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एक सकारात्मक बुद्धि

एक सकारात्मक बुद्धि जब हर दिशा में कार्य करती….
जीवन बाँटता अनंत ख़ुशियाँ, सब कमियों की क्षतिपूर्ति ।
सकारात्मक बुद्धि अच्छे सच्चे कर्मों का वो कारण…..
वर्तमान प्रकाशमय ओर भविष्य भी प्रकाशित होता असाधारण ॥

एक सकारात्मक बुद्धि सुलझी होती ,नहीं वो जाती चिंता में घुल …
समस्या की जड़ में करती आक्रमण ओर जड़ करती निर्मूल ।
सकारात्मक सोच ओर विचारो को करे प्रचारित विस्तारित….
जीवनो में भर जाए नई ऊर्जा , सुदृढ़ विचारो हो अवतरित ॥

सकारात्मक बुद्धि अच्छे सच्चे कर्मों का वो कारण,
जो देता है जीवन को सार्थकता का मान।

सोच विचारों को ऊँचा उठाए,
नकारात्मकता को दूर भगाए।

बुद्धि में ज्ञान की बारिश हो,
सकारात्मकता से हमेशा ऊपर रहो।

दृष्टि में उजाला और सच्चाई की चमक,
हर कार्य में सकारात्मकता का अभियान चलाएं।

अच्छे कर्मों का फल यहाँ भोगें,
ख़ुशियों के रंगों में धूम मचाएं।

नकारात्मकता को दूर कर खुद को परिवर्तित करें,
सकारात्मक बुद्धि से जीवन को सजाएं।

ऐसी सकारात्मक बुद्धि हमारे जीवन में बसे,
जो खुशियों के पर्वत में हमेशा उड़ान भरे।

सकारात्मक बुद्धि की ज्योति हमेशा जले,
खुशहाल और सफल जीवन की मुस्कान सदा बने।

सकारात्मक विचार

सकारात्मक विचार का जेसे जेसे होगा विकास गतिमान होंगे सकारात्मक बदलाव….
विकास ओर बदलाव पूरक ओर समान्तर का दोनो में निहित भाव ।
विकास हो चाहे व्यक्ति का , चाहे समाज हो विकसित…
सोचने का दृष्टिकोण में बदलाव होता अपरिमित ॥

हर समाज हर व्यक्ति की चाहत आए विकास की लहर…
कर्म करे निरंतरता से इसी दिशा में सुबह हो या शाम पहर ।
फिर विकास बनेगा अधिकार ओर सोच होगी सम्मानित…
यह परम सुख जीवन का सब कुछ इसमें हे समाहित ॥

सकारात्मक विचार जब विकास की राह पर जाते हैं हम,
तो सकारात्मक बदलाव होते हैं क्रमशः।
संघर्षों से भरी है यह यात्रा,
पर सफलता की ओर हैं हम जुनूनी।

विकास और बदलाव दोस्त हैं हमारे,
स्वभाव समान्तर दोनों के विचारे।
चमकती है जब सभ्यता की रौशनी,
तब विकास का दीप प्रज्वलित होता है।

व्यक्ति का विकास हो या समाज का,
आगे बढ़े रास्ते पर जब राज करता है।
प्रगति के पथ पर नए आयाम होते हैं,
और सबको मिलता है नया सामर्थ्य का आभास।

समृद्धि और समाजिक न्याय की ओर हम,
बढ़ रहे हैं जब एकसाथ जोड़ते कदम।
विकास के रंग से रंग रहा है यह संसार,
हर दिन हो रहा है समृद्धि का उद्घाटन।

जगमगाती है जब विज्ञान की ज्योति,
तब तकनीकी उन्नति का अहसास होता है।
विकास और बदलाव का संगम होता है,
जब सबको मिलता है सुखी जीवन का आदान।

चलो आगे बढ़ें विकास की ओर,
बदलाव के रास्ते में हों साथी हम।
सकारात्मकता से जीने का संकल्प लें,
बनाएं यह दुनिया सुंदर और विकसित हम।

