बिल्कुल पसंद नही इसलिए मैं मनमर्जी हूँ, हाँ और ना, एक इशारा है,
जिंदगी
जिंदगी तेरे बिना कुछ ऐसी है
और कुछ वैसी है
जिंदगी और जब तू साथ है
जिंदगी और जब तू साथ है
तो लगता है कि कुछ है जिंदगी
हाल क्या बताऊँ ?
कुछ हाल ऐसा है कुछ हाल वैसा है
बस मसक्कत से भरी है जिंदगी
जब तू दूर जाती है तो रूठ जाती है
जिंदगी तू पास आती है
तो मुस्कुराती और खिलखिलाती भी खूब है
ये जिंदगी
गम ए छुपाये नहीं ये छुपता लगता है
बेमुरम्मद सी है जिंदगी
आंसुओ से आँखे भर भर जाती है
जब तू इन आँखों से दूर चली जाती है
चिरागे रोशन तू कर जाती है
जब तू फिर से पास आती है
ना जाने क्यों तेरे बिना ?
बेतहासा बेहाल सी है जिंदगी लगता है, कुछ फटेहाल सी है जिंदगी
लेकिन जब तू पास होती है
तो कमाल सी है जिंदगी
ना जाने क्या क्या करती धमाल सी है ये जिंदगी
इसलिए तू दूर जाना मत मुझे छोड़ कर
वरना लगेगी दुर्भर सी ये जिंदगी
अगर तू पास है तो हर हाल में मस्त है ये जिंदगी
तू साथ है इसलिए जबरदस्त भी है ये जिंदगी
तेरे बिना कुछ ऐसी है कुछ वैसी है जिंदगी
थोड़ा बहुत इश्क
ये जो मुझे थोड़ा बहुत इश्क होता नजर आया ये तो सच है तेरे साथ होने से ही नजर आया है ये कुछ खट्टा, कुछ मीठा, तीखा , फीका बस जैसा भी आया तेरे होने से ही आया … के अब झुठला कैसे दु इस इश्क़ को जो मनचला बन बावरा तेरे ही ख्यालो में हर वक़्त डूबता सा नजर आया … तू ही बतादे ,तू कुछ तो समझा दे
मुस्कुराहट
परेशानिया खुद दम तोड़ देती है, जब वो मेरी मुस्कुराहट के सामने आती है।
मुस्कुराहट के सामने तो अच्छे अच्छे झुक जाते है, लक्ष्मी देवी भी वही आती है जहां मुस्कुराहट होती है, मुस्कुराने से बहुत सारी समस्याओ का हल हो जाता है, बहुत बड़ी बड़ी परेशानी खुद ही छोटी होने लगती है।
मुस्कुराहट में जादू है, एक अद्भुत शक्ति है, इस शक्ति का प्रयोग करो, बहुत बड़ी बड़ी लड़ाई टल जाती है जब इन होंठों पर मुस्कुराहट आती है।
हिम्मत कर राही
हिम्मत कर राही
कोशिश करते रहो, कभी न मानो हार ।
हर मुश्किल से लड़ने को,
हरदम रहो तैयार।
अच्छा हो चाहे , चाहे हो बुरा समय ।
तुम्हें रहना होगा, सदा ही निर्भय।
हिम्मत की बागडोर को, कभी न छोड़ना बीच राह ।
आगे ही बढ़ते रहना, होना न गुमराह।
जिंदगी की डगर माना है नहीं आसान ।
आखिर तुम्हें बनानी है अपनी नई पहचान।
भीड़ से अलग हो जाने का , न करना कोई गुमान ।
मिलकर आगे बढ़ते रहना , छिपाना ना मुस्कान।
इस दुनिया की फुलवारी में, हैं खिले अनेकों सुमन ।
पर तुम्हें बनाना है, गुलाब जैसा मन।
अपने होठों की हंसी को, रखना हमेशा बरकरार।
वक्त आकर ठहरेगा , तुम्हारे लिए इक बार।
Akme mittal