हम रूठे तो मनाए कौन
दिल को समझे बिना कौन?
शायरी की जद्दोजहद से,
हमारी रूह को छू जाए कौन?
जब दर्द बड़ा हो जाए हमारा,
तो कौन संभाले हमारा?
शेरों के रंग में लिपटी हैं ये दिल की बातें,
मगर ध्यान से पढ़े बिना, कौन समझे हमारा?
जब तन्हाई साथ रहे अकेलापन,
और जीवन की हो मुश्किलें अपार,
तब कौन है जो आए हमारे पास,
और हमें खुशियों से नवाएं खुद को तार?
शायरी की जुबां से बयां किया हैं हमने,
अपने अहसासों को छिपाया हैं हमने।
लेकिन उम्मीद हैं इस शायरी की दुनिया में,
कोई आएगा और मनाएगा हमारा।
कभी कभी हम रूठ भी जाए तो हमे मनाए कौन ?
बस यही सोचकर खुश रह लेते है…
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