जब हृदय हो निर्मल

जब हृदय हो निर्मल ….
मन मस्तिष्क न हो चंचल …
तो सुखद स्वस्थ जीवन हर पल…
हमेशा बनेगी सुखद स्थिति सबल ।

मन मस्तिष्क हृदय रहे निर्मल….
स्थिति फिर रहती वो संभल ….
वर्तमान ओर भविष्य आए नज़र…
पकड़ लूँगा जो कही दूर अम्बर।।

हृदय में प्रेम की धारा बहे,
क्रोध और द्वेष से दूर रहे,
प्रेम की मिठास जीवन में छाए,
सुखद रहे जीवन की यात्रा बनाए।

मन को शांति से भर दे,
अविचलित बनाए खुद को रखे,
चिन्ता और चिंता से दूर रहे,
मस्तिष्क को स्वच्छ रखने का ध्यान दें।

स्वस्थ जीवन का आधार है योग,
ध्यान और आत्म-संयम के रोग,
योग से शरीर और मन को बल मिले,
सुखद जीवन की ओर अग्रसर हो जिले।

संतुलित आहार और नियमित व्यायाम,
शरीर को रखे स्वस्थ और निराम,
विश्राम और पर्याप्त नींद का ध्यान रखे,
सुखद जीवन के लिए नवीनतम राह चुने।

हृदय और मन की समृद्धि जब हो,
स्वस्थता और सुख का संगम हो,
तो हर पल खुशहाली से भर जाए,
सुखद स्वस्थ जीवन की उमंग हो जाए।

जब हृदय हो निर्मल,
मन मस्तिष्क न हो चंचल,
तो सुखद स्वस्थ जीवन हर पल,
हमेशा बनेगी सुखद स्थिति सबल।

समय की नब्ज

समय की नब्ज पहचानना ….
हे मौक़े की नज़ाकत जानना ।

मिले हुए अवसर को सम्भालना….
उसके उपयोग से जीवन को संवारना ।

ये दो कदम ले आते सफलता….
जीवन खूब फलता फूलता ।

समय की नब्ज पहचानना,
हे मौके की नज़ाकत जानना।

ज़िंदगी की धारा में बहता समय,
हमेशा बदलता, नए रूप लेता है।
उसकी लहरों को समझना है कल्पना,
ज़रा सी गलती, तो जाए वो बहता है।

कभी तेज़, कभी धीमा, चलता जाता है,
हर लम्हा नया रंग लेता है।
मौके की नज़ाकत जानना है कल्पना,
वक्त के मोड़ पर अपना किस्सा बनाता है।

जब भी मिले एक नया संध्याकाल,
समय के गहरे रहस्यों को सुनना है।
हर क्षण की ध्वनि को समझना है कल्पना,
अनुभवों की लहरों में गहराई जानना है।

समय की नब्ज पहचानना,
हे मौके की नज़ाकत जानना।
जीवन के रंगों को पिए जाना,
अपनी कहानी को गगन में छाना।

जीने का आनंद बस यहीं है,
मोमेंट्स को गले लगाना है।
ज़िन्दगी की खुशियों को चुनना है कल्पना,
समय की गति में खुद को समाना है।

व्यवहार कैसा हो

व्यवहार कैसा हो ? यह बात मैं भूल जाता हूँ, मेरे जीवन का नियम सही हो सभी बराबर है, सबको आदर ओर सम्मान की दृष्टि से ही देखू

भूल जाता हूँ मैं कि दूसरे के
साथ वही व्यवहार जो चाहते
स्वयं के साथ ….
यही नियम सही जीवन का
सब बराबर हे यही
सच्चा परमार्थ ।

कुछ ज़्यादा पाने के
लोभ रोग के रहते
लगी बीमारियाँ..
सम्यक् दृष्टि
के निरंतर प्रयोग
से दूर होंगी दुशवारियाँ ॥

व्यवहार कैसा हो ? भूलता हूँ मैं कभी-कभी,
दूसरे के साथ वही व्यवहार,
जो चाहता स्वयं के साथ।

सोचता हूँ अक्सर,
मेरे बारे में ही हो सब,
सबका वही नियम, सबका वही लब।

पर क्या सच है यही,
जीवन का सही नियम?
क्या सबके साथी हैं,
हमारे भावों के नियम?

जब तक न पहचानें,
दूसरों के मन की बातें,
हम रहेंगे अनजान,
और भूलेंगे अपने अपने प्राण।

व्यवहार में एकता,
सच्चे मित्रता का आदान,
यही है सच्ची जीवन की,
सबके बीच सम्बन्ध की पहचान।

तो जगाएं एकता की आग,
प्यार से बांधें धरती को राख,
दूसरे के साथ जीना सीखें,
स्वयं को खोजें, नया व्यवहार जीने।

सबके बीच सम्प्रेम का निवास,
यही है सच्ची खुशियों की उपास,
भूल जाएं अपने अहंकार को,
और जीने लगें सबके साथ नये अंदाज़ में।

मंजिल की तरफ

मंजिल की तरफ तू बढ़ता चल , हर राह को पार कर तू आगे निकल , मुश्किलए आती है राह में लेकिन तू घबरा मत कामयाबी तेरी राह रही है तू बस आगे निकल

कामयाबी के सफ़र में धूप महत्वपूर्ण…
धूप बदलती छाँव तो बात होती पूर्ण ।

धूप एक घटना भीतरी शक्ति का इंधन …
सच्चे कामयाबी के रास्ते का हे चयन ।

अथक सदा नज़र हो मंज़िल की तरफ़…
कोई कुछ भी बोले न पड़े तुम पे फ़र्क़ ।

तैयारी हो ऐसी चाहे धूप या हो छाँव….
नव नूतन कामयाबियाँ पे लगाने हे दाँव ।

शब्दों की गठरी जो

शब्दों की गठरी जो अनचाही है उसे ही लेकर घूम रहे हो, उन अनचाहे शब्दो को हटाकर जिन शब्दो को चाहते हो, उनको बांध लो और उनके ही साथ चलो फिर देखो सफर कैसा मस्त हो जायेगा, मंजिल आसान लगेगी मुसीबतें चाहकर भी करीब ना होगी दुख भी सुख में झट से बदल जाए।

बड़बड़ाना

बड़बड़ाना भी कैसा होता है , जब दिमाग खुद से ही बाते करने लग जाता है , जब दिमाग संतुलन में ना हो और जुबान से शब्द खुद ही निकलने लगे उसे बड़बड़ाना कहते है। अपने शब्दो को नियंत्रण में रखने के लिए ध्यान में उतरना सीखिए।

जब दिमाग खुद से इतनी बाते बनाने लग जाए , कोई मिल नहीं उसके दिल का हाल सुनने वाला जो वह खुद से बाते करने लग गया , उसके दिमाग ने अब खुद को ही साथी बना लिया है , खुद ही सवाल है खुद के ही जवाब है , जो अब वो अपने भीतर ही ढूंढ रहा है।

बड़बड़ाना बहुत आदत है मेरी,
बोलने की जो चाहत है खुद की।
कभी कभी बातों का ध्यान नहीं,
बस चलती रहती है जुबान यहीं।

कुछ बातें बिना सोचे बोल देता हूँ,
बचपन के दिनों की याद ताजगी देता हूँ।
खुश रहने की ख्वाहिश में बड़बड़ाता हूँ,
कभी कभी खुशी को साझा कराता हूँ।

बड़बड़ाने से दिल हल्का हो जाता है,
मन में खुशियों की बौछार भर जाती है।
दोस्तों के बीच आत्मा नवीन हो जाती है,
बड़बड़ाने से जीवन रंगीन हो जाती है।

कभी-कभी बड़बड़ाने से झगड़ा भी हो जाता है,
परंतु फिर भी दोस्ती की राह ढलती है।
बड़बड़ाने से जीवन में जीने की चाहत होती है,
कुछ अनुभवों को अपने साथ लेने की चाहत होती है।

खुद को रोके बड़बड़ाने से पहले,
एक बार सोच लो, सुन लो मेरी बातें।
मेरी आदत यह शायद नहीं बदलेगी,
मगर दोस्ती को मज़बूती देती है यह बातें।

अखंडा फिल्म

यह बॉलीवुड वाले गहराई नाप रहे है और साउथ वालो ने अखंडा बना दी अगर हिंदी में आ गई होती तो शायद पुष्पा की कमाई को भी पीछे छोड़ देती यह फिल्म फिलहाल मेने इंग्लिश सबटाइटल के साथ आज ही देख ली है।

तेलुगु में रिलीज हुई है hot star पर जिसको आप इंग्लिश subtitle के साथ

अखंडा फिल्म इसमें नंदमुरी बालकृष्ण जी ने इतना शानदार अभिनय किया है जिसकी प्रशंसा करते हुए मन नही भरता।

कुछ सीन तो ऐसे है जिसमे हॉलीवुड की फिल्मों को भी देखने का मन नही करेगा साथ ही फिल्म आपको आपके जीवन के कर्तव्यों और धर्म की शिक्षा भी देती है।

आप भी देखिए बहुत शानदार फिल्म है नंदमुरी बालकृष्ण वाह बहुत शानदार किरदार करते है हर बार इस बार तो कमाल और धमाल मचा दिया।

तारीफ करते नही रुकोगे वैसे तो पुष्पा कोई खास नहीं थी मेरे हिसाब से फिल्म इसलिए चल जाती है क्युकी फिल्म में  अल्लू अर्जुन सबके पसंदीदा अभिनेता है इसलिए चल गई और थोड़ी एक्टिंग अच्छी थी बस लेकिन स्टोरी में माफिया और गुंडाराज को ऊपर दिखाया ऐसी शिक्षा देना कोई अच्छी बात नहीं इस नई पीढ़ी को जैसे बॉलीवुड वाले नंगे दृश्य को दिखाकर अपनी फिल्म चलाने की कोशिश में लगातार लगे रहते है उसी प्रकार की कोशिश पुष्पा में की गई जिसमे माफिया राज , सड़क छाप गुंडा अपने आपको हीरो मान रहा है जैसे की उसने बहुत बड़ा काम कर दिया हो।


ऐसी फिल्में देश को नीचे की और धकेलने में लगातार लगे हुए है तो मैं ऐसी फिल्मों का समर्थन नहीं करता देखता सभी फिल्म हूं। 

सोशल मीडिया

सोशल मीडिया पर लगातार शब्दो का चलन होता है , हर रोज कुछ ऐसे शब्द प्रचलित होते है जिनको ज्यादा बार सांझा, पसंद किया जाता है और साथ उस पर कमेंट तथा लिखते है उसके बारे में ,
था प्रकार को सूचना और खबर होती है जिसको सभी देश विदेश में फैलाना चाहते है जिससे उनको प्रसिद्धि मिले या फिर उनके मन को अच्छा लगता हो इसका कारण कुछ भी हो सकता है।
जैसे की आज का शब्द है।

मोदीजी
महेश_बाबू
Allu Arjun movie pushpa

अब ज्यादातर लोग इस बात को खोज रहे है तथा लिख भी रहे है साथ उस पर अपनी टिप्पणी भी देते है , पसंद और नापसंद की

# हैश टैग को इसीलिए प्रयोग में लाया जाता है ताकि एक जैसे शब्दो को आसानी से खोजा जा सके इंटरनेट पर

आपका स्वागत है हमारी पोस्ट आने के लिए उम्मीद करते है आपको हमारी पोस्ट पसंद आ रही है। जरूर बताएं आप किस टॉपिक पर ज्यादा पढ़ना चाहते है